ऐसा हुआ है क्या आप कहीं गए हो और आपने कहां हो “अरे यहां तो मैं पहले भी आ चुका हूं” या आप अपने दोस्तों के साथ बैठे हो और अचानक से आपके दिमाग में आये “अरे यह तो पहले भी हो चुका है।” क्या ऐसा हुआ है कि जो आप देख या कर रहे हो वह आपके साथ पहले भी हो चुका है। अगर ऐसा है तो आप अकेले नहीं है दुनिया के लगभग 65 % लोग आपके जैसे हैं। इस तरह की भावना को डेजा वू के नाम से जाना जाता है इसका मतलब होता है पहले से देखा हुआ।
सामान्य भाषा में इसको हम लोग कहते हैं कि हमें पूर्वाभास के करीब रख सकते हैं।
इसके पीछे कुछ वैज्ञानिकों द्वारा तथ्य भी दिए गए हैं। डेजा वू का मतलब होता है पहले से देखा हुआ अब यह कोई मेंटल इलनेस या मेंटल डिसऑर्डर नहीं है ऐसा मानते हैं कि यह एक मानसिक स्थिति है।
इसके पीछे काफी सारी थ्योरी हैं जैसे टाइम ग्लिच की थ्योरी, पूर्व जन्म की थ्योरी, अन्य भी कुछ थ्योरी हैं जिन पर विचार किया जा सकता है। एक थ्योरी और है सपनों की थ्योरी। आप यह सब सपनों में देख लेते हैं इसको कुछ हद तक सही माना जा सकता है। ज्योतिष के अनुसार इस स्थिति के लिए चंद्र बहुत हद तक जिम्मेदार है। क्योंकि चंद्र मन का कारक होता है। आपके मन और मस्तिष्क में उठने वाले विचार आपके मानसिक शक्तियां इन सभी के पीछे चंद्र की स्थिति आपकी कुंडली में कहां है। और अष्टम भाव की स्थिति इसमें बहुत मायने रखती है जिससे आप को पूर्वाभास या डेजा वू की स्थिति उत्पन्न होती है।
चलिए इस पर एक जानकारी दे देता हूं इसका वैज्ञानिक आधार क्या है? इसको समझने के लिए पहले हमें अपने दिमाग को थोड़ा सा समझना होगा।
दुनिया में पाई जाने वाली लगभग हर वास्तु त्रि आयामी संसार में फांसी है जैसे लम्बाई उचाई और चौड़ाई। जिसे हम थ्री दी वर्ल्ड कहते हैं। हम इस आयाम से नहीं निकल सकते हैं हम यहाँ फसे हुए हैं। एक और डिमैन्शन है जिसे टाइम कहते है यह हमेशा एक दिशा में चलता है यानि आगे की तरफ हम हमेशा वर्तमान से भविष्य की ओर जाते हैं एक ऐसी चीज है जो इस डायमेंशन के अधीन नहीं है वह है हमारे थॉट्स हमारे विचार। हमारे दिमाग के विचारों का हमारी सोच का टाइम टाइमिंग चैन से कोई लेना-देना नहीं 3D वर्ल्ड से कोई लेना देना नहीं। वह किसी और डायमेंशन में चलते हैं यह विषय थोड़ा लंबा हो जाएगा। जब हम भूत प्रेत पर वीडियो बनाएंगे तो इसको विस्तार से समझा दिया जाएगा। अगर मैं आपसे कहूं कि आप अपनी बचपन के किसी ऐसे समय में चले जाइए जब आप बहुत खुश थे या बहुत उदास थे। तो थोड़ी देर में आप वहां पहुंच जाएंगे। आपका दिमाग थोड़ी देर में आपको वहां घटने वाली हर चीज दिखाएगा हर चीज। थोड़ी देर बाद तो इतनी बारीकी से दिखा देगा क्या आप स्वयं जब वहां थे तब आपने गौर नहीं किया था। इसी तरह से कई बार ऐसा होता है कि जब हम किसी स्थान पर पहुंचते हैं तो कहते अरे यह घटना तो मेरे साथ पहले भी घट चुकी है। किसी व्यक्ति से मिलते हैं तो कहते हम शायद पहले भी मिले हैं जबकि हम उससे पहली बार मिल रहे होते हैं। हमारा दिमाग टाइम से बंधा नहीं है हम पास्ट में भी जा सकता है और फ्यूचर में भी जा सकता है। पास्ट में जाना उसके लिए ज्यादा आसान होता है क्योंकि उसके पास एक्सपीरियंस है फ्यूचर में जाने के लिए उसको स्पेशल पावर्स चाहिए जो जागते समय तो संभव नहीं है या तो आप ध्यान में जा सकते हैं या नींद में।
एक सवाल का जवाब दीजिए कि सबसे तेज रफ्तार किसकी होती है। जवाब जय फोटान पार्टिकल या प्रकश।
प्रकाश की गति पर उससे कहीं ज्यादा तेज होता है हमारा मन क्योंकि वह टाइम में नहीं फंसा है। एक एग्जांपल से समझते हैं अगर मैं आपसे कहूं सूर्य पर इस समय क्या स्थिति होगी? तो आपके दिमाग में तुरंत सूर्य की तस्वीर आएगी आप कहना शुरू कर देंगे कि वह गर्म है गोल है। आपका मन सूरज पर पहुंच चुका है 1 सेकंड के कुछ हिस्से में, जबकि प्रकाश को वहां से आने में 8 मिनट लग जाते हैं।
मनोवैज्ञानिकों ने दिमाग को या मन को दो हिस्सों में विभक्त किया है पहला चेतन मन और दूसरा अवचेतन मन। चेतन मन तर्क विश्लेषण हिसाब किताब सूचना एकत्रित करने का काम करता है और अच्छे बुरे की पहचान कराता है व इच्छाओं को उत्पन्न करता है। जब के अवचेतन मन दिव्य शक्ति पूर्वाभास याददाश्त बढ़ाना शारीरिक व मानसिक गतिविधियों को नियंत्रण करना आदि का काम करता है। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि जैसे किसी हिमखंड यानी आइसबर्ग का 10% हिस्सा ही पानी के ऊपर दिखाई देता है और 90% हिस्सा पानी के अंदर होता है इसी तरह हमारा चेतन मन 10% हिस्सा और अवचेतन मन 90% है जो अभी तक खोजा नहीं गया है जिसके बारे में हम बहुत सारी जानकारी नहीं रखते हैं। यह तो हो गया लेकिन यह काम कैसे करता है? किस डायमेंशन में काम करता है? हमार हमारे विचार व्यवहार और शारीरिक क्रियाएं हमारे दिमाग के न्यूरॉन द्वारा संचालित होते हैं यह निश्चित इलेक्ट्रिकल्स से संवाद करते हैं जिससे शारीरिक व मानसिक गैविधियाँ संचालित होती है। इलेक्ट्रिक पल्स को कहा जाता है ब्रेन वेवस यह हर समय दिमाग छोड़ता रहता है।
हम कोई काम करते हैं, कोई इच्छा करते हैं या कुछ महसूस करते हैं। उसके अनुसार हमारी ब्रेनवेव्स बदलती रहती हैं। धीमी ब्रेनवेव्स होने पर हम सुस्त और थका हुआ व कल्पना से भरा हुआ महसूस करते हैं। जब के ऊंची आवृत्ति यानी हाई वेवस होने पर हम अति उत्साहित और चुस्त महसूस करते हैं।
वैज्ञानिकों ने इन्हे 5 तरह से बांटा है।
पहले नंबर पर गामा जहां बहुत ऊंची आवृत्ति होती हैं जिसमें हम खुद को अति उत्साहित या ऐसा कहिए कि हल्का सा पागलपन जैसा महसूस करते हैं। यहां पर लगभग 30 हर्ट से लेकर और 100 हर्ट्ज़ तक हमारा दिमाग छोड़ता है।
दूसरे नंबर पर बीटा ब्रेनवेव्स होती हैं, जिसमें ज्यादातर समय अपनी दिनचर्या के काम करते हैं जैसे घूमना फिरना बातें करना गाड़ी चलाना पढ़ना लिखना बहस करना इत्यादि।
उसके बाद हम चेतन मन से अवचेतन मन की तरफ प्रवेश करते हैं जिसमें दिमाग 12 हर्ट्ज़ से 8 हर्ट्ज़ तक जाता है। ब्रेनवेव्स और धीमी हो जाती हैं जिसे हम अल्फा ब्रेन वेव्स के नाम से जानते हैं। इसमें हमारा दिमाग बहुत रिलैक्स फील करता है उत्तम विचारों से भरा होता है और ध्यान की अवस्था यहीं से शुरू होती है नींद की अवस्था भी यहीं से शुरू होती है यही नींद की प्रारंभिक अवस्था है।
हमारा दिमाग जब और गहराई में जाता है जिसे हम लोग गहरी नींद में अनुभव करते हैं। यह ब्रेनवेव थीटा के नाम से जानी जाती हैं जिसमें हमारा दिमाग 8 से 4 हर्टज पर चला जाता है। यह वह अवस्था है जिसमें हम भविष्य देख सकते हैं। हम सारे चमत्कार इसी ब्रेनवेव्स पर करते हैं। जिसमें टेलीपैथी, भविष्य देखना, आंख बंद करके किसी चीज को देखना, बिना हाथ लगाए किसी भी चीज को हिला देना, दूसरों के मन की बात जनन्ना आदि।
पांचवी और आखरी स्टेट जो 4 हार्ट्स से लेकर 0.5 हार्ट्स तक होती हैं। जिसमें हम गहरी नींद में होते हैं। हमारा दिमाग उस समय हमारे शरीर को रिपेयर कर रहा होता। बीमारियों की ठीक कर रहा होता है। अगर बहुत देर तक दिमाग इस हाइट्स में बना रहे तो कैंसर जैसी चीज को भी ठीक किया जा सकता है।
मेरे ख्याल से आपको थोड़ा बहुत तो पिक्चर क्लियर हो गई। जब हमारा ब्रेन थीटा स्टेट में होता है तब हमारा दिमाग टाइम ट्रेवल करता है जिसमें भूत और भविष्य की घटनाएं दोनों दिखाता है। क्योंकि हमारा दिमाग भविष्य की घटना देखकर आ चुका होता है और यह सूचना अवचेतन मन के पास पहले से रजिस्टर्ड होती है। जब यह घटना वास्तव में घटती है तो चेतन मन अवचेतन मन के पास डाटा भेजता है स्टोर करने के लिए।
अवचेतन मन के पास यह डाटा पहले से स्टोर होता है वह चेतन मन को रिप्लाई करता है कि यह तो पहले से स्टोर है तब दोनों के बीच में एक कंफ्यूजन क्रिएट होता है जिसको हम डेजा वू के नाम से जानते हैं।
अगर हम जागते समय थीटा स्टेट पर पहुंच जाते हैं तो हमें पूर्वाभास या विजन आने जैसी चीजें महसूस होने लगती हैं। आपने फिल्मों में अक्सर देखा होगा कि किसी पात्र को जागते समय दिखाई दिया कि किसी का खून हो रहा है जो वास्तव में हो रहा होता है। यह तभी होगा जब ब्रेन अचानक से थीटा स्टेट पर आ जाता है।
पूर्वाभास लगभग कभी ना कभी सबके साथ होता है इसी स्थिति के एक हिस्से को डेजा वू कहा जाता है। धन्यवाद दोस्तों हम इसी तरह काम की जानकारी लाते रहेंगे अगर आपको भी ऐसा होता है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा