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Ashubh mangal ke upay

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वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम, शौर्य का कारक होता है। मंगल ग्रह को मुख्य तौर पर एक सेनापती के रुप में दर्शाया गया है। मंगल ग्रह शारीरिक तथा मानसिक शक्ति और ताकत का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल के प्रभावस्वरुप जातक सामान्यतया किसी भी प्रकार के दबाव के आगे नहीं झुकता। पुलिस, सेना, अग्नि-शमन सेवाओं के क्षेत्र में मंगल का अधिकार है खेल कूद इत्यादि में जोश और उत्साह मंगल के प्रभाव से ही प्राप्त होता है। मंगल नवग्रोहों में सेनापति है वह ऊर्जा है जिस भाव में बैठा है उससे सम्बंधित ऊर्जा मिलती है।

मंगल के मित्र ग्रह सूर्य, चन्द्र और गुरु है। मंगल से शत्रु संम्बन्ध रखने वाला ग्रह बुध है। मंगल के साथ शनि और शुक्र सम सम्बन्ध रखते है। मंगल मेष व वृश्चिक राशि का स्वामी है। मंगल की मूलत्रिकोण राशि मेष राशि है, इस राशि में मंगल 0 अंश से 12 अंशों के मध्य होने पर अपनी मूलत्रिकोण राशि में होता है। मंगल मकर राशि में उच्च स्थान प्राप्त करता है। मंगल कर्क राशि में स्थित होने पर नीचस्थ होता है। वहीं नक्षत्रों में यह मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी होता है। मंगल पुरुष प्रधान ग्रह है। मंगल दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल का अंक 9 है। मंगल के लिए गणपति, हनुमान, सुब्रह्मामन्यम, कार्तिकेय आदि देवताओं की उपासना करनी चाहिए।

यदि किसी जातक का मंगल अच्छा हो तो वह स्वभाव से निडर और साहसी होगा तथा युद्ध में वह विजय प्राप्त करेगा। लेकिन यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में बैठा हो तो जातक को विविध क्षेत्रों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मंगल ग्रह लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है।मंगल को ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के साहस, छोटे भाई-बहन, आन्तरिक बल, अचल सम्पति, रोग, शत्रुता, रक्त शल्य चिकित्सा, विज्ञान, तर्क, भूमि, अग्नि, रक्षा, सौतेली माता, तीव्र काम भावना, क्रोध, घृ्णा, हिंसा, पाप, प्रतिरोधिता, आकस्मिक मृत्यु, हत्या, दुर्घटना, बहादुरी, विरोधियों, नैतिकता की हानि का कारक ग्रह है।

मंगल की उत्पत्ति की कथा

स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में एक वर्णन मिलता है कि एक बार अंधकासुर ने देव लोक में अपना अधिकार जमा लिया था। उसे शिव जी से वरदान प्राप्त होने के कारण कोई भी उसका वध नहीं कर पा रहा था। यहां तक की देवताओं के राजा इंद्र को भी उसने परेशान कर के रख दिया था। तब सारे देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे आग्रह किया कि है भोलेनाथ इस दैत्य का कुछ करें नहीं तो सृष्टि में देवताओं का अधिकार नहीं बचेगा। तब भगवान शिव ने सभी देवताओं को आश्वासन दिया कि आप सभी निश्चिंत रहें। भगवान शिव ने फिर अंधकासुर से युद्ध लड़ा, यह युद्ध बड़ा भयानक चला। युद्ध के तेज से इस दौरान भगवान शिव के ललाट से पसीने की बूंद धरती पर गिरी और वह बूंद जैसे ही धरती में समाई। उस धरती की कोख में से अंगार के समान लाल रंग वाले मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई। महादेव के ललाट से पसीने की बूंद जिस जगह गिरी थी वह महाकाल की नगरी उज्जैन है।
जिस जगह मंगल ग्रह प्रकट हुए वह स्थान उज्जैन है और उस जगह आज वर्तमान समय में मंगलनाथ मंदिर है। मान्यता है कि यहां मंगलेश्वर शिवलिंग ब्रह्मा जी द्वारा स्थापित है। ऐसा भी माना जाता है कि जो लोग मंगल दोष से पीड़ित हैं। वो एक बार भी यदि यहां आकर मंगलेश्वर शिवलिंग के दर्शन पूजन करते हैं। तो उन्हें मंगल दोष से शीघ्र मुक्ति मिल जाती है और मंगल दोष का प्रभाव भी खत्म हो जाता है।

कुंडली में कमजोर मंगल के स्वस्थ सम्बन्धी लक्षण।

शरीर में रक्त और उसके प्रवाह पर मंगल का अधिकार है। हलाकि रक्त का कारक चंद्र है। परन्तु मंगल ऊर्जा है अग्नि है इसलिए खून का उबाल मंगल है। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या मंगल से ही होती है। खून में दोष से मुहांसे, पिंपल या एक्ने त्वचा पर होने वाली समस्या मंगल के काऱण होती है। जो अक्सर किशोरावस्था और युवावस्था के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलाव के कारण होते है। शुक्र के लक्षण वाली वीडियो में मैंने बताया है की शुक्र काम शक्ति है पर मंगल उसका स्टेब्लिज़ेर मंगल है शुक्र उत्साह है पर उस उत्साह की ऊर्जा। इसलिए जब हार्मोनल बैलेंस बिगड़ता है तो रक्त में ऊर्जा ज्यादा होने के कारण रक्त समस्या मुहांसे, पिंपल या एक्ने त्वचा पर हो जाते हैं। मंगल दोष होने के कारण जातक को रक्त संबंधी किसी न किसी बीमारी का सामना करना पड़ता है।

आँखों की कुछ समस्या जैसे मोतियाबिंद, आँखों में रेटिना की समस्या या आँखों की नस दबने से की समस्या जिससे आँखों में दर्द रहता है वह डॉक्टर के नज़र में आसानी से नहीं आती। शरीर में कहीं भी पत्थर बनना या फोड़े होना आदि मंगल के कारण होता है। केतु और मंगल दोनों ही ग्रह घाव यानि चोट का कारण मंगल है। शरीर के किसी भाग का कटना या एक्सीडेंट होना जिसमे कोई अंग का कट जाना मंगल के कारण होता है। एक्सीडेंट के कारक मंगल या केतु होते हैं। दोनों दशाओं में एक्सीडेंट होने की सम्भावना ज्यादा है।
महिलाओं में मेंसूरेसन डिसॉडर मंगल व चंद्र के कारण होता है अत्यधिक रक्त निकलना मंगल की वजह से ही होता है महिलाओं में उन दिनों में अत्याधिक खून गिरने की समस्या या अधिक दर्द होने की समस्या मंगल के कारण होती है। नकसीर फूटना जिसमे नाक से कभी भी खून गिरने की समस्या मंगल के कारन होती है। शरीर में फिस्टुला श्राव करने वाला ट्यूमर, कैंसर आदि रोग मंगल के खराब होने के करना होता है।

मंगल रक्त विकार जैसे एक ने ब्लड प्रॉब्लम कील-मुहांसे की समस्या टीवी ए बोन मैरो की प्रॉब्लम पित्त उछलने की प्रॉब्लम यह सब चीजें शरीर को देता है साथ में कॉपर डेफिशियेंसी न्यूरो मस्कूलर डिसओर्डर सेक्सुअल ट्रांस्मिटेड डिज़ीज़ पे हार्ट फेल कंधों के दर्द में स्पेशली फ्रोजन शोल्डर पाइल्स वह शरीर में कहीं भी गांठ की जो समस्या है वह मंगल के द्वारा ही दी जाती है

कुंडली में कमजोर मंगल के मानसिक लक्षण

जैसा की हमने पहले बताया कि मंगल ऊर्जा है। उसे सेनापति कहा जाता है। सेनापति अनुसाशित होता है वह उत्साही और लोगो में जोश भरने वाला होता है। अत्यधिक जोश के कारण उत्पन्न मानसिक समस्या जैसे उन्मांद, पागलपन, मिर्गी आदि रोगों का कारक मंगल है।
अक्सर आपने फिल्मों में सुना होगा की गुस्सा मनुष्य का दुश्मन होता है। यदि मंगल नकरात्मक हो तो व्यक्ति अपने गुस्से पर कंट्रोल नहीं कर पाता। शुक्र भवनाओं का देवता है और मंगल ऊर्जा है यदि काम, क्रोध, लालच, घमण्ड, हिंसा इन भवनाओं की अधिकता नकारात्मक मंगल का प्रतीक है। यहाँ एक टर्म है मंगल मजबूत है पर अपना नकारात्मक प्रभाव दिया है। इसलिए जितने भी क्रूर शासक हुए ज्यादातर क्रोधी हिंसक और लालची रहे। थोड़ा बहुत गुस्सा आना ठीक है ये अच्छे मंगल की निशानी है। मंगल व्यक्ति को यौद्धाओं का गुण देता है, निरंकुश, तानाशाही प्रकृति का है।

कमजोर मंगल और नकरात्मक प्रभाव देने वाला है तो जातक में boldness यानि खुलेपन की कमी होती है, वह अपनी कोई भी बात खुल कर कह पाने में असमर्थ होता है | यहां पर हमें एक बात ध्यान रखने वाली है जब बुध का प्रॉब्लम होता है तो भी लोग खुलकर नहीं बोल पता है पर दोनों में डिफरेंस है बुध का प्रॉब्लम है तो तर्क करेगा पर जब कोई इल्जाम लगाएगा तो वह अपनी सफाई नहीं दे पता और मंगल का प्रोबलम है तो वह सामान्य तर्क में सही बात को द्रढ़ता से नहीं कह पता। आत्मविश्वास और साहस का अत्यधिक कमजोर पड़ना भी मंगल का नकारत्मक प्रभाव है। कर्जे की स्थिति आ जाना

यह व्यक्तियों में आत्महत्या की प्रवृत्ति पैदा करता है कमजोर व पीड़ित मंगल के मानसिक लक्षण ऐसा व्यक्ति बहुत अधिक क्रोध करता है क्रोध के कारण वह खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाता गुस्से में सामान इधर-उधर फेकना कपड़े फाड़ना या दीवार पर सर्च बार ना खुद की गलती होने के बावजूद भी अपनी गलती ना मानने ज्यादा कमेंट करना भी मंगलकारी नेगेटिव अभी है यह लोग अपने ही प्रियजनों से अपनी तुलना करने लगते हैं और उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं दूसरों को तकलीफ में देखकर इन्हें खुशी होती है बुरी आदतों व दुर्गुणों का पालन करने में मंगल विवश करता है।

एक उदहारण से समझते हैं एक व्यक्ति क्रोध में आकर अपनी पत्नी की पिटाई कर देता हैं जब क्रोध शांत होता है, तो पछतावा होता है पर यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है बार-बार मरता हैं और पश्चाताप करता हैं। ऐसा मजबूत पर नेगटिव मंगल के कारण होता है।

कुंडली में कमजोर मंगल के आर्थिक लक्षण

मंगल के ख़राब होने से संपत्ति को लेकर विवाद उत्पन्न होना सामान्य है। व्यकित कितना भी विनम्र हो उसका संपत्ति विवाद हो ही जायेगा। फ़ौज, पुलिस या गुंडों द्वारा प्रताड़ित किया जाना लूट लिया जाना मंगल के नकारात्मक प्रभाव में आता है। किसी मुक़दमे में फंसना जैसे लड़ाई झगड़े और एक्सीडेंट के केस लगाना मंगल के कारन ही होता है। कभी कभी मंगली दोष होने के कारण पैसा जीवन साथी पर खर्च होना भी मंगल का नकारत्मक प्रभाव है।

कुंडली में कमजोर मंगल के सामाजिक लक्षण

समाज में मगल के नकारात्मक प्रभाव के कारण लोग आपसे दूर रहना पसंद करते है। लोग आपसे बात करने से कतराते है। हिंसक स्वभाव के व्यक्तियों की आपसे दुश्मनी होने लगती है। भाई से बैर होना खास तौर पर जमीनी विवाद, बटवारा मंगल के नकारत्मक प्रभाव का एक लक्षण है। यह लीडरशिप, इच्छाशक्ति, कंपटीशन व टीम स्पिरिट का मुख्य ग्रह कमजोर होने पर लीडरशिप में कमी आती है। इच्छाशक्ति की कमी होती है तथा ऐसे लोग कंपटीशन में भाग लेना पसंद नहीं करते और यदि कही भाग भी लेते है तो अकेले खेलना पसंद करते हैं उनमे टीम स्पिरिट की कमी होती है। टीम में अपनी चलाने के कारण टीम के लोग इनसे परेशान रहते हैं। जैसा के शुरू में बताया कि मंगल भाई है वह भाई और बहनों से आपके संबंधों को खराब कर देता है। वह सम्मान की भावना पैदा नहीं होने देता किसी कारण साथ रहने पर भी इन लोगों में आपस में सम्मान व प्रेम की भावना केवल दिखावटी होती है। साथ ही ससुराल से भी संबंध मधुर नहीं होते हैं यदि केतु भी पीड़ित है तो ससुराल से झगड़े की स्थिति रहती है।

जीवन साथी से सम्बंधित लक्षण

मंगल के कारण जीवनसाथी से होने वाली समस्याएं आपने सुना होगा शादी करने से पहले यह पता लगाते हैं कि या तो ऐसा इसलिए क्योंकि जीवनसाथी पर वह कैसा होगा इसके लिए मंगल जिम्मेदार होता है।
दांपत्य जीवन का कारक ग्रह शुक्र है परंतु यह कैसा होगा का यह डिसाइड मंगल करता है। इसे एक उदाहरण द्वारा समझते हैं शुक्र गाड़ी है और मंगल उसका ड्राइवर है। ड्राइवर पर डिपेंड करता है कि वह गाड़ी चलाता है। शुक्र अच्छा है तो गाड़ी चमचमाती रहेगी लेकिन अगर ड्राइवर मंगल खराब हो तो डेफिनेटली कही न कहीं थोक देगा। गाड़ी खराब है मतलब शुक्र कमजोर है लेकिन मंगल अच्छा है यानि ड्राइवर अच्छा तो वह धीरे धीरे ही सही पर रास्ता पार कर लेगा।
मंगल कमज़ोर तो इस तरह के लोगों में काम वासना की तीव्रतर दिखाई देती। उनके विचारों व बातों में अभद्रता होती है। ज्यादातर ऐसे लोग प्रेम संबंध व अनैतिक संबंधों के बारे में ही बात करते नजर आते हैं।

मंगल पीड़ित या बलहीन हो तो प्रेम विवाह में दिक्कतें पैदा करता है तथा विवाह के बाद अलगाव जैसी स्थिति पैदा कर देता है। अपने जीवनसाथी के प्रति सम्मान में कमी लाता है साथ ही चरित्र को दूषित कर देता है।

ऐसा मंगल मतलब के शारीरिक संबंध बनाता है उनके अंदर किसी तरह का कोई प्रेम नहीं होता उदाहरण के लिए समझते हैं यदि परिस्थितिवश किसी व्यक्ति का विवाह हो गया है और बाद में उसका किसी से प्रेम संबंध स्थापित हो जाता है तो तब भी वह अपनी पत्नी को उतना ही प्रेम करेगा जितना अपनी प्रेमिका को करता है। वह उसके पसंद-नापसंद का ख्याल रखे यह अच्छे मंगल की निशानी है। परंतु यदि मंगल दूषित है तो वह अपनी पत्नी से केवल मतलब के लिए संबंध रखे कि उसके प्रेम में भी स्वार्थपरता होगी वह डोमिनेशन करने की कोशिश करेगा वह अपने प्रेमी के प्रति सम्मान की भावना नहीं रखेगा उसका शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न भी करेगा मंगल जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

शुभ मंगल के प्रभाव

शुभ मंगल जातक को पराक्रमी, साहसी और निडर बनाता है। मंगल के शुभ प्रभाव से व्यक्ति स्वाभिमानी भी होता है। वह किसी प्रकार के दबाव में रहकर कार्य नहीं करता है। शारीरिक रूप से व्यक्ति बलवान होता है। व्यक्ति का स्वभाव क्रोधी होता है। ऐसे जातकों की सेना, पुलिस, इंजीनियरिंग क्षेत्र में रुचि होती है। मंगल की प्रबलता से व्यक्ति निडरता से अपने निर्णय लेता है। वह ऊर्जावान रहता है। इससे जातक उत्पादक क्षमता में वृद्धि होती है। विपरीत परिस्थितियों में भी जातक चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार करता है और उन्हें मात भी देता है। बली मंगल के कारण व्यक्ति के भाई-बहन अपने कार्यक्षेत्र में उन्नति करते हैं।
मंगल सेनापति है मंगल अच्छा है तो शरीर से बलवान सेनापति सीधा बोलने वाला मेहनती और सच्चा मित्र था सच्चा सेवक होता है। आप पॉजिटिव मंगल के परफेक्ट एग्जांपल की बात करें तो हनुमान जी इसका परफेक्ट एग्जांपल है। मंगल मजबूत है और शुभ है तो व्यक्ति को बड़े पद या लीडर की ज़िम्मेदारी दिलाता है वह सेना, पुलिस, अन्य सैनिक बल का कारक है। अच्छे मंगल वालों का वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। ये लोग कर्जे लेते हैं पर उससे जल्द ही मुक्त हो जाते हैं। वे न्यायप्रिय और ईमानदार होते हैं। मंगल ग्रह साहस, शक्ति, और परिश्रम का कारक माना जाता है। कुंडली में मंगल शुभ होने पर व्यक्ति स्वभाव से निडर और साहसी होता है। वहीं, मंगल ग्रह जमीन और अग्नि का भी कारक है। इसलिए, मंगल अच्छा होने पर व्यक्ति के पास बड़े रेस्टोरेंट, होटल और ज़मीन होती है।

रुचक योग

मंगल के कारण पंच महापुरुष योग बनता है जिसे रुचक योग बनता है। जब कुंडली में मंगल लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें और दशवें भाव में मेष, वृश्चिक और मकर राशि में स्थित हो, तब रुचक योग बनता है।

जिस व्यक्ति की कुंडली में रुचक योग का निर्माण होता है, वह शारीरिक बल, पराक्रम, साहसी, सही निर्णय लेने वाला और बुद्धिमान होता है। चुनौतीपूर्ण क्षेत्र जैसे- खिलाड़ी, क्रिकेटर, बॉडीबिल्डर, पुलिसकर्मी अधिकारी, कमांड अधिकारी, नौसेना अधिकारी, वायु सेना अधिकारी, विभिन्न प्रकार की सुरक्षा सेवाओं से संबंधित अन्य अधिकारी, राजनेता, मंत्री के लिए लाभकारी होता है। जातक की कुंडली के चौथे और सातवें घर में रुचक योग बनता है तो उसको वैवाहिक सुख, व्यावसायिक सफलता, प्रतिष्ठा और स्वामित्व वाला पद प्राप्त होता है। यदि ये योग दसवें भाव में बनता है तो जातक एक सफल खिलाड़ी, नेवी अधिकारी, सेना अधिकारी, मंत्री और कई अन्य प्रकार की सेवा कर सकता है।

मांगलिक दोष

आमतौर पर, मांगलिक दोष को भारतीय ज्योतिष में सबसे कुख्यात दोषों में से एक माना जाता है। कई जगह इसे कुजा दोष के नाम भी जाना जाता है। यही कारण है कि व्यक्ति के विवाह करने की योजना बनाने से पहले इस दोष की जांच कुंडली मिलान के जरीये की जाती है। यह दोष तब सक्रिय होता है, जब मंगल जन्म कुंडली में पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होता है। जन्म के भाव में अन्य पाप ग्रहों के साथ होने पर मंगल अधिक खतरनाक हो जाता है।
मंगल के अशुभ प्रभाव से जातक के विवाह में देरी हो सकती है। यदि मांगलिक दोष वाले व्यक्ति का विवाह भी हो जाता है, तो कुछ समय के बाद जातक को मानसिक तनाव, गृह कलह, संतानहीनता, तलाक जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
मंगल से प्रभाव से मांगलिक लोगों की कामुकता थोड़ी ज्यादा होती है इसके कारण ये लोग अपने जीवन साथी में ज्यादा अपेक्षा रखते हैं।
इसी कारण मांगलिक कुंडली वालों का विवाह मंगली से ही किया जाता है। ताकि ये दोनों एक-दूसरे का साथ निभा सकें।

दक्षिण भारतीय ज्योतिष के अनुसार यदि मंगल दूसरे भाव में हो, तो मंगल दोष बनता है। यदि आपकी जन्म कुंडली में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में स्थित है, तो इसे मंगल दोष कहा जाता है। साथ ही लग्न कुंडली, शुक्र कुंडली और चन्द्र राशि कुंडली की गणना जन्म कुंडली में मांगलिक दोष की पहचान करती है। दोष की डिग्री विशेष भाव में मंगल के स्थान पर निर्भर करती है।
ऐसा माना जाता है कि लड़की या लड़के के 28वें साल में पहुंचते ही मंगल दोष समाप्त हो जाता है।
कुछ लोगों का मत है की यदि जन्म कुंडली के पहले, दूसरे, चौथे और 12वें भाव में मंगल की स्थिति हो, तो यह नीच मांगलिक दोष होता है। वहीं अगर मंगल 7वें और 8वें भाव में हो, तो इसे वृहद या उच्च मंगल दोष कहा जाता है।

मंगली दोष के उपाय

यदि किसी युवती की कुंडली में मंगल दोष पाया जाता है तो अगर वह विवाह से पहले गुप्त रूप से पीपल या घट के वृक्ष से विवाह कर लेती है और उसके बाद मंगल दोष रहित वर से शादी करती है तो किसी प्रकार का दोष नहीं लगता है।
कार्तिकेय जी की पूजा करने से भी इस दोष से छुटकारा मिलता है। मंगलवार शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाएं और इसके साथ ही लाल मसूर की दाल और लाल गुलाब भी अर्पित करें।
नकारत्मक मंगल के उपाय

गर्म और ताजा भोजन मंगल मजबूत करता है साथ ही इससे आपकी मनोदशा और पाचन क्रिया भी सही रहती है, इसीलिए अपने खान-पान की आदतों में बदलाव करें।

मंगलवार के दिन व्रत रखें और हनुमान मंदिर जाकर बूंदी का प्रसाद बांटे।
मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।

मंगल ग्रह की शांति के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष या फिर मूंगा रत्न ज्योतिषी की सलाह से धारण करें तो शुभ रहेगा।
घर आए मेहमानों को मिठाई खिलाने से कुंडली में मंगल दोष का प्रभाव कम होता है।
कुंडली में मंगल दोष है तो विवाह से पहले नीम का पेड़ लगाएं और 43 दिनों तक कम से कम पेड़ की देखरेख करें. इससे भी मंगल दोष दूर हो जाता है।
लाल रंग के वस्त्र में मसूर दाल, रक्त पुष्प, रक्त चंदन, मिष्टान और द्रव्य को अच्छी तरह लपेट लें और उसे नदी में प्रवाहित करने दे। ऐसा करने से मंगल शुभ होता है।
मंगल दोष से निबटने का सबसे आसान उपाय है, हनुमान जी की नियमित रूप से उपासना करना।
मंगल की दिशा दक्षिण मानी गई है। दक्षिण में भरी सामान रखें
घर से बाहर निकलते समय गुड़ खाना चाहिए।
गुरु की सेवा करना आपके मंगल ग्रह को मजबूत करने के सबसे शक्तिशाली तरीकों में से एक है क्योंकि बृहस्पति गाइडों की बुद्धि और सही दिशा में मंगल को मजबूत करता है।
मंगल के बीज मंत्र का दिन में कम से कम एक माला करना जैसे की “ॐ क्राम क्रीम क्रोम स: भौमाय नम:। इसका 108 बार नियमित जाप करें।

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