Rahu and their remedies, राहु के शुभ-अशुभ लक्षण व उनके उपाय
Rahu and their remedies, राहु के शुभ-अशुभ लक्षण व उनके उपाय, Auspicious signs of Rahu and their remedies, shubh rahu ke lakshan, ashubh rahu ke lakshan, rahu ke chamatkari upay, rahu ka upay lakshn
ज्योतिष अनुसार कुल 9 ग्रह होते हैं। जिनमें से एक है राहु। इस ग्रह का मानव जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। राहु और केतु को छाया ग्रह का दर्जा दिया गया है। इनका कोई भौतिक आकार नहीं होता लेकिन ज्योतिष शास्त्र में इनको बहुत महत्व दिया गया है। राहु दोनों तरह के फल प्रदान करता है। ये शुभ फल भी देता है, लेकिन अशुभ फल भी प्रदान करता है। यह एक क्रूर ग्रह है जिसके कुंडली में खराब होने पर धोखा खाने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। क्योंकि ये ग्रह भ्रम पैदा करता है। अगर आपकी कुंडली में राहु दोष है तो आपको मानसिक तनाव महसूस होने के साथ आर्थिक नुकसान भी अधिक होने लगेगा।
राहु पाप और पुण्य के मध्य की एक लकीर है। अक्सर यह कुंडली में राहु की स्थित देखने से तय होता है की राहु आपके लिए पुण्य दायक है या पाप दायक है।
कुछ लोग सोचते हैं कि राहु पुण्य दायक कैसे हो गया। दोस्तों समुद्र मंथन से जब अमृत निकला था तो उसकी कुछ बूंदे राहु ने भी पी ली थी जिस कारण से राहु के अंदर भी कुछ पुण्य आ गया क्योंकि वह राक्षस गण का है वह पाप दायक तो होता ही है। घटना समुद्र मंथन के समय की है जब स्वरभानु नामक एक दानव ने धोखे से दिव्य अमृत की कुछ बूंदें पी ली थीं। सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु के अवतार मोहिनी को बता दिया। इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतरता, विष्णु जी ने उसका गला सुदर्शन चक्र से काट कर अलग कर दिया। परंतु अमृत के प्रभाव से वह अमर हो चूका था। उसका सिर राहु और धड़ केतु ग्रह बना और सूर्य- चंद्रमा से इसी कारण द्वेष रखता है। इसी द्वेष के चलते वह सूर्य और चंद्र को ग्रहण करने का प्रयास करता है। ग्रहण करने के पश्चात सूर्य राहु से और चंद्र केतु से,उसके कटे गले से निकल आते हैं और मुक्त हो जाते हैं।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु सूर्य एवं चंद्र के परिक्रमा पथों के आपस में काटने के दो बिंदु है। जो नार्थ पोल साउथ पोल की तरह एकदूसरे से 180 डिग्री पर स्थित रहते हैं। ये ग्रह कोई खगोलीय पिंड नहीं हैं, इन्हें छाया ग्रह कहा जाता है। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं जैसे ब्लॉक होल दीखता नहीं मगर उसका अस्तित्व होता है। हम पृथ्वी पर रहते हैं इसलिए ज्योतिष पृथ्वी को केंद्र मानकर गणना करता है। जब भी सूर्य और चन्द्रमा राहु अथवा केतु बिंदु पर आते हैं, तभी ग्रहण होता है। अंग्रेज़ी या यूरोपीय विज्ञान में राहू एवं केतु को को क्रमशः उत्तरी एवं दक्षिणी लूनर नोड कहते हैं।
राहु को शुभ या शांत रखना बहुत ही जरूरी माना गया है। राहु एक ऐसा ग्रह है जो कई तरह के अशुभ योग का कारण बनता है। या आप ऐसा भी कहा सकते है की राहु जिस ग्रह के साथ बैठा हो उसको पीड़ित ही करता है।
सूर्य चंद्र के साथ ग्रहण योग, पितृ दोष,
मंगल के साथ अंगारक दोष बनता है।
बुध और राहु की युति होने से जड़त्व योग बनता है।
गुरु और राहु की युति होने से चांडाल योग बनता है।
शुक्र और राहु की युति होने से पत्नी हन्ता दोष बनता है।
शनि और राहु की युति होने से पिशाच दोष बनता है।
यदि सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में हो तो कालसर्प दोष बनता है।
जन्म कुंडली में राहु से बनने वाले अशुभ योग जीवन में भारी उथल-पुथल लाते हैं। राहु जॉब, करियर, शिक्षा, व्यापार आदि में बहुत संघर्षों के बाद ही सफलता प्रदान करता है। ज्योतिष के अनुसार राहु से बनने वाले अशुभ योग व्यक्ति को बहुत परेशान करते हैं।
राहु का स्वभाव
ज्योतिष शास्त्र में राहु को एक रहस्मय ग्रह माना गया है। ये मुक्ति से दूर ले जाने का प्रयास करता है। राहु होता है पर दीखता नहीं मतलब राहु भ्रम है। जासूस है इसलिए अचानक ही नुकसान या फायदा करता है। राहु को एक पापी ग्रह माना जाता है। कठोर वाणी, जुआ, यात्राएं, चोरी इत्यादि का कारक माना जाने वाला राहु ग्रह जिस इंसान की कुंडली में अशुभ स्थान में बैठा हो उसे आजीवन नकारात्मक परिणाम झेलने पड़ते हैं। वहीं दूसरी तरफ जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में राहु शुभ स्थिति में मौजूद हो तो ऐसे व्यक्तियों का भाग्य चमक जाता है। ऐसे व्यक्ति प्रखर बुद्धि के होते हैं और धर्म का पालन करते हैं। जिसके दम पर समाज में उन्हें मान सम्मान और यश की प्राप्ति होती है। राहु दिलेरी देता है। चालाकी देता है (बेईमानी नहीं ) राजनीती का कारक है।
राहु प्रधान व्यक्ति अपनी धुन का पक्का होता है और जोखिम उठाने से नहीं घबराता है। अधिक परिश्रमी होता है। ऐसे व्यक्ति अंत तक हार नहीं मानते हैं। इन्हें गलत कार्य को करने से भी डर नहीं लगता है। राहु व्यक्ति को कूटनीति में भी माहिर बनाता है। ऐसे लोगों को समझना आसान नहीं होता है।
राहु का प्रभाव:
ज्योतिष अनुसार राहु के अशुभ होने पर हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं। व्यक्ति स्वयं को लेकर गलतफहमी पालने लगता है। बात बात पर आपा खो देता है। जिस कारण लव लाइफ के साथ करियर लाइफ भी बुरी तरह प्रभावित होती है। बोलने पर आपका कंट्रोल नहीं रहता। घर परिवार में हमेशा कलह का माहौल बना रहेगा। सेहत ठीक नहीं रहेगी और शत्रु बढ़ते चले जायेंगे। आपके बनते-बनते काम बिगड़ जाते हैं, यह आपके जीवन में शत्रु हावी हो रहे हैं तो, ऐसा माना जाता है कि, यह सब आपकी कुंडली में किसी खराब ग्रह के मौजूद होने के लक्षण होते हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में राहु पीड़ित स्थिति में मौजूद हो उन व्यक्तियों के जीवन में बुरी आदतें अपना घर बना लेती हैं। ऐसे व्यक्ति दूसरों से झूठ बोलने, छल करने, और कपट करने में विश्वास रखते हैं। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति अधर्मी स्वभाव के भी हो जाते हैं
राहु दशा के लक्षण
शरीर से शरू करे तो चेहरे में भारीपन महसूस होता है।
चेहरे में अलग-अलग तरह के बदलाव होने लगना। खास करके गाल और जबड़े की हड्डी में बदलाव आना इस बात की तरफ संकेत देता है कि, आपकी कुंडली में राहु की महादशा (Rahu Mahadasha) चल रही है।
आपके घर या आस पड़ोस में सीवरेज की समस्या होना भी इस बात की तरफ संकेत देता है कि आपकी कुंडली में राहु की दशा (Rahu Dasha) है।
घर में एक अलग तरह की उदासी महसूस होना, घर में लगातार आती दरारें, घर में जंगली पेड़ो का उगना और जंगली कबूतरों का घर में घोंसला बनना।
घर में या घर के आसपास गंदे पानी का इकट्ठा होना, दुर्गंध युक्त गंध का आना, मच्छर, आसपास का वातावरण एकदम अस्वस्थ होना।
घर से कूड़ा करकट साफ करने और बाहर ले जाने में विवाद होना।
बिना वजह धन और पैसे की बर्बादी होना।
इसके अलावा जिन व्यक्तियों के जीवन में राहु की महादशा (Rahu Mahadasha) हो उन्हें चिंता, अवसाद, अनियमित रक्त संचरण, और चिड़चिड़ा होना बेहद ही आम समस्या होती है।
इसके अलावा यदि आपके इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बार-बार खराब हो जाते हैं। या फिर आपका मोबाइल बार-बार चोरी हो जाता है तो यह भी इस बात की तरफ संकेत देता है कि आपकी कुंडली में राहु दशा (Rahu Dasha) है।
शक्ति या धन (लॉटरी इत्यादि के माध्यम से) हासिल करने के लिए शॉर्टकट अपनाने की उत्सुकता भी इस बात की तरफ संकेत देती है कि, कुंडली में राहु शुभ परिणाम नहीं दे रहा है।
राहु के अशुभ प्रभाव से पीड़ित व्यक्ति बेतुके ख्याल और सोच और संदेह की भावना से घिरा रहता है।
इसके अलावा महिलाओं में गर्भपात और विस्थापन की समस्या देखने को मिलती है।
ऐसे व्यक्तियों का वॉशरूम बेहद ही अ-स्वच्छ, गंदा और बुरी गंध वाला होता है।
कुंडली में राहु महादशा (Rahu Mahadasha) होने पर व्यक्ति गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त होने लगता है। इसके अलावा उनका गलत कामों और गलत गतिविधियों की तरफ झुकाव बढ़ने लगता है।
घर में दीमक का लगना।
बुरी आदतों की लत।
हमेशा बीमार रहना या फिर बीमारियाँ जो लंबे समय तक आपका पीछा ना छोड़े।
अचानक से अज्ञात स्थानों का पता लगाने की जिज्ञासा पैदा होना।
यह सब इस बात की तरफ संकेत देते हैं कि, हमारे कुंडली में राहु की महादशा (Rahu Mahadasha) है।
गोचर में राहु शुभ अशुभ फल
राहु जब शुभ होता है तो अचानक लाभ प्रदान करता है। सुखों में वृद्धि करता है, जीवन के सभी सुखों का आनंद प्रदान करता है। राहु जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित करता है।
राहु जब अशुभ होता है, व्यक्ति बुरी संगत, गलत आदतों को अपनाता है। गलत ढंग से जीवन यापन करता है। गलत कार्यों में लिप्त रहता है। वाणी खराब होती है, मानसिक तनाव और सिर दर्द की समस्या बनी रहती है। अज्ञात भय का कारण भी बनता है।
राहु का उपाय
मान्यता कि राहु जब अशुभ हो तो नीले वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए। इससे राहु की अशुभता में वृद्धि होती है। इसके साथ ही गलत संगत से दूर रहना चाहिए। नशा आदि नहीं करना चाहिए। किसी को धोखा नहीं देना चाहिए और गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए।
घर में कूड़ा कबाड़ इकट्ठा न होने दें। सुबह ब्रश करने के बाद तुलसी के दो पत्ते चबां लें। चन्दन की सुगंध का नियमित प्रयोग करें। संभव हो तो रोज शाम राहु के मंत्र का 108 बार जप करें। शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों की मदद जरूर करें।
अमावस्या के दिन दोपहर के समय निर्धनों को एक समय भोजन कराएं।
राहु दोष से मुक्ति के लिए आप काली भेड़, कंबल, लोहा, तलवार, तिल से भरा पात्र आदि का दान कर सकते हैं।
अपने जीवन में किसी भी प्लान के साथ उसकी वैकल्पिक योजना हमेशा तैयार रखें।
जल्दबाजी में फैसले लेने से बचें। आपको एक फैसला लेने में जितना समय लगे आप बे-झिझक लें।
आप चाहे तो नारियल की भूसी से तैयार होने वाला धूनी भी जला सकते हैं। इसके अलावा कपूर भी राहु दशा शांति का एक शानदार विकल्प साबित हो सकता है।
अपने घर में शंख, कासर, घंटी इत्यादि बजाएं और मुमकिन हो तो सुबह सवेरे और शाम के समय तेज आवाज़ में मंत्र चलाएँ/बजाएं।
हमेशा इस बात का ख्याल रखें कि, राहु आपके विचारों के साथ खेलते हैं, ऐसे में जितने ज्यादा सकारात्मक विचार आप खुद के अंदर रखेंगे आपको राहु का उतना ही सकारात्मक परिणाम हासिल होगा।
किसी भी बुरी लत से ज्यादा से ज्यादा दूरी बनाकर रखें।
अपने घर में मोर पंख रखें
लाल किताब छोटी ठोस छड़ी की गोली
मछली को दाना दे अपने घर में उत्तर दिशा में अकुरियम लगाएं।
काला कुत्ता अथवा काली गाय को भोजन दें।
राहु दशा शांति रुद्राक्ष (Rahu Dasha Shanti Rudraksh): 8 मुखी रुद्राक्ष
राहु दशा शांति यंत्र (Rahu Dasha Shanti Yantra): राहु यंत्र
राहु का वैदिक मंत्र
ऊँ कयानश्चित्र आभुवदूतीसदा वृध: सखा कयाशश्चिष्ठया वृता’
यह राहु का वैदिक मंत्र है। इस मंत्र का जप रात के समय करना चाहिए। इससे राहु की कृपा प्राप्त होती है।
राहु का तांत्रिक मंत्र
ॐ रां राहवे नमः
राहु का बीज मंत्र
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
पूजा
रोजाना माता छिन्नमस्ता स्तोत्रम को 108 बार सुनें।
मैडिटेशन सरस्वती धयान और सरस्वती पूजा।
हनुमान पूजा ( बजरंग बाण)
राहु को भोलनाथ का भक्त माना जाता है। इसलिए राहु के दुष्प्रभावों से बचने के लिए भगवान शिव की नियमित पूजा करें। शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भी राहु दोष से मुक्ति मिलती है। रुद्री पाठ कर सकें तो यह बहुत अच्छा है।
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