परेशानियों से भरा हो तो पित्र दोष क्या है और क्यों होता है?
इसका कोई खगोलीय कारण भी है क्या और यदि है दोष है?
नवा भाव पितरों का भाव होता है। पराशर ऋषि ज्योतिष का पितामह का आ गया है उन्होंने बताया है कि नवम भाव में सूर्य के साथ राहु होने पर मित्र दोष लगता है। कुछ ज्योतिषियों ने इससे आगे बढ़ते हुए कहा कि राहु शनि की युति सूर्य के साथ क्यों नहीं इससे आगे बढ़ते हुए कहा कि राहु की युति सूर्य के साथ यदि पहले दूसरे चौथे पांचवें सातवें नवे और दसवें भाव में हो तो पितृदोष लगता है। कुछ जोशी थोड़ा और आगे बढ़ गए और उन्होंने कहा कि यदि कुंडली में सूर्य या चंद्रमा राहु केतु शनि से ग्रसित हो तो पित्र दोष लगता है नया कौन सकता है कि यदि कुंडली में सूर्य चंद्र और गुरु में से कोई भी पाप ग्रहों से मंगल केतु राहु शनि आदि से प्रभावित या दृष्टि में आ जाए तो कुंडली में पित्र दोष लगता है।
अब आप कहीं भी नहीं बच सकते मतलब कैसे भी यह सिद्ध हो जायेगा कि आपके जीवन में आने वाली कठिनाइयों के पीछे आपके उन पत्रों का हाथ है। जो अब इस दुनिया में नहीं है पित्र दोष को लेकर बहुत बड़ा कंफ्यूजन है एक छोटा सा सवाल है क्या आप अपने बच्चों का बुरा सोच सकते हैं नहीं ना क्या आपके माता-पिता आपका बुरा सोच सकते हैं बिल्कुल नहीं जो जीते जी आपका बुरा नहीं सोच सकते पर मरने के बाद जो बड़ा करेंगे आपके पिता आपका बुरा नहीं जा सकते और आपके पिता आपके बच्चों का तो बिल्कुल भी बुरा नहीं चाह सकते अपने पितरों का श्राद्ध करना तर्पण करना हमारी संस्कृति का हिस्सा है
हमारे सोलर सिस्टम में सूर्य सभी ग्रहों का पिता कहा गया है संस्कृत में कहें तो पित्र है जिसका मैं पूरे सौरमंडल का 99.8% होता है क्योंकि हम धरती पर रहते हैं इसलिए सारी घटनाएं धरती को केंद्र मानकर की जाती है जब चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी के एक तरफ आ जाते हैं तो सूर्य ग्रहण लगता है लेकिन चंद्रमा और सूर्य हर महीने में ढाई दिन के लिए एक राशि में आते हैं परंतु आज सूर्य ग्रहण नहीं लगता वह एक बिंदु पर आते हैं तभी सूर्य ग्रहण लगता है Pitra dosh
प्ले बिंदु पर आते हैं तभी सूर्य ग्रहण लगता है और उसी बिंदु को उसी को छाया ग्रह कहा गया है जिसे हम राम के नाम से जानते हैं जो लोग खगोल शास्त्र है जमीनी में विश्वास रखते हैं उसके बारे में जानते हैं तो वह यह समझ सकते हैं लगभग साल में 2 महीने तक सूर्य और राहु एक ही राशि में रहते हैं जिसे पित्र दोष कहा जा सकता है लेकिन इस दोष को जाने-अनजाने हमारे पूर्वजों के साथ जोड़ दिया और इसके विभिन्न दुष्परिणाम बता दिए गए राहु के साथ सूर्य होने से सूर्य से संबंधित भाव से समस्या आती है यदि सूर्य उस गांव में बैठ गया और राहु के साथ या सूर्य से संबंधित भाव यदि सूर्य उस गांव में बैठ गया और राहु के साथ या सूर्य से संबंधित भाव इन दोनों ही स्थितियों में सूर्य से सदस्य आती है राहु के साथ सूर्य होने पर सूर्य के साथ जुड़े भाव से संबंधित व जिस भाव में सूर्य और राहु दोनों बैठे उससे संबंधित समस्याएं आ सकती है Pitra dosh
सूर्य प्रथम भाव का स्वामी हो तो स्वास्थ संबंधित दूसरे भाव का स्वामी हो तो सन चंदन संबंधित तीसरे भाव का स्वामी हो तो भाई बहन सब मंदिर चौथे भाव का स्वामी हो तो मकान भवन वाहन आदि संबंधित पांचवें भाव का स्वामी हो तो शिक्षा संबंधित बच्चों से संबंधित छठे भाव का स्वामी हो तो नौकरी से शत्रुओं से संबंधित सातवें भाव का स्वामी हो तो व्यापार संबंधित आठवें भाव का स्वामी हो आपको बिना कारण इल्जाम लगाएगा बदनामी कराएगा नवे भाव का स्वामी हो तो आप कुछ छोटी तो आर कुछ छोटी छोटी यात्राओं में तकलीफ हो गई आपके कर्मों का फल मिलने में दिक्कत होगी तथा पूजा भट्ट में मन नहीं लगेगा दशम भाव का स्वामी हो क्या वहां पर यह दोनों हंसते रहो तो काम धंधा नहीं दिखेगा ग्यारहवें भाव का स्वामी हो तो लाभ परीक्षित वस्तु में समस्या आएगी और बारहवें भाव का स्वामी है तो विदेश यात्राएं सरकारी मुकदमें आती है दिक्कतें आएंगी राहु का उपाय कराया जाता है
इसीलिए किसी योग्य ज्योतिषी से मिलकर आपको राहु के उपाय जान लेनी चाहिए यदि जीवन में पर्याप्त प्रयासों के बाद भी एक फल की प्राप्ति ना हो रही हो तो किसी योग्य ज्योतिषी से अपनी कुंडली जरूर देखना लेनी चाहिए लेकिन आपको एक चीज तो साफ हो गई होंगी पितृदोष में सौर मंडल के पिता सूर्य को दोष लगता है जिससे आपका जीवन प्रभावित होता है ना कि आपके पूर्वजों के कारण आपका जीवन प्रभावित होता है मैं इसी तरह