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Firoja dharan karne ke fayde

Firoja dharan karne ke fayde,

आपने सलमान खान के हाथ में एक ब्रेसलेट देखा होगा। लोग इसे एक भग्यशाली रत्न मानते हैं। इसे फ़िरोज़ा कहते हैं यह रत्न बहत से प्रभावशाली लोग पहनते हैं जैसे इंग्लैंड की रानी एलिज़ाबेथ, पाइरेट्स ऑफ़ कैरेबियन के जैक स्पैरो यानि जॉनी डैप और विश्व के बहुत से जाने मने सेलेब्रिटीज़। इसे किन लोगों को पहनना चाहिए तथा कब और कैसे इस लेख में हम यही जानकारी देने जा रहे हैं।
फिरोजा रत्‍न को टरक्‍वाइज स्‍टोन भी कहते हैं। यह हल्‍के नीले रंग से गहरे हरे-नीले रंग का होता है। फिरोजा एक सेमी-प्रीशियस स्‍टोन है जो कि फास्‍फेट मिनरल फैमिली से ताल्‍लुक रखता है। यह एक पर्शियन यानि तुर्की शब्द है। फ़िरोज़ का अर्थ है खुशहाली, भाग्यशाली या कामयाब और ज़ा का अर्थ है उत्पन्न होना या बढ़ाना। फिरोजा का अर्थ हुआ खुशहाली को बढ़ने वाला।
फ़िरोज़ा, पूर्वजों का रत्न है यह ज्ञान, शांति, सुरक्षा, सौभाग्य और आशा का प्रतिनिधित्व करता है। प्राचीन काल में लोग रक्षा करने वाला रत्न कहते थे आज भी विद्वानों का मानना है की यह बुरी नज़र, बीमारी, यहाँ तक की दुश्मन बाधा से भी रक्षा करता है।

फ़िरोज़ा के बारे में प्राचीन मान्यताएं है जैसे

मूल अमेरिकी जनजातियों ने इस सुंदर नीले पत्थर को आकाश के देवता के साथ जोड़ा, और मेसोपोटामिया के सूर्य देवता समश ने इसे स्वर्ग और पृथ्वी के बीच एक पाइप लाइन के रूप में बताया है। विशेष रूप से, उन्होंने इसे ब्रह्मांड की ऊर्जा से भरा हुआ बताया जी बिमारियों का उपचार कर सकता है।
तुर्की और फारस लोग इसके गहने बनाते और उन्हें शुभत्व का प्रतीक मानते थे।

तुर्की योद्धाओं ने इसे तावीज़ के रूप में पहना है। वे इसे अपनी तलवारें, अपने कवच, और अपने घोड़े की लगाम और काठी को सजाने के लिए इस्तेमाल कियाकरते थे। उनका मानना ​​​​था कि ये ताबीज उन्हें गिरने से या युद्ध में लगने वाली चोट से बचता है।
इसके अलावा, उनका मानना ​​​​था कि फ़िरोज़ा पहनने से उनमे सहस बढ़ जाता है। यह डर पर काबू पाने के लिए व आंतरिक शांति के लिए कारगर है। इसके अलावा, उनका मानना ​​​​था कि पानी का यह पत्थर सौभाग्य और खुशी प्रदान करता है।

ग्रीक युवतियों ने अपनी पवित्रता के प्रतीक के रूप में इसे अपनाया। इंग्लैंड में, युवतियां इसे अपने प्रेमियों को स्थायी प्रेम के प्रतीक के रूप में उपहार दिया करती थी। रश में भी इसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

तिब्बत में, इस पत्थर को बदलाव तथा जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतिनिधि माना जाता है। यह ज्ञान के विकास की प्रक्रिया का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है।

फिरोजा रत्न पहनने के लाभ और फायदे


फिरोजा स्‍टोन में हीलिंग गुण होते हैं, इसका मतलब है कि इस स्‍टोन से धारण करने वाले का स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहता है। इस रत्‍न को बहुत पवित्र माना जाता है क्‍योंकि इससे धारणकर्ता के जीवन में पॉजीटिविटी, खुशियां, भाग्‍य, समृद्धि और उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य की प्राप्‍ति होती है।

इस रत्न का उपयोग गले में लाकेट के रुप में, ब्रेस्लेट के रुप में या फिर अंगुठी के रुप में जैसे चाहें उपयोग में ला सकते हैं। इस रत्न का प्रयोग बहुत ही प्रभावशाली तरह से जातक पर होता है। ये एक सकारात्मक स्थिति को देता है।

पाश्चात्य ज्‍योतिष में इसे बृहस्पति ग्रह के लिए धनु राशि के जातकों के लिए उपयोगी माना जाता है। भारतीय ज्‍योतिष में इसे गुरू शुक्र व बुध का सयुक्त उपरत्‍न माना जाता है। इसे धनु- मीन राशि वालों के लिए उपयोगी कहा गया है। यदि कुंडली में शुक्र गुरु या बुध की स्थिति पॉजिटिव तो होती है पर असर नहीं कर पति तो उन्हें फ़िरोज़ा पहनने के लिए कहा जाता है। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में शुक्र शुभ भावों का स्वामी होकर कमजोर अवस्था में है वह फीरोजा धारण कर सकते हैं। पश्चिमी ज्‍योतिष में फिरोजा को दिसंबर महीने का बर्थस्‍टोन माना जाता है।किसी भी रत्न को धारण करने से पहले यह समझना बहुत आवश्यक है की उसे किस समय ओर कब धारण किया जाए जिससे की हमे शुभ लाभ की प्राप्ति हो सके। फिरोजा रत्न की एक खासियत है की ये रत्न नकारात्मक प्रभाव नही देता है। यह अगर कोई लाभ न दे पाए तो ये अशुभ भी नहीं होता है।

शोधकर्ताओं, वकीलों और शिक्षकों को यह रत्‍न पहनना चाहिए। इस स्‍टोन की मदद से इन क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों को जीवन में सफलता पाने में मदद मिलती है। इस रत्‍न के प्रभाव से व्‍यक्‍ति की निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होती है और उसकी सोचने की क्षमता में भी सुधार आता है।
किडनी, लिवर या इम्‍यून सिस्‍टम से संबंधित बीमारियों से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति को फिरोजा स्‍टोन पहनने से अत्‍यंत लाभ मिलता है। यह रत्‍न आपके इलाज को बढ़ावा देता है। यह पीलिया, टीबी और डायबिटीज जैसी कई बीमारियों के इलाज में मदद करता है।
यदि कोई व्‍यक्‍ति अपनी भावनाओं को स्‍पष्‍ट रूप से प्रकट नहीं कर पाता है, तो उसे यह फिरोजा स्‍टोन पहनना चाहिए। इससे कम्‍यूनिकेशन, बोलने की क्षमता में सुधार आता है। इस रत्‍न के प्रभाव धारणकर्ता की बोली में मिठास आती है।
टरक्‍वाइज स्‍टोन डिप्रेशन को दूर करता है और व्‍यक्‍ति के आत्‍मविश्‍वास और आत्‍म-सम्‍मान को बढ़ाता है।
कई लोगों को शिकायत होती है कि उनका मूड बार-बार बदलता रहता है जिसे मूड स्विंग्‍स कहते हैं। इस समस्‍या को भी फिरोजा दूर कर मूड को अच्‍छा रखता है।
फिरोजा स्‍टोन धन के प्रवाह काे संतुलित एवं नियंत्रित करता है। अगर आपके पास पैसा नहीं टिकता है तो आप टरक्‍वाइज स्‍टोन पहन सकते हैं।
प्‍यार के मामले में भी फिरोजा बहुत मदद करता है। इसे पहनने से व्‍यक्‍ति की रोमांटिक लाइफ में प्‍यार के फूल खिल सकते हैं।
विवाहित जोड़ों के बीच फिरोजा स्‍टोन शांति और प्रेम को बनाए रखता है और दोनों के बीच आपसी समझ को बढ़ाता है।
फिरोजा रत्न कैसे धारण करें फिरोजा रत्न किस दिन पहने
आप फिरोजा स्‍टोन को अंगूठी या पेंडेंट के रूप में पहन सकते हैं। इस रत्‍न को चांदी की धातु में तर्जनी या अनामिका उंगली में पहनना चाहिए। इसे शुक्‍ल पक्ष के या किसी भी गुरुवार या शुक्रवार को पहनना चाहिए।

गुरुवार की सुबह उठकर स्‍नान करें और घर के पूजन स्‍थल में बैठ जाएं। एक तांबे की कटोरी लें और उसमें गंगाजल, तुलसी की कुछ पत्तियां, गाय का कच्‍चा दूध, शहद और घी डालें। अब इसमें फिरोजा स्‍टोन को डाल दें।
इसके बाद फिरोजा रत्‍न को साफ पानी से धोकर धारण कर लें।

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