'श्री भृगु ऋषि' द्वारा रचित सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र जो कि 'भृगु ऋषि' द्वारा अपनी पुस्तक 'भृगु सहिता' में दिया गया है जो प्राय: सभी स्त्रोत में सर्वोत्तम है।
इस पाठ के फल-स्वरुप पुत्र-हीन को पुत्र-प्राप्ति होती है और जिसका विवाह नहीं हो रहा हो, उसका विवाह हो जाता है ।
ज्वर, क्षय, कुष्ठ, वात-पित्त-कफ की पीड़ाओं और भुतादिक सभी बाधाओं का निवारण होता है ।
इसके पाठ से निर्धन को धन और बेकार को जीविका का साधन – नौकरी, व्यापार आदि की सुविधा प्राप्त होती है ।
फिर इस मंत्र (स्तोत्र) का 40 दिन तक लगातार शुद्ध और सात्विक रहते हुए नित्य ग्यारह बार जाप करें।