नमस्कार दोस्तों हम इस लेख में ग्रीन तारा मंत्र के बारे में पूरी जानकारी देंगे। ग्रीन तारा कौन हैं। यह कैसे काम करता है। इससे क्या लाभ है। इसे कैसे जपना चाहिए। इससे जयादा लाभ कैसे लिया जा सकता है। (Green tara mantra)
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि ग्रीन तारा कौन है
दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं कि हिंदू धर्म में 10 महाविद्या होती हैं उनमें से एक महाविद्या तारा महाविद्या भी है। इन्हें संस्कृत में श्याम तारा और तिब्बती भाषा में जिसे जेट्सुन डोल्मा या सग्रोल-लजंग कहा गया है। दरअसल तारा माता के 21 रूप हैं। जिनमें से ग्रीन तारा वाइट तारा, रेड तारा देवी मुख्य मानी जाती है।
बौद्ध धर्म एक श्रमण धर्म है। यहाँ ध्यान को प्रमुखता दी जाती है। ध्यान के द्वारा अपनी बुराइयों को बाहर कर सकते हैं। यह महिला बोधिसत्व है इन्हें महिला बुद्ध के रूप में दिखाया गया है। इन्हें मुक्ति की देवी कहा जाता है यानी कि अगर आप बौद्ध और ग्रीन तारा की उपासना करते हैं तो आपको मोक्ष प्राप्त होगा।
ग्रीन तारा के उपासक हमेशा एक बात कहते हैं कि शत्रु कहीं बाहर नहीं है सबसे बड़ा शत्रु जो आपके जीवन की सबसे बड़ी रुकावट है वह आपके अंदर ही है। इसीलिए वह लोग सिंबल के रूप में बताते हैं कि इन चीजों पर आपको विजय प्राप्त होती है मां तारा मंत्र का जाप करने पर।
शेर यानि अभिमान या अहंकार पर विजय
जंगली हांथी यानि भ्रम और अज्ञान पर विजय
आग यानि क्रोध और घृणा पर विजय
सांप यानि ईर्ष्या पर विजय
डांकू और चोर यानि कट्टर विचार गलत विचार पर विजय
बंधन यानि कंजूसी और लोभ पर विजय
बाढ़ यानि इक्षा और लगाव पर विजय
राक्षस यानि भ्रमित संदेह पर विजय
Green tara mantra
ग्रीन तारा को अवलोकितेश्वर का रूप माना जाता है। अब आप कहेंगे कि अवलोकितेश्वर कौन है। अवलोकितेश्वर ऐसे बुद्ध हैं जो जो संपूर्ण विश्व का कल्याण किए बिना निर्वाण को प्राप्त नहीं कर सकते इसलिए वह तबतक धरती पर रहेंगे जबतक सम्पूर्ण जगत का कल्याण न हो जाये। इनकी मूर्ति में उनके एक हाथ में कमल है जिससे लोग इन्हें भगवान विष्णु का अवतार भी कहते हैं। पंडित जी जब संकल्प कराते हैं तो बोलते हैं वराह कल्पे बौद्ध अवतार है यानी वराह कल्प में बौद्ध अवतार की अमुक तिथि को। बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। ग्रीन तारा अवलोकितेश्वर का स्त्री रूप है।
इस विषय में कहानी आती है। एक बार अवलोकितेश्वर वर्तमान तिब्बत के ल्हासा में ‘रेड हिल’, मारपोरी के शिखर पर पहुंचे। वहां उन्होंने दुनिया के दुखों को महसूस किया। जिसके कारण उनकी आंख से आंसू गिर गए। दोनों आंसू ज्योति रूप बनकर उनकी आँखों में पुनः समा गए। उन दोनों आंसुओ ने लोक कल्याण का प्राण लिया और दाहिनी आंख से जो आंसू गिरा वह दिव्य रूप बनकर अगले जन्म में नेपाली राजकुमारी त्रित्सुन के रूप में अवतरित हुआ था। बाईं आंख से आंसू गिरा वह दुनिया के कष्टों को हरने के लिए तारा रूप में परिवर्तित हो गया।
ऐसा बिल्कुल नहीं है कि तारा माता केवल तिब्बत में ही प्रसिद्ध है। बल्कि वह नेपाल मंगोलिया कंबोडिया भूटान, चीन, जापान व भारत के सिक्किम में भी बहुत पॉपुलर हैं।
ग्रीन तारा मंत्र जपने से क्या लाभ होता है?
यह मंत्र मानसिक शक्ति बढ़ने के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है।
यह मन्त्र एक बहुत ही शक्तिशाली है इस मन्त्र का जाप बहुत ही प्रभावशाली और बहतु ही जल्दी फल देने वाला है ना केवल जाप बल्कि इस मन्त्र को सुनने मात्र से ही इसके प्रभाव देखने को मिले है।
यह मन्त्र आरोग्य प्रदान करने वाला है इस मन्त्र के बारे में कहा जाता है की इस मन्त्र के नियमित जाप से हर्ट और माइंड के ब्लोकेज समाप्त हो जाते है।
यह मन्त्र सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला मन्त्र माना जाता है जिन्दगी में आने वाली सभी कठिनाइयों को बाधाओं को इस मन्त्र के जाप से दूर किया जा सकता है ।
यदि कोई व्यक्ति गम्भीर बीमारी से जूझ रहा है तो डॉक्टरी इलाज के साथ साथ इस मन्त्र का प्रयोग बहुत ही सफल रहा है यानी की यह मन्त्र व्यक्ति को आरोय्ग की और लेकर जाता है ।
यह मन्त्र गृह कलेश को दूर घर घर में एक पोजेटिव एनर्जी भरता है जिससे जीवन में खुशहाली संभव हो पाती है ।
इस मन्त्र को सुबह नहा धोकर ग्रीन माता का ध्यान लगाते हुए रोजाना कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए मन्त्र जाप पूरा होने के बाद आप अपनी मनोकामना ग्रीन तारा देवी माँ से कहे यह मन्त्र मात्र 7 दिनों के जाप में असर दिखाना शुरू करने लगता है ।
यह मंत्र इस प्रकार है
ॐ तारे तुत्तारे तुरे सोहा ।
तो दोस्तों आप भी इस मन्त्र का जाप करके देख सकते है मगर पुरे श्रद्धा भाव के साथ पूर्ण श्रद्धा भाव से करने पर यह मन्त्र 7 दिनों में असर दिखाना शुरू कर देता है ।