Ganesh mantra । गणेश मंत्र का भक्ति पूर्वक जाप करने से व्यक्ति अपने विभिन्न दुखों से छुटकारा पा सकता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार गणेश जी को एक ऐसे देवता के रूप में पूजा जाता है जो अपने भक्तों के सभी दुखों को हर लेते हैं। इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता यानी की सभी विघ्नों को हरने वाला भी कहा गया है। हिन्दू धर्म को मानने वाले सभी अपने शुभ कार्य को शुरु करने से पहले गणेश की पूजा अर्चना अवश्य करते हैं। माना जाता है की गणेश जी को शिव जी से वरदान मिला था जिसके अनुसार सभी देवी देवताओं से पहले उनकी पूजा अर्चना होती है। उन्हें गणेश इसलिए भी कहा जाता है क्योकि वह भगवन शिव के सभी गणो के ईश अर्थात उनके प्रमुख हैं।
शिव के गण कौन है
आप लोग गण के बारे में जानते ही होंगे पर यदि नहीं जानते तो बता देता हु की भगवान शिव के साथ हमेशा गण भी रहते हैं। लेकिन आपने कभी सोचा है कि . आखिर कौन है ये गण? क्या है। भगवान शिव के गणों का कई अलग-अलग तरीके से वर्णन किया गया है। कोई उन्हें शिव का मित्र बताता है तो कोई उनका रक्षक कहता है। पुराणों में शिव के प्रमुख गण है- भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, जय, विजय और आदि। ऐसी मान्यता है कि ये गण मनुष्य से अलग थे और किसी दूसरे डाइमेंशन से यानि अलग लोक से आए थे। आप हॉलीवुड की फिल्मों में अक्सर सुनते होंगे ये क्रिएचर दूसरी दुनिया से आया है। पुराणों के अनुसार ये विचित्र रूप के थे उसे समझने के लिए बताया गया है जैसे नंदी का स्वरुप बैल जैसा था। वह विचित्र आकर के व विचित्र भाषा बोलते थे। जिन्हे भगवन शिव ही समझ सकते थे और उनसे बात भी करते थे। आपने सुना होगा शिव जी के लिए बम बम बोला जाता है। क्या मतलब है इसका बस हम ये जानते है की इस शब्द से भगवान् शिव बहुत प्रिय है। जब दक्ष प्रजापति का कटा सर जोड़ा तो वह बम बम करता हुआ उठ गया। पर बकरा बम बम नहीं करता पर हम समझ सकते हैं की ये वो भाषा है जो गणो को समझ आती है। गणेश जी जो हांथी के सर वाले है वो इन सभी गणों के देवता हैं पति यानि स्वामी हैं। कभी आपने सोचा है कि हम भगवान गणेश को गणपति क्यों बोलते हैं और गजपति क्यों नही?
गणपति मंत्र की उत्पत्ति के बारे में जानने से पहले इस बारे में जानना बेहद आवश्यक है की लम्बोदर विनायक श्री गणेश की उत्पत्ति कैसे हुई। पौराणिक कथा के अनुसार गणेश जी को माता पार्वती ने अपने हाथों से बनाया था। उनके जन्म के बाद माता पार्वती स्नान के लिए जा रही थी और उन्होनें बाल गणेश से द्वार पर पहरा देने और किसी को अंदर ना आने देने का सख्त फरमान दिया। इसी बीच शिव जी वहां आ पहुंचे और अपने पिता से अनजान गणेश जी ने शिव जी को भी अंदर नहीं जाने दिया। इस बात से क्रोधित होकर भोलेनाथ ने बाल गणेश के सिर को धड़ से अलग कर दिया। लेकिन जब इस बात का ज्ञान माता पार्वती को हुआ तो उन्होंने तुरंत ही शिव जी से किसी भी प्रकार से गणेश जी को जिंदा करने की मांग की। माता पार्वती को रोते बिलखते देख शिव जी ने तुरंत ही अपने सेवकों को आदेश दिया की उन्हें जो भी पहला जीव मिले उसकी गर्दन काटकर ले आओ। उनके सेवकों को सबसे पहले एक हाथी दिखा इसलिए वे हाथी का सिर काट लाये और शिव जी ने गणेश जी के धड़ पर हाथी का सिर लगाकर उन्हे जीवित कर दिया और उन्हें आशीर्वाद दिया की आज के बाद सम्पूर्ण संसार के लोग सबसे पहले तुम्हारी पूजा करेंगे उसके बाद ही किसी अन्य देवी देवता की पूजा होगी। उस दिन के बाद से सभी विघ्नों को हरने वाले गणेश जी की पूजा अर्चना की जाने लगी और उनके मंत्रों का जाप भी किया जाने लगा। भक्त जन अपने दुखों के निवारण के लिए गणेश जी की पूजा अर्चना करने लगे। गणेश जी को इस प्रकार से सर्वप्रथम पूजा जाने लगा और इसके साथ ही उनके मंत्रों का जाप भी किया जाने लगा।
गणपति मंत्र और उससे मिलने वाले लाभ निम्नलिखित है
सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करता है। मन को अधिक स्थिर और संतुलित बनाता है। व्यक्ति को शांत करता है। एकाग्रता में सुधार करता है। किसी भी समस्या का सामना करने और हल करने की क्षमता। आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति के मार्ग खोलता है। व्यक्ति में भय तथा घबराहट को कम करता है। जीवन की गुणवत्ता में समग्र सुधार। मन को शुद्ध और पवित्र करता है।
पहला मंत्र जब किसी भी कार्य की शुरुआत करने से पहले गणेश जी के इस मंत्र का जाप करना विशेष फलफदायी साबित होता है।
ॐ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।
अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है कि हे टेढ़ी सूंढ़ और विशालकाय शरीर वाले करोड़ों सूर्य की तरह चमकने वाले भगवान श्री गणेश आप मुझपर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें ताकि मेरे किसी भी काम में कोई बाधा ना आये और सफलता पूर्वक मेरे सारे कार्य संपन्न हो सकें। आपकी शुभ दृष्टि मुझपर सदा बनी रहे।
यह गणेश गायत्री मंत्र है जो विद्यार्थी की करना चाहिए
ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।
अर्थ: इस मंत्र को गणेश जी के गायत्री मन्त्र के रूप में भी जाना जाता है। इस मंत्र का अर्थ है कि, हे एकदन्त भगवान श्री गणेश आप सर्वव्यापी हैं, आपकी सूंढ़ हाथी के सूंढ़ के सामान मुड़ी हुई है। हम आपसे समृद्धि की कामना करते हैं। हम आपसे कामना करते हैं की हमारे मन से अज्ञानता के अंधकार को दूर कर ज्ञान से उसे प्रकाशित करें।
श्री गणेश बीज मन्त्र किसी भी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए व बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति के लिए यह मंत्र बहुत प्रभावी है।
मंत्र ॐ गं गणपतये नमः ।।
ॐ गं गौ गणपतये विघ्नविनाशने स्वाः ॥
यह मंत्र नौकरी काम काज की रूकावट को दूर करने में बहुत सहायक है। इसमें बीज मन्त्र के साथ साथ स्वा: का भी प्रयोग किया गया है जिससे मंत्र की शक्ति 10 गुना बढ़ जाती है। किसी भी तरह की रूकावट समाप्त हो जाती है।
गणेश जी का मंत्र जाप करते समय इन बातों का विशेष ध्यान
गणेश मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष और तुलसी की माला का ही प्रयोग करें। मन्त्र जाप के लिए जिस माला का प्रयोग करने जा रहें उसकी शुद्धि अवश्य कर लें।
मंत्र जाप करने से पहले स्नान कर साफ़ सुथरे वस्त्र ही धारण करें।
गणपति मंत्र जाप शुरू करने से पहले आसान बिछाना और धूप अगरबत्ती आदि जलाना बिल्कुल ना भूलें।
मंत्र जाप करने से पहले गणेश जी का ध्यान करना कदापि ना भूलें।
आप जिस कार्य की सिद्धि के लिए मंत्र जाप करने जा रहे हैं उसका संकल्प अवश्य लें।
मंत्र जाप हमेशा वज्रासन मुद्रा में करना ही लाभकारी साबित होता है।
गणेश जी के मंत्रों का जाप विशेष रूप से सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में करना फलदायी साबित होता है।
जितनी बार मंत्र जाप का संकल्प लें उसे पूरा जरूर करें।
इस प्रकार से आप भी गणेश जी के विशेष मंत्रों का जाप कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।