नीलम रत्न के लाभ। neelam stone, benefits of neelam in hindi
नीलम को बहुत सोच-समझकर धारण करना चाहिए वह पहनते ही असर दिखता है। ऐसा अक्सर लोगों को कहते सुना होगा। क्या सचमे नीलम पहनते असर दिखता है? और इसे कौन पहन सकता है? इस लेख में हम यही जानेंगे।
प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में कोई न कोई ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में होता है। ऐसे समय में ज्योतिषी द्वारा कई प्रकार की उपाय व रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में होता है, तो उसे नीलम धारण करने के लिए कहा जाता है। यह एक मात्र ऐसा रत्न है, जिसका प्रभाव महज 24 घंटे के भीतर आप महसूस करने लगते हैं। शनि जितना धीमा ग्रह है नीलम का असर उतना ही तेज़ है। और खुनी नीलम के बारे में कहा जाता है कि वह मात्रा ढाई घंटे में असर दिखता है।
नीलम रत्न (neelam ratna ke labh hindi) शनिदेव को समर्पित रत्न होता है, तथा नीलम रत्न नीले रंग का बिल्कुल अपराजिता फूल के रंग के समान होता है। शनि जिसे मारक ग्रह के भी नाम से जाना जाता है। दुख , पीरा ,कष्ट आदि चीजें शनि ग्रह को संबोधित करती हैl ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 9 ग्रह का हमारे जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव रहता है। हर एक ग्रह का अपना एक प्रभाव होता है। हर ग्रह अपनी स्तिथि के अनुसार शुभ या अशुभ फल देता है, किंतु नवग्रह में से सबसे अधिक डर लोगों को शनि ग्रह से ही लगता है, क्योंकि शनि ग्रह को न्याय का देवता के नाम से संबोधित किया जाता है।
शनि देव को कर्मों पर अधिकार दिया गया है। यह आपके कर्मों के हिसाब से आपको फल देते हैं। शनि ग्रह की वक्र दृष्टि जिस पर भी पड़ जाती है, उस इंसान को बहुत से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। चाहे उसमें लाख दक्षता हो किंतु यदि शनि ग्रह जब तक शुभ फल नहीं देगा तब तक उसके जीवन में स्थिरता नहीं आएगी। आपके कर्म ही यह निर्धारित करते हैं, कि आप इनके कृपा के पात्र हैं, या द्वेष के पात्र हैं।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार नीलम मकर और कुंभ राशि के लोग धारण कर सकते हैं। इन दोनों राशियों पर शनि का आधिपत्य होता है। वहीं, वृष, मिथुन, कन्या, तुला राशि के लोग में इसे धारण कर सकते हैं। यदि शनि देव कुंडली में कमजोर बैठे हुए तो नीलम धारण करके उनकी शक्तियों को बढ़ाया जा सकता है। कुंडली में चौथे, पांचवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में शनि हो तो नीलम पहनने से बहुत लाभ मिलता है।
लक्षण के आधार पर कीन्हे नीलम धारण करना चाहिए?
जो लोग अपने जीवन में अपने लक्ष्य का निर्धारण नहीं कर पाते तथा उनका मन हमेशा चंचल बना रहता है। जो निर्णय नहीं ले पाते कि उन्हें किस क्षेत्र में जाना चाहिए तथा कौन सा कार्य करना चाहिए। यदि उनके द्वारा यदि नीलम रत्न धारण किया जाता है, तो उसके फायदे उन्हें त्वरित ही देखने को मिलते हैं। उन में दूरदर्शिता का भाव उत्पन्न होता है, तथा ध्यान केंद्रित हो जाता है। उनका लक्ष्य उन्हें सामने ही प्रतीत होता है, जिसको पाने के लिए वह कर्मठ होकर अपना कर्म करते हैं।
जिनका विभिन्न प्रकार की बीमारियों से जैसे -कैंसर ,उदर रोग, किडनी रोग, हड्डी रोग ,आदि से पीड़ित होते हैं, तथा दवाइयों का भी उन पर असर ना के बराबर होता है, ऐसे में उन्हें नीलम धारण करने की सलाह दी जाती है।
पढ़ाई लिखाई कैरियर संबंधित चीजों में भी नीलम सफलता दिलाता है, यह विद्यार्थियों में एकाग्रता जागृत करता है, तथा ध्यान को एक जगह केंद्रित कर लक्ष्य प्राप्ति की ललक पैदा करता है।
नीलम धारण करने के अन्य लाभ
अनिद्रा की शिकायत होने पर भी नीलम रत्न पहना जा सकता है।
नीलम धारण करने से व्यक्ति धैर्यवान बनता है।
नीलम धारण करने से अटके हुए काम पूरे होने लगते हैं।
नीलम धारण करने से व्यक्ति मान-सम्मान के साथ प्रसिद्धि प्राप्त होती है।
नीलम धारण करने से व्यक्ति की कार्यशैली में निखार आने लगता है।
दोस्तों आपने खुनी नीलम के बारे में सुन होगा
यह बैंगनी नीलमणि, खूनी नीलम, रक्तांबरी नीलम, रक्त नीलमणि और रक्तमुखी नीलम के नाम से भी जाना जाता है। यह नीलम के सबसे प्रतिष्ठित प्रकारों की श्रेणी का पत्थर है। रक्त नीलमणि सितंबर में पैदा हुए व्यक्ति के लिए जन्म का रत्न है। यह नीलम से कई गुना शक्तशाली माना जाता है।
यह विशेष मंगल शनि के लिए पहना जाता है। शनि मंगल युति को विस्फोटक योग, द्वंद्व योग, संघर्ष योग के नाम से जाना जाता है। इस संघर्ष से बहार निकलने के लिए खूनी नीलमणि धारण किया जाता है। जब हम मंगल और शनि का संयुक्त पत्थर है। इस कीमती पत्थर में गहरा नीला रंग है जो खून के रंग जैसा दिखता है। यह हमें रोगमुक्त रखता है। यदि कोई व्यक्ति लकवा, हड्डियों, दांतों और अस्थमा संबंधी रोग से पीड़ित है तो उसे रक्त नीलम धारण करने की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि खूनी नीलम में दैव्य शक्तियां होती हैं जो सौभाग्य, नुकसान और दुर्भाग्य से सुरक्षा और यहां तक कि वित्तीय समृद्धि भी लाती हैं।
मानसिक समस्याओं के उपचार और आध्यात्मिक विकास में सहायता करता है। खूनी नीलम न केवल देखने में खूबसूरत है बल्कि इसे पहनने वालों के लिए बेहद फायदेमंद भी माना जाता है।
इसके भी लाभ नीलम की तरह ही होते हैं। बस एक गृह का प्रभाव बढ़ जाता है वो है मंगल इसमें मंगल और शनि के सयुक्त लाभ मिलते हैं।
कब नहीं पहनना चाहिए नीलम
नीलम के साथ मूंगा, माणिक्य और मोती नहीं पहनना चाहिए। अन्यथा आपको भारी नुकसान हो सकता है। क्योंकि इन रत्नों का जिन ग्रह से संबंध उनके शनि देव का शत्रुता का भाव है।
इस विधि से करें नीलम धारण
नीलम को बाजार से कम से कम 7 से सवा 8 रत्नी का धारण करना चाहिए। नीलम को पंचधातु में जड़वाकर अंगूठी बनवानी चाहिए। नीलम को बायें हाथ में पहनना चाहिए। नीलम को शनिवार मध्य रात्रि में धारण करना उपयुक्त माना जाता है। नीलम को धारण करने से पहले अंगूठी को गंगाजल और गाय के कच्चे दूध से शुद्ध जरूर कर लें। वहीं नीलम धारण करने के बाद शनि ग्रह से संबंधित दान जरूर दें।