Information about Rohini Nakshatra, रोहिणी नक्षत्र में जन्मे लोगों के बारे में जानकारी, रोहिणी नक्षत्र में पैदा लोगों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी, Information about Rohini Nakshatra,
नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम रोहिणी नक्षत्र के बारे में चर्चा करेंगे और बताएंगे कि जो लोग रोहिणी नक्षत्र में पैदा हुए हैं। उनका जीवन कैसा रहता है। आप कैसे उनके व्यवहार के द्वारा पहचान सकते हैं कि रोहिणी नक्षत्र में यह व्यक्ति पैदा हुआ है। साथ ही उनके चरणों का भी वर्णन करेंगे कि बच्चा किस चरण में पैदा होने पर कौन से ग्रह के प्रभाव से होता है। जिससे जीवन में आने वाली परेशानियों का आप समाधान निकाल पाएंगे।
रोहिणी नक्षत्र में पैदा लोगों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी, Information about Rohini Nakshatra,
ओ (00) वा (Va) वी (vi) वू (Vu) अक्षर के लोग इस नक्षत्र से प्रभावित होते हैं। रोहिणी नक्षत्र को वृष राशि का मस्तक कहा गया है। इस नक्षत्र में तारों की संख्या पाँच है। भूसे वाली गाड़ी जैसी आकृति का यह नक्षत्र फरवरी के मध्य भाग में मध्याकाश में पश्चिम दिशा की तरफ रात को 6 से 9 बजे के बीच दिखाई देता है। यह कृत्तिका नक्षत्र के पूर्व में दक्षिण भाग में दिखता है। यह नक्षत्र चन्द्रमा को विशेष प्रिय है। नक्षत्रों के क्रम में चौथे स्थान पर आने वाला नक्षत्र वृष राशि के 10 डिग्री-0′-1 से 23 डिग्री-20′-0 के बीच है। किसी भी वर्ष की 26 मई से 8 जून तक के 14 दिनों में इस नक्षत्र से सूर्य गुजरता है। इस प्रकार रोहिणी के प्रत्येक चरण में सूर्य लगभग साढ़े तीन दिन रहता है।
रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा का केंद्र है। इसे पूरे आकाशमण्डल में सबसे चमकीले सितारों में से एक माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र का शासक ग्रह है। ये बैलगाड़ी या रथ की तरह लगता है जो प्रजनन क्षमता का प्रतीक है। इस नक्षत्र के देवता ब्रह्मा है। रोहिणी नक्षत्र स्टार का लिंग मादा है।
रोहिणी चंद्रदेव की 27 पत्नियों में से एक हैं। यह सबसे सुंदर, तेजस्वनी और सुंदर वस्त्र धारण करनी वाली हैं। रोहिणी प्रजापति दक्ष की पुत्री हैं। सभी पत्नियों में चंद्रमा रोहिणी से ज्यादा स्नेह रखते हैं। आकाश मंडल में जब भी चंद्रमा रोहिणी के पास आते हैं, तब-तब उनमें निखार और अधिक बढ़ जाता है। भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म भी इस नक्षत्र में हुआ था।
रोहिणी नक्षत्र लक्षण Rohini Nakshatra Characteristics
रोहिणी नक्षत्र के पुरुष जातक दिखने में कमजोर, चौड़े कंधे वाले, बड़ी-बड़ी आँखों वाले, कोमल शरीर परंतु अन्य ग्रहों के दुष्प्रभावों से ये भारी और मोटे शरीर वाले भी होते हैं। रोहिणी नक्षत्र के स्त्री जातक दिखने में सुंदर, कोमल शरीर वाले, गोरे रंग वाले, पतले और आकर्षक नयन वाले, लंबाई न कम होती है और न ज्यादा जिसके कारण इन्हे मध्य कद वाला कहा जाता है।
इस नक्षत्र के जातक छोटी सी बात पर भड़कने वाले, गुस्सा करने वाले परंतु इनका गुस्सा ज्यादा देर तक नही रहता बहुत जल्द शांत हो जाता है। ये भगवान पर भरोसा करने वाले होते हैं। ये अपने वादे के पक्के, अपने विचारों पर खरे उतरने वाले, अपने से छोटो लोगों में कमी देखने वाले, किसी भी बात को जल्द ही भूल जाने वाले, कमजोर लोगों को सताने वाला, सच का साथ देने वाले, हठी, दूसरों की बात पर जल्दी भरोषा न करने वाले होते हैं। इस नक्षत्र की स्त्रियां बुराई करने वाले लोगों के साथ रहने वाले होते हैं।
रोहिणी नक्षत्र की ताकत
ये लोग आकर्षक व्यक्तित्व के साथ सुन्दर प्रस्तुति रखते हैं। ये अच्छे श्रोता और संवाददाता, संतुलित, जिम्मेदार, आराम पसंद , अच्छे से बात करने वाले, सच्चे, अच्छी तरह से शिक्षित, तेज, लक्ष्य पर रहने वाले, ईमानदारी, धैर्य और मन लगाकर काम करते है। उद्देश्यपूर्ण और गैर-ईर्ष्यावान व्यक्ति हैं। इनके पास पूर्वाभास की शक्ति भी है।
रोहिणी नक्षत्र कमजोरियां
रोहिणी नक्षत्र से संबंधित लोगों की कुछ प्रमुख कमजोरियों में ये आसानी से दूसरों से प्रभावित हो जाते हैं। इन्हे नशे की लत लग सकती है, ये अतिसंवेदनशील होने के कारण कई बार नुकसान उठा सकते हैं। इनमे दूसरों की निंदा करने का विशेष अवगुण है।
रोहिणी नक्षत्र शिक्षा / करियर का चुनाव / पेशा
कला के क्षेत्र में ये लोग बहुत अच्छे होते हैं। ये रियल एस्टेट, फैशन डिजाइनर, संगीतकार, राजनीति, कृषि, होटल और रेस्तरां व्यवसाय, हर्बलिस्ट, कॉस्मेटिक उद्योग, रत्न डीलर, बैंकर, ऑटोमोबाइल उद्योग, पैकेजिंग और वितरण, ज्वैलर्स, वनस्पतिविद, कपड़ा उद्योग और मॉडलिंग कर सकते हैं।
रोहिणी नक्षत्र के व्यक्तियों को 18 से 36 वर्ष की आयु के बीच गंभीर कष्ट और परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक आधार पर होने वाली समस्याएं अधिक होने की संभावना है। 38-50 और 65-75 साल की उम्र के दौरान रोहिणी नक्षत्र वाले अपने जीवन का सबसे अच्छे हिस्से का आनंद लेते हैं। कुछ लोगों का मानना है की इन्हे व्यवसाय या साझेदारी में सावधान रहना चाहिए इनका भवनात्मक स्वभाव के कारण ये ठगे जाते हैं। इन्हे ज्यादातर नौकरी करने को खा जाता है।
रोहिणी नक्षत्र पारिवारिक जीवन
पिता से इन लोगों की काम बनती है पर माँ की तरफ इनका झुकाव थोड़ा ज्यादा होता है। ये लोग अच्छे रिस्तेदार भी साबित होते हैं। इसलिए ये अपने रिश्तेदारों और दोस्तों की मदद करते हैं। क़ानूनी मामलों ये थोड़े लापरवाह होते हैं। इनके विवाहित जीवन में कुछ उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। ये अपनी आवश्यकता के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं जिसके कारण अक्सर इनका दांपत्य जीवन थोड़ा दुखदपूर्ण रहता है। महिला जातक को अपने वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए अपनी जिद को त्यागकर रहना चाहिये। ये स्त्रियाँ अपने परिवार में खुशियाँ बनाए रखने का प्रयास करती हैं जिसके कारण ये अपने बच्चों और पति को बहुत प्यार भी करती हैं।
रोहिणी नक्षत्र स्वास्थ्य
रोहिणी नक्षत्र के लोगों को रक्त सम्बन्धित बीमारी जैसे शुगर, ब्लड कैंसर, फोड़े फुंसी, व अन्य रक्त विकार समस्यां होने की सम्भवना होते हैं। संक्रमक बीमारी के मामले में ये थोड़े कमजोर होते हैं। इन्हे मूत्र संबंधी, और कमर दर्द सम्बंधित विकारों से भी परेशान हो सकते हैं।
रोहिणी नक्षत्र का चरण फल
प्रत्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं जिसमें एक चरण 3 अंश 20 कला का होता है। नवमांश की तरह होता है जिसका मतलब यह है की इससे नौवे भाग का फलीभूत मिलता है सभी चरणों में तीन ग्रहों का प्रभाव होता है जो इस प्रकार है – राशि वृषभ, के स्वामी शुक्र नक्षत्र स्वामी चंद्र, और चरण के स्वामी।
रोहिणी नक्षत्र का प्रथम चरण
इस चरण का स्वामी मंगल है। राशि स्वामी शुक्र और नक्षत्र स्वामी चंद्र है। इस नक्षत्र में शुक्र, चंद्र, और मंगल का प्रभाव होता है।राशि वृषभ 40 अंश 00 कला से 43 अंश 20 कला क्षेत्रफल है। इनक नंवमांश मेष होता है। यह जातक के शारीरिक सुख, आत्मा संबंधी या आत्मा परमात्मा के संबंध में चिन्तन-मनन, भोग का कारक होता है। ऐसा जातक छोटे पेट वाला, नुकीली आँखों वाला, गुस्सा करने वाला, दूसरों को दुख देने वाला तथा दूसरों की संपत्ति को अपना बनाने वाला होता है। ये जातक लालची, कड़वे शब्द बोलने वाले, परन्तु सुंदर रूप वाले और नखरीली नजर वाले होते हैं।
रोहिणी नक्षत्र का द्वितीय चरण
इस चरण का स्वामी शुक्र है। राशि स्वामी शुक्र और नक्षत्र स्वामी चंद्र है। इस नक्षत्र में शुक्र और चंद्र का प्रभाव होता है। राशि वृषभ 43 अंश 20 कला से 46 अंश 40 कला क्षेत्रफल है। नवमांश वृषभ। यह एक विषम स्थिति, यथार्थवाद और पूर्ण परिवर्तन का कारक होता है। इस चरण के जातक बड़ी-बड़ी आँखों वाले, पशुओं की तरह मुख वाले, लंबी और ऊंची नाक वाले, काले और घने बाल वाले, चौड़े कंधे वाले, चौड़ी कमर वाले, गोरे रंग वाले, बुरी आदतों वाले, सोच समझकर बोलने वाले, बीमारियों से ग्रसित परंतु उनका सामना करने वाले होते हैं।
रोहिणी नक्षत्र का तृतीय चरण
इस चरण का स्वामी बुध है। राशि स्वामी शुक्र और नक्षत्र स्वामी चंद्र है। इस नक्षत्र में शुक्र, चंद्र और बुध का प्रभाव होता है। राशि वृषभ 46 अंश 40 कला से 50 अंश 00 कला तक क्षेत्रफल है। नवमांश मिथुन ! यह व्यापार, तैयार करना, लचक, टेड़े होने की क्रिया, कठोरता, धन दौलत का कारक होता है। इस नक्षत्र के जातक स्थिर, अच्छे नयन वाला, मुलायम शरीर, दूसरों को मोहित करने वाला, मधुरभाषी, हसी मज़ाक वाला, गुणवान, अधिक बोलने वाला, सच्चा भक्त, दान करने वाला, गणित में ज्ञानी, समाज में प्रशंसा योग्य, धर्म को मानने वाला और खुशहाल होता है।
रोहिणी नक्षत्र का चतुर्थ चरण
इसका स्वामी चंद्र हैं। राशि स्वामी शुक्र और नक्षत्र स्वामी चंद्र है। इस नक्षत्र में शुक्र चंद्र और चंद्र का प्रभाव होता है। राशि वृषभ 50 अंश 00 कला से 53 अंश 20 कला क्षेत्रफल तक है। नवमांश कर्क ! यह एक भौतिक सुरक्षा, माता पक्ष, स्वामित्व का कारक होता है। जातक माता-पुत्र वाला, स्त्री प्रेमी, पतली और लंबी नाक वाला, बड़े बड़े नेत्रों वाले, लंबे हाथ पैर वाले, अपने बड़ों का चहीता होता है। इस चरण में जन्मे जातक पैसे वाले, दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने वाले, दूसरों के मन को पढ़ने वाले, भविष्यवाणी करने वाला, ज्ञानी, खुशहाल जीवन यापन करने वाले होते हैं।
यवनाचार्य जी कहते हैं कि जातक इस नक्षत्र के प्रथम चरण में भाग्यवान, द्वितीय चरण में दुखदाई, तृतीय चरण में डरा हुआ और चतुर्थ चरण में सच के साथ रहने वाला होता है।
रोहिणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली पत्थर हीरा, ओपल और अमेरिकन डायमंड हैं।
रोहिणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 1, 2, 3 और 9 हैं।
रोहिणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली रंग सफेद, पीला और नीला हैं।
रोहिणी नक्षत्र के लिए भाग्यशाली दिन शनिवार, शुक्रवार और बुधवार हैं।