कोई त्यौहार २ दिन क्यों मनाया जाता है, कृष्ण जन्माष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी 2022, कृष्ण जन्माष्टमी, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी तिथि 2022, krisn janmastmi, krishna janmashtami 2022, krishna janmashtami, sri krishna janmashtami, krishna janmashtami date 2022, krishna janmashtami 2022 usa drik panchang, krishna janmashtami august mein kab hai,
नमस्कार दोस्तों पायस एस्ट्रो में आपका स्वागत है। आप लोगों ने नोट किया होगा कि जन्माष्टमी 2 दिन पड़ रही है। अब से कुछ दिन पहले रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया गया था वह भी 2 दिन पड़ा था। ऐसी तिथियां अक्सर जाती है। कोई भी त्यौहार 2 दिन का क्यों होता है? और यह आजकल ही क्यों सुनने को आ रहा है पहले ऐसा क्यों नहीं होता था। यदि आप जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा पढ़ें। साथ ही हम यह नहीं बताएंगे कि कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जा रही है कौन सी पूजा कृष्ण जन्माष्टमी में सबसे उत्तम रहेगी।
पहले ऐसा पहले ऐसा नहीं होता था कि लोग किसी भी त्यौहार को 2 दिन मनाएं। पहले भी 2 तिथियों में त्यौहार आते थे पर उन्हें स्पष्ट था की किस दिन त्यौहार मानना है। अभी ज्यादातर ऐसा होने लगा है वास्तव में यह समस्या पहले भी आती थी लेकिन इसका समाधान उनके पास होता था।
दो तिथियों वाली समस्या क्यों होती है। कोई त्यौहार २ दिन क्यों मनाया जाता है,
आज का युग, एज ऑफ इंफॉर्मेशन यानी सूचना का युग कहा जाता है। यदि आपको सिगरेट पीने के फायदे और नुकसान जानने हैं तो इंटरनेट पर 50 फायदे और 50 नुकसान आपको दिख जाएंगे। लेकिन यहां पर सूचना है समाधान नहीं है आपके पास कोई गाइडेंस नहीं है। हर व्यक्ति अपने अपने तरीके से आपको सूचना देने की कोशिश कर रहा है। जिसमें जिस परिपेक्ष में सूचना होती है उसके अलावा दूसरे तरीके से ले ली जाती है।
उदाहरण के लिए आप नूपुर शर्मा का केस ले लीजिए। नूपुर शर्मा ने भी वही कहा जो जाकिर नायक ने कहा था। लेकिन ऑल्ट न्यूज़ वाले जुबेर ने इसको अपने तरीके से काट छांट के ऐसे प्रस्तुत किया कि इससे संपूर्ण मुस्लिम जगत की भावनाएं आहत हो गई। यानी सूचना वही थी लेकिन उसको दूसरे तरीके से प्रसारित किया। परिणाम अर्थ का अनर्थ हो गया। इसी तरह की प्रॉब्लम हमारे साथ भी हो रही है जिसके कारण दो तिथियों वाली कन्फ्यूजन पैदा होती है।
एक और उदाहरण से समझते हैं। एक ख़बर आई कि अब देश में 50% जोड़ें तलाक ले लेते हैं। यह समाचार भारत में किसी ने पढ़ा, और आश्चर्य में पड़ गया। वह मन ही मन बोला क्या झूठी खबर है। कौन 50% लोग हैं जो तलाक ले रहे हैं। अख़बार वाले भी झूठी खबर छापते हैं। पर यह खबर सच है। यह खबर अमेरिका की है जिसका भारत के परिपेक्ष से कोई लेना देना नहीं है। वहां की सामाजिक मान्यताएं अलग है और भारत की सामाजिक मान्यताएं अलग। यहाँ देश कल व परिस्थिति की जानकारी न होने के कारण सूचनाएं मैशउप हो गई। दोषी कौन समाचार पत्र वाले जबकि जानकारी सही थी।
ऐसा ही हमारे त्योहारों के साथ भी हो जाता है। इन सभी गलतफहमियों के मूल में पंचांग आता है। पंचांग होता क्या है? पंचांग प्राचीन हिंदू कैलेंडर को कहा जाता है। हम इसे पंचांग इसलिए कहते हैं क्योंकि यह पांच प्रमुख अंगों से बना है। वो पांच प्रमुख अंग हैं- नक्षत्र, तिथि, योग, करण और वार।
आज के समय में अगर हमें कहीं जाना होता है। तो हम गूगल मैप का इस्तेमाल करते हैं। जिससे हमें सही रास्ता पता लग जाता है। यह गूगल मैप कैसे काम करता है?
भूगोल में किसी स्थान की स्थिति को बताने के लिए उस स्थान का अक्षांश (latitude) तथा देशांतर (longitude) बताया जाता है। उत्तर से दक्षिण की ओर एक काल्पनिक रेखा खींची जाती है उसे अक्षांश (latitude) कहते हैं और पूरब से पश्चिम की ओर एक काल्पनिक रेखा खींची जाती है उसे देशांतर (longitude) कहते हैं।
गूगल मैप जीपीएस सिस्टम पर काम करता है। इसमें पूरी दुनिया को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट दिया है। उनमे से हर एक टुकड़े को एक नंबर दे दिया है। जो हमें अपने फोन पर भी दिखता है, इससे हमारी लोकेशन का पता लगता है।
भारत में हजारों सालों से इस सिस्टम का उपयोग हो रहा है। ज्योतिष में 2 भाग होते हैं फलित और गणित। गणित के अंदर यह कैलकुलेशन लगाई जाती है कि कौन सा ग्रह व नक्षत्र किस समय किस जगह पर उपस्थित होगा। जिसके अनुसार सेकेण्ड के हजारवें हिस्से के बराबर से लेकर और सृस्टि के अंत तक की समय की गढ़ना की जाती है। और दूसरा भाग फलित है जिसमे ग्रहों की चाल के अनुसार किसी व्यक्ति प् पड़ने वाले प्रभाव का अध्यन किया जाता है।
पंचांग गणित का हिस्सा है त्योहार पंचांग के अनुसार ही मनाये जाते हैं। अपने अक्षांश और देशांतर के अनुसार पंचांग बनते हैं। गुजरात का पंचांग अलग होगा। महाराष्ट्र का अलग, दक्षिण भारत का और बिहार का पंचांग अलग होगा। आपकी जानकारी के लिए बताता हूं कि हिंदू धर्म में सूर्योदय के समय से दिन शुरू होता है। सूर्य और चंद्र के आधार पर तिथि निर्धारित होती है। जब चंद्र सूर्य से तक़रीबन 12 अंश की दूरी पर चला जाता है तो तिथि बदल जाती है। टोटल 30 दिनों में चंद्र 360 डिग्री का चक्कर लगा फिर सूर्य के पास आ जाता है। ऐसे ही अमावस्या से पूर्णिमा और पूर्णिमा से अमावस्या होती है। भारत एक विशाल देश है। चांगलांग जो भारत का सबसे पूर्व का शहर है उसमे सूरज सुबह 4:35 पर उदय होता है। जबकि कच्छ जिले में सूर्योदय 6:29 पर होता है। यानि लगभग 2 घंटे का अंतर होता है। उदाहरण के लिए जो जन्मास्टमी 18 अगस्त को रात को साढ़े दस बजे चांगलांग में है वही अमावस्या कच्छ में 19 अगस्त को होगी।
अब आप बताएं की जन्माष्टमी कब होगी 18 अगस्त या 19 अगस्त, दोनों दिन दोनों ही सही है। इसलिए आपके स्थान के पंचांग के अनुसार त्यौहार मानना चाहिए।
जन्माष्टमी कब मनाएं
अभी रक्षाबंधन पर तिथियों को लेकर मतभेद खत्म भी नहीं हुआ था कि एक बार फिर से कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर विभिन्न पंचांगों की तिथियां अलग-अलग बताई जा रही हैं। महाभारत के अनुसार, भाद्रपद मास यानि भादो के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र, हर्षण योग और वृषभ राशि में जब चंद्रमा था तब अर्धरात्रि में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इसी कारण हर साल इस दिन को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
इस बार भाद्रपद की अष्टमी दो दिनों तक है। अष्टमी तिथि का प्रवेश इस बार 18 अगस्त 2022 दिन गुरुवार को रात्रि में हो रहा है। इस कारण कई लोग 18 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। वहीं शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में उदया तिथि सार्वभौमिक माना गया है, इसलिए 19 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। वैष्णव संपद्राय भी 19 अगस्त को ही श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाएगा।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था दोनों ही तिथियों में रोहिणी नक्षत्र नहीं लग रहा और रोहिणी नक्षत्र में उत्सव मनाने की परंपरा है। रोहिणी नक्षत्र 20 अगस्त को 01:53 बजे से लग रहा है।
महावीर पंचाग जो बिहार के बेगू सराय से निकलता है के अनुसार 18 अगस्त को रात्रि में 9:21 बजे अष्टमी का प्रवेश हो रहा है। इसलिए इस तिथि में भी लोग जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। जबकि बनरासी पंचाग में 19 को जन्माष्टमी मनाने पर जोर दिया गया है। वैसे भी उदया तिथि मानने वाले लोग 19 अगस्त शुक्रवार को जन्माष्टमी मनाएंगे।
जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ समय
जन्माष्टमी की पूजा ले लिए 18 अगस्त की रात 12 बजकर 20 मिनट से लेकर 1 बजकर 05 तक का समय सबसे शुभ माना जा रहा है। पूजा की अवधि कुल 45 मिनट की है ।इस 45 मिनट में आप ॐ कलीम कृष्णाय नमः का जाप कर सकते हैं।
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ- 18 अगस्त शाम 9 बजकर 21 मिनट से शुरू
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त- 19 अगस्त रात 10 बजकर 59 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त – 18 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक।
वृद्धि योग – 17 अगस्त दोपहर 8 बजकर 56 मिनट से 18 अगस्त रात 08 बजकर 41 मिनट तक
ध्रुव योग – 18 अगस्त रात 8 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्त रात 8 बजकर 59 मिनट तक
भरणी नक्षत्र – 17 अगस्त रात 09 बजकर 57 मिनट से 18 अगस्त रात 11 बजकर 35 मिनट तक
निशिथ पूजा मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 20 मिनट से 01:05 तक रहेगा
जन्माष्टमी पारण का शुभ मुहूर्त– 19 अगस्त को रात 10 बजकर 59 मिनट के बाद