Information about Kritika Nakshatra, कृत्तिका नक्षत्र में जन्मे लोगों के बारे में जानकारी, kritika nakshtra,
नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम कृत्तिका नक्षत्र के बारे में चर्चा करेंगे और बताएंगे कि जो लोग कृत्तिका नक्षत्र में पैदा हुए हैं। उनका जीवन कैसा रहता है। आप कैसे उनके व्यवहार के द्वारा पहचान सकते हैं कि कृत्तिका नक्षत्र में यह व्यक्ति पैदा हुआ है। साथ ही उनके चरणों का भी वर्णन करेंगे कि बच्चा किस चरण में पैदा होने पर कौन से ग्रह के प्रभाव से होता है। जिससे जीवन में आने वाली परेशानियों का आप समाधान निकाल पाएंगे।
कृत्तिका नक्षत्र में पैदा लोगों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी, Information about kritika Nakshatra,
जैसा कि आप जानते हैं हिन्दू ज्योतिष में 27 नक्षत्र होते हैं जिनमें से कृतिका तीसरे नक्षत्र है। यह तीसरा शुभ, प्रतिनिधि के तौर पर काम करने वाला, तमोगुण संबंधी स्त्री नक्षत्र होता है। कृतिका (कृत्तिका )नक्षत्र को उत्तर दिशा का स्वामी माना जाता है। इस नक्षत्र के देवता कार्तिकेय और अग्नि को माना जाता है तथा स्वामी सूर्य को माना जाता है। यह छह सितारों का एक समूह है जो कृत्तिका नक्षत्र को दर्शाता है जिसे प्लियाडेस भी कहा जाता है।
इस नक्षत्र में मेष राशि का स्वामी मंगल और वृषभ राशि का स्वामी शुक्र होता है। कृतिका नक्षत्र में मेष 26 अंश 40 कला से वृषभ 10 अंश 00 तक का होता है।यह भरणी नक्षत्र के पूर्व में यह नक्षत्र आता है।
A (ए) e (ई), U (यू), और ai एई अक्षर के लोग इस नक्षत्र से प्रभावित होते हैं।
इसमें जन्में जातक का पहला चरण मेष राशि में आता है व दूसरा से चौथा चरण वृष राशि में आता है। कृत्तिका नक्षत्र आपस में मिलकर उस्तुरा, घास काटने एवं बाँस आदि छीलने का औज़ार या फावड़ा के जैसा दिखाई देता हैं। वैदिक ग्रंथों के अनुसार धर्म में भी कृतिका नक्षत्र के यज्ञ में सात आहुतियां देने का वर्णन किया गया है। इससे हमें आभास होता है की प्राचीन समय में कृतिका नक्षत्र के सात तारे अहम माने जाते थे पर अभी इसमें कुछ विद्वानों के अनुसार छह तारे हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य कृत्तिका नक्षत्र का शासक ग्रह है। कृत्तिका नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।
यदि पौराणिक कथाओं के माध्यम से देखा जाए तो कृतिका नक्षत्र के देवता कार्तिकेय है परंतु ज्योतिषीय मतानुसार अग्नि को भी कृतिका नक्षत्र का देवता कहा जाता है। कार्तिकेय भगवान शिव और पार्वती के दूसरे बेटे है। पौराणिक कथाओं के अनुसार हमें यह भी पता चलता है कि कार्तिकेय के कुछ अन्य नाम भी हैं जैसे – स्कन्ध, सुब्रमण्यम, षडानन, गुहा और सन्मुख हैं। कार्तिकेय को छह मुखी भी खा जाता है। अग्नि को दक्षिण और पूर्व का अग्निपुत्र अंतर दिशा का और रुद्राक्ष का स्वामी माना जाता है। ज्योतिष मतानुसार हमें यह पता चलता है कि जिस प्रकार आग में सभी तरह की अशुद्धियों का नाश होता है उसी तरह तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने से जातक के पापों का नाश, मन में सुधियाँ और कर्मों में पवित्रता आती है।
वैदिक जोतिश शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में जन्म नक्षत्र कृतिका है और जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, और कई सारे उपाय करने के बाद भी परेशानियाँ कम नही हो रही है तो जातक को कार्तिकेय की पूजा अर्चना करनी चाहिए, जिससे आपके जीवन में परेशानियाँ कम हो सकती हैं। कृतिका नक्षत्र के मंत्र और उपाय कुछ इस प्रकार है।
कृत्तिका नक्षत्र लक्षण
इस नक्षत्र में पुरुष जातक सामान्य विशेषताओं वाला, बीच के कद वाला, गठीले शरीर वाला, लंबी गर्दन और नाक वाला होता है। ऐसे में कुछ ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जो शनि के प्रभाव से जातक लंबे कद वाला होता है। इस नक्षत्र में स्त्री जातक लोगों को अपनी ओर प्रभावित करने वाली, बेहद सुंदर दिखने वाली, सुंदर शरीर वाली होती हैं।
इस नक्षत्र में जातक शुद्ध आहार, तला हुआ भोजन खाने का शौकीन होता है, परंतु इसी कारण वश जातक को अपने जीवन में स्वास्थ्य परेशानियों से गुजरना पड़ता है। जातक अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंतित न रहने वाला होता है। अग्नि तत्व का यह कृतिका नक्षत्र छेदने वाला, भेद करने वाला और तेज तर्रार होता है। इस नक्षत्र में जन्मा जातक लड़ाई-झगड़ों [ युद्ध ] में आगे रहने वाला होता है। इस तरह के लोग कूटनीति से काम नहीं लेते जिससे जरुरत पड़ने पर क्या करना है इन्हे पता ही नहीं होता। दूसरों को ताने देने में माहिर होते हैं। ये अच्छा खाना बनाना भी जानते होते हैं। इनके अलग रुतबे के कारण अवैध यौन संबंध ज्यादा होते हैं।
इस तरह के लोग बोर जल्दी हो जाते हैं। इन्हे नौकरी भी जल्दी मिल जाती है पर ये बिना सोचे समझे नौकरी छोड़ भी देते हैं। ये सलाह देने में अच्छे हैं। ये अपनी आजादी के लिए किसी भी रिश्ते को तोड़ सकते हैं क्योंकि आजादी आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आत्म-गौरव को आपकी महत्वपूर्ण विशेषता माना जाता है।
कृत्तिका नक्षत्र की ताकत
ये लोग सामाजिक होते हैं इन्हे समूह में रहना पसंद है। सलाह देने वाला और इरादे के पक्के होते हैं। अपने दोस्तों पर मर मिटने वाले होते हैं जिससे ये अच्छे नेता होते हैं, महत्वाकांक्षी, साहसी,और आत्मविश्वास, रखने वाले इंसान हैं।
कृत्तिका नक्षत्र कमजोरियां
कृत्तिका नक्षत्र के लोगों की कुछ प्रमुख कमजोरियों में अपरिपक्वता, जल्दबाजी जिद्दीपन, अस्थिर मन, आक्रामक और अधीर व्यवहार, झगड़ालू प्रवर्ति, घबराहट और बहुत अधिक उम्मीदें रखना शामिल हैं।
कृत्तिका नक्षत्र शिक्षा / करियर का चुनाव / पेशा
कृत्तिका नक्षत्र से संबंधित व्यक्ति आमतौर पर अपने जन्मस्थान या घर पर नहीं रह पाते हैं। ये लोग दूसरे शहर या देश में अच्छा पैसा व रोजगार बनाते हैं। साझेदारी व्यवसाय कृत्तिका नक्षत्र से संबंधित लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है। इन्हे सूर्य के नक्षत्र में पैदा होने का लाभ तो मिलता है इस तरह की लोगों को सरकारी क्षेत्र से लाभ होने की संभावना हमेशा रहती है।
ये ड्राफ्ट्समैन, इंजीनियर या डॉक्टर बन सकते हैं और ट्रेजरी विभाग में भी काम कर सकते हैं। यदि ये व्यवसाय में रूचि है तो सजावटी उद्योगों, दवाइयों और यार्न निर्यात में पैसा कमा सकते हैं। ये अपने काम में बहुत धीमे हैं लेकिन आपके जीवन में सफलता प्राप्त करेंगे।
सबसे उपयुक्त व्यवसाय: सलाहकार, नृत्य, मॉडलिंग, सैन्य करियर, खोजकर्ता, एक संगठन के प्रमुख, नाई, हथियार निर्माता, जादूगर, खगोलविद, आध्यात्मिक शिक्षक, संगीतकार, गायक, फैशन डिजाइनर, आविष्कारक, आग और पुलिस विभाग के कर्मियों और निर्माण ठेकेदार|
कृत्तिका नक्षत्र पारिवारिक जीवन
कृत्तिका नक्षत्र में जन्मे पुरुष मूल एक आनंदमय वैवाहिक जीवन बिताते हैं। इहे एक ऐसा साथी मिलने की संभावना है जो प्रभावी रूप से सभी घरेलू कार्यों का प्रबंधन करेगी। वह आपके लिए बहुत गुणकारी और वफादार होगी। लेकिन यदि आप महिला है तो आप वैवाहिक जीवन का आनंद लेने में असमर्थ हो सकती हैं। क्योंकि निरंतर झगड़ों और कलह की परिस्थितियों के कारण आपके अलग होने की संभावना है। बच्चों के मामले में भी ये लोग थोड़ी लकी नहीं होते। ये महिलाये अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में सक्षम नहीं होंगी, क्योंकि ये दूसरों के इरादों को समझने में असमर्थ रहेंगी।
कृत्तिका नक्षत्र स्वास्थ्य
इनका पाचन अच्छा होता है। लेकिन आप अच्छे आहार और उचित भोजन आदत का पालन करने में ये थोड़े आलसी हैं। इन्हे बुखार, कमजोर दृष्टि, दांत की समस्याओं, मलेरिया, मस्तिष्क बुखार, सेरेब्रल मेनिनजाइटिस, दुर्घटनाओं और घावों जैसी समस्याऐ हो सकती हैं।
प्रत्येक नक्षत्र में चार चरण होते है जिसमें एक चरण 3 अंश 20 कला का होता है। नवमांश की तरह होता है जिसका मतलब यह है कि इससे नौवें भाग का फलीभूत मिलता है। सभी चरणों में तीन ग्रहों का प्रभाव होता है जो इस प्रकार है।
कृतिका ( कृत्तिका ) नक्षत्र का प्रथम चरण |
इस चरण का स्वामी गुरु होता है। इस चरण में मंगल, सूर्य, गुरु का प्रभाव होता है। इस चरण में मेष 26 अंश 40 कला क्षेत्रफल से 30 अंश 00 कला क्षेत्रफल तक का होता है। नवमांश-धनु। यह चरण परोपकारी, बिना स्वार्थ कार्य करने वाला, महान, दयालुता, कामुक, मजबूत, सेना अधिकारी। इस चरण में जातक लंबे कद वाला, चौड़े कंधे, लंबे कान, घोड़ो की आकृति का मुह, यात्राएं करने वाला, बुद्धिमान,ममतारहित, छल करने वाला, विद्वान, रोगों से ग्रसित परंतु लंबी उम्र जीने वाला, सभी तरह से प्रसन्न रहने वाला, विशेष लक्षण प्राप्त करने वाला होता है।
कृतिका ( कृत्तिका ) नक्षत्र का द्वितीय चरण |
इस चरण का स्वामी शनि होता है। इस चरण में शुक्र, सूर्य, शनि का प्रभाव होता है। इस चरण में वृषभ 26 अंश 40 कला क्षेत्रफल से 30 अंश 00 कला क्षेत्रफल तक होता है। नवमांश-मकर। इस चरण में यह अच्छा व्यवहार, बर्ताव का तरीका, भौतिक होने की अवस्था, शत्रुओं का विरोध और माता के पक्ष का प्रकाशक होता है
इस चरण में जातक मधुर वाणी बोलने वाला, असमान नेत्रों वाला, गंदी नज़र वाला, बुरे स्वभाव वाला, दूसरों का विरोध करने वाला होता है। ऐसे जातक की मृत्यु मघा के अंत में या तो फिर रेवती नक्षत्र में होती है। जातक आत्मा और परमात्मा से संबंध रखने वाले से घृणा करने वाला, अपने धर्म का विरोध करने वाला, दूसरों के धार्मिक ग्रंथों को न मानने वाला और अपमानित करने वाला, धर्म के विरुद्ध चलने वाला और लोगों को विरुद्ध चलने की सलाह देने वाला परंतु कभी-कभी कीर्तिमान भी होता है।
कृतिका ( कृत्तिका ) नक्षत्र का तृतीय चरण |
इस चरण का स्वामी शनि होता है। इस चरण में शुक्र, सूर्य, शनि का प्रभाव होता है। इस चरण में वृषभ 33 अंश 20 कला क्षेत्रफल से 36 अंश 40 कला क्षेत्रफल तक का होता है। नवमांश- कुंभ। इस चरण में यह मनुष्यता, भविष्यवाद, पुराने समय का अस्तित्व देखने वाला, कर्म करने वाला, शिक्षा का प्रकाशक होता है।
जातक तेजदार नयन वाला, तिकोनी आकृति का सर, टेड़े मुख वाला, कमजोर ह्रदय वाला, बहुत जल्द नर्वस होने वाला, तुच्छ ज्ञान वाला, बुरे कर्म करने वाला, सत्य का साथ न देने वाला, ज्यादा बातचीत करने वाला होता है। जातक बहादुर, अभिमान वाला, छोटी सी बात पर गुस्सा करने वाला, बाजारू स्त्रियों के साथ संबंध बनाने वाला और छोटे जीवन वाला होता है।
कृतिका ( कृत्तिका ) नक्षत्र का चतुर्थ चरण |
इस चरण का स्वामी गुरु होता है । इस चरण में शुक्र, सूर्य, गुरु का प्रभाव होता है। इस चरण में वृषभ राशि 36 अंश 40 कला क्षेत्रफल से 40 अंश 00 कला क्षेत्रफल तक का होता है। नवमांश-मीन। इस चरण में यह शालीनता, परोपकार, स्वरूप स्थिर करने का प्रकाशक होता है। जातक सुंदर और कोमल शरीर वाला, लंबी और मोटी नाक वाला, बड़ी-बड़ी आंखों वाला, धार्मिक कार्यों में अपना योगदान देने वाला, धर्म को मानने वाला, स्थिर रहने वाला, अच्छे कार्यों को करने वाला, देखभाल करने वाला, चोरी या हिंसक कार्य करने वाला, विनीत परंतु अहंकारी, मनन करने वाल, परेशान, दुखी, रोगो से पीड़ित और मानसिक तनाव से घिरा रहता है।
इसके जातक प्रथम चरण में प्रतापी व अच्छे गुणों वाला, द्वितीय चरण में शास्त्र के बारे में जानने वालातथा कीर्तिमान, तृतीय चरण में पुत्र संतान वाला, चतुर्थ चरण में लंबी उम्र जीने वाला और बहादुर होता है।
कृत्तिका नक्षत्र के लिए भाग्यशाली पत्थर माणिक्य सन-सितारा लाल तामड़ा हैं।
कृत्तिका नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 1, 2, 3 और 9 हैं।
कृत्तिका नक्षत्र के लिए भाग्यशाली रंग पीला और लाल हैं।
कृत्तिका नक्षत्र के लिए भाग्यशाली दिन मंगलवार और रविवार हैं।