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16 kalyen (16 कलाओं के बारे में )

जब हम भगवान् विष्णु के अवतारों की कथा सुनते हैं। ऐसे समय पर हमें बताया जाता है कि भगवान राम में 12 कलाएं थी भगवान श्री कृष्ण ने 16 कलाएं थी। तो हम सोच में पड़ जाते हैं कि यह कलाएं क्या है। कला का सामान्य शब्द होता है विशेष प्रकार का गुण।यह कलाएं अवतारों में ही नहीं बल्कि मनुष्य में भी होती हैं। तकरीबन 5 कलाएं तो सभी में होती हैं, कुछ विशिष्ट लोग होते हैं जिनमें 8 कलाएं तक पाई जाती हैं। और कुछ अति विशिष्ट होते जिनमें 10 कलाएं तक भी हो सकती हैं। आज हम उन्हीं 16 कलाओं के बारे में बताएंगे जो भगवान श्रीकृष्ण में थी। आप उन कलाओं को सुनने के बाद इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं क्या आप में कितनी कलाएं हैं।

1. दोस्तों पहली कला जिसे श्री संपदा कला के नाम से जाना जाता है। जिसके पास यह कला होती है वह धनी तो होता ही है। परंतु केवल पैसे वाला धनी ही नहीं बल्कि वह मन क्रम वचन और कर्म से भी धनी होता है। कोई व्यक्ति यदि उसके पास आस लेकर जाता है तो वह निराश होकर नहीं लौटता। श्री संपदा व्यक्ति के पास मां लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है। इस कला को संपन्न व्यक्ति इस कला से संपन्न व्यक्ति मानसिक व आर्थिक दोनों रूपों से सक्षम होता है। इसके उदाहरण स्वरूप भारत ने रतन टाटा ऐसे हैं जो मानसिक व आर्थिक दोनों रूप से सक्षम है। यदि आप उनसे अपनी कोई जिज्ञासा पूछेंगे तो वह उसका जवाब भी आपको देंगे। सारा विश्व जानता है कि वह या उनकी टाटा फॉर्म सबसे ज्यादा दान करती है।

2. दूसरी कला जिसे भू संपदा कला कहा जाता है। इस कला से युक्त व्यक्ति बड़े बड़े भूभाग का स्वामी होता है या किसी बड़े भूभाग पर उनका आदित्य होता है। अर्थात वह राज करने की क्षमता रखते हैं। जैसे प्रधानमंत्री या किसी देश का राष्ट्रपति जो वहां का राजा होता है। इस तरह की कला के बहुत लोग आपको मिल जाएंगे उनके पास बड़े भूभाग होंगे।

3. तीसरी कला जिसे कीर्ति संपदा कहा जाता है या कीर्ति कला कहा जाता है इसके समानार्थी शब्द है ख्याति या प्रसिद्धि जो लोग देश दुनिया में प्रसिद्ध होते हैं। लोगों के बीच लोकप्रिय होने के साथ-साथ उन्हें विश्वसनीय भी माना जाता है। जन कल्याण कार्यों में वे लोग हमेशा आगे बने रहते हैं। इस समय के वह लोग जिन्हें काफी विश्वसनीय माना जाता है जैसे दलाई लामा, शंकराचार्य या पोप।

4. चौथी कला जिसे वाणी सम्मोहन के नाम से जाना जाता है। कुछ लोगों की आवाज में इतना सम्मोहन होता है कि लोग ना चाह कर भी उनके बोलने के अंदाज की तारीफ करने लगते हैं। मां सरस्वती की उन पर विशेष कृपा होती है उनको सुनकर कैसा भी क्रोध को शांत हो जाता है। आपके मन में उनके प्रति एक सम्मान का भाव उत्पन्न हो जाता है या आप उनकी वाणी से सम्मोहित हो जाते हैं। चाहे वह गलत हो या सही जैसे उदाहरण के लिए आप हिटलर को समझ सकते हैं हालांकि हिटलर को लोग अच्छा नहीं मानते। लेकिन यह कला उसके पास थी जब वह बोलता था तो लोग उसके पीछे पागल हो जाते थे। हमारे भारत में सुभाष चंद्र बोस और ओशो व् स्वामी विवेकानंद उसी श्रेणी में आते हैं जिनमें वाणी सम्मोहन कला थी।

5. 5 वीं कला जिसे लीला के नाम से जाना जाता है। इस कला से युक्त व्यक्ति चमत्कारी व्यक्ति से कम नहीं होता। जब हम उसके दर्शनों के लिए जाते हैं तो बड़ा आनंद मिलता है। महापुरुषों में यह कला होती है जिनके दर्शन करने मात्र से ही आपको अच्छा महसूस होने लगता है। ऐसे व्यक्ति का और इतना मजबूत होता है कि जब आप उनके पास पहुंचते हैं तो आप एक तरह से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। उनकी लीला में फंस जाते हैं। इसको गलत मत समझो। वास्तव में उनके आलोक का प्रभाव इतना होता है। आपके मन में नेगेटिव थॉट्स पॉजिटिव में कन्वर्ट हो जाते हैं। इसी को लीला कला के नाम से जाना जाता है। जैसे सद्गुरु जग्गी वासुदेव को आप समझ सकते हैं कि जब आप उनके पास जाते हैं तो आपको अच्छा फील होने लगता है। ऐसे ही आप के संपर्क में भी कोई ना कोई ऐसा व्यक्ति जरूर होगा जिस पर आपको बहुत गुस्सा आता है। लेकिन जब आपके सामने पहुंचेगा तो आपका सारा गुस्सा सारी नाराजगी खत्म हो जाती है।

6. छठी कला जिसे कांति कला के नाम से जाना जाता है। कांति मुख्य रूप से चेहरे की चमक को कहा जाता है। उर्दू में कहा जाए तो एक अलग नूर चमकता है। जिसके देखने मात्र से आप अपनी सुध बुध खो कर उसके सौंदर्य से उसके आकर्षण से प्रभावित हो जाते हैं। उसकी तरफ आपका मन लालायित हो जाता है। यह कला विशेष तौर पर स्त्रियों में ज्यादा पाई जाती है। हां कुछ पुरुषों में भी एक कला होती है। जो काफी सुंदर होते हैं और जिनको देखकर आपको अच्छा महसूस होता है। इस कला को कांति कला के नाम से जाना जाता है।

7. सातवीं कला जिसे विद्या कला के नाम से जाना जाता है। यह विद्या कला जिसके पास होती है उसका माइंड बहुत शार्प यानि तेज़ होता है। भगवान श्री कृष्ण ने मात्र 6 महीने में समस्त वेदों का ज्ञान व उनका मर्मज्ञ समझ लिया था। वह संगीत कला में भी युद्ध कला में भी राजनीति और कूटनीति में भी पारंगत होते हैं। विद्यावान गुनी अति चतुर राम काज करने को आतुर। यह कला राम भक्त हनुमान जी में भी प्रचुर मात्रा में थी। आज के समय भी आपको ऐसे लोग मिल जाएंगे जो काफी विद्यावान होते हैं।

8. आठवीं कला इसे विमला विद्या या विमल काला कहा जाता है। यह व्यक्ति छल कपट भेदभाव से रहित होता है उसके मन में किसी प्रकार का किसी के लिए कोई कपट व द्वेष नहीं होता। वे आचार विचार और व्यवहार में निर्मल होते हैं। आपको ऐसे लोग मिल जाएंगे सामान्यतः आज के समय में ऐसे लोग जिन्हें यह कला ज्यादा होती है लोग इन्हें बुद्धू कहते हैं। क्योंकि अगर किसी इन के साथ बुरा भी कर दिया तो यह उन लोगों का प्रति कोई द्वेष नहीं रखते। उन लोगों का बुरा नहीं करते। एक उदाहरण से समझिये। जब महाभारत का युद्ध आरम्भ हो रहा था तो दुर्योधन अर्जुन दोनों भगवान श्री कृष्ण के पास पहुंचे। उस समय श्री कृष्ण सो रहे थे। क्योंकि उन्होंने सबसे पहले दुर्योधन को देखा था इसलिए उन्होंने उठते ही दुर्योधन से बिना किसी छल कपट और पक्ष पात के पूछा बताओ तुम्हें मैं चाहिए या मेरी नारायणी सेना तो दुर्योधन ने नारायणी सेना मांगी थी। ऐसा आप सब लोग जानते होंगे, यह इस बात का प्रमाण है कि भगवान श्री कृष्ण निश्चल मन वाले यानी विमल कला से युक्त थे।

9. नवी कला जिसे उत्कर्षिनी कला कहा जाता है या उत्कर्षिनी शक्ति के नाम से जाना जाता है। उत्कर्षिन का अर्थ है प्रेरित करने की क्षमता। जैसे जामवंत ने हनुमान को और भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जीतने के लिए प्रेरित किया।उनके नकारात्मक विचारों को सकारात्मक में बदल दिया और आगे क्या हुआ आप सब जानते हैं हनुमान जी ने लंका जला दी, अर्जुन ने महाभारत का युद्ध जीत लिया।
आज के समय में भी ऐसे लोग मिल जाएंगे जो किसी टूटे हुए, हारे हुए व्यक्ति में फिर से प्राण डाल दें उसे फिर से कार्य करने के लिए प्रेरित करें। उसमें जोश भर दे उदाहरण के लिए शिव खेड़ा, विश्वरूप राय चौधरी या उज्जवल पाटनी। यह नाम आपने सुने होंगे। यह कला आप में भी हो सकती है।

10. दसवीं कला जिसे नीर क्षीर विवेक कला के नाम से जाना जाता है। नीर का अर्थ होता है पानी क्षीर का अर्थ होता है दूध यानी वह व्यक्ति दूध का दूध और पानी का पानी करने की क्षमता रखता है। ऐसा ज्ञान रखने वाला व्यक्ति जो अपने ज्ञान से न्याय उचित फैसला ले सकते हैं। इन्हे ठगना लगभग असंभव होता है। आपने सिंहासन बत्तीसी की कहानी जरूर सुनी होगी। जिसमें एक गडरिया का बच्चा किसी टीले पर बैठकर लोगों को न्याय उचित फैसला देता था उसका फैसला राजा से भी ज्यादा सटीक होता था। जब उस टीले की खुदाई की गई तो वहां राजा विक्रमादित्य का सिंहासन मिला। इस पुस्तक में राजा विक्रमादित्य के न्याय की 32 कहानियां बताई गई है। इनमे में यह कला थी। आज के समय भी बहुत सारे न्यायाधीश ऐसे हैं जिनमें यह कला प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। क्या आप में दूध का दूध और पानी का पानी करने की क्षमता है तो निश्चित ही नीर क्षीर विवेक कला आप में भी है

11. ग्यारवी कला जिसे कर्मण्यता के नाम से जानते हैं। जैसे उत्कर्षिणी कला युक्त व्यक्ति दूसरों को अकर्मण्यता से कर्मण्यता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर देता है। वैसे ही इस कला से युक्त व्यक्ति स्वयं कार्य को करने स्वयं को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है वह स्वयं प्रेरणा से कार्य करता है। इस तरह के व्यक्ति खाली दूसरों को कर्म करने का उपदेश नहीं देते बल्कि स्वयं भी कर्म के सिद्धांत पर ही चलते हैं। उदाहरण के लिए दशरथ मांझी का नाम आप सब ने सुना होगा। उसने बिना किसी की चिंता किए बिना। छेनी और हथौड़े से पहाड़ काटकर सड़क बनाई उसने किसी से आशा नहीं रखी कोई उपदेश नहीं दिया बल्कि अपने अपनी कर्मठता से यह सिद्ध किया कि मनुष्य कुछ भी कर सकता है।

12. बारहवीं कला जिसे योग शक्ति के नाम से जाना जाता है। सामान्य शब्दों में योग का अर्थ होता है जोड़ना। आपके शरीर को आपके मन के साथ जोड़ना योग है। आपने देखा होगा कि कई बार हमारा शरीर कुछ और बोल रहा होता है और हमारा मन कुछ और। परंतु यदि आप योग कला से निपुण हैं तो आपका मन जो बोलेगा आपका शरीर भी वही बोलेगा। संसार में रहते हुए खुद को ईश्वर से जोड़े रखना योग की श्रेणी में आता है यह कला बड़े ही विरले लोगों में होती है। इसका एक उदाहरण लाहिड़ी महाशय है। वह बनारस के एक संत थे व सरकारी नौकरी करते थे। वह संसार होते हुए भी सन्यासी जीवन बिताते थे। उनमें योग शक्ति कला थी। आपके आसपास कुछ लोगों में यह कला है जो इस संसार से तो जुड़े हुए हैं पर साथ ही ईश्वर से भी खुद को जोड़े हुए हैं।

13. तेरहवीं कला जिसे विनय कला के नाम से जाना जाता है। इसका का मतलब है विनय शील जिसे अहंकार छू नहीं सकता ऐसा व्यक्ति जिस में बहुत कम अहंकार होता है। देखिए सत्य तो यह है कि अहंकार 0 व्यक्ति को भी इस बात का अहंकार है कि वह अहंकार शुन्य है। परंतु ऐसा व्यक्ति जो धनवान है पर उसे धन का अहंकार नहीं, जो बलवान है और उसे बल का अहंकार नहीं है। जो सम्माननीय है पर लोग अगर उसे तू कह दे तब भी उसे क्रोध ना आए। जैसे कि हमारा भगवान जिसे हम कई बार भला बुरा भी कह देते हैं। हमारे आसपास ऐसे विद्वान जन लोग हैं जिनमें अहंकार लगभग शून्य के बराबर है। आप में भी यह कला हो सकती है।

14. चौदहवीं कला जिसे सत्य धारणा के नाम से जानते हैं। यह कला विरले ही व्यक्तियों में होती है। क्योंकि सत्य का मार्ग बहुत कठिन होता है किसी भी प्रकार से कठिन से कठिन परिस्थितियों में सत्य का दामन ना छोड़ना इस कला से संपन्न व्यक्ति का मुख्य लक्षण है। राजा हरिश्चंद्र इसका एक उदाहरण है लोग आज भी सच बोलने वाले को सत्यवादी हरिश्चंद्र की उपाधि देते हैं। शिशुपाल की माता ने कृष्ण से पूछा की शिशुपाल का वध क्या तुम्हारे हाथों होगी। कृष्ण नि:संकोच कह देते हैं यह विधि का विधान है और मुझे ऐसा करना पड़ेगा।

15. पन्दहवीं कला जिसे आधिपत्य कला के नाम से जाना जाता है आधिपत्य का अर्थ होता है अधिकार जमाना। चाहे जोर जबरदस्ती से हो चाहे प्यार मोहब्बत से आप दूसरों पर अपना आधिपत्य जमा सकते हैं। पर मुख्य रूप से आधिपत्य कला तब प्रभावी होती है जब सामने वाला स्वयं अपनी मर्जी से आपके प्रभाव के कारण आपसे आपका आधिपत्य स्वीकार कर लेता है। जिससे वह आपके संरक्षण में सुरक्षा महसूस करता है। जैसे कि हमारे गुरु लोग होते हैं जिनकी शरण में जाकर हम पहले ही दिन उनका आधिपत्य स्वीकार कर लेते हैं। तभी हम उनसे ज्ञान अथवा वैराग्य प्राप्त कर सकते हैं।

16. सोलहवीं कला जिसे अनुग्रह क्षमता कहते हैं। ऐसा व्यक्ति अनुग्रहित होता है वह दूसरों के कल्याण में लगा रहता है। वह परोपकार के कार्यों में हमेशा लगा रहता है। उसके पास जो भी सहायता के लिए पहुंचता है अपने सामर्थ्य अनुसार वे उस व्यक्ति की सहायता करता है।यह कला समाजसेवी लोगों के पास होती है। कहा जाता है कि परहित भाव रखने वाले इस कला से युक्त लोगों के कारण ही यह धरती टिकी हुई है। इन लोगों के कारण ही धर्म बचा हुआ है मानवता बची हुई है यह गुण हम सब में थोड़ा या ज्यादा मात्रा में होता ही है।

इस तरह से यह 16 कल्येन हैं। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण में यह 16 कलाएं थी जैसा कि अभी आपने देखा होगा। कुछ कल आए ऐसी भी होंगी तो आपके अंदर भी हैं। यदि इसमें से एक भी कला आपके पास है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा हालांकि कई लोगों के पास 7- 8 कलाएं होंगी। धन्यवाद दोस्तों हम इसी तरह काम की जानकारी लाते रहेंगे।

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