om aim hreem cleem cahmunday vichhe, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे,
दोस्तों
आपने ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे इस मंत्र को जरूर सुना होगा। इस मन्त्र को नवार्ण मंत्र कहा जाता है जो देवी भक्तों में सबसे प्रशस्त मंत्र माना गया है। इस मन्त्र को जपने से माँ सरस्वती, माँ काली तथा माँ लक्ष्मी माता की कृपा तथा आशीर्वाद प्राप्त होता है। अर्थात ज्ञान, शक्ति व धन तथा मानसिक शांति प्राप्त होती है।
इस मंत्र का अर्थ व प्रभाव क्या है? इसे कैसे जपा जाए? इसको करने से क्या लाभ होते हैं? तथा इसका सही उच्चारण क्या है? इस लेख में हम यही बताने जा रहे हैं।
Beej Mantra kya hota hai, बीज का क्या है
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे, मन्त्र का प्रभाव व उत्पत्ति
यह मन्त्र मार्कण्डेय पुराण से लिया गया है जिसे हम लोग दुर्गा सप्तसती के नाम से जानते हैं। दुर्गा सप्तसती में सिद्ध कुंजिका है और यह नवार्ण मन्त्र भी है। कई बार लोग पूछते हैं कि हमें दुर्गा सप्तशती पढ़ी चाहिए सिद्ध कुंजिका या नवार्ण मन्त्र? क्योकि तीनो की ही महिमा बताई गई है। दुर्गा सप्तसती चमत्कारी मंत्रो का भंडार है। उसे सबके लिए मन्त्र है हर इक्षा पूर्ति के लिए कोई न कोई मन्त्र मिल ही जायेगा। सिद्ध कुंजिका है और यह नवार्ण मन्त्र विशेष स्त्रोत व मन्त्र है।
दुर्गा सप्तशती रोज पढ़ने का जो लाभ है अकल्पनीय है। लेकिन सामान्य जान के लिए दो, ढाई घंटे तक बैठकर पढ़ना थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए सिद्ध कुंजिका का स्त्रोत जपने को भी लगभग उतना ही लाभकारी बताया गया है। इसी तरह नवार्ण मंत्र भी उतना ही प्रभावी कहा जाता है।
आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि
दुर्गा सप्तशती को पढ़ने से 100% लाभ मिलता है।
सिद्ध कुंजिका से 99% लाभ मिलता है।
नवार्ण मंत्र जपने से 98% लाभ मिलता है
ॐ एम क्लीं चामुण्डायै विच्चे में ॐ लगाएं या नहीं? om em kleen chaamundaayai vichche mein om lagaen ya nahin?
इसे नवार्ण मंत्र कहा जाता है। नवार्ण में नव का अर्थ है नौ यानि नाइन, और अर्ण का अर्थ है अक्षर। यानी दोनों को मिलाके हुआ नवार्ण।
नवार्ण मंत्र के नौ अक्षरों में पहला अक्षर ऐं है।
दूसरा अक्षर ह्रीं है।
तीसरा अक्षर क्लीं है।
चौथा अक्षर चा,
पांचवां अक्षर मुं,
छठा अक्षर डा,
सातवां अक्षर यै,
आठवां अक्षर वि तथा नौवा अक्षर चै है।
जब इसमें ॐ लगता है तो दसवां अक्षर जुड़ जाता है, यह दशार्ण मन्त्र हो जाता है।
लोगों लोग कहते हैं कि किसी मंत्र के आगे ओम लगा देने पर उसका प्रभाव बढ़ जाता है। पर हर मंत्र के साथ यह लागू नहीं होता, खास तौर पर डामर मंत्रों के साथ तो बिल्कुल भी नहीं। पर सिद्ध कुंजिका में ॐ का उच्चारण है।
पहले शाक्त और शैव लोगों इस बिना ॐ लगाए पढ़ते थे। वैष्णव लोगों ने इसके अंदर ओम जोड़ दिया और यह मंत्र नवार्ण से दशार्ण हो गया। ओम लगाकर जप करने से भी यह उतना ही प्रभवि है। बस ॐ लगाने से इसमें नम्रता यानि सॉफ्टनेस आ जाती है।
इस महामंत्र का शुद्ध उच्चारण
ॐ (ओम्) ऐं (ऐं ऐम्) ह्रीं (ह्रीं ह्रीम्) क्लीं (क्लीं क्लीम्) चामुण्डायै विच्चे कुछ लोग चामुण्डायै को चामुण्डाय और विच्चे को विच्चै उच्चारण करते हैं।
लोगों के मन में ऐसी धारणा है कि ऐं को ऐङ् , ह्रीं को ह्रीङ्, क्लीं को क्लीङ् बोलना चाहिये। यह उच्चारण की दृष्टि से ग़लत है। अगर आपने किसी सिद्ध पुष्तक से इस मंत्र के उच्चारण सिखा हो तो ठीक है लेकिन अगर आपको जरा सा भी इस मंत्र के उच्चारण में संशय है तो आप अपने गुरु या पंडित से इस मंत्र के उच्चारण का शिक्षा जरूर लें।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे अर्थ
ॐ – उस परब्रह्म का सूचक है जिससे यह समस्त जगत व्याप्त हो रहा है।
ऐं –यह वाणी, ऐश्वर्य, बुद्धि तथा ज्ञान प्रदात्री माता सरस्वती का बीज मन्त्र है। इस बीज मन्त्र का जापक विद्वान हो जाता है। यह वाक् बीज है, वाणी का देवता अग्नि है, सूर्य भी तेज रूप अग्नि ही है, सूर्य से ही दृष्टि मिलती है; दृष्टि सत्य की पीठ है, यही सत्य परब्रह्म है।
ह्रीं – यह ऐश्वर्य, धन ,माया प्रदान करने वाली माता महालक्ष्मी का बीज मंत्र है। इसका उदय आकाश से है । पीठ विशुद्ध में, आयतन सहस्रार में, किन्तु श्रीं का उदय आकाश में होने पर भी आयतन आज्ञाचक्र में है।
क्लीं— यह शत्रुनाशक, दुर्गति नाशिनी महाकाली का बीज मन्त्र है। इस बीज में पृथ्वी तत्व की प्रधानता सहित वायु तत्व है जोकि प्राणों का आधार है।
चामुण्डायै – प्रवर्ति का अर्थ चण्ड तथा निर्वृति का अर्थ मुण्ड है। यह दोनों भाई काम और क्रोध के रूप भी माने गए हैं। इनकी संहारक शक्ति का नाम ही चामुण्डा है। जो स्वयं प्रकाशमान है।
विच्चे – विच्चे का अर्थ समर्पण या नमस्कार है।
अत: सम्पूर्ण मन्त्र का अर्थ है –
संसार के आधार परब्रह्म, ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती, सम्पूर्ण संकल्पों की अधिष्ठात्री देवी महामक्ष्मी, सम्पूर्ण कर्मों की स्वामिनी महाकाली तथा काम और क्रोध का विनाश करनी वाली सच्चिदानंद अभिन्नरूपा चामुण्डा को नमस्कार है, पूर्ण समर्पण है।
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे का लाभ।
इसका जाप से व्यक्ति आश्चर्यजनक लाभ होते हैं।
पहला अक्षर मां सरस्वती का है इसलिए उनका आशीर्वाद सबसे पहले मिलता हैं। जैसे आप की शैक्षिक योग्यता में सुधार होता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में आप आसानी से पास हो जाते हैं। आत्म विश्वास की वृद्धि होती है। सबसे अच्छी बात है कि आध्यात्मिक ऊंचाइयों को आसानी से छू सकते हैं।
दूसरा अक्षर मां लक्ष्मी का होता है इस मंत्र के जाप से अष्ट लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैं। दुख व दरिद्रता का नाश होता है। मानसिक शांति मिलती है।
तीसरा अक्षर मां काली का होने के कारण आपके शत्रु आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाते। इसलिए इस मन्त्र को शत्रुहंता भी कहा जाता है। किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा आपको हानि नहीं पहुंचाती। आपके दुश्मनों को भी यह आपका दोस्त बना सकती है। आपका औरा यानि सूक्ष्म शरीर इतना मजबूत हो जाता है कि छोटी मोटी बीमारियां उसमें प्रवेश नहीं कर पाती। किसी भी तरह के मरण उच्चटन आदि आपपर बेअसर रहते हैं।
सनातन धर्म में षडरिपु मनुष्य के आंतरिक शत्रु हैं। जैसे- काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह एवं मत्सर। जबतक ये नियंत्रित है मनुष्यता बानी रहती है। जैसे ही अनियंत्रित होते हैं मनुष्य पशुवृत्ति का हो जाता है। इस मन्त्र के जाप से यह षडरिपु आपके वश में हो जाते हैं।
यह मन्त्र औषधीय लाभ भी देता है। जिन महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान बहुत दर्द रहता है वे अगर इस समय इस मंत्र का जाप करती हैं तो इससे उनके दर्द का असर कम होते देखा गया है। बीमार व्यक्ति को 108 बार इस मन्त्र से पानी चार्ज कर देने पर वह जल्द ही ठीक हो जाता है। दवाइया जल्दी असर करने लगती हैं।
जो लोग इस मंत्र का उच्चारण पूरी ईमानदारी और श्रद्धा से करते हैं वे कहते हैं कि उन्हें एक अलग तरह की ख़ुशी महसूस होती है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्तियां बढ़ती हैं।