अक्सर लोगों द्वारा कहा जाता है कि हमें झाड़ू को लांघना नहीं चाहिए। झाड़ू को लात नहीं मारना चाहिए या झाड़ू छुपा कर रखनी चाहिए। झाड़ू घर की लक्ष्मी होती है। इसके पीछे कोई ना कोई तो कारण होगा, तो आज हम झाड़ू और लक्ष्मी के संबंध को बताएंगे जिसमें पहले भाग में हम आपको यह बताएंगे कि इसका पौराणिक कारण क्या है या आम अवधारणाओं के अनुसार झाड़ू क्यों इतनी जरूरी है। इसे किसलिए इतना पवित्र माना गया है? दूसरे भाग में हम आपको यह बताएंगे कि इसका वैज्ञानिक कारण क्या है। और तीसरे भाग में हम यह बताएंगे कि झाड़ू के पीछे का पारा वैज्ञानिक कारण क्या है। यानी कि झाड़ू कैसे हमारे पूरे जीवन को प्रभावित करती है।और अंत में झाड़ू कब खरीदना चाहिए तथा पुरानी झाड़ू कब फेकनी चाहिए वह झाडू से जुड़े हुए कुछ अनुभूत प्रयोग भी बताएंगे जिनसे आप अपने जीवन में सफलता तथा समृद्धि ला सकें। अगर यह बातें आप जानना चाहते हैं तो लेख को अंत तक पढियेगा।
भारत में यदि किसी को चिकन पॉक्स हो जाएं तो लोगों का मानना है कि यह शीतला माता का प्रकोप है। ऐसी स्थिति में आपको घर में सफाई रखनी है नीम के पत्ते की झाड़ू बना कर घर के दरवाजे पर रखने हैं तथा खाने की वस्तुओं में छौंक नहीं लगाना है। घर में साफ़ सफाई का पूरा ध्यान रखना है व शीतला माता की पूजा करनी है। स्कंद पुराण अनुसार देवी शीतला चेचक जैसे रोग की देवी हैं, यह हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाडू) तथा नीम के पत्ते धारण किए होती हैं तथा गर्दभ की सवारी पर अभय मुद्रा में विराजमान हैं। झाड़ू स्वच्छता का प्रतीक है। झाड़ू घर की गंदगी को बाहर करती है अगर आप संक्रमण रोगों से बचना चाहते हैं तो आपको अपने घर में सफाई रखनी होगी।
ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो सुख समृद्धि वैभव तथा धन का देवता ग्रह शुक्र है अर्थात यह सब चीजें शुक्र गृह के शुभ प्रभाव के कारण आती हैं। शुक्र देवता मां लक्ष्मी के अधीन है इसीलिए कहा जाता है कि जहां मां लक्ष्मी जाएंगी वहां स्वच्छता जरूर होनी चाहिए अन्यथा महालक्ष्मी वहां नहीं जाएंगी यानी कि जिस जगह स्वच्छता नहीं होगी वहां शुक्र का प्रभाव भी नहीं होगा। कार्तिक के महीने में पानी में सुगंधित तेल डालकर नहाने से जातक पर लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है। जहां गंदगी होगी वहां शुक्र नहीं रहेगा वहां वैभव नहीं होगा वहां दरिद्रता बनी रहेगी। इसीलिए गंदगी को साफ करने का मूल उपकरण झाड़ू है। गरीब से गरीब परिवार में भी झाड़ू रखने का विधान है और कहा जाता है कि झाड़ू को पैर नहीं लगाना चाहिए क्योंकि झाड़ू को पैर लगाने का मतलब है। लक्ष्मी जी के उपकरण को पैर लगाना। जैसे किताब को हम पैर नहीं लगाते क्योंकि हम यह मानते हैं कि वह मां सरस्वती का उपकरण है ज्ञान वही से तो आता है। इसी तरह झाड़ू को भी पैर लगाना मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है।
झाड़ू के बारे में कुछ बातें प्रचलित हैं जैसे कि झाड़ू को पैर नहीं लगाना चाहिए। आज के समय में हमें फूल झाड़ू मिलती है लेकिन पहले के समय में खजूर के पत्ते से या ताड़ के पत्तों से झाड़ू बनती थी। यह झाड़ू थोड़ी सी कांटेदार होती थी ताकि मिट्टी को ठीक से साफ कर सके। यदि इस तरह की झाड़ू को आप लात मारेंगे तो आपके पैर में कांटा चुभ जाएगा हो सकता है कि कुछ दिन तक आपको परेशानी हो। इसी तरह से यदि आप झाड़ू को लांघते हैं तो भी आपका पैर घायल हो सकता है इसलिए मना किया जाता है कि झाड़ू को लांघना नहीं चाहिए।
दूसरी बात झाड़ू को खड़ा नहीं रखना चाहिए ऐसा क्यों? आज की समय में हो सकता है की आप ₹50 की झाड़ू खरीदने में सक्षम हो। लेकिन पुराने समय में लोग मितव्यई होते थे अर्थात जितनी जरूरत होती थी उतनी ही चीजें इकठ्ठी करते थे। और वस्तुओं को ज्यादा समय तक चलाने की कोशिश करते थे। झाड़ू खड़ी रखने पर जल्दी टूट जाती है। यह पैसे का अपव्यय है। इसलिए मना किया जाता था कि झाड़ू को खड़ी नहीं रखना चाहिए
साथ ही यह भी कहा गया कि रात को कभी झाड़ू नहीं लगानी चाहिए। आज के समय में महिलाओं के गहने बड़े मजबूती से बंधे होते हैं लेकिन पुराने समय में केवल टांगने की व्यवस्था थी। कान या नाक के गहने टंगे जाते थे। इससे क्या होता था कि उसने के गिरने की संभावना बहुत ज्यादा होती थी। जिसमें महिलाओं की लोंग खो जाना आम बात होती थी। पहले आज की तरह बल्ब तो होते नहीं थे रोशनी दीये की होती थी। झाड़ू लगते समय महिला का कान की बाली या नाक की लोंग गिर गई और उसने झाड़ू लगाके कचरा बहार फेक दिया साथ में सोना भी चला गया। उसकी तो लक्ष्मी चली गई ना पैसा चला गया भाई। इसीलिए मना किया जाता है कि झाड़ू शाम के समय या रात के समय नहीं लगानी चाहिए।
कोई व्यक्ति घर से भर किसी काम से जा रहा है घर से जाते समय लोग छोटे मोटे सामान अपने बैग में रख कर ले जाते हैं। कोई सामान बैग से नीचे गिर गया वह चला गया। आपने झाड़ू लगाई और कचरा बाहर फेंक दिया उस कचरे के साथ सामान भी चला गया। अब आप क्या करेंगे? इसीलिए कहा जाता है कि किसी के जाने के बाद झाड़ू नहीं लगानी चाहिए।
कई लोगों का मानना है कि आपको अपनी झाड़ू छत पर नहीं रखनी चाहिए वह चोरी हो सकती है। पुराणी झाड़ू को डिस्ट्रॉय कर देना चाहिए उसे निर्जन स्थान पर गाड़ दे या फिर जला दे। आपने यह सुना होगा कि तंत्र करने वाले या टोना टोटका करने वाले कहते हैं कि उस आदमी के नाखून ले आइए जिस को वश में करना या जिस पर टोटका करना है या उसके कपड़े ले आइए हम उससे टोटका कर देंगे।
हमारे कपड़े हमारे शरीर के साथ चिपके होते हैं और हमारे औरा के अंदर रहते हैं यानी सूक्ष्म शरीर के अंदर होते हैं। हमारे भले ही कपड़े हमारे स्थूल शरीर के ऊपर होते हैं लेकिन वास्तव में यह कपड़े हमारे सूक्ष्म शरीर के अंदर होते हैं। जिससे हमारे कपड़ों पर शरीर का प्रभाव रहता है और यह तब तक बना रहता है जब तक हम इन्हें ठीक से धो ना दिया जाये। एक और उदाहरण से समझिए घोड़े की नाल तभी कामयाब है जब वह घोड़े के पैर में हो यानी जब वह सड़क और घोड़े के पैर के बीच रगड़ नहीं खाती तबतक उसमे कोई चार्ज उत्पन्न नहीं होता। यही चार्ज आपकी बुरी शक्तियों से रक्षा करता है। शनि के प्रभाव को कम करता है। नाव की कील के साथ भी यही होता है वह नाव के आगे लगी हुई कील जब पानी में जाती है तो पानी के घर्षण के कारण उसने चार्ज उत्पन्न होता है। ठीक उसी तरह जैसे आप चुंबक को लोहे पर रख लेंगे तो थोड़े से चुंबक के गुण उस लोहे में भी आ जाते हैं।
वैसे ही आपके घर का भी आभामंडल होता है आप जब अपने घर में झाड़ू लगाते हैं तो हर बार झाड़ू आपके घर को रगड़ती है इस रबड़न के कारण आपके घर के आभामंडल का कुछ भाग झाड़ू के अंदर हमेशा लगा रहता है। आपके घर पर अगर कोई जादू टोना कराना चाहता है तो आपकी टूटी हुई झाड़ू भी उसके लिए वरदान से कम नहीं है। यानी वो आपकी लिए दुखों का रास्ता खुल सकता है। इसीलिए विद्वानजन मना करते हैं कि अपनी झाड़ू को किसी को देनी नहीं चाहिए। झाड़ू को पूरी तरह डिस्ट्रॉय कर देना चाहिए। पानी में बहा देना चाहिए या जमीन में गाड़ देना चाहिए।
झाड़ू खरीदने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन सबसे उत्तम माना जाता है। ऐसा करने से घर की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है घर में संपन्नता आती है।
इतना ही नहीं यदि आप नई झाड़ू खरीदने के सोच रहे हैं तो हमेशा कृष्ण पक्ष में खरीदे क्योंकि शुक्ल पक्ष में खरीदी गयी झाड़ू दुर्भाग्य का प्रतीक माना जाता हैं| इसलिए आप झाड़ू शनिवार, मंगलवार, रविवार या अमावस्या के दिन खरीदे, इन दिनों में झाड़ू खरीदना बेहद शुभ होता हैं| इसलिए ज्यादातर लोग धन तेरस को झाड़ू खरीदते है।
इस दिन फेंके पुरानी झाड़ू को
पुरानी झाड़ू को आप शनिवार, अमावस्या, होलिका दहन के बाद, ग्रहण के बाद अपने घर से निकाल दे| यदि आप इस दिन पुरानी या टूटी झाड़ू को अपने घर से बाहर निकालते हैं तो ऐसा माना जाता हैं कि घर में व्याप्त दरिद्रता और नकारात्मक शक्तियाँ भी आपके घर से चली जाती हैं। इसलिए जब भी आपको लगे कि आपका झाड़ू टूट गया हैं या फिर बहुत पुराना हो गया हैं तो इसे फेंकेने के लिए इन्हीं दिनों का चयन करे, झाड़ू हमेशा ऐसी जगह फेंके जहां कोई उसके ऊपर पैर ना रख सके
लेकिन कभी भी भूल से एकादशी, गुरवार, शुक्रवार और लक्ष्मी पूजन के दिन झाड़ू को अपने घर से ना फेंके| ऐसा माना जाता हैं कि यदि आप इस दिन झाड़ू को आने घर से निकालते हैं तो माता लक्ष्मी भी आपके घर से चली जाती हैं और यदि देवी लक्ष्मी आपसे रूठ कर चली जाएंगी तो फिर आपके घर में दरिद्रता और नकारात्मक शक्तियों का वास होने लगेगा।
झाड़ू के कुछ अनुभूत टोटके
यदि कामों में अड़चन आ रही है काम होते होते रुक जाता है तो मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में जाकर किसी भी मंदिर में तीन झाड़ू का गुप्त दान करें। माँ लक्ष्मी का प्रसन्न करने का यह बहुत ही अच्छा उपाय है।
धनतेरस को जब आप झाड़ू खरीद कर लाए तो उसमें एक सफेद रंग का धागा जरूर बांधे इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहेगी।
जब भी आप किसी नए घर में प्रवेश कर रहे हो तो आपको उस घर के लिए नई झाड़ू लेनी चाहिए इससे भी घर में सुख समृद्धि बनी रहती है।