नमस्कार दोस्तों
महालक्ष्मी की कृपा जिस घर पर होती है वहां पर हर तरह की सुख सुविधाएं रहती है। मां लक्ष्मी के आठ रूप हैं जिन्हें अष्टालक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। लक्ष्मी जिसके घर में होगी उसके घर में धन-धान्य, पुत्र सुख, समृद्धि हर तरह का सुख होगा।
आदि गुरु शंकराचार्य जी द्वारा रचित कनकधारा स्त्रोत जो मां लक्ष्मी की कृपा से अवतरित हुआ था। उसके बारे में जानकारी दी जा रही है “इस स्त्रोत का जाप कैसे कब तथा क्यों करना चाहिए। कैसे इससे आप ज्यादा से ज्यादा लाभ ले सकते हैं। दोस्तों यह स्त्रोत अति दरिद्र परिवार में भी संपन्नता ला सकता है। श्रद्धा द्वारा किया जाये तो यह स्त्रोत मनुष्य के जीवन से दरिद्रता दूर करने में बहुत सहायक है। काम धंधे से जुडी समस्याए हल हो जाती है इसे २१ बार जपने मात्र से।ऐसी मान्यता है कि जो कनकधारा स्तोत्र का जाप या श्रवण करता है, वह जीवन की समस्त बाधाओं से मुक्त हो जाता है और उसके जीवन में संपन्नता आती है।
कनकधारा के फायदे । Kanakdhara Shrot ke fayde
Kanakdhara Shrot ke fayde .
दोस्तों पहले यह जान लेते हैं कि यह मंत्र इस स्त्रोत की उत्पत्ति कैसे हुई। आदि गुरु शंकराचार्य जी सन्यासी थे और एक सन्यासी जब भिक्षा मांगने जाता है तो वह केवल तीन ही दरवाजों पर जा सकता है उन तीन घरों में अगर उसे कुछ नहीं मिला तो वह भोजन नहीं करेगा। यह बात पुराने समय के लोग जानते थे आजकल तो हमें पता ही नहीं चलता कि कौन सन्यासी और कौन भिक्षु है। शंकराचार्य जी एक परिवार में पहुंचे और वहां पर उन्होंने जाकर कुछ खाने के लिए मांगा।उनकी आवाज सुन अंदर से बुढ़िया निकल कर आई और उसने घर में जाकर देखा तो खाने के लिए केवल सूखे आंवले रखे हुए थे। उसने भारी ह्रदय से वह आवला शंकराचार्य जी को देते हुए छमा मांगी और कहा की इसके अलावा घर में आपको देने के लिए कुछ नहीं है। वह जानती थी कि शंकराचार्य जी एक सन्यासी हैं और सन्यासी केवल 3 घरों में ही भोजन मांगने जाता है। अगर नहीं मिला तो वह उस दिन भोजन नहीं करता। उसके मन में विचार चल रहा था कि कहीं यह का तीसरा घर ना हो और वह यह सोच कर बड़ी दुखी हुई। उसकी दरिद्रता व भक्ति भाव देखकर शंकराचार्य को दया आ गई। उन्होंने माता लक्ष्मी का ध्यान किया और उनसे इस बुढ़िया की दरिद्रता दूर करने को कहा। लक्ष्मी ने बताया की पूर्व जन्म के कर्मों के कारण इस जन्म में इस परिवार के पास धन नहीं होगा। तब शंकराचार्य जी ने 21 श्लोकों का स्रोत गाया जिससे मां लक्ष्मी प्रसन्न हुई और वहां पर सोने के आंवलो की वर्षा शुरू कर दी। तब से इस श्लोक को इस स्त्रोत को कनकधारा स्त्रोत के नाम से जाना जाता है।
जैसा कि इस स्त्रोत को कनकधारा स्त्रोत कहा जाता है। कनक का मतलब होता है सोना और धारा का मतलब होता है वर्षा यानी यह स्त्रोत सोने की वर्षा कराने वाला है। आदि गुरु शंकराचार्य में इतना तप था कि उन्होंने केवल एक बार बोला और सोने की वर्षा होने लगी।
परंतु आम मनुष्य के अंदर इतना तप नहीं होता। इसलिए उसे इसको कई बार जपना पड़ता है।
पहला तरीका यदि आपके पास पैसा है तो ब्राम्हण बुलाकर कनकधारा का अनुष्ठान कराएं इक्यावन हजार या सवा लाख जाप कराएं यह बहुत लाभकारी होता है। मेरे एक मित्र है वो हर साल अनुष्ठान करते हैं। उनको इसका लाभ भी है।
दूसरा तरीका आप स्वम इसका जाप कर सकते हैं।
हम आम लोग कैसे कर सकते हैं इसके लिए विद्वानों ने इसकी विधि बताई है
इसका नियमित जप बहुत लाभकारी होता है
सुबह या शाम जब आपके पास समय हो आप इसका जप कर सकते है।
आप को स्वच्छ आसन पर बैठ जाना है
सफेद वस्त्र धारण करने यदि आप कर सकते हैं तो
लक्ष्मी व विष्णु भगवन की फोटो रख लेनी है। कनकधारा यंत्र मिल जाये तो बहुत लाभकारी होता है इस यन्त्र के सामने बैठ जाप करने से फल १०० गुना हो जाता है। यह यंत्र आपको बाज़ार में मिल जायेगा।
घी का दिया जरूर जलाना है साथ ही थोड़ा सा इतर भी अपने पास पूजा के लिए रखना है। थोड़ा सा इत्र पूजा से पहले माता को अर्पित करना है।
पुष्प यदि व्यवस्था हो तो ठीक है
प्रशाद में सफेद वास्तु रखनी है।
धूप इत्यादि जलाकर इस स्त्रोत का पाठ करना है।
आप किसी और अनुष्ठान को कर रहे हैं अर्थात सुबह के समय किसी और देवता की पूजा को करते हैं और शाम के समय भी व्यस्तता होने के कारण इसे नहीं कर पा रहे हैं। तो ऐसे में इस स्त्रोत का उपरोक्त बताई गई विधि से शुक्रवार की रात को 9:00 बजे से लेकर 11:00 बजे तक के बीच में 5 या 7 बार जाप करना भी पर्याप्त माना जाता है। यह समय माँ लक्समी की पूजा के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
इस स्त्रोत का लाभ लेने के लिए एक और तरीका है। कहा जाता है कि इस स्त्रोत को सुनने से भी यह प्रभावी होता है। इसके लिए आप इसे इंटरनेट से डाउनलोड करके सुबह व शाम के समय सुन सकते हैं। घर में महिलाएं अपने कार्यों में व्यस्त होती है तो उसे स्थिति में इसको या तो मोबाइल पर लगाकर या फिर किसी सिस्टम के साथ जोड़कर सुने तो इसका लाभ पूरे परिवार को मिलता है। क्योंकि इस स्त्रोत के जाप से आपके घर में दरिद्रता दूर भागती है तो इसीलिए इस स्त्रोत को मध्यम आवाज में बजाना चाहिए। कम से कम इसे दो तीन बार तो सुनना ही चाहिए। आप पाएंगे कुछ ही दिनों में आपको इसका रिजल्ट भी मिलने लगेगा।