हिन्दुओ के इतने देवता क्यों हैं ?
कौन सा भगवान सबसे शक्तिशाली है?
किसकी पूजा करने से सबसे जयादा लाभ मिलेगा ?
हिंदुओं के इतने देवी देवता का क्यों है?
अगर मैं पूरी दुनिया की बात करूं तो जितनी भी प्राचीन सभ्यताएं हैं जैसे ग्रीक इजिप्ट या भारत ये सभी बहुत सारे देवी देवताओ की सभ्यताए हैं। इन सभी में लगभग समान देवता हैं सूर्य, जल, वायु व बिजली या मौसम के देवता।
या हम ऐसा कहें कि सारी प्राचीन सभ्यताएं बहुत सारे देवताओं की सभ्यता थी उस सभ्यता में इनके अलावा अफ्रीका की कुछ जनजातियां या अमेरिका की पुरानी सभ्यता है जिनमें इंका या रेड इंडियन शामिल है। प्राचीन समय में जब पाषाण काल यानी स्टोन एज था तब भी आदिवासी लोग पत्थरों की ही पूजा किया करते थे। खुद को एक ईश्वर वादी कहने वाले संप्रदाय के लोगों में मुस्लमान अपने धार्मिक स्थल पर जाकर काला पत्थर चूमते हैं यहूदी येरुसलम जाकर दीवार पर सर रगड़ते हैं और ईसाई के चर्च में यीशु की या मरियम की मूर्ति लगी होती है।
इंसान कहीं ना कहीं पत्थरों से जुड़ा हुआ है एक मिनट को आप यह सोचिए कि आपको स्टोन एज में छोड़ दिया जाए। जहां पर आपके रहने के लिए गुफा पत्थर की बनी हुई है आप शिकार करते हैं तो पत्थर के हथियार बना लेते हैं। आप शरीर ढकने के लिए जानवरों की खाल पत्थर से बनी सुई से सिलते हैं। जब कोई जानवर आपको परेशान करता है तो आप उसे पत्थर मार मार कर भगा देते हैं। यदि आपको गेहूं मिलता है तो आप उसे पत्थर से पीस कर आंटा बना लेते हैं और उस आटे को आग जलाकर पत्थर को गर्म करके पका लेते हैं। ऐसी स्थिति में आप पत्थर क्यों नहीं पूजेंगे क्योंकि वह आपको सब चीज दे रहा है और हिंदू धर्म में देवता का मतलब होता है जो आपको देता है उसे देता कहते हैं इसीलिए जल देवता, वायु देवता व धरती देवी कहलाती है।
पहले मैं आपसे कुछ सवाल पूछना चाहता हूं। क्या आप कभी जिम गए हैं वहां पर आपने किसकी फोटो लगी हुई देखी है? क्या जिम में कभी लक्ष्मी की फोटो लगी देखी है? कभी गणेश जी की फोटो लगी होती है? स्वामी विवेकानंद की फोटो देखी है ? नहीं वहां पर इस समय के अच्छे बॉडीबिल्डर की फोटो लगी होती है।
सलून में बाल कटवाने जरूर गए होंगे। आपको वहां पर कभी सुभाष चंद्र बोस या हिटलर की फोटो नहीं दिखाई देगी वहां पर आपको हेयर स्टाइल वाले लड़के- लड़कियां या फिर फिल्मी कलाकारों की फोटो दिखाई देती है। आप स्कूल जाते हैं तो क्या आपको वहां कभी शाहरुख खान, कैटरीना कैफ या संजय दत्त की फोटो नहीं मिलेगी। वहां पर आपको आइंस्टीन, स्वामी विवेकानंद या अंबेडकर की फोटो दिखाई देगी।
आपने लोगों को देखा होगा कि यदि कोई क्रिकेटर बनना चाहता है तो वह विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर की फोटो उसके घर में होती है। कोई एक्टर बनना चाहता है तो वह अमिताभ बच्चन, शारुख या दीपिका की फोटो अपने घर में लगाता है। दुनिया में 85% लोगों को एक आदर्श की जरूरत होती है। मोटिवेशनल स्पीकर अक्सर यह कहते हुए पाए गए हैं कि कोई भी चीज जो आपको प्राप्त करनी है आप उसका विजुअल अपने सामने रखें। एक उदाहरण के लिए यदि मुझे अपनी ड्रीम कार लेनी है तो मुझे अपनी उस ड्रीम कार का फोटो ऐसी जगह चिपकाना चाहिए जहां पर मेरे उठते बैठते मुझे वह फोटो दिखाई दे। ताकि मेरा दिमाग मेरा सबकॉन्शियस माइंड इसको पाने के लिए हमेशा प्रयास करता रहे निश्चित की एक दिन मुझे मिल जाएगी।
ऋग्वेद में कहा है कि जैसा मनुष्य होता है वैसा ही उसका देवता होता है। जिसे पश्चिमी ट्रांसलेटर लोगों ने गलत तरीके से प्रस्तुत किया जिसके कारण आर्य इनवेजन थ्योरी, यानी आर्य आक्रमण कारी थे वे बाहर से आए थे यह कहा गया। परंतु इस सूक्ति का असली मतलब यह है कि जैसा आप बनना चाहते हैं वैसे देवता की उपासना करो। यदि आप ताकत चाहते हैं तो हनुमान जी , पैसा चाहिए तो लक्ष्मी जी की, विद्या चाहिए तो सरस्वती जी की और यदि आप पशु पक्षी के प्रेमी हैं तो गरुण, वासुकि गणेश की की शरण में जाइए। दुनिया में 90% लोग ऐसे हैं जिन्हें आगे बढ़ने के लिए या अपने जीवन में लक्ष्य बनाने के लिए किसी ना किसी आदर्श की जरूरत होती है। इसीलिए प्राचीन सभ्यताओं में बहुत सारे देवी देवताओं का कांसेप्ट है। क्योंकि हर आदमी अलग अलग तरीके से सोचता है और उसकी जरूरतें अलग-अलग होती है इसीलिए हर व्यक्ति को अलग-अलग देवता अपने लक्ष्य के अनुसार चुन लेनी चाहिए।
एक और प्रश्न है कि कौन सा देवता सबसे शक्तिशाली होता है जिसकी हमें पूजा करनी चाहिए?
दोस्तों ईश्वर के बारे में एक बात कही जाती है जो प्राचीन ग्रंथों में लिखी हुई है कि ईश्वर दृष्टा होता है यानी उसका काम केवल देखने का है। उसने प्रकृति बना दी, उसने भौतिक के सिद्धांत बनाये जिन पर सारी दुनिया चलती है। यदि कोई आदमी चलती ट्रेन के नीचे आ जाए तो इस बात की 100% संभावनाएं हैं कि वह जीवित नहीं रहेगा। इस बात से कोई मतलब नहीं है कि वह आदमी कितना भगवान को पूजता था वह आदमी अच्छा था या बुरा था। भगवान ने कुछ नियम पहले से ही बना कर रखे हैं। आप उन नियमों के विरोध में जाओगे तो निश्चित ही अपना नुकसान करोगे। ईश्वर दृष्टा है का मतलब यह नहीं कि बस वह बैठा देखता रहता है उसने कई सिद्धांत बनाए हैं वह अवतार भी लेता है। उसने केवल भौतिक के नियम ही नहीं बल्कि अध्यात्म के भी नियम बनाए हैं। जिन पर चलकर मनुष्य उन चीजों को जान पाया जो बहुत ही गूढ़ रहस्य थे। प्राचीन कल के जितने भी खोजी लोग थे सभी दार्शनिक या अध्यात्म से जुड़े थे। आज जो भी चीज अपने आसपास देख रहे हैं यह ईश्वर की दी हुई उस आध्यात्मिक ताकत के कारण ही है। कुछ सिद्धांत उसने सभी प्राणियों के लिए तो कुछ केवल मनुष्य के लिए ही बनाए हैं
उसने एक और सिद्धांत बनाया जिसका नाम है आस्था का सिद्धांत।
मैं पुस्तक पढ़ रहा था जिसका नाम है बड़ी सोच का बड़ा जादू उसने लेखक ने एक बात कही है कि “किसी भी नौकरी का कोई भविष्य नहीं होता भविष्य उस आदमी का होता है जो वह नौकरी कर रहा है”
इसी तरह से कोई भी भगवान शक्तिशाली या कमजोर नहीं होता बल्कि शक्तिशाली और कमजोर होता है वह भक्त जो उसकी भक्ति या आराधना कर रहा है चाहे वह किसी भी पूजा पद्धति से कर रहा हो।
संत रैदास गंगा माता के भक्त थे उन्होंने कुछ लोगों को पैसे दिए ताकि वह गंगा में उन पैसों को चढ़ा सके क्योंकि संत रैदास काम में व्यस्त थे इसलिए गंगा नहीं जा सकते थे। उन्होंने कहा जब तक गंगा मां हाथ बढ़ाकर आपसे ना मांगे तब तक यह पैसे मत देना। जब वह लोग गंगा तट पर पहुंचे और तो गंगा माँ ने उनसे हाथ बढ़ा कर पैसे मांगे और उन लोगों को एक कंगन दिया और उनसे कहा की यह भेंट मेरे भक्त रविदास को दे देना। उन लोगों ने सोचा कि यह कंगन क्यों ना राजा को दिया जाए। वे लोग राजा को जाकर वह कंगन दे आए राजा ने जो दूसरा कंगन मांगा तो उनके पास कोई उत्तर ना था। तब उन्होंने संत रविदास के बारे में जानकारी बताई। राजा दूसरा कंगन लेने के लिए संत रविदास के पास पहुंचे संत रविदास उस समय जूते बना रहे थे यही उनका काम था पास ही में कटौती थी जिसके अंदर पानी भर के चमड़ा डाल दिया जाता है ताकि वह भूलकर मुलायम हो जाए। संत रैदास ने राजा की प्रार्थना पर उस कटौती में हाथ डाला और दूसरा कंगन निकला।
यह घटना बहुत सारी जगह पर वर्णित है यानी लिखी हुई है।
आज भी गंगा मैया की भक्ति करने वाले बहुत लोग है वो क्यों नहीं ऐसा चमत्कार कर रहे। यह उस भक्त के अंदर की भक्ति की ताकत थी कि उसने कठौती में हाथ डालकर और कंगन निकाल दिया।
आपने सुना है ना कि भक्त के वश में है भगवान। आप अपनी भक्ति के अंदर इतनी धार लाइए कि आपका भगवान आपके बस में हो जाए और आपके अनुसार काम करें।
इब्राहिम नाम के एक नवी हुए थे अल्लाह ने हुक्म दिया कि उन्हें उसके बेटे इस्माइल की कुर्बानी चाहिए इब्राहिम अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे। लेकिन अल्लाह का हुक्म ठुकरा ना सके जब वह अपने बेटे की बलि देने वाले थे ठीक उसी समय जिब्रील नाम का एक देवदूत आया और उसने बच्चे की जगह पर बकरी रख दी और बच्चे की जान बच गई। उसे अपने अल्लाह पर पूरा विश्वास था आज तक कोई दूसरा इब्राहिम नहीं हुआ।
हर धर्म में हर संप्रदाय में आपको किसी ना किसी ऐसे भक्त की कहानी जरूर मिलेगी ऐसा इसलिए क्योंकि उस भक्त ने अपने भगवान को वश में कर लिया था।
तीसरा प्रश्न यह है कि किसकी उपासना करने से हमें सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा
मैं अभी कुछ दिन पहले योग देख रहा था योग कर रहा था उसमें बाबा रामदेव ने एक बात कही कि इस दुनिया में कोई भी काम लाभ के लिए किया जाता है यदि आपको कोई लाभ नहीं होगा तो आप उस काम को करेंगे नहीं और उपासना भी मनुष्य लाभ के लिए ही करता है चाहे आंतरिक शांति के लिए करें पैसे के लिए करें यह शक्ति के लिए करें उसका यह मानना है कि वह जिस देवता की पूजा कर रहा है वह देवता उसके जीवन में परेशानियां कम करेगा उसकी तकलीफों को दूर करेगा इसीलिए वह उपासना करता है। स्वामी विवेकानंद का शिकागो में भाषण दिया था।
उन्होंने वहां पर एक शिव पुराण का और एक गीता का श्लोक कहां गीता का श्लोक में आपको सुना देता हूं। जो अध्याय चार का ग्यारवा श्लोक है।
ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम् |
मम वर्त्मानु वर्तन्ते मनुष्या: पार्थ सर्वश: || 11||
इसका मतलब है जो कोई मेरी और आता है चाहे वह किसी भी प्रकार से हो मैं उसको प्राप्त होता हूं लोग अलग-अलग रास्तों द्वारा यत्न करके और अंत में मेरी और ही आते हैं
दूसरे श्लोक जो शिव पुराण से है जिसका अर्थ मैं आपको बता देता हूं उन्होंने कहा कि “नदियां अलग-अलग स्रोतों से निकलकर समुद्र में मिल जाती है ठीक उसी प्रकार अलग-अलग रूचि के अनुसार विभिन्न टेढ़े मेढ़े और सीधे रास्तों से जानेवाले लोग अंत में भगवान में ही आकर मिलते हैं”
स्वामी जी ने एक बात कही मुझे आप कोई भी ऐसा धर्म दिखा दीजिए जो यह कहता हूं कि यदि तुम मुझे फॉलो करोगे तो आप स्वर्ग में नहीं जाओगे। तुम्हारा नुकसान होगा हर कोई धर्म या संप्रदाय मोक्ष के बारे में ही बात करता है स्वर्ग और उस ईश्वर को प्राप्त करने को रास्ता दिखता है ।
कोई भी भगवान जो आपको पैतृक रूप से मिला है मतलब आपके माता पिता उनकी पूजा करते थे या जो आपके गुरु ने आपको दिया जैसे कुछ लोग नाम दान ले लेते हैं। या फिर आपको लगता है कि मैं किसी रूप में इस भगवान से जुड़ा हूं या जुड़ी हूं तो आपको उसी की आराधना करनी चाहिए उसी पर विश्वास रखना चाहिए और आप पाएंगे कि वही आपके लिए सबसे फायदे वाला सौदा होगा