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Combinations of crime and the victim in horoscope, अपराध करने व शिकार होने वाले की कुंडली में क्या योग होते हैं।

combinations of crime and the victim in horoscope, अपराध करने व शिकार होने वाले की कुंडली में क्या योग होते हैं,

कुंडली में क्रूर व्यवहार या कत्ल करने के योग क्या होते हैं ज्योतिषीय दृष्टि से अपराधी होने के योग क्या है। किन ग्रहों के प्रभाव के कारण लोग इतना जघन्य अपराध कर देते हैं।
कोई भी हिंसा करने के लिए क्रोध का होना पहला सिम्टम यानि लक्षण है। क्रोध का आकलन कुण्डली में लग्न से किया जाता है। दूसरा आपकी वाणी जहां से क्रोध प्रकट होता है और तीसरा मस्तिष्क जिससे सभी चीजें नियंत्रित होती हैं। क्रोध आने पर मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अक्सर कहा भी जाता है कि अमुक व्यक्ति का दिमाग बहुत गर्म है।
क्रोध अग्नि तत्त्व है। जब फायरी प्लेनेट व्यक्ति के अन्दर ऊर्जा बढ़ाता है तो इसका साइड इफेक्ट क्रोध बनकर व्यक्ति के बाहर निकलता है। कुंडली में चंद्रमा मन को कंट्रोल करता है। अगर चन्द्रमा कमजोर है तो गुस्सा बहार आकर तबाही करता है।

क्रोध के लिए मंगल, सूर्य, और केतु ग्रह करक हैं। चंद्रमा उस क्रोध के बांध की तरह कार्य करता है। राहु और शनि षडियंत्र व बदला है। जबकि बुध और गुरु बुद्धि कौशल और ज्ञान है।
राहु बहुत भड़काऊ ग्रह है यह बिना बात के व्यक्ति को उकसा कर बात का बतंगड़ बना देता है। दरअसल राहु धमाका कराता है किसी भी चीज का अचानक विध्वंसक रूप से प्रकट हो जाना राहु के कारकत्व का एक कारण है। इसलिए राहु की संगत अगर चंद्रमा या मंगल के साथ हो जाए तो क्रोध अधिक आने लगता है। ऐसे लोग षडियंत्र द्वारा अपना बदला ले लेते हैं।

सकारात्मक क्रोध – कुंडली में जब मंगल और बृहस्पति का योग हो तो ऐसे में व्यक्ति का क्रोध सकारात्मक रूप में होता है आवश्यकता होने पर ही व्यक्ति क्रोध करता है।
अहम् वश क्रोध – सूर्य और मंगल का योग व्यक्ति को अहंकार युक्त क्रोध देता है।
गुप्त क्रोध – राहु और बुध का अष्टम भाव में होना या बुध के कमजोर व पीड़ित होने पर व्यक्ति अपने क्रोध को मन में दबाकर रखता है आसानी से क्रोध का प्रदर्शन नहीं कर पाता।
नकारात्मक क्रोध – राहु और मंगल का योग व्यक्ति के क्रोध को प्रचंड करके विध्वंसात्मक रूप देता है अतः ऐसा व्यक्ति अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं रख पाता और गलत निर्णय करके हिंसात्मक स्थिति उत्पन्न कर लेता है यह क्रोध का नकारात्मक रूप है।
हम कह सकते हैं कि क्रोध का मुख्य कारक मंगल है परंतु व्यक्ति के क्रोध को विध्वंसात्मक रूप देने या क्रोध को नकारात्मक रूप देने का कार्य “राहु” ही करता है अतः क्रोध की प्रचंडता में मंगल के अतिरिक्त मुख्य रूप से राहु की ही भूमिका है।
नवम भाव धार्मिक स्थान यानी धर्म का भाव है। इसका विपरीत तीसरा भाव पराक्रम का भाव होता है। वहां पर छठे व आठवे भाव का स्वामी बैठ जाये या इनमे से किसी से युति बन जाये तो पराक्रम गलत काम के लिए या पारक्रम कोट कचरी, पुलिस या सरकार से विरोध के लिए होता है।
मंगल और राहु की युति व्यक्ति को क्रूर हत्यारा बनती है। जैसे की हमने अभी श्रद्धा और आफताब मामले में देखा।

किन दशाओं में व्यक्ति अपराध कर देता है?

  • मंगल और राहु की दशा में व्यक्ति अपराध कर देता है
  • साढ़े साती के उतरते समय भी व्यक्ति अपराध कर देता है
  • सबसे ज्यादा अपराध, पूर्णिमा या अमावस्या के आसपास होते हैं


यदि मंगल के साथ प्लूटो हो तो व्यक्ति विक्टिम बन जाता है जैसे श्रद्धा। यहाँ कुछ कुंडलियों का विश्लेषण करते हैं जिनमे कुछ समानता है। मैंने कुछ विक्टिम जिनका अपहरण हुआ उनकी कुंडली का विश्लेषण किया जिनका या तो अपहरण हुआ या वे क़त्ल हो गया।


ये जेफरी सेस की कुंडली है इसमें मंगल प्लूटो व शनि के साथ अस्टम भाव में है। इसी का जुड़वाँ भाई जोनाथन सेस है जो की अपराध के शिकार हुए।


अगली कुंडली केनी एंडरसन की है यहाँ भी मंगल प्लूटो, शुक्र व बुध के साथ दूसरे भाव में हैं।


ये कुंडली भी मास्टर मारकस की है। इनका अपहरण हो गया था।


आपने देखा की पीड़ित और अपराधी दोनों की कुंडली में मंगल का विशेष प्रभाव है।
दोस्तों वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे की कोई भी अपराध जिस समाज में आप रह रहे है उसके अनुसार ही माना जाता है। जैसे मुस्लिम काल में किसी हिन्दू का क़त्ल करने पर आपको सजा नहीं होती थी। कई देशो में ड्रग्स बेचने या खरीदने पर सजा नहीं होती। भारत में बिना लइसेंस बन्दुक रकने पर आपको जेल हो सकती है जबकि अमेरिका में आप रख सकते हैं।

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