नमस्कार दोस्तों,
(Shani and Iron relation)
दोस्तों शनि ग्रह के लिए कहा जाता है कि लोहे की अंगूठी पहने या लोहे का छल्ला पहने तो ऐसे शनि ग्रह शांत होगा। ऐसा क्यों होता है? और किस विधि से हमें यह छल्ला पहनना चाहिए? तथा घोड़े की नाल इसमें क्या भूमिका अदा करती है? यह जानने के लिए लेख जरूर पढ़ें।
ज्योतिष में गुरु को जीव अर्थात जीवन कहा गया है और शनि को कर्म का कारक माना गया है। अर्थात शनि देव ही है जो पूरे मनुष्य को उनके कर्मों का फल देते हैं। कलयुग जिसे कली का युग कहा जाता है अर्थात कल पुर्जों का युग जिसमें लोहा अत्यंत महत्वपूर्ण सामग्री है। क्योंकि ज्यादातर वस्तुए लोहे की ही बनाई जा रही है। मकान, गाड़ियां, मशीनें और भी बहुत सारी चीजें आम जीवन में काम आती हैं। अगर धातु के बारे में बात की जाए तो हम सबसे ज्यादा करीब लोहे की ही रहते हैं। इसीलिए हमारे जीवन पर शनि का सबसे ज्यादा प्रभाव होता है।
Shani and Iron Ring,
ज्योतषियों द्वारा शनि का डर सबसे ज्यादा दिखाया जाता है। अगर कोई कुंडली या हाथ समझ नहीं आता तो कह देते हैं की शनि की साढ़ेसाती शनि की ढैया और शनि का दशा चल रही है इसलिए प्रॉब्लम है।
दोस्तों एक बात बहुत अच्छी तरह समझ लीजिए कि आप जहां आए हैं इसे मृत्यु लोक कहा जाता है। यहां पर लोगों को इसीलिए भेजा जाता है ताकि वह सजा काट सकें। इसलिए यहां बहुत ही विरले लोग होते जिनके जीवन में किसी भी तरह की कोई कठिनाई न हो। अन्यथा सभी को कोई ना कोई परेशानी होती ही है। “नानक दुखिया सब संसार” और फिर इसी दुख का फायदा उठाकर ज्यादातर ज्योतिषी, धर्मगुरु या सरकारी लोगों का शोषण करते हैं। ज्योतिषी कहेगा शनि के कारण प्रॉब्लम है धर्मगुरु कहेगा भगवान नाराज हैं। आपसे सरकार कहेगी गरीबी मिटा देंगे। और फिर नई सरकारी आती हैं वह भी गरीबी मिटाने का वादा करती है। पर गरीबी नहीं मिटती। दुख तो कभी खत्म नहीं होता इसलिए आपकी जिंदगी में अगर छोटी मोटी समस्या है तो उससे खुद ही लड़ने की कोशिश कीजिए और युक्ति द्वारा उसका समाधान निकालिए। परंतु जब कोई समस्या लंबे समय तक चले और सभी चीजें ठीक हों फिर भी काम बिगड़ रहे हो तब आपको ज्योतिष की तरफ जाना चाहिए।
शनि ग्रह का लोहे से सम्बन्ध (Shani and iron Relation)
सबसे पहले यह समझ लेते हैं कि शनि और लोहे के बीच का संबंध क्या है? वैसे तो दुनिया में पाई जाने वाली हर चीज का किसी ना किसी ग्रह से कोई ना कोई संबंध तो होता ही है। चाहे वह धातु हो, पशु पक्षि, मनुष्य या फिर रत्नों हो। प्राचीन समय में बातों को समझाने के लिए कुछ कहानियां या घटनाएं हुई बनाई गई जिससे यह बात मेमोरी में यानी याददाश्त में रहे। रामायण के अंदर जब हनुमान जी ने सोने की लंका को जला दिया। क्योंकि सोना आग में जलने के बाद तपने लगता है लेकिन जलता नहीं है। स्वर्ण भस्म बहुत मुश्किल से बनाई जाती है। हनुमान जी ने रावण के यहाँ बंदी देवताओं व नवग्रहों को भी छुड़ा दिया था। सोने को दमकता देख हनुमान जी चकित हो गए तभी शनिदेव ने अपनी तिरछी दृस्टि से देखा तो लंका भसम हो गई। लंका को जलाने का श्रेय शनि महाराज खुद लेना चाहते थे। दोनों के बीच में तू तू मैं मैं हो गई तब हनुमानजी ने उन्हें एक उठाकर फेंक दिया। वह ग्वालियर के मुरैना के पास आकर गिरे जहां शनि मंदिर है। वहां पर शनि देव को लोहा चढ़ाने की प्रथा है।
शनि के उपाय के लिए सबसे पहले नंबर पर माना जाता है कि नीलम पहना जाए और उसके बाद माना जाता है कि घोड़े की नाल की या नाव की कील की अंगूठी पहनी जाये। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिस तरह चुंबक पर लोहे को रगड़ने से लोहे के अंदर चार्ज उत्पन्न होता है और उसमे चुंबक के गुण आ जाते हैं। ठीक उसी तरह जब घोड़े की नाल घोड़े के पैर और सड़क के बीच रगडी जाती है तो उसमें रगड़ के कारण चार्ज उत्पन्न होता है। इसलिए यह टोने टोटके, वास्तु के उपाय व शनि के उपायों में बहुत कारगर होती है।
वास्तु कि अगर हम बात करें तो घर का मुख्य द्वार पश्चिम या उत्तर पश्चिम और दक्षिण पश्चिम में हो तो उसके ऊपर आपको घोड़े की नाल लगानी चाहिए। घर के मुख्य द्वार पर काले घोड़े की नाल लगाने से घर में किसी की भी पूरी नजर नहीं लगती।
ज्योतिष के अनुसार काले घोड़े के पैर पर शनि का विशेष प्रभाव होता है। जिसके कारण शनि का प्रकोप कम लगता है। मान्यता है कि काले घोड़े की नाल अगर काले कपड़े में लपेटकर अनाज में रख दी जाए तो अनाज की कभी कमी नहीं होती इसी तरह यह तिजोरी में रखा जाये तो धन-धान्य में वृद्धि होती है।
काले घोड़े की नाल यदि उसके पैर से छिटक कर सड़क पर गिर जाए और आपको मिल जाए। तो कहते हैं कि यह भाग्य खुलने का संकेत है। ऐसे में यदि आपको मिलती है तो उसे अपने घर पर लाकर और पश्चिम दिशा में काले कपड़े में लपेट कर रख दें। इससे आपके घर में धन धन की वृद्धि होगी तथा किए हुए कार्यों का फल मिलने लगेगा।
बीमारी को दूर भगाने के लिए
अगर आपके घर में कोई गंभीर रूप से बीमार हो। काफी इलाज कराने के बाद भी उसके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा हो। जब डॉक्टर ने यह कह दिया हो कि इन्हें दवा की नहीं दुआ की जरूरत है। ऐसी स्थिति में काले घोड़े की नाल की रिंग (अंगूठी) रोगी को पहना दें। साथ ही काले घोड़े की नाल की बनी हुई चार कीलें (काले घोड़े की नाल के फायदे) रोगी की चारपाई के चारों पायों में गाड़ दें। ऐसा करने से वह रोगी जल्द ही स्वस्थ हो जाएगा, यदि वह शनि की दशा से पीड़ित होगा
अगर आप नौकरी के लिए अप्लाई करते-करते थक चुके हैं। और एक अच्छी नौकरी की तलाश में हैं, और आप नौकरी पाने के लिए जगह-जगह भटक चुके हो फिर भी असफलता ही प्राप्त हो रही हो तो यह शनि के कुप्रभावों का असर होता है। लेकिन अभी तक आपको सफलता नहीं मिली हो। यह शनि देव का कुप्रभाव भी हो सकता है।
शनि का कुप्रभाव दूर करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है काले घोड़े की नाल की अंगूठी को पहनना। अगर आप काले घोड़े की नाल की रिंग अपनी मध्यमा अंगुली में पहनकर किसी इंटरव्यू के लिए जाते हैं तो यह आपकी जॉब पक्की कर देता है।
अगर आप किसी तरह के मानसिक तनाव में चल रहे हैं तो काले घोड़े की नाल की अंगूठी मध्यमा ऊँगली में पहनने से शरीर में आयरन की कमी नहीं होती। जिसके कारण नींद अच्छी आती है और तनाव खत्म होता है।
शनि की साढ़ेसाती भैया या शनि की महादशा है और शनि आपके अनुकूल नहीं है तो ऐसी स्थिति में लोहे की अंगूठी बहुत ही लाभकारी होती है। ध्यान दीजिएगा यदि आपको नीलम धारण करना है तो शनि का अनुकूल होना बहुत जरूरी है। लेकिन यदि शनि अनुकूल नहीं है तो आपको घोड़े के नाल की अंगूठी पहननी चाहिए। इससे आपको तनाव कम होगा साथ ही जो भी काम आप कर रहे हैं उसके फल मिलने लगेंगे देखिए मैं आपको बता दूं कि अंगूठी आपको करोड़पति नहीं बनाने वाली है।
केवल वो ही लोग लोहे का छल्ला धारण करें जिनकी कुंडली में शनि का बुरा प्रकोप हो। वो लोग भूलकर भी छल्ले को धारण ना करें जिनकी कुंडली में शनि ग्रह उत्तम फल दे रहा हो और जिन लोगों की कुंडली में सूर्य, शुक्र और बुध अच्छे स्थान पर हो।
लोहे के छल्ले को धारण करने से शनि, राहु और केतु के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। साथ में ही जीवन में किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा भी प्रवेश नहीं करती है। इसलिए जिन लोगों के जीवन में भी शनि, राहु और केतु दिक्कत पैदा कर रहे हैं वो लोग इस छल्ले को धारण कर लें।
कब धारण करें लोहे के छल्ले को
लोहे के छल्ले को धारण करने का सबसे उत्तम दिन शनिवार का है। शनिवार के दिन आप इस छल्ले को पहले गंगा जल में डाल दें और जैसे सूर्यास्त हो जाए आप गंगा जल से इस छल्ले को निकालकर इसे धारण कर लें। इस छल्ले को धारण करने के लिए सबसे सही नक्षत्र पुष्य, अनुराधा, उत्तरा और भाद्रपद है।
किस उंगली में धारण करें
लोहे के छल्ले को हमेशा दाहिने हाथ की माध्यम उंगली में ही धारण करना चाहिए। क्यों कि इस उंगली का नाता शनि देव से होता है। ज्योतिष के अनुसार इस उंगली के नीचे शनि पर्वत होता है। जिसकी वजह से इस छल्ले को धारण करने के लिए ये उंगली सबसे उत्तम मानी जाती है।
रखें इन बातों का ध्यान-
ज्योतिष के कहनें पर ही धारण करें
लोहे के छल्ले को धारण करने से पहले आप अपनी कुंडली को किसी ज्योतिष को दिखा लें और ज्योतिष के कहने पर ही इस छल्ले को धारण करें। क्योंकि जिन लोगों की कुंडली में शनि, राहु और केतु का दुष्प्रभाव नहीं होता हैं, अगर वो इस छल्ले को धारण कर लें, तो इसका गलत प्रभाव उनके जीवन पर पड़ने लगता है।
बार बार उंगली से ना निकालें
इस छल्ले को धारण करने के बाद आप इसे बार बार निकाले नहीं और सदा धारण करके ही रखें। क्योंकि बार बार छल्ले को उंगली से निकालने से इसका कोई भी लाभ आपको नहीं मिलता है। इस छल्ले को एक बार धारण करने के बाद आप इसे अपनी उंगली से तब तक ना निकाले जब तक आपके ऊपर से शनि, राहु और केतु के दुष्प्रभाव खत्म ना हो जाए।