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Nirjal Ekadshi, निर्जल एकादशी को ये पाप न करे और दूसरों को भी करने से रोकें .

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नमस्कार दोस्तों
पियस एस्ट्रो में आपका स्वागत है। निर्जल एकादशी जो ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। जो इस साल 10 जून शुक्रवार के दिन पड़ रही है। इस एकादशी को सड़क पर लोग शरबत बाटते हैं। ये सबसे बड़ा पाप करते हैं। निर्जला एकादशी को निर्जला इसीलिए कहा जाता है क्योंकि उस दिन जल नहीं ग्रहण किया जाता। इस दिन लोगों को पानी बांटना उसी तरह पाप है जिस तरह एक जैन को मांस खिलाना पाप होता है।
आप किसी मुस्लिम कॉलोनी में रोजे वाले दिन पानी बांट कर तो देखिए सारा सामान उठाकर फेंक देंगे और मारेंगे सो अलग। क्यों, क्योंकि वह दिन भर खाना या पानी नहीं लेते और आप उनके व्रत को, उनके रोजे को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं उनके अनुसार यह पाप है। ठीक उसी तरह हिंदू धर्म के लोग अपने धर्म का नाश कर रहे हैं। Nirjal Ekadshi
हम लोग अंग्रेजों की नीतियों का इस तरह शिकार हो गए हैं कि हमें पता ही नहीं चल रहा है कि हम खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। अपने धर्म का नाश कर रहे हैं। ध्यान दीजिएगा स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि एक हिन्दू का धर्मान्तरण केवल एक हिंदू का कम होना नहीं, बल्कि एक शत्रु का बढ़ना है।।


हम हिंदुओं पर फिल्म इंडस्ट्री का इतना प्रभाव पड़ा कि हम लोगों ने अपने त्योहारों के स्वरूप को ही बदल कर रख दिया। रक्षाबंधन का त्यौहार जो एक हिंदू को दूसरे हिंदू से जोड़ता था अब वह केवल भाई बहन का त्यौहार रह गया। क्योंकि फिल्मों ने हमें भाई बहन का त्यौहार बनाकर उसे परसेंट किया। दिवाली का त्यौहार जो दीपों का त्यौहार था। अब वह बम-पटाखों और प्रेस्टीज का त्यौहार हो गया है। लोग अपने मित्र को महंगे से महंगे गिफ्ट देना चाहते हैं अपनी प्रेस्टीज बनाने के लिए और तो और हमने 17 सितंबर विश्वकर्मा पूजा, इंपोर्टेड त्यौहार जो अंग्रेजों द्वारा दिया गया था। उसे भी ऐसे मनाना शुरू कर दिया जैसे कि हम उसे पुरातन काल से मनाते आ रहे थे। होली का त्यौहार होली खेलने का त्यौहार था। हुड़दंग का त्यौहार था। Nirjal Ekadshi
लेकिन फिल्म वालों ने उसे ऐसे प्रजेंट दिया कि यह छेड छाड़ का त्यौहार बन गया। हर गाने में लड़का लड़की को छेड़ रहा है और अश्लीलता फैला रहा है। यह बदला निकालने का त्यौहार हो गया शराब पीने का त्यौहार हो गया है।

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अब निर्जला एकादशी का अपमान करना शुरू कर चुके हैं। लोग इसी दिन मीठा पानी बाटेंगे। कुछ कहो तो जवाब देते है की पानी पिलाना तो पुण्य का काम है।
पुण्य का काम है तो भैया द्वादशी के दिन पिला दो। उस दिन तो वैसे भी उस व्रत का पारण किया जाता है। जिससे तुम्हें पानी पिलाने का फल सौ गुना प्राप्त होने वाला है। बैकुंठ धाम की प्राप्ति होगी। लेकिन नहीं हम लोग विधर्मीयों जाल में फंस चुके हैं अपने धर्म के नाश पर तुले हुए है। इसीलिए उसी दिन पानी पिलएंगे अथवा भंडारा लगाएंगे। स्वम वेद व्यास जी ने कहा है की द्वादशी के दिन गरीबों को भोजन करने तथा यथा संभव वस्त्रआदि दान करने से सौ गुना पुण्य प्राप्त होता है।
आप लोगों से हाथ जोड़कर विनती है की प्रयास करके निर्जला एकादशी के दिन पानी ना बाटे। आप पानी पिए कोई दिक्कत नहीं है पर जो व्यक्ति व्रत रख रहा है उसका व्रत तोड़ने में सहयोग न करें, पाप के भागी न बने

इस दिन का महत्व सभी एकदशीयों में श्रेष्ठ है। इसका विशेष महत्व है। इस एकादशी के व्रत से व्यक्ति को वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत से मनुष्य को अक्षय पुण्य की प्राप्ति भी होती है।
सभी एकादशियों में से निर्जला एकादशी हालांकि भीम जैसे भुक्खड़ आदमी के लिए इस तरह का व्रत रखना लगभग असंभव था। पर उन्होंने अपनी विल पावर, इच्छाशक्ति से इस व्रत को पूर्ण किया। जबकि वह बेहोश हो गए, इसके बावजूद भी उन्होंने पूरे व्रत को किया। इसीलिए इस भीमा एकादशी भी कहा जाता है। यही वह छोटे-छोटे संकल्प थे जिन संकल्पों से हिंदुओं ने 800 साल आक्रांताओं के बीच घिरे होने के बावजूद भी अपने धर्म को नहीं त्यागा। पर इन 80 सालों में हमने अपने बीच इतने विद्रोही खड़े कर लिए कि आज वह देश तोड़ने की तैयारी में बैठे हुए हैं।
आप लोगों से अनुरोध है की एकादशी के दिन जल का भंडारा न करें बल्कि यदि पुण्य चाहिए तो द्वादशी को भंडारा करे यह दान 100 गुना लगता है।

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