Surya ko jal kyu chadhte hain, surya ko jal dene ke fayde, सूर्य को जल चढ़ाने का सही तरीका, सूर्य को जल देने का वैज्ञानिक महत्व
हिन्दू शास्त्रों में सूर्य को पूजनीय बताया गया है। हमारे देश के कई त्योहार है जिनपर सूर्य देव की पूजा होती है। सूर्य की पूजा में सबसे सरल है सूर्य को जल देना। सूर्य को जल क्यों देना चाहिए इसका सामाजिक व ज्योतिषीय आधार क्या है। इस पर चर्चा करेंगे
कहते हैं कि सभी देवी-देवताओं में सूर्य और चन्द्र दो ही ऐसे देवता हैं जिन्हें हम हर दिन देख सकते हैं। वेदों और पुराणों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है। रावण से युद्ध करते समय भगवान राम ने सूर्य देव की पूजा की थी जिसे आज हम आदित्य ह्रदय स्त्रोत के नाम हैं हजारो लोग जिन्हे सरकारी नौकरी की चाहत होती है इसका नियमित पाठ करते हैं। महाभारत काल में पांडवों की माता कुंती सूर्य देव की भक्त थी। कर्ण नियमित सूर्य को अर्घ्य देने के बाद जरूरतमंदों को दान दिया करता था।
कई लोग जो जप तप या मंत्रो का ज्ञान नहीं रखते वह भी सूर्य को नियमित जल देते है। हलाकि वो सही करते है पर फिर भी लोगों को ये शक रहता है कि कहीं हम गलत तो नहीं कर रहे। अभी हल ही में किसी ने मुझसे प्रश्न किया कि सूर्य को अर्ध्य देते समय कौन से पैर की एड़ी उठी होने चाहिए।
मैंने पूछा तो उन्होंने बताया कि गीता प्रेस गोरखपुर की किताब में लिखा है की दाहिने पैर की एड़ी उठा कर सूर्य को अर्द्य देना चाहिए। फिर किसी और पुस्तक में लिखा था की बाये पैर की एड़ी उठा कर अर्द्य देना चाहिए। तो फिर लगा की निश्चित ही इस विषय पर कुछ न कुछ तो कहना चाहिए।
माना जाता है कि जो मनुष्य सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करता है उसके दिन की शुरुआत अच्छे से होती है। प्राचीन काल में लोग तालाब या नदी में स्नान करते समय सूर्य देवता को अर्घ्य देते थे। धार्मिक मान्यतानुसार, सुबह उठकर सूर्य देवता के दर्शन करने और जल अर्पित करने से व्यक्ति की आत्मा और मन को ऊर्जा मिलती है। यदि यह प्रक्रिया नियमित रूप से की जाए तो ऐसा माना जाता है कि मनुष्य का सौभाग्य बना रहता है।
सूर्य को अर्घ्य देने का ज्योतिषीय महत्व
सूर्य को प्रतिदिन अर्घ्य देने से व्यक्ति कुंडली में सूर्य की स्थिति भी मजबूत होती है। ज्योतिषविद्या के मुताबिक हर दिन सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति की कुंडली में यदि शनि की बुरी दृष्टि हो तो उसका प्रभाव भी कम होता है। जो व्यक्ति विशेष रूप से रोजाना ऐसा करता है तो इससे उसके जीवन पर पड़ने वाले शनि के हानिकारक प्रभाव भी कम हो जाते हैं। चंद्रमा में जल का तत्व निहित होता है और जब हम सूर्य को जल देते हैं तो न सिर्फ सूर्य बल्कि चंद्रमा से भी बनने वाले शुभ योग स्वयं ही व्यक्ति की कुंडली में विशेष रूप से सक्रिय हो जाते हैं।
सूर्य को जल चढ़ाने के पीछे न सिर्फ ज्योतिषीय कारण हैं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी बताए गए हैं जैसे, सूर्य को जल का अर्घ्य देते समय जल की प्रत्येक बूंद एक माध्यम की तरह काम करती है और वातावरण में मौजूद विभिन्न जीवाणुओं से सुरक्षा करती हैं। सूर्य को प्रतिदिन अर्घ्य देने से हमारे आंखों की रोशनी भी तेज होती है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य को अर्घ्य देने का खास महत्व सुबह का होता है। नियमित तौर पर से सूर्य को जल का अर्घ्य देने से हमारे शरीर की हड्डियां भी मजबूत होती हैं क्योंकि सुबह की सूर्य की किरणें व्यक्ति को सेहतमंद बनाने में भी मददगार होती हैं, चिकित्सीय आधार पर सूरज की किरणें हमारे शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए ऊर्जा प्रदान करती हैं।
जिनकी जन्मपत्री में सूर्य लग्न से 12वें या दूसरे घर में होता है उन्हें नेत्र रोग की आशंका रहती है, उनके लिए यह उपाय बहुत ही लाभप्रद होता है। ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को राजा, राजकीय क्षेत्र, पिता और नौकरी में अधिकारी का कारक माना गया है।
नौकरी में उन्नति और लाभ के लिए यह जरूरी है कि आपका आत्मविश्वास बना रहे और आप सक्रिय रहें जिससे अधिकारीगण आपसे खुश हों। इसके लिए सूर्य को जल देना बहुत ही लाभप्रद होता है। सूर्य का संबंध हृदय से भी है इसलिए हृदय को स्वस्थ रखने के लिए सूर्य को जल देना बहुत ही शुभ फलदायी माना गया है। सूर्य को नियमित जल देने के साथ आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया जाए तो सूर्य अनुकूल बने रहते हैं जिससे हृदय पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
जन्मपत्री में सूर्य की अनुकूलता से पैतृक संपत्ति से सुख की प्राप्ति होती है। अगर पैतृक संपत्ति को लेकर विवाद हो रहा हो। पिता से तालमेल की कमी हो रही है तब सूर्य की पूजा और उदित होते सूर्य को अर्घ्य देना लाभकारी रहता है।
सरकारी नौकरी के लिए प्रयास कर रहे हैं तो आपको नियमित सूर्य को जल देते रहना चाहिए। इससे सूर्य आपका बलवान होता है और सूर्य के बली होने पर सरकारी क्षेत्र से लाभ प्राप्ति का योग भी प्रबल होता ।
सुबह जब जल अर्पित करें तो रखें इन खास बातों का ख्याल
इससे पहले एक बात मैं आप लोगों को बताता हु ताकि आप इसका रेफरन्स हर बिंदु पर ध्यान रखें।
मत्स्य अवतार की कथा में मनु महराज नदी में स्नान कर रहे थे और उन्होंने सूर्य देव को जल देने के लिए अपनी अंजलि से जल दे रहे थे तभी एक मछली ने उनसे कहा की मुझे अपने कमंडल में रख ले। फिर वह मछली कमंडल से बड़े बर्तन और बड़े बर्तन से तालाब में डाली गई पर उसका आकर निरंतर बढ़ता रहा। और फिर मत्स्य रूप में भगवान विष्णु ने बताया की प्रलय आने वाली है।
सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटा इस्तेमाल करना को कहा जाता है पर जल चढ़ाना ज्यादा जरुरी है इसलिए कोई भी पात्र ले सकते हैं। यदि यह भी संभव न हो तो जल अंजलि में भर कर सूर्य देव को अर्पित कर सकते हैं। क्योकि स्नान करते समय सभी ऋषि मुनि इसी तरह से जल देते थे। जरुरी है जल अर्पित करना।
जल में चावल, रोली, फूल पत्तियां आदि डालकर चढ़ाना चाहिए यदि उपलभ्ध न हो तो केवल जल भी चढ़ा। यदि आपमें सभी पूजा अपनी श्रद्धा अनुसार व सामर्थ्य अनुसार होती हैं।
जल चढ़ाते समय सूर्य का बीज मंत्र या सूर्य का कोई मंत्र करना चाहिए। गायत्री मंत्र का जाप भी किया जा सकता है। आप भगवान सूर्य के 12 नामों का भी जाप कर सकते हैं।
पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही जल अर्पित किया जाना चाहिए। इसलिए अर्ध्य सुबह ही देना चाहिए। प्रयास करना चाहिए की सूर्योदय से 1 घंटे के भीतर ही जल चढ़ा देना चाहिए क्योकि उस समय सूर्य से सबसे ज्यादा इंफ्रारेड तरंगे निकलती है जो हमारे स्वस्थ के लिए बहुत अच्छा है।
सूर्य को अर्घ्य देते समय ध्यान रखना चाहिए कि हमारा हाथ सिर से ऊपर हो और फिर गिरती धार से सूर्य की किरण को जरूर देखना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से सूर्य की सातों किरण आपके शरीर पर पड़ती हैं, इससे आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
सूर्य को जल देते समय कहा जाता है की जल की छींटे पैर पर नहीं गिरना चाहिए अन्यथा पाप लगता है। पर एक बात बताये कई बार मुझे लगता है की लिखने वालों ने कभी सूर्य को जल नहीं दिया या वो पहाड़ पर खड़े होकर जल देते हैं। भाई साहब अगर जमीन पर खड़े होकर सर के ऊपर से जल गिराएंगे तो उसकी छींटे पैरो पर गिरेंगी। जो लोग नदी में खड़े होकर जल अर्पित करते हैं तो क्या उनका जल उनके शरीर पर नहीं गिरता। इसलिए इसका विचार करने की जरुरत नहीं।
सूर्य को अर्ध देते समय कौन से पैर की एड़ी पर खड़े होना चाहिए। जो लोग पानी में खड़े होकर जल अर्पित करते हैं वो कौन से पैर पर खड़े होते हैं। हमें नहीं पता। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की आप कौन से पैर पर खड़े होकर जल देते हैं बल्कि जरुरी ये है की आप जल दे। बाल की खाल निकलने वाले बहुत से लोग मिल जायेंगे।