नमस्कार दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं हिंदू मान्यताओं के अनुसार सावन महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन नागों की पूजा की जाती है लेकिन आप यह जानते होंगे कि आज के दिन नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है तो इसके पीछे सबसे प्रमुख कथा है। महाभारत में राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए एक अनुष्ठान किया। क्योंकि राजा परीक्षित की मृत्यु सांप के काटने से हुई थी इसलिए जन्मजेय ने यज्ञ के द्वारा सभी सांपों को नष्ट करने का निश्चय किया।सांपों के राजा तक्षक ने महाराजा परीक्षित को काट लिया था। जिसके कारण उनकी मृत्यु हुई। जन्म जाए ने निश्चय किया कि वह दुनिया के समस्त सांपों को समाप्त कर देगा। इस मंशा से उसने सर्प यज्ञ प्रारंभ किया जिससे दुनिया के सारे सांप खींचकर उस यज्ञ की तरफ आने लगे और मृत्यु को प्राप्त होने लगे। तक्षक भागकर पाताल लोक में जाकर छुप गया परंतु यज्ञ के मंत्रों की इतनी शक्ति थी कि वह भी पाताल लोक से धरती लोग की ओर खिंचा चला रहा था। तब उसने इंद्र से सहायता मांगी इंद्र ने भी यज्ञ स्थल पर तक्षक के साथ जाने का निश्चय किया परंतु तक्षक डरा हुआ था। तब उसने सांपों की देवी मनसा देवी की से प्रार्थना की। मनसा देवी ने अपने पुत्र अष्टिका को जन्मदिन को मनाने के लिए भेजा अष्टिका ने जनमेजय से विनती की जिसे जनमेजय ने मान लिया और इस तरह से समस्त सांपों की जान बच पाई। मनसा देवी ने उसके मन की मुराद को पूरा किया और उसे बचा लिया। उसी दिन से नाग पंचमी मनाई जाने लगी।
मनसा देवी द्वारा यह यज्ञ जरूर रोक दिया गया था परंतु जनमजेय के मन में सांपों के प्रति द्वेष उसी प्रकार था। उसके बाद जनमजेय ने दूसरे तरीके से सांपों के को मारने के बारे में सोचा और उन्हें दूध पिलाना शुरू किया। बहुत सारे लोग जो आज भी सांप को दूध पिलाते हैं वह उन्हीं ऋषियों द्वारा बताई गई बात का अनुसरण करते हैं। वह आज भी उसी यज्ञ का हिस्सा बनते हैं। परंतु कालांतर में इसे धर्म और श्रद्धा के साथ जोड़ दिया गया और कहा गया कि सांप को दूध पिलाने से आपको पुण्य मिलेगा। सच बात तो यह है कि यदि आप सांप को दूध पिलाते हैं तो सांप मर जाता है क्योंकि सांप एक सरीसृप वर्ग का प्राणी है और मनुष्य स्तनधारी है सांप छिपकली मगरमच्छ यह लोग दूध ज्यादा मात्रा में बचा नहीं सकते क्योंकि यह सब अंडे देने वाले जीव हैं। अक्सर आपने सुना होगा कि यदि छिपकली दूध में गिर गई तो वह मर जाती है क्योंकि थोड़ा भी दूध पीने पर उसकी मृत्यु हो सकती है। जनमजेय के द्वारा किए गए यज्ञ को आज भी कई लोग नागपंचमी के रूप में मनाते हैं। और साँपों को दूध पिलाकर उनका नाश करते हैं।
मुस्लिम आक्रमण के कारण हिन्दू धर्म में बहुत बदलाव हुए। जैसे उनके मजहब में धर्म पर कोई सवाल नहीं किया जा सकता उसी तरह हिंदुओं में भी धर्म पर सवाल ना पूछने का सिद्धांत बना दिया गया। जिसके कारण धर्म में बहुत सारी कुरीतियों ने जगह बना ली परंतु हिंदू धर्म की यही सबसे बड़ी विशेषता है कि वह समय के अनुसार खुद को बदल सकता है जैसे सती प्रथा समाप्त हो गई, विधवा विवाह प्रारंभ हो गए। छुआछूत की समस्या कुछ हद तक सुलझ गई है। आने वाले कुछ समय में यह बिल्कुल समाप्त हो जाएगी। जो लोग इस बारे में जानते थे उन्होंने आगे बातें करना बंद कर दिया। तथा इसको धर्म और श्रद्धा के साथ जोड़ दिया गया।
नाग पंचमी के दिन एक विशेष मुहूर्त बनता है जिसमें ध्यानी लोग ध्यान करते हैं। और ऐसा कहा जाता है कि मुहूर्त का एक विशेष प्रभाव पड़ता है हमने इस पर एक वीडियो पहले भी बनाई है आप चाहे तो उसे जाकर देख सकते हैं उसका लिंक डिस्क्रिप्शन में आपको मिल जाएगा जिससे आपको यह पता चल जाएगा कि ब्रह्म मुहूर्त या मुहूर्त का क्या प्रभाव होता है। इसी तरह नाग पंचमी के दिन जब आप ध्यान करते हैं या पूजा करते हैं तो उसका प्रभाव कई गुना हो जाता है कई लोग उस दिन मनसा देवी की पूजा करते हैं मनसा देवी की पूजा इसलिए क्योंकि उनको मन की इच्छाओं को पूरा करने वाली देवी कहा गया है। इसीलिए लोग मनसा देवी की पूजा करते हैं। सांप को कुंडलिनी का प्रतीक माना गया है इसीलिए ध्यानी लोग इस विशेष दिन को विशेष मुहूर्त पर ध्यान करते हैं जिससे उन्हें बहुत लाभ होता है। इस दिन सांप के कटे का मंत्र सिद्ध किया जाता है। जो लोग मंत्रों के बारे में जानते हैं वह बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि एक शाबर मंत्र होता है जिसमें जब सांप काट लेता है तो उस मंत्र का प्रयोग करके सांप के जहर को उतार दिया जाता है और उसमें भी अंत में जनमजेय की दुहाई दी जाती है।
यदि आप मनसा देवी की पूजा करते हैं तो जान लीजिए कि मनसा देवी कौन थी मनसा देवी कश्यप ऋषि की पुत्री थी। उन्होंने भगवान शंकर का कठोर तप कर वेदों का ज्ञान ग्रहण किया। व श्री कृष्ण मंत्र प्राप्त किया था जिसे कल्पतरु मंत्र कहा जाता है। उसके बाद उन्होंने पुष्कर में पुनः तप किया और भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारी पूजा तीनो लोको में होगी। मनसा देवी की पूजा बंगाल में दशहरे के दिन की जाती है। कहीं-कहीं कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी होती है और नाग पंचमी के दिन भी इन्हें पूजा जाता है ऐसी मान्यता है कि मनसा देवी की पूजा करने पर नाग का भय नहीं रहता। मान्यता के अनुसार नाग पंचमी के दिन घर के आंगन में नागफनी की शाखा पर मनसा देवी की पूजा करने से सर्प का भय नहीं रहता। मनसा देवी को सर्प और कमल पर विराजमान दिखाया गया है। कुछ जगहों पर हंस पर विराजमान बताया गया है और उनकी गोद में उनका पुत्र अष्टिक या आस्तिक विराजमान है। मनसा देवी सिद्ध योगिनी है इसीलिए इनकी पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है।
आपको घर में मनसा देवी की पूजा करनी है तो कहीं से अपने घर में एक छोटा नागफनी का पौधा लाएं और उसके बाद निम्न मंत्र का 108 बार जाप कीजिए। जाप करने से पहले आप उनसे अपनी इच्छा प्रकट कीजिए और उसके बाद जाप के लिए बैठ जाइए मंत्र इस प्रकार है। ॥ॐ ह्रीं मनसादेवी नमो नमः॥ ऐसी मान्यता है कि इस जाप से कालसर्प दोष में राहत मिलती है। तथा मनोवांछित फल प्राप्त होता है। पूजा के बाद नागफनी के पौधे को किसी निर्जन स्थान पर छोड़ आना चाहिए।