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mantra aur strot

नमस्कार दोस्तों कई बार लोग मुझसे यह सवाल पूछते हैं कि स्त्रोत और मंत्र में क्या अंतर होता है। दरअसल सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि इसके पीछे की साइंस क्या है जैसा कि मैं अपने एक वीडियो मंत्र यंत्र तंत्र में और मंत्रों के प्रभाव में यह बता चुका हूं कि मंत्र कैसे असर डालते हैं।आप चाहे तो जाकर वह वीडियो देख सकते हैं।

उस वीडियो में बताया गया है कि 2 तरह के मंत्र होते हैं जिन्हें कूट मंत्र और अकुट मंत्र कहा जाता है कूट मंत्र वह मंत्र होते हैं जिनमें कठिन शब्दों का समागम होता है। साथ ही आम इंसान के लिए उनका कोई मतलब नहीं होता जैसे क्लीं, ह्रीं या श्रीं जिन्हें हम ज्यादातर तांत्रिक मंत्र बोल देते हैं। हमें शनि का जाप करना है तो ओम प्राम प्रीम प्रौम स शनिश्चराय नमः या गुरु का जाप करना है तो ओम भ्रम भ्रम भ्रम सर गुरुवे नमः का जाप करते हैं। भ्रम भ्रम भ्रम या प्राम प्रीम प्रौम कूट मंत्र है जिनका बहुत जबरदस्त असर होता है क्योंकि इनसे जो ध्वनियाँ निकलती है वह high-frequency क्रिएट करती है। हो हमरे मस्तिष्क व आसपास के वातावरण को प्रभावित करते हैं। जिनके प्रभाव बहुत जल्दी दिख भी जाते हैं।

दूसरी तरह के मंत्र जिन्हें हम अकूट मंत्र कहते हैं जैसे ओम नमः शिवाय यह सॉफ्ट होते हैं आम इंसान के दिमाग को समझाते हैं उसके कॉन्शियस माइंड को भी आसानी से समझ में आ जाते हैं। ये मंत्र सॉफ्ट होते हैं लो फ्रीक्वेंसी पर होते हैं और इनके असर में थोड़ा समय तो लगता है लेकिन इनका असर स्थाई और लंबा होता है। परंतु यह इतना समय देते हैं कि कई बार आदमी का धैर्य टूट जाता है। हमारे एक वीडियो है गायत्री मंत्र पर बनाए गए हैं उस वीडियो को देखने के बाद अक्सर लोगों को यह शिकायत रहती है कि हमने मंत्र का जाप करते हैं परंतु सिद्ध नहीं होता या कोई असर नहीं दिखाई देता। वैसे हमने एक वीडियो इसके लिए भी बनाई हुई है आप चाहे तो उसे भी जाकर देख सकते हैं कि कोई भी मंत्र क्यों नहीं काम करता है। पर मैं आपको बता देता हूं कि ज्यादातर मंत्रों को सिद्ध होने में समय लगता है क्योंकि उनकी फ्रीक्वेंसी बहुत कम होती है और उसको सबकॉन्शियस माइंड को ग्रहण करने में समय लगता है।

वैदिक काल के जितने भी मंत्र होते हैं आपने सुना होगा कि उनको जाप करने के लिए बहुत ज्यादा बार बताया जाता है जैसे कि आप गायत्री मंत्र का जाप करें तो कम से कम 40 लाख बार करें, महामृत्युंजय का जाप करें तो सवा करोड़ करें, जबकि आप ग्रहों का उपाय करेंगे तो कुछ हज़ार मंत्र ही जपने पड़ते हैं। इसे उदाहरण समझते हैं। आप पर शनि की दशा है, आपको शनि का उपाय मंत्र करना है अगर आप पुराना शनि मंत्र ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌। इस मंत्र का जाप करेंगे तो यह बहुत समय लेगा और इसके जाप भी सवा लाख करने पड़ेंगे तब यह असर करता है। जबकि ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः मंत्र केवल 23 हजार बार जाप करना है। और उसका असर भी आपको दिखता है। परंतु इस मंत्रों का असर अस्थाई है और कुछ समय बाद समाप्त हो जायेगा। परन्तु वैदिक मंत्र का असर स्थाई होता है।

इसी तरह स्त्रोत भी खास होती है स्त्रोत का सीधा सीधा सा मतलब है स्तुति करना। जैसे जब शिव तांडव स्त्रोत, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, श्री राम रक्षा स्त्रोत, महिषासुर मर्दिनी स्त्रोत स्त्रोत में देवता की प्रशंसा की जाती है। आप इसे ऐसे समझ में कि आप किसी के पास गए और उसकी प्रशंसा की। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति खुश हो जाता है। उसका व्यवहार आपके प्रति विशेष हो जाता है। ठीक इसी तरह से इन देवताओं को खुश करने के लिए उनकी स्तुति की जाती है जिसे स्त्रोत का नाम दिया गया। जैसे आप मंत्र को मंत्र को बोलते समय आप तीनों तरीकों से कर सकते हैं उस तरह से आप स्त्रोत नहीं कर सकते। स्त्रोत करने के लिए आपको बोलना ही पड़ेगा ना आप मंत्र मन में जप सकते हैं परंतु स्त्रोत तो आपको बोलकर ही करना पड़ेगा क्योंकि उसका प्रभाव तभी दिखता है। किसी भी तरह का पाठ हो आप उसे बोलकर करेंगे तो उसका प्रभाव अच्छा होता है।

वैज्ञानिकों ने देखा कि जब आप मंत्र का जाप करते हैं खासतौर पर तब जब आप उसे अपने मन ही मन में जाप करें तो आपका भी दिमाग अल्फा स्टेट में चला जाता है। जिसके कारण उत्पन्न होने वाले तरंगे आपके आसपास के नेगेटिव प्रभाव को समाप्त कर देती हैं। इसके विपरीत जब आप स्त्रोत बोल बोलकर करते हैं तो आपका दिमाग बीटा या गामा तरंगे छोड़ता है जिसके कारण आप में उच्च कार्य क्षमता बनती है। शरीर में शक्ति का संचार होता है जैसे एक छोटा सा एग्जांपल से समझते हैं कि यदि आपको डिप्रेशन है और आप खुद को अकेला या कमजोर महसूस कर रहे हैं तो उस स्थिति में आप शिव तांडव स्त्रोत का पाठ शुरू कर दीजिए। कुछ ही देर में आप ऊर्जा से भर जायेंगे। आपने अक्सर सुना होगा कि जब डर लगे तो हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए डर भाग जायेगा।
आपने महसूस किया होगा कि जब आप मंत्रों का जाप करते हैं तो आपको नींद आती है जबकि स्त्रोत के पाठ में नींद उड़ जाती है। दरअसल उर्जा दोनों से ही प्राप्त होती है। ग्रहों के प्रभाव के अनुसार लोगों का स्वाभाव, आदतें व व्यव्हार अलग अलग होता है। एक सुखी जीवन जीने के लिए लाइफ में बैलेंस होना चाहिए। जब किसी की कोई तत्व काम या ज्यादा होता है तो उसकी बरपाई करने के लिए उपाय बताये जाते हैं। जिनमे मंत्र या स्त्रोत भी शामिल हैं।

ज्यादातर समस्याएं मानसिक होती हैं क्योंकि ग्रहों के ज्यादातर प्रभाव आपके मन और मस्तिष्क पर ही पढ़ते हैं। जैसे राहु के कारण, हमें भ्रमित होने की समस्या होती है। चाहे कोई शारीरिक बीमारी ही क्यों ना हो लेकिन एक भ्रम बना रहता है। डॉक्टर इलाज किसी और बीमारी का इलाज कर रहा होता है बीमारी कोई और होती है। यह राहु का खास लक्षण है इसी तरह जब मंगल खराब होता है तो गुस्सा बहुत ज्यादा आता है चंद्र के खराब होने पर मानसिक रूप से अस्थिरता आ जाती है सूर्य के खराब होने से आत्म बल कमजोर हो जाता है बुध के खराब होने से बोलने में तकलीफ होने लगती है मतलब वाणी सम्बंधित दोष उत्पन्न होता है। इस तरह की बहुत सारी समस्याएं जो ग्रहों द्वारा जनित होती हैं। परंतु जिस तरह से अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग दवाएं दी जाती हैं उसी तरह अलग-अलग तरह की समस्याओं के लिए अलग-अलग स्रोत और अलग-अलग मंत्र बताए गए हैं। हमेशा समस्या के अनुसार ही आप मंत्रों का जाप करें और अगर बेहतर हो तो वैदिक मंत्रों का जाप करें या फिर चोट पढ़ें स्त्रोत पढ़ें। तांत्रिक मंत्र तब इस्तेमाल करना चाहिए जब समस्या थोड़े समय की हो। इसीलिए मंत्रों का जाप करने से पहले या कोई भी उपाय करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह कर ले।

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