दोस्तों एक सवाल पूछा गया है कि क्या शिवजी का लिंग कटा हुआ लिंग है जिसके हम पूजा करते हैं एक मनघडंत कहानी है। दारू नाम का एक वन था। वहां के निवासियों की स्त्रियां वन में लकड़ी लेने गई महादेव जी का दिमाग खराब था तो वह बिना कपड़ों के वहां पहुंच गए कुछ महिलाएं उन्हें देखकर अपने घरों में वापस लौट आई और कुछ उनसे चिपट गई।
थोड़ी देर में वहां पर ऋषि लोग आए और उन्होंने आकर श्राप दिया तुम्हारा लिंग कट कर गिर जाए। और उसके बाद शिवजी का लिंग रॉकेट बन गया और जैसे हमास के ऊपर इजराइल के रॉकेट गिर रहे हैं ऐसे ही वह धरती पर जगह-जगह रॉकेट बनकर गिरने लगा उसके वजन से धरती भारी हो गई। हद होती है हद यह तो ऐसा ही हुआ कि एक नाव पर एक हाथी बैठा है। उसमें रत्ती सा भी वजन पड़ा तो वह नाव डूब जाएगी। उस बैठे हुए हाथी ने वहां पर पोटी कर दी। अब बताइए कि वह नाव डूबेगी या नहीं इसका बहुत आसान सा उत्तर है कि वह पोटी जो हाथी ने की है वह पहले पेट में थी।
तो भाई साहब यहां से लिंक कट कर गिर गया है तो धरती कैसे भारी हो गई चलो इसे भी मान लेते आगे बढ़ते हैं। उसके बाद उसे पार्वती ने धारण कर लिया और धरती पर उस लिंग द्वारा मचाई तबाही से शांति हो गई।
कोई प्रमाण नहीं है कोई जानकारी नहीं है लोगों को बड़ा वाला सी बनाया जाता है अल्मोड़ा से 40 किलोमीटर दूर जोगेश्वर का मंदिर है जहां कहा गया कि शिव जी का कट कर यहां गिरा था इस स्थान को पूजिये। मनगढ़ंत कहानी बना दी गई ताकि लोगों से मंदिर में आए। कहा गया कि यहीं से शिवलिंग की पूजा प्रारंभ हुई है। मतलब जो लोग ज्योतिर्लिंग पर जाते हैं लोग तो पागल लोग हैं।
शिव पुराण में शिवलिंग की उत्पत्ति का वर्णन अग्नि स्तंभ के रूप में किया गया है जो अनादि व अनंत है और जो समस्त कारणों का कारण है।
लिंगोद्भव कथा में परमेश्वर शिव ने स्वयं को अनादि व अनंत अग्नि स्तंभ के रूप में ला कर भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु को अपना ऊपरला व निचला भाग ढूंढने के लिए कहा और उनकी श्रेष्ठता तब साबित हुई जब वे दोनों अग्नि स्तंभ का ऊपरला व निचला भाग ढूंढ नहीं सके।
लिङ्ग पुराण के अनुसार शिवलिंग निराकार ब्रह्मांड वाहक है – अंडाकार पत्थर ब्रह्मांड का प्रतीक है और पीठम् ब्रह्मांड को पोषण व सहारा देने वाली सर्वोच्च शक्ति है।
स्कन्द पुराण में भी है, इसमें यह कहा गया है “अनंत आकाश (वह महान शून्य जिसमें समस्त ब्रह्मांड वसा है) शिवलिंग है और पृथ्वी उसका आधार है। समय के अंत में, समस्त ब्रह्मांड और समस्त देवता व इश्वर शिवलिंग में विलीन हो जाएँगें।”
एक क्वेश्चन पूछता हूं अगर उसे शिवलिंग कहा जाता है तो उसे महादेव लिंग या शंकर लिंग भी तो कहा जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं है उसे शिवलिंग कहा गया है चलिए थोड़ा और एक्सप्लेन कर देते हैं।
सबसे पहली बात संस्कृत में “लिंग” का अर्थ होता है प्रतीक।
जननेंद्रिय (sex organ) के लिए संस्कृत में एक दूसरा शब्द है – “शिश्न”. गूगल कर लेना।
√ पुरुष लिंग यानि पुरुष का प्रतिक,
√ स्त्री लिंग यानि स्त्री का प्रतिक,
√ उभय लिंग यानि स्त्री और पुरुष का प्रतिक,
√ नपुंसक लिंग यानि नपुंसक का प्रतिक,
√ शिवलिंग यानि शिव का प्रतिक।।
अगर लिंग का अर्थ पुरुष जननेंद्रिय होता तो:-
फिर आपको अपना गुस्सा निकलने के लिए गाली की जरुरत नहीं होती आप किसी को भी स्त्रीलिंग कह दो गली हो गई स्त्रीलिंग शब्द ही अपने आप में गाली होता। इसी तरह यदि मैं यह कहूं कि मैं पुलिंग हूं तो यह अपने आप में गाली हो जाएगी।
संस्कृत में “लिंग” का अर्थ होता है प्रतीक। शिवलिंग मतलब शिव का प्रतीक
जब ध्यान किया जाता है तो ध्यान की अवस्था में थोड़े समय बाद आपको अपने माथे पर एक रोशनी का अनुभव होता है। शिव ध्यान का स्वरूप है वह निरंकार है। अन्य धर्मों के अनुसार वह खुदा या गॉड का ध्यान कर रहे होते हैं तो उन्हें एक नूर दिखाई देता है। नूर मतलब लाइट। कोई भी लाइट किस रूप में दिखाई देती है। गोल या अंडाकार। इंसान का दिमाग निराकार में भी आकार ढूंढ लेता है जैसे बचपन में बादलों के अंदर खरगोश भेड़ और बकरियां देख लिया करते थे। शिव पुराण में लिंग पुराण में या स्कंद पुराण में इसे ज्योति स्वरूप या अंडाकार का आ गया है। जिन लोगों ने अपना पूरा जीवन शिव के लिए समर्पित कर दिया हम लोग उन से ऊपर नहीं है। तो हमें उन्हीं की बातों का अनुसरण करना चाहिए उन्हीं की बातों को सत्य मानना चाहिए।
जो ध्यान में अनुभव होता है उसकी मूर्ति बनाई गई। जो अंडाकार थी 0 आपने देखा होगा वह कैसा होता है ऐसा नहीं होता। ऐसा होता है यदि मैं शिवलिंग जैसे किसी पत्थर को जमीन पर खड़ा करने की कोशिश करूंगा तो वह गिर जाएगा। जीरो जैसे फिगर को खड़ा करने के लिए आपको आधार यानि बेस को जरुरत होती है। जिस चीज पर इतनी पवित्र और आध्यात्मिक चीज टिकी हुई है वह कोई मामूली चीज नहीं होगी इसीलिए उस जीरो के ऊपरी हिस्से को पराशिव और जिस पर वह रखा हुआ है उसे पराशक्ति का नाम दिया गया। दरअसल धयानियों के लिए वह शिव का प्रतीक है मेरे जैसे अज्ञानीयों के लिए वह देवों के देव महादेव है।