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Karja, कर्ज चुकाने में असमर्थता के कुछ मुख्य कारण

Karja, कर्ज चुकाने में असमर्थता के कुछ मुख्य कारण, Debt,

आजकल कर्ज लेना एक आम बात हो गई है। घर , शिक्षा, विवाह या वाहन खरीदने से लेकर छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने तक, लोग कर्ज लेते हैं। लेकिन कई बार लोग कर्ज चुका नहीं पाते हैं, जिसके कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ तो कर्जा दे देते है तो वह वापस नहीं आता यानि पैसा डूब जाता है। हम यहां कर्जा न चुकाने व दिया कर्जा न आने के ज्योतिषीय कारणों पर चर्चा करेंगे। कर्जा लेना बुरा नहीं है। कर्जा लेकर बहुत लोग बड़े भी बनते है। ऐसे कौनसे ग्रह है जो लोगों को कर्जा लेकर अमीर बनाते हैं। और किन ग्रहों के कारण कर्जा लेकर बर्बाद हो जाते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह को कर्ज का कारक ग्रह माना जाता है। एक आम अवधारणा के अनुसार मंगलवार को कर्ज लेना निषेध माना गया है, वहीं बुधवार को कर्ज देना अशुभ है क्योंकि बुधवार को दिया गया कर्ज कभी नही मिलता।

कर्ज चुकाने में असमर्थता के कुछ मुख्य कारण:

कई लोग अपनी आय और खर्च का हिसाब रखे बिना कर्ज ले लेते हैं।
वे कर्ज की ब्याज दरों और लौटाने की अवधि पर ध्यान नहीं देते हैं।
वे आपातकालीन निधि के लिए बचत नहीं करते हैं, जिसके कारण उन्हें कर्ज चुकाने में मुश्किल होती है।
कई लोग अपनी आय से अधिक खर्च करते हैं।
वे अपनी जरूरतों और इच्छाओं के बीच अंतर नहीं समझ पाते हैं।
वे अनावश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर पैसा खर्च करते हैं, जिसके कारण उन्हें कर्ज लेना पड़ता है।
यदि किसी व्यक्ति की नौकरी चली जाती है, तो उसे कर्ज चुकाने में मुश्किल हो सकती है।
कई बार लोग अपनी नौकरी बदलते हैं, जिसके कारण उनकी आय कम हो सकती है और उन्हें कर्ज चुकाने में मुश्किल हो सकती है।
यदि किसी व्यक्ति या उसके परिवार के किसी सदस्य को गंभीर बीमारी होती है, तो उसे इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ सकता है।
चिकित्सा खर्च बहुत अधिक हो सकते हैं, जिसके कारण व्यक्ति कर्ज चुकाने में असमर्थ हो सकता है।
बाढ़, भूकंप, और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएं व्यक्ति की संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इस नुकसान को पूरा करने के लिए व्यक्ति को कर्ज लेना पड़ सकता है, जिसके कारण उसे कर्ज चुकाने में मुश्किल हो सकती है

कर्जे के लिए मुख्यतः मंगल को कारण माना जाता है क्योकि यह कुंडली के छठे घर का कारक है। जन्म कुंडली के छठे भाव से रोग, ऋण, शत्रु, ननिहाल पक्ष, दुर्घटना का अध्ययन किया जाता है l ऋणग्रस्तता के लिए इस भाव के आलावा दूसरा भाव जो धन का है, दशम-भाव जो कर्म व रोजगार का है, एकादश भाव जो आय का है एवं द्वादश भाव जो व्यय भाव है, का भी अध्ययन किया जाता है| जिस ग्रह का छठे भाव से सम्बन्ध हो जाता है वह कर्जा देता ही है।
इसलिए सभी ग्रह कर्जे का कारण बन सकते हैं। हाँ ग्रह अपने स्वाभाव और कारकत्व के अनुसार अलग -अलग तरीके से कर्जा दिला सकते हैं। जैसे सूर्य व चंद्र सरकार या बड़ी कंपनी से कर्जा दिलाते है मंगल व शनि भूमि या कोमर्सिअल वाहन के लिए कर्जा दिलाते हैं। बुध व गुरु शिक्षा या बिज़नेस लोन दिला सकते हैं। राहु केतु फिजूल के काम जैसे जुआ, सट्टा या किसी पोंजी स्कीम में लगाने के लिए कर्जा दिला सकते हैं। इसी तरह शुक्र वाहन या लक्ज़री वस्तुओं के लिए कर्जा दिला सकता है।

यदि कर्जा नहीं उतर रहा है तो उपाय करने से पहले हमें ये समझना चाहिए की ये कर्जा किस ग्रह के कारण है। हम कर्जे के प्रकार और कर्जा लेने के रीजन से समझ सकते हैं की किस ग्रह या कुंडली के किस भाव के कारण यह कर्जा है। यदि बीमारी पता चल गई तो इंटरनेट पर उपायों की भरमार है। जो ग्रह प्रॉब्लम दे रहा है उसका उपाय करें समस्या का समाधान आसानी से हो जायेगा।

ज्योतिष में, कई ग्रह हैं जो कर्ज से जुड़े होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

ज्योतिष में, सूर्य ग्रह को आत्मा, सम्मान, प्रतिष्ठा, नेतृत्व, और पिता का कारक माना जाता है। जब सूर्य ग्रह कमजोर होता है, तो व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें ऋण भी शामिल है।
सूर्य किस-किस से ऋण दिलाता है:
सरकारी संस्थान, बैंक, व पिता तुल्य व्यक्ति या अपने से बड़े ओहदे वाले व्यक्ति से ऋण लेना सूर्य से सम्बंधित है। यदि आपपर सूर्य की दशा है तो भी ज्यादातर देखा गया है की इन्ही लोगों या संस्थानों से लोग ऋण लेते हैं। यदि सूर्य उत्तम है तो व्यक्ति ऋण चूका देता है पर सूर्य ख़राब है तो चुकाना मुश्किल हो जाता है। इसके कुछ और लक्षण भी है की सूर्य ही ऋण का कारक है।
आत्मविश्वास की कमी: सूर्य ग्रह आत्मविश्वास का कारक माना जाता है। यदि सूर्य ग्रह कमजोर होता है, तो व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो सकती है, जिसके कारण वह ऋण चुकाने में असमर्थ हो सकता है।
अनुशासनहीनता: सूर्य ग्रह अनुशासन का कारक माना जाता है। यदि सूर्य ग्रह कमजोर होता है, तो व्यक्ति अनुशासनहीन हो सकता है, जिसके कारण वह ऋण चुकाने में असमर्थ हो सकता है।
खराब निर्णय लेने की क्षमता: सूर्य ग्रह निर्णय लेने की क्षमता का कारक माना जाता है। यदि सूर्य ग्रह कमजोर होता है, तो व्यक्ति खराब निर्णय ले सकता है, जिसके कारण वह ऋण चुकाने में असमर्थ हो सकता है।
यदि आप सूर्य ग्रह के कारण ऋण से परेशान हैं, तो आप निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:
सूर्य ग्रह को मजबूत करने के लिए उपाय करें: सूर्य को नियमित जल देते समय उसमे साबुत लाल मिर्च, और गुड़हल के फूल डाल दे।
आप सूर्य ग्रह को मजबूत करने के लिए मंत्र जप, यज्ञ, दान, और रत्न धारण जैसे उपाय कर सकते हैं।
अपनी आत्मविश्वास और अनुशासन में सुधार करें: आपको अपने आत्मविश्वास और अनुशासन में सुधार करने के लिए प्रयास करना चाहिए।
अपने खर्चों पर नियंत्रण रखें: आपको अपने खर्चों पर नियंत्रण रखना चाहिए और अनावश्यक खर्चों से बचना चाहिए।
अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रयास करें: आपको अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए ताकि आप ऋण चुका सकें।

ज्योतिष में चंद्र ग्रह और ऋण:

चंद्रमा ज्योतिष में मन, भावनाएं, मां, और कॅश मतलब चल सम्पति यानि धन का कारक ग्रह है। ऋण लेने और चुकाने की क्षमता पर चंद्रमा का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। कुंडली का चौथा भाव चंद्र के प्रभाव में आता है। इसलिए माता, मातृत्व, भौतिक सुख-सुविधाएं, वाहन, और घर, शिक्षा, ज्ञान, और बुद्धि का कारक यह भाव होता है। इसी भाव से मानसिक शांति आत्मविश्वास, और भावनाओं देखी जाती है।
चंद्रमा मन का कारक ग्रह है: यदि चंद्रमा कमजोर होता है, तो व्यक्ति का मन अस्थिर हो सकता है, जिसके कारण वह गलत वित्तीय निर्णय ले सकता है। ऐसे में नकारात्मक चंद्र के कारण ऋण की आवश्यकता न होने पर भी व्यक्ति ऋण ले लेता है और चूका नहीं पाता। व्यक्ति भावनाओं में बहकर अनावश्यक खर्च कर सकता है। यदि चंद्रमा कमजोर होता है, तो व्यक्ति की आय कम हो सकती है, जिसके कारण वह ऋण चुकाने में असमर्थ हो सकता है।

चौथा भाव का सम्बन्ध चंद्र से है इसलिए चंद्र कमजोर होने पर व्यक्ति घर, वाहन और शिक्षा सम्बन्धी कर्जा चूका नहीं पाता। जब इस भाव में अशुभ ग्रह होते हैं या कमजोर ग्रह होते हैं, तो व्यक्ति को कर्ज लेने की संभावना बढ़ जाती है। चंद्रमा चौथे भाव का कारक ग्रह है। यदि चंद्रमा कमजोर या अशुभ होता है, तो व्यक्ति को कर्ज लेने की संभावना बढ़ जाती है।

उपाय:
चंद्रमा को मजबूत करने के लिए उपाय करें।
अपनी वित्तीय योजना बनाएं और खर्चों पर नियंत्रण रखें।
ऋण चुकाने के लिए नियमित रूप से बचत करें।
ज्योतिषी से सलाह लें और ऋण चुकाने के लिए उपाय करें।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ज्योतिष केवल एक मार्गदर्शन है। ऋण लेने और चुकाने के लिए आपको अपनी वित्तीय स्थिति और योजना पर भी ध्यान देना होगा।

ज्योतिष में ऋण का मंगल ग्रह और छठा भाव का सम्बन्ध

मंगल ग्रह ज्योतिष में साहस, ऊर्जा, पराक्रम, और भाई का कारक ग्रह है। ऋण लेने और चुकाने की क्षमता पर मंगल ग्रह का भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

मंगल ग्रह भाई का कारक ग्रह है वह भाई से ऋण दिलाता है। मंगल ग्रह सेना और पुलिस का कारक ग्रह है। इसकी दशा में व्यक्ति को सरकारी संस्थानों से ऋण मिल सकता है। किसी साहूकार या दबंग आदमी से ऋण मंगल की दशा में आसानी से मिल जाता है। वैसे तो मंगल छठे भाव का कारक है इसलिए किसी भी तरह का ऋण मंगल दे देखा जा सकता है।
छठा भाव रोग, ऋण, दुश्मन और सेवा का भाव कहा जाता है। यह भाव ऋण, कर्ज, और आर्थिक दायित्वों का कारक है। कुंडली का छठा भाव कर्ज से सीधे तौर पर जुड़ा होता है। जब इस भाव में अशुभ ग्रह होते हैं, तो व्यक्ति को कर्ज लेने की संभावना बढ़ जाती है।
छठा भाव स्वास्थ्य का कारक भी है, यदि व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याओं के कारण ऋण लेना पड़े तो इसमें छठा भाव शामिल हो सकता है और यदि ओप्रशन के लिए ऋण लेना है तो इसमें मंगल या केतु का उपाय करने की जरुरत है।
छठा भाव कानूनी मामलों का कारक भी है यदि कानूनी मामलों के कारण ऋण लेना पड़े तो इसमें छठा भाव शामिल हो सकता है। साथ ही सूर्य और मंगल का उपाय करने की आवश्यकता है।
क़ज़ा चुकाना भी मंगल से ही देखा जाता है, मंगल ऊर्जा है। यदि मंगल ग्रह कमजोर होता है, तो व्यक्ति कड़ी मेहनत नहीं कर पाता है। वह जोखिम लेने से डरता है, उसमें पराक्रम की कमी हो सकती है। जिसके कारण और ऋण चुकाने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठा पाता है।

उपाय:

मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए उपाय करें।

ज्योतिष में बुध ग्रह और ऋण:

बुध ग्रह ज्योतिष में बुद्धि, वाणी, शिक्षा, और व्यापार का कारक ग्रह है। बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ऋण बुध की दशा में आसानी से मिल जाता है। व्यापारियों से ऋण मिल सकता है, मित्रों और रिश्तेदारों से ऋण मिल सकता है।

यदि बुध ग्रह कमजोर होता है, तो व्यक्ति गलत वित्तीय निर्णय ले सकता है, व्यक्ति शिक्षा में कमजोर हो सकता है, जिसके कारण उसे अच्छी नौकरी नहीं मिल सकती है। व्यक्ति का व्यापार घाटे में चल सकता है, जिसके कारण वह ऋण चुकाने में असमर्थ हो सकता है।

ज्योतिष में गुरु ग्रह और ऋण:

गुरु ग्रह ज्योतिष में ज्ञान, भाग्य, और धर्म का कारक ग्रह है। परोपकारी लोगों से, गुरु तुल्य लोगों से, बैंक और वित्तीय संस्थान से जिसमे ब्याज काम हो, प्राइवेट बैंकिंग संस्थान से गुरु की दशा में ऋण मिलने की ज्यादा सम्भावना रहती है।
गुरु ग्रह भाग्य का कारक ग्रह है। यदि गुरु ग्रह कमजोर होता है, तो व्यक्ति के भाग्य में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिसके कारण वह ऋण चुकाने में असमर्थ हो सकता है। व्यक्ति अधार्मिक कार्य कर सकता है, जिसके कारण उसे दंड मिल सकता है और वह ऋण चुकाने में असमर्थ हो सकता है।

शुक्र ग्रह ऋण किससे दिलाता है:

शुक्र ग्रह सुख और समृद्धि का कारक ग्रह है। यदि शुक्र ग्रह के कारण व्यक्ति को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से, परिवार और मित्रो से व्यावसायिक संस्थानों से ऋण मिल सकता है।
शुक्र और चौथा घर जैसा मैंने पहले कहा, वाहन, लक्सेरी वस्तुए, घूमने फिरने के लिए लिया गया लोन ये सभी शुक्र के कारण मिलता है। यदि इन सब वस्तुं पर लोन लिया है और चूका न पा रहे हों तो शुक्र के उपाय करने से कुछ फायदा होता है।

ज्योतिष में शनि ग्रह और ऋण:

शनि ग्रह ज्योतिष में कर्म, न्याय, और अनुशासन का कारक ग्रह है। शनि अधिक ब्याज वाली वित्तीय संस्थान से कर्जा दिलाता है। शनि की दशा में कर्जा जरुरत से जायदा मिल जाये तो ध्यान रखें है की की उसे उतरने में परेशानी होती हैं। ऋण लेने और चुकाने की क्षमता पर शनि ग्रह का भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति को कर्जा चुकाने में बड़ी परेशानी होती हैं। कुंडली के आठवें भाव का कारक मंगल के साथ शनि भी होता है। यह भाव अज्ञात, रहस्य, और परिवर्तन से भी जुड़ा हुआ है। आठवें भाव में मजबूत ग्रह ऋण चुकाने की क्षमता को दर्शाते हैं, जबकि कमजोर ग्रह ऋण चुकाने में कठिनाई का संकेत देते हैं।

राहु और केतु: राहु ग्रह को भ्रम, धोखा और अनिश्चितता और केतु ग्रह को मोह, त्याग और आध्यात्मिकता, का कारक माना जाता है। राहु के कारण गलत निर्णय लेने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे कर्ज हो सकता है। और केतु अनावश्यक खर्च करने की संभावना को बढ़ा देता है जिससे कर्ज चुकाने में दिक्कत होती है। साथ ही द्वादश भाव भी इसका कारण है। इस भाव को व्यय, हानि और विदेश का भाव माना जाता है। जब इस भाव में अशुभ ग्रह होते हैं, तो व्यक्ति को कर्ज चुकाने में मुश्किल हो सकती है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कर्ज केवल ग्रहों और योगों के कारण नहीं होता है। व्यक्ति की आर्थिक आदतें, खर्च करने की प्रवृत्ति और जीवनशैली भी कर्ज में योगदान करती हैं।
कर्ज से बचने के लिए कुछ उपाय:

अपनी आय और खर्च का हिसाब रखें।
अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण रखें।
बचत करें और आपातकालीन निधि बनाएं।
कर्ज लेने से पहले सोच समझें।
ज्योतिषी से सलाह लें और कर्ज से बचने के लिए उपाय करें।

कर्ज और वार का संबंध
सोमवार की अधिष्ठाता देवी पार्वती हैं। यह चर संज्ञक और शुभ वार है। इस वार को किसी भी प्रकार का कर्ज लेने-देने में हानि नहीं होती है।
मंगलवार के देवता कार्तिकेय हैं। यह उग्र एवं क्रूर वार है। इस वार को कर्ज लेना शास्त्रों में निषेध बताया गया है। इस दिन कर्ज लेने के बजाए पुराना कर्ज हो तो चुका देना चाहिए।
बुधवार के देवता विष्णुहैं। यह मिश्र संज्ञक शुभ वार है, मगर ज्योतिष की भाषा में इसे नपुंसक वार माना गया है। यह गणेशजी का वार है। इस दिन कर्ज देने से बचना चाहिए।
गुरुवार के देवता ब्रह्माहैं। यह लघु संज्ञक शुभ वार है। गुरुवार को किसी को भी कर्ज नहीं देना चाहिए, लेकिन इस दिन कर्ज लेने से कर्ज जल्दी उतरता है।
शुक्रवार के देवता इन्द्र हैं। यह मृदु संज्ञक और सौम्य वार है। कर्ज लेने-देने दोनों दृष्टि से अच्छा वार है।
शनिवार के देवता काल हैं। यह दारुण संज्ञक क्रूर वार है। स्थिर कार्य करने के लिए ठीक है, परंतु कर्ज लेन-देने के लिए ठीक नहीं है। कर्ज विलंब से चुकता है।
रविवार के देवता शिव हैं। यह स्थिर संज्ञक और क्रूर वार है। रविवार को न तो कर्ज दें और न ही कर्ज लें।
कर्ज के पिंड से छुटकारा नहीं हो रहा हो तो प्रत्येक बुधवार को गणेशजी के सम्मुख तीन बार ‘ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र’ का पाठ करें और यथाशक्ति पूजन करें।

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