रमा एकादशी से लेकर और भैया दूज तक यह पूरा एक सप्ताह सात दिनों का उत्सव है। जो सनातन धर्म के अनंत आसमान में सप्त ऋषि तारामंडल की तरह चमकता है। कार्तिक मास वैसे भी सभी मासों में श्रेष्ठ माना गया है। और इसमें पड़ने वाले सभी त्यौहार अपना आध्यात्मिक महत्त्व रखते हैं।इसमें भी यह 3 दिन धनतेरस से लेकर और दिवाली तक खास होते हैं। कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं। यह त्योहार दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है। इस दिन नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व है।
धनतेरस का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
भारतीय संस्कृति में कहा जाता है पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया, तीसरा सदाचारी नारी, और चौथा पुत्र आज्ञाकारी इस तरह से चार सुख बताए गए हैं। ज्योतिष में भी एक बात कही गई है कि कुंडली के सभी प्रमुख
भावों में लग्न यानि आयु का भाव सबसे प्रमुख होता है। कोई भी राजयोग तभी फलित होता है आपका लग्नेश और चन्द्रमा मजबूत हो। मतलब उस आयु तक जब आपका राजयोग फलित होगा आपका जीवत रहना जरुरी है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं जैसे किसी की कुंडली में 50 साल की उम्र में राजयोग लिखा है परंतु मात्र 42 वर्ष में ही वो चल बसा। तो वह कुंडली का राजयोग धरा का धरा ही रह जाएगा। इसीलिए आयु सबसे महत्वपूर्ण है पैसे से भी ज्यादा। समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक त्रयोदशी के दिन ही भगवान धन्वंतरी अपने हाथों में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। मान्यता यह है कि धन्वंतरी जी विष्णु जी का अवतार है। यदि चिकित्सा विज्ञान के बारे में बात करें तो धन्वंतरी ही चिकित्सा विज्ञान के देवता माने गए हैं। स्वस्थ के क्षेत्र में दो तरह की इंडस्ट्री चलती है एक होती है। पहली जो प्रमुख है जिसे इलनेस इंडस्ट्री और दूसरी जो अभी बढ़ रही है जिसे वैलनेस इंडस्ट्री कहते हैं।
जब आप बीमार होते हैं तब डॉक्टर के पास जाते हैं और जो दवाइयां मिलती हैं उन्हें इलनेस इंडस्ट्री की दवाइयां कहते हैं। जो दवाइयां आप स्वस्थ रहते हुए भी खा सकते हैं उन्हें वैलनेस इंडस्ट्री की दवाइयां कहते हैं। इसे समझने के लिए जैसे किसी को बुखार हुआ तो वह डॉक्टर से पेरासिटामोल ले कर आता है जिसे खाने के बाद उसका बुखार कुछ समय में उतर जाता है। इसी तरह आयुर्वेद में जब किसी को बुखार होता है, तो वह गिलोय का रस लेकर आता है जिसे पीने के कुछ समय बाद वह स्वस्थ हो जाता है। दोनों में एक डिफरेंस है पेरासिटामोल आप तभी ले सकते हैं जब आप बीमार होंगे। पर गिलोय को आप बुखार होने की स्थिति में भी ले सकते हैं और स्वस्थ स्थिति में भी ले सकते हैं दोनों ही परिस्थितियों में लाभ देता है। दोनों का डिफरेंस आपको समझ में आया होगा। आयुर्वेद के एक छोटे से हिस्से को वैलनेस इंडस्ट्री के नाम से हम जानते हैं। भगवान धनवंतरी अमृत लेकर आए, साथ ही पांचवा वेद किसे आयुर्वेद के नाम से जानते हैं वह भी भगवान धन्वंतरी की देन है।
जैसा कि हम जानते हैं कि भगवान धन्वंतरी समुद्र मंथन से उत्पन्न हो गई लेकिन आयुर्वेद में एक और धन्वंतरी का वर्णन मिलता है जो काशीराज धन्व के पुत्र थे जिन्होंने आयर्वेद का प्रसार किया। धन्व के पुत्र होने के कारण इन्हें धन्वंतरी कहा गया। आयुर्वेद के कई ग्रंथों जिसमें सुश्रुत संहिता चरक संहिता काश्यप संहिता अष्टांग हृदयम, भावप्रकाश अन्य कई ग्रंथों में भगवान धन्वंतरी तथा काशी राजधानी के पुत्र का वर्णन मिलता है।
धनतेरस पर धातु के बर्तन, कलश ता झाड़ू क्यों खरीदते हैं ?
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वंतरि का जन्म हुआ था।
इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धन्वंतरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वंतरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा है। अत: कोई भी नया बर्तन अवश्य खरीदें, ऐसा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
कहा गया है कि धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से घर में लक्ष्मी का स्थाई वास होता है। आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा परंपरा है कि जब भी घर में नया झाड़ू खरीदकर लाएं तो उस पर सफेद रंग का धागा बांध दें, जिससे मां लक्ष्मी की कृपा आपके घर में हमेशा बनी रहे। कुछ विशेषज्ञ इसका संबंध स्वच्छता से भी जोड़ते हैं। झाड़ू हमारे मकान के अंदर की गंदगी साफ करने के काम आती है। इससे घर के अंदर साफ सफाई रहती है, जो परिवार के लोगों के स्वस्थ रहने की बड़ी वजह है। सफाई रहने से घर के अंदर सकारात्मकता का वास होता है।
कुबेर पूजा क्यों जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरी मां लक्ष्मी गणेश की पूजा की जाती है परंतु कुबेर की पूजा क्यों की जाती है?
इसका वर्णन महर्षि बाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण में तथा अन्य धर्म ग्रंथों में भी इसका वर्णन मिलता है रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा की दो पत्नियां थी जिसमें एक पत्नी से कुबेर का जन्म हुआ था। दूसरी पत्नी से कुंभकरण विभीषण और रावण का जन्म हुआ। ऐसा कहा जाता है की कुबेर का जन्म त्रियोदशी को हुआ था। कुबेर भगवन शिव का भक्त था। त्रयोदशी के दिन प्रदोष का व्रत रखा जाता है यह भगवन शिव का दिन है। इसीलिए इस दिन महत्व खास हो जाता है।
चलिए अब समझ लेते हैं की धनतेरस की पूजा कैसे की जाए तो उस दिन क्या किया जाना चाहिए?
प्रदोष काल में पूजा की तैयारी कर ले जैसे पूजा की सामग्री धुप दीप, प्रसाद फूल इत्यादि । मुहूर्त के समय उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठे व गणेश जी की, माता लक्ष्मी की, कुबेर की तथा भगवान धन्वंतरि की मूर्तियां रख लें। कही कही हांथी की मूर्ति का भी विधान है यदि मूर्तियां न मिले तो फोटो रख लें। उसके बाद सबसे पहले गणेश जी की पूजा करनी है। गजानन भूतगणादि……………. इत्यादि मंत्रों से शरुआत करे फिर मां लक्ष्मी की पूजा करें। तत्पश्चात आपको धनवंतरी की पूजा करनी है और उनसे प्रार्थना करनी है कि आप और आपका परिवार हमेशा स्वस्थ रहे। अंत में आपको कुबेर की पूजा करनी है कुबेर के मंत्र “ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा” का 108 बार जप करना है। जप समाप्ति के बाद आरती करे और उनसे प्रार्थना कीजिए कि आपके द्वारा की गई पूजा को स्वीकार करें और प्रार्थना में हुई किसी भी तरह की त्रुटि के लिए क्षमा मांगें।
प्रसाद आपने चढ़ाया है उसे अपने परिवार में वितरित कर दें आपस में बांट लें तथा अगले दिन की तैयारी पर लग जाएं।
धनतरेस पर किये जाने वाले कुछ खास टोटके
- शाम ढलने के बाद 13 दीपक जलाएं हर दीपक में एक कौड़ी रखें। फिर आधी रात के बाद कौड़ियां दीपक से निकल कर घर के किसी कोने में गाड़ दें। इससे अचानक आपको बहुत धन लाभ होगा।
- 13 दीपक घर के अंदर और 13 घर के बाहर रखें। इससे दरिद्रता, अधंकार और घर की नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है।
- यदि आपके पास धन नहीं टिकता है, तो इस धनतेरस से दीपावली के दिन तक आप मां लक्ष्मी को पूजा के दौरान एक जोड़ा लौंग चढ़ाएं।
- इस दिन किसी किन्नर को अवश्य दान दें और उससे एक सिक्का मांग लें। इस सिक्के को अपनी तिजोरी या पर्स में रखने से कभी धन की कमी नहीं होती है।
- यदि आपको किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करनी हो, तो इस धनतेरस आप उस पेड़ की टहनी तोड़ कर घर लाएं, जिस पर चमगादड़ बैठता हो। इस टहनी को ड्राइंग रुम में रखने से धन की प्राप्ति के साथ ही समाज में प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।
- इस दिन आप किसी मंदिर में जाकर केले का पौधा या कोई सुगंधित पौधा लगाएं। जैसे-जैसे ये हरे भरे और बड़े होंगे, आपको जीवन में भी सफलताएं बढ़ेंगी।
- धनतेरस की पूजा से पहले एवं बाद में दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर घर में चारों तरफ थोड़ा-थोड़ा छिड़कें। इससे घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इसके अलावा यह जल पूजा में शामिल लोगों पर भी छिड़कें। इससे मन पवित्र होता है