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Shiv tandav strotr kyu aur kaise japen । शिव तांडव स्त्रोत कथा, कैसे और क्यों जपे

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आज के समय में शिव तांडव स्त्रोत बहुत ही प्रसिद्ध है उसके पीछे एक बड़ा कारण है इसकी धुन उन लोगों को ढेर सारा धन्यवाद जिन्होंने इसकी बड़ी प्यारी धुन बनाई और आज हम सब लोगों के सामने शिव तांडव स्त्रोत इतना प्रसिद्ध हो पाया शिव तांडव स्त्रोत की कथा क्या है इसका इतिहास क्या है इसे कैसे जब आ जाए और क्यों जब आ जाए तथा इसका अर्थ क्या है इस पर यह वीडियो है इस वीडियो के अंत में हम शिव तांडव स्त्रोत का अर्थ बताएंगे यदि आप चाहें तो बीच से ही वीडियो छोड़ सकते हैं ।
इस स्तोत्र में रावण ने 14 श्लोंको से भगवान शिव की स्तुति गाई है। जब एक बार अहंकारवश रावण नें कैलाश को उठाने का प्रयत्न किया तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया। जिससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया। तब पीड़ा में रावण ने भगवान शिव की स्तुति की। अपने लिए इतना खूबसूरत संगीत सुन महादेव रावण से प्रसन्न हो गए और उन्होंने अपना पंजा पहाड़ के ऊपर से हटा लिया. इसलिए लंकेश रावण को शिव तांडव का रचयिता कहा जाता है यही स्तुति शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जानी जाती है। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अन्य किसी भी पाठ की तुलना में भगवान शिव को अधिक प्रिय है। यह पाठ करने से भगवान शिव बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। यह स्तोत्र बहुत चमत्कारिक माना जाता है। shiv tandav strot

तो चलिए जानते हैं शिव तांडव स्तोत्र के फायदे
जो मनुष्य शिवतांडव स्तोत्र द्वारा भगवान शिव की स्तुति करता है, उससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। नियमित रूप से शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से कभी भी धन-सम्पति की कमी नहीं होती है।
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से साधक को साथ ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है। 
यह पाठ करने से व्यक्ति का चेहरा तेजमय होता है, आत्मबल मजबूत होता है। 
 शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से मन की कामना पूर्ण हो जाती है। 
माना जाता है कि प्रतिदिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से वाणी की सिद्धि भी प्राप्त की जा सकती है। 
भगवान शिव नृत्य, चित्रकला, लेखन, योग, ध्यान, समाधी आदि सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं, इसलिए शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से इन सभी विषयों में सफलता प्राप्त होती है। 
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से शनि दोष को कुप्रभावों से भी छुटकारा मिलता है। 
जिन लोगों की कुण्डली में सर्प योग, कालसर्प योग या पितृ दोष लगा हुआ हो। उन्हें भी शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। 

शिव तांडव स्तोत्र की विधि-
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ प्रातः काल या प्रदोष काल करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहा जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
सबसे पहले स्नानादि करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
 शिव जी को प्रणाम करें और धूप, दीप और नैवेद्य से उनका पूजन करें।
रावण ने पीड़ा के कारण इस स्तोत्र को बहुत तेज स्वर में गाया था। इसलिए गाकर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें। 

शिव तांडव स्त्रोत का वैज्ञानिक प्रभाव जैसा कि आप सब लोग जानते हैं कि शिव तांडव स्त्रोत पंचचामर छंद भी बना हुआ है।
पंचचामर छंद शरीर के अंदरएडर्निल की मात्रा को बढ़ाने के लिए उपयोगी है यानी इस को सुनने से आपके अंदर जोश भर जाता है इस छंद की यही सबसे बड़ी खासियत है।
मैं आपको कुछ एग्जांपल से समझा देता हूं आपको समझ में आ जाएगा

पञ्चचामर छन्द
चार चरण का वर्णिक छंद
प्रत्येक चरण में लघु गुरु के क्रम से सोलह वर्ण / अक्षर
ल ला – ल ला – ल ला – ल ला – ल ला – ल ला – ल ला – ल ला

रावण रचित शिव ताण्डव स्तोत्र
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम

तथा राष्ट्रकवि जयशंकर प्रसाद विरचित
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा समुज्वला स्वतंत्रता पुकारती
अमर्त्य वीर पुत्र हो दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो
प्रशस्त पुण्य पंथ हैं – बढ़े चलो बढ़े चलो ॥

इसी तरह से राम सिंह ठाकुर द्वारा रचित आजाद हिन्द फ़ौज का संचलन गीत यानी परेड सॉन्ग देखिए।

कदम-कदम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा
ये ज़िन्दगी है क़ौम की, तू क़ौम पे लुटाये जा

सनातन धर्म की विशेषता यह है कि कोई भी चीज बिना मतलब नहीं नहीं है। कोई भी ग्रन्थ कहानी नहीं है उसको वैज्ञानिक तरीके से लिखा गया है। मतलब अगर कविता लिखनी है तो यह नहीं है कि उसके लास्ट में लाकर तुकबंदी मिला दी गई तो कविता बन गई, गजल बन गई या शेर बन गया। जितने भी ग्रन्थ लिखे जाते हैं उनके पीछे पूर्णता व्याकरण जोड़ी है। संस्कृत में १०० बटे १०० नंबर मिलते हैं। इसलिए क्युकी यह पूर्णतः वैज्ञानिक भाषा है। संस्कृत गणित की तरह ही है जिसमें हजारों साल का रिसर्च है इस रिसर्च में राग मंत्र स्त्रोत सभी समाहित है।

आपको समझ में तो आ गया होगा कि रावण ने यह श्लोक क्यों बनाया होगा उसने अपने दोनों हाथों से पहाड़ उठाया हुआ था और ऐसे समय में उसे शक्ति चाहिए थी। उसने भगवन शिव की स्तुति में तांडव स्त्रोत बना दिया। इसीलिए शिव तांडव स्त्रोत को सुनने से डिप्रेशन नाम की चीज आपकी जिंदगी से समाप्त हो जाती है। मानसिक कमजोरी खत्म हो जाती है समस्याएं दूर हो जाती हैं शरीर में किसी भी तरह की कमजोरी हो समाप्त हो जाती है। आप खुद को मुसीबत में पाएं अंदर से डर लगे और मुंह सुखा सुखा हो जाए तो शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना शुरू कीजिए। आपके शरीर में रक्त का संचार सुचारू रूप से हो जाएगा ताकत बढ़ जाएगी मस्तिष्क में नई ऊर्जा का संचार होगा ।

शिव भक्तों के लिए शिव तांडव स्त्रोत बहुत ही उपयोगी है हर हर महादेव

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