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Can chanting mantras without a guru cause harm? । । क्या बिना गुरु के मंत्र जपने से हानी हो सकती है ?

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दोस्तों अक्सर सवाल पूछते हैं की गुरु के बिना मंत्र का जाप करने से और गुरु के साथ मंत्र का जाप करने में क्या अंतर है? क्या बिना गुरु के ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता या बिना गुरु के जप नहीं किया जा सकता।? इस लेख में हम यही जानकारी देंगे।

कहते हैं यदि व्यक्ति के जीवन में गुरु नहीं है तो वह ईश्वर को प्राप्त नहीं कर सकता है। भगवान राम और कृष्ण ने भी गुरु से मंत्र दीक्षा ली थी। बिना गुरु के जप व मंत्र प्रभावहीन होता है। गुरु की महिमा अपरम्पार है गुरु दीक्षा का लाभ किसी और लेख में बताऊंगा। क्योकि यह विषय बहुत लम्बा है।

Can chanting mantras without a guru cause harm? गुरु दीक्षा के बिना मंत्र जपना चाहिए

गुरु दीक्षा के बिना मंत्र जपना चाहिए या नहीं इसके बहुत से कारण हैं परंतु कुछ कारण जिन पर हम चर्चा करेंगे। वह मुख्य दो तीन ही हैं।
किसी भी चीज को सीखने के लिए हमारे पास दो ही तरीके होते हैं या तो हम नकल करके सीखे, या फिर हम उस चीज को प्रयोग करके सीखें,
दो ही तरीके से सीखा जा सकता है अनुभव से या फिर नकल से,
इसे एक उदाहरण द्वारा समझते हैं किसी व्यक्ति को मूर्ति बनाना सीखना है। या तो वह किसी मूर्तिकार के पास जाये या खुद बनाना सीखे।
अगर वह खुद बनाएगा तो उसे बहुत बार मूर्ति बिगड़नी पड़ेंगी। अपने अनुभव द्वारा वह मूर्ति की बारीकियों को सीखेगा और उसके बाद उसे बनाना शुरू करेगा और हो सकता है कि कुछ सालों के परिश्रम के बाद मूर्ति बनाना सीख जाए।

Yantra mantra tantra यंत्र मंत्र तंत्र का वैज्ञानिक आधार

पर इसके लिए दृढ़ निश्चय व बहुत परिश्रम चाहिए और मोटिवेशन भी चाहिए।
दूसरा तरीका है उसे किसी मूर्तिकार को अपना गुरु बनाना चाहिए वह लगभग एक चौथाई समय में अच्छा मूर्तिकार बन जायेगा। क्योकि अब उसके पास गुरु का अनुभव भी है। गुरु उसे अपने जीवन के अनुभव भी देगा जो उसे उसके गुरु से मिले है। ये एक चैन है जिसे ज्ञान परिस्कृत होता है मतलब नॉलिज फ़िल्टर होती है। बेकार चीजे निकल दी जाती हैं और काम की चीजे रख ली जाती हैं अगले शिष्य के लिए।

आपको जानकारी के लिए बता दूं कि ज्यादातर गुरु मंत्र बहुत सामान्य होते हैं जैसे ओम नमः शिवाय, ओम नमो भगवते वासुदेवाय, श्री राम, हनुमते नमः, ओम दुम दुर्गाय नमः इत्यादी। इतने मामूली मंत्र जिन्हें हर कोई जानता है पर ऐसा क्या कारण है कि जब यह मंत्र गुरु द्वारा दिया जाता है तो यह बहुत प्रभावशाली हो जाता है। क्योंकि मंत्र मंत्र एक प्रकार की ऊर्जा होते हैं जो हमारे सूक्ष्म शरीर को प्रभावित करती है यानी औरा को इफेक्ट करती है।
ऊर्जा का एक सिद्धांत होता है कि यह हमेशा ज्यादा से कम की ओर बहती है। इसीलिए आपके गुरु द्वारा जापा गया मंत्र और उससे उत्पन्न हुई उर्जा आपके साथ जुड़ जाती है। उस गुरु के साथ उसके गुरुओं की ऊर्जा जुडी होती है। इसीलिए गुरु मंत्र सामान्य होते हुए भी लाखों गुना प्रभावी होते हैं। उनका जप करने से कुंडली के भयंकर दोष भी समाप्त हो जाते हैं।
इसलिए कहा जाता है की गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए।

लोग कई बार सामान्य मंत्रों के अलावा तांत्रिक मंत्रों को भी जपना शुरू कर देते हैं। क्योकि उन्हें सिद्धि प्राप्त करनी होती है। कुछ समय बाद उन्हें परेशानियां आने लगती हैं। मुझे कई लोगों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि साधना के दौरान उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा। क्योंकि उन्हें अनुभव होता ही नहीं कि इस साधना में क्या परशानी होगी अलग अलग लोगों का विभिन्न प्रकार की परेशानी होती है।
जब साधना शुरू होती हैं तो सबसे पहले उप देवता आकर उनकी परीक्षा लेते हैं। देवताओं के उप देवता होते हैं आपने एक श्लोक सुना होगा गजाननं भूतगणादि सेवितं अर्थात भूत और गण आकर पहले आपकी परीक्षा लेंगे। तब आपकी बात गजानन अर्थात गणेश जी तक पहुंचेगी क्योंकि वह गणों के ईश यानि देवता है।
ऐसी स्थिति में साधक भटक जाता है बीच में साधना छोड़ देता है। जिससे उसे नुकसान उठाना पड़ता है।
परन्तु योग्य गुरु के कारण उसे साधना में जो परेशानी होती है उसका उपाय मिल जाता है उसे आत्मबल और सफलता का मार्ग गुरु द्वारा मिलता है। कहते है अँधेरे से उजाले की और ले जाने वाले को गुरु कहते हैं।

सीधी सी बात है अंधेरा है, आपको कहीं जाना है दिखाई नहीं दे रहा है। दिया जलाइए या टॉर्च से जलाइए आपको रास्ता दिखाई देने लगेगा। यही प्रकाश गुरु है। पार ब्रह्म परमेश्वर को प्रकाश में ही तो बताया गया है। अंधकार अज्ञान है प्रकाश ज्ञान है। तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात समय अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ही तो गुरु कहते हैं। जहां आपको सब कुछ दिखने लगेगा इसीलिए मंत्र जाप के लिए गुरु का होना लाभकारी है।

कई लोग अगला प्रश्न है कि क्या भगवान को गुरु बना सकते हैं?
उत्तर है बिल्कुल बना सकते हैं।
तो फिर मनुष्य की आवश्यकता क्यों ?
गुरु कोई भी हो सकता है दत्तात्रेय जी के 24 गुरु थे उन्होंने पतंगा, मछली, हिरण, हाथी यहाँ तक की वैश्या को भी अपना गुरु बना लिया था।
तो हम ईश्वर को भी अपना गुरु बना सकते हैं?
महादेव को लोग अदिगुरु कहते हैं। साधना के लिए महादेव आपकी पूरी मदद करेंगे लेकिन यह सभी के लिए संभव नहीं आप तो उन्हें गुरु बना लेंगे पर क्या वो आपको शिष्य बनाएंगे। या तो आपमें एकलव्य जितना पराक्रम होना चाहिए या फिर आप किसी मनुष्य को गुरु बनाओ।

इसे एक उदाहरण से समझते हैं
एक कक्षा में 30 से 40 बच्चे पढ़ते हैं और सभी को एक ही टीचर पढ़ाता है। परंतु सभी के नंबर एक जैसे नहीं आते क्योंकि सबका कंसंट्रेशन अलग-अलग है। सब की पारिवारिक परिस्थितियां अलग अलग है। सबके सोचने का तरीका अलग अलग है और सबसे इंपोर्टेंट सबका मल्टीप्ल इंटेलिजेंस भी अलग-अलग है। इसीलिए हर बच्चे की अलग तरह से देख रेख होती है।
जब कोई मनुष्य आपका गुरु बनता है तो वह उसकी क्षमता के अनुसार उसको समझाता है। ट्रेनिंग देता है साधना पथ पर आगे ले जाता है। ओशो के बारे में आप जानते होंगे कहा जाता है कि कोई गुरु नहीं था। लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि मग्गा बाबा नाम के साधु हुआ करते थे। जिनसे उन्होंने आरंभ में आध्यात्मिक को समझा।
रामकृष्ण परमहंस देवी मां से बचपन से ही बात करते थे परंतु फिर भी उन्होंने दिव्यानंद सरस्वती शिक्षा प्राप्त की। दयानंद सरस्वती जो खुद नास्तिक स्वभाव के थे उन्होंने कर्मकांडी विरज्यानन्द जी से दीक्षा प्राप्त की। संत रैदास जो गंगा मां के भक्त थे उन्हें भी स्वामी रामानंद जी को गुरु बनाया।

क्या बिना गुरु ज्ञान नहीं हो सकता या बिना गुरु जीवन व्यर्थ है?
इस विषय पर मैं आप लोगों से पहले ही माफी मांग लेता हूं कि यदि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो मुझे माफ कीजिएगा।
दोस्तों क्या पुस्तक के ज्ञान का भंडार नहीं होती वह आपको रास्ता नहीं दिखाती क्या आपका अनुभव आप का सबसे बड़ा गुरु नहीं होता है?
आप चाहे कितने बड़े भी आध्यात्मिक और पहुंचे हुए क्यों न हो। परंतु आपकी मृत्यु निश्चित होगी। जलाये या दफनाए जरूर जायेंगे। स्वर्ग या नर्क से लौटकर कोई नहीं आया और जो सुना सब कहानिया है।
आज क्या इंटरनेट गुरु नहीं है जो भी ज्ञान आपको चाहिए वह इंटरनेट पर कहीं ना कहीं उपलब्ध है। आपको कर परमाणु बम भी बनाना होगा ना तो कहीं ना कहीं वह भी मिल ही जाएगा। दोस्तों वेदों में कहा गया है कि जो भी ज्ञान इस धरती पर उपलब्ध है वह सब आपके अंदर है। उस पर धूल जमा हो गई है वह धूल हटाने वाला कोई चाहिए। आप खुद हटाओ या गुरु हटाए धूल हटते ही सब साफ़ दिखने लगेगा।
बिना गुरु के आपका जीवन एक बिखरी हुई लाइब्रेरी की तरह होता है। जिसमें सभी किताबें इधर-उधर पड़ी है पर जब गुरु आ जाता है तो वह उस लाइब्रेरी की किताबों को एलाइन कर देता है। मतलब सम्यक कर देता है।
अब यह आप पर निर्भर करता है कि उन बिखरी हुई किताबों को खुद समेटते हैं या किसी गुरु की मदद लेते हैं।

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