नमस्कार दोस्तों
लड्डू गोपाल कौन हैं? लड्डू गोपाल की पूजा क्यों करनी चाहिए? उनकी पूजा कैसे करनी चाहिए? तथा पूजा के नियम क्या है? व उन्हें किन किन चीजों का भोग लगाना चाहिए? यह लेख उसी विषय पर है तो कृपया अगर जानकारी यह सब जानकारी चाहते हैं तो पूरा लेख पढ़ें।
जब कोई भगवान राम का नाम लेते हैं तो हमारे मन में मर्यादा पुरुषोत्तम की छवि आती है। जब हम भगवान् शिव का नाम लेते हैं तो हमारे मन में एक सन्यासी की छवि उभरती है। इसीलिए उन्हें शिव बाबा भी कहा जाता है। इसी तरह अगर आप देवी का नाम लेंगे तो हमारे मन में मातृत्व की छवि आती है। परंतु जब आप भगवान श्री कृष्ण का नाम लेते हैं तो ढेरों सारी छवियां हमारे दिमाग के अंदर उपस्थित हो जाती हैं। ज्यादातर जो छवि हमारे मन में बसी हुई है वही निकल कर आती है। अर्जुन को उपदेश देते हुए योगेश्वर श्रीकृष्ण की छवि, राधा के साथ खड़े कान्हा की छवि, सिहासन पर बैठे द्वारकाधीश की छवि तो बाल रूप लड्डू गोपाल की छवि लोगों के मन में आती है।
श्री कृष्ण ऐसे भगवान है जिन्हें आप किसी भी रूप में अपना सकते हैं। कोई उन्हें गुरु के रूप में पूजता है। कोई सखा के रूप में कोई भाई के रूप में पूजता है। कोई उन्हें पति के रूप में पूजता है और तो और भक्ति की हद हो गई उन्हें अपना बच्चा बना लिया है। कुछ लोगों ने उन्हें गोद ले लिया है उन्हें अपना पुत्र भी बना लिया है जिन्हे हम लड्डू गोलाप कहते हैं । मेरे घर में भी लड्डू गोपाल है।
आपको घरों में ही लड्डू गोपाल अक्सर दिख जाएंगे आखिरी लड्डू गोपाल हैं कौन और इसके पीछे क्या कथा है तो आइए पहले यह जान लेते हैं।
ब्रज भूमि पर भगवान श्री कृष्ण के एक अन्य भक्त रहते थे जिनका नाम कुंभनदास था। उनका एक पुत्र था जिसका नाम रघुनंदन था। कुंभनदास जी ज्यादातर समय भगवान की भक्ति में ही लीन रहते थे। एक बार उन्हें भागवत कथा का न्योता आया।
पहले तो उन्होंने मना कर दिया लेकिन लोगों के जोर देने पर वे कथा के लिए जाने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने सोचा कि भगवान की सेवा की तैयारी करके वे कथा करके वापस लौट आएंगे। जिससे भगवान का सेवा नियम भी नहीं छूटेगा और भगवत कथा भी हो जाएगी। उन्होंने अपने पुत्र को समझा दिया कि वे भोग तैयार कर चुके हैं, तुम्हें बस समय पर ठाकुर जी को भोग लगा देना है। और वहां से प्रस्थान कर गए।
छोटा बालक था उसको इतनी समझ नहीं थी। तो उसने ठाकुर जी के आगे नैवेद्य रख दिया। सरल भाषा में उनसे आग्रह किया कि ठाकुर जी आओ भोग लगाओ। उसके उसके बाल मन में छवि थी कि ठाकुर जी आएंगे अपने हाथों से खाना खाएंगे। उसने बार-बार आग्रह किया लेकिन ठाकुर जी नहीं आए। जब रघुनंदन उदास हो गया और उसने कहा कि ठाकुर जी आओ भोग लगाओ अगर आप नहीं आएंगे तो हम भी नहीं खाएंगे। ठाकुर जी उसकी भक्ति को देखकर बड़े प्रसन्न हुए और जिसके बाद ठाकुर जी ने एक बालक का रूप धारण किया और भोजन करने बैठ गए। ये दृश्य देख रघुनंदन भी प्रसन्न हो गया। शाम को जब कुंभन दास जी लौटे तो उन्होंने रघुनंदन से कहा कि बेटा ठाकुर जी को भोग लगाया तो उसने कहा लगाया था। ठाकुर जी भूखे थे और सारा भोजन खा गए। इन्हे लगा की बच्चा भूखा होगा वह सारा प्रशाद खा गया होगा।
अब तो ये रोज का नियम हो गया कि कुम्भनदास जी भोजन की थाली लगाकर जाते और रघुनंदन ठाकुर जी को भोग लगाते और जब वे वापस लौटकर प्रसाद मांगते तो एक ही जवाब मिलता कि ठाकुर जी ने सारा भोजन खा लिया। कुम्भनदास जी को अब लगने लगा कि पुत्र झूठ बोलने लगा है।
अगले दिन कुम्भनदास ने लड्डू बनाकर थाली में सजा दिए और छिप कर देखने लगे कि बच्चा क्या करता है। रघुनंदन ने रोज की तरह ही ठाकुर जी को पुकारा तो ठाकुर जी बालक के रूप में प्रकट होकर आए और लड्डू खाने लगे।
यह देखकर कुम्भनदास जी दौड़ते हुए आए और प्रभु के चरणों में गिरकर विनती करने लगे। उस समय ठाकुर जी के एक हाथ मे लड्डू और दूसरे हाथ वाला लड्डू मुख में जाने को ही था कि वे जड़ हो गए। उसके बाद से ही उनकी इसी रूप में पूजा की जाती है और वे ‘लड्डू गोपाल’ कहलाए जाने लगे।
किन लोगों को रखनी चाहिए?
कोई भी अपने घर में लड्डू गोपाल रख सकता है। कहा जाता है कि जिन दम्पति के घर में बच्चे नहीं होते ऐसे लोगों को लड्डू गोपाल अपने घर में अवश्य रखना चाहिए तथा गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। कुछ समय में ही लड्डू अपने भाई बहन ले आएंगे। लड्डू गोपाल ऐसे लोगों को अपने घर में रखना चाहिए जो लोग शाकाहारी हो। क्योंकि भगवान विष्णु के किसी भी अवतार की पूजा करने वाले लोग शाकाहारी होते हैं। वह वैष्णव कहलाते हैं। लेकिन यदि आपके घर में मीट मांस आदि का सेवन किया जाता है तो प्रयास करें कि जहां लड्डू गोपाल हैं वहां पर बैठकर मीट मॉस इत्यादि ना खाया।
लड्डू गोपाल घर में कब लेनी चाहिए ?
वैसे तो कभी भी लड्डू गोपाल को घर में लाया जा सकता है। लेकिन प्रयास करें कि कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन आप उन्हें घर लाएं। साथ ही सबसे उत्तम दिन कृष्ण जन्माष्टमी ही माना जाता है। उस दिन लाकर और छठी के दिन आप उनकी छुट्टी करेंगे तो यह बड़ा ही उत्तम माना जाता है।
लड्डू गोपाल को कैसे लेकर आए, आप कैसे निर्णय लें कि यही वाला लड्डू गोपाल हमें अपने घर ले जाना चाहिए ?
जैसे कहा जाता है कि जोड़ियां आसमान में बनती हैं। गुरु और शिष्य आपके जन्म से पहले निर्धारित हो जाता है कि आपका गुरु कौन होगा और आप किसके शिष्य होंगे। उसी तरह पहले से ही तय होते हैं कि आपके पास कौन से लड्डू गोपाल आने वाले हैं और कितने समय के लिए आने वाले हैं। जब भी आप लड्डू गोपाल खरीदने जाएं तो उन सभी लड्डू गोपाल में से जो लड्डू आपको अत्यधिक आकर्षित करता है आप उसे ही लेकर आएं।
इनके अपने साइज होते हैं जैसे तकरीबन 2 इंच तक का लड्डू गोपाल ज़ीरो नंबर का होता है
ढाई इंच तक का लड्डू गोपाल एक नंबर का होता है।
3 इंच के लड्डू गोपाल दो नंबर के 4 इंच के लड्डू गोपाल चार नंबर के व 4.5 इंच के लड्डू गोपाल पांच नंबर के होते हैं।
6 नंबर के लडडू गोपाल 5 इंच के होते हैं और आखरी जो सातवें नंबर के लडडू गोपाल हैं वह 6 इंच के होते हैं।
उनको रखने के कुछ नियम बताए गए हैं हालांकि जब आप लड्डू गोपाल को घर लेकर आते हैं तो समझ जाइए कि आप अपने घर में एक नया सदस्य लेकर आए हैं। एक छोटा बच्चा लेकर आए जिसकी देखरेख आपको हमेशा करनी है। वह आपके परिवार के साथ जितना घुल मिल जाएगा समझें उतना ही आप का कल्याण हो जाएगा। वह आपके दोनों रास्ते खोलता है इस लोक में भी सफलता दिलाता है तथा उस लोग का भी मार्ग वही खोलता है।
लड्डू गोपाल घर में है तो उनके पांच नियम हैं जो हमेशा याद रखें
1 रोज कराएं स्नान
2 रोजाना पहनाएं साफ कपड़े
3 रोज करें श्रृंगार
4 भोग लगाएं
5 घर में ना छोड़े अकेला
ये पांच नियम जरूर आपनाएँ
आपके घर में लड्डू गोपाल जी आते हैं तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें
नंबर 1 जब लड्डू गोपाल आपके घर में पहुंचते हैं। तो वह आपके घर के सदस्य बन जाते हैं इसलिए घर के सदस्यों की तरह ही उनको सम्मान दें। जब वह घर में आ गए तो वह घर अब उनका भी है इसलिए अपने मन में यह भाव मत लाएं कि आप मेरे घर आ रहे हैं बल्कि अब हमारा परिवार एक है इस तरह का भाव अपने मन में रखें। जैसे परिवार की आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है वैसे ही लड्डू गोपाल की आवश्यकताओं का भी आपको ध्यान रखना है।
नंबर दो: लड्डू गोपाल के लिए सिर्फ वही चीज दे या अर्पित करें जो आपके घर में बनती है कुछ एक्स्ट्रा लाने की जरूरत नहीं है। अगर जरूरत होगी तो लड्डू गोपाल आपसे खुद मांग लेंगे। ऐसा अनुभव में व्यक्तिगत रूप से कर चुका हूं।
प्रति दिन प्रातः लड्डू जी को स्नान अवश्य कराएं, सर्दियों में गर्म पानी व गर्मियों में ठन्डे पानी से स्नान कराएं। उन्हें स्वच्छ वस्त्र पहनाएं वस्त्रों का चयन मौसम के अनुसार करें प्रत्येक मौसम के अनुसार लड्डू गोपाल जी के लिए सर्दी गर्मी से बचाव का प्रबन्ध करना चाहिए।
जिस प्रकार आपको भूख लगती है उसी प्रकार लड्डू गोपाल जी को भी भूख लगती है अतः उनके भोजन का ध्यान रखे नियम अनुसार उन्हें कम से कम दो बार भोजन जरूर कराएं। इसके अलावा आप अपनी श्रद्धा के अनुसार भोजन के अतिरिक्त, सुबह का नाश्ता और शाम के चाय नाश्ते आदि का भी ध्यान रखे। घर में कोई भी खाने की वस्तु आए लड्डू गोपाल जी को हिस्सा भी उसमे अवश्ये होना चाहिए।
लड्डू गोपाल जी को खिलौने बहुत प्रिये हैं उनके लिए खिलौने अवश्ये लेकर आएं और उनके साथ खेलें भी। समय समय पर लड्डू गोपाल जी को बाहर घुमाने भी अवश्य लेकर जाएं।
उनसे रिस्ता जरूर बनायें
लड्डू गोपाल जी से कोई ना कोई नाता अवश्य कायम करें, चाहे वह भाई, पुत्र, मित्र, गुरु आदि कोई भी क्यों ना हो, जो भी नाता लड्डू गोपाल जी से बनाये उसको प्रेम और निष्ठा से निभाएं। अपने लड्डू गोपाल जी को कोई प्यारा सा नाम अवश्य दें।
लड्डू गोपाल से प्रेम पूर्वक बाते करें, उनके साथ खेलें, जिस प्रकार घर के सदस्य को भोजन कराते हैं उसी प्रकार उनको भी प्रेम से भोजन कराएं। पहले लड्डू गोपाल को भोजन कराएँ उसके बाद स्वयं भोजन करें।
जैसे आप सोते और जागते हैं वैसे ही लड्डू को भी सुनाना और जगाना चाहिए साथ ही उनके चयन के लिए भी वस्त्र आपको रखनी चाहिए।
क्या महिलाओं को उन दिनों में भी लड्डू गोपाल की सेवा उसी तरह करनी चाहिए?
वैसे तो यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपका और उनका रिलेशन क्या है?
आपने उनके साथ क्या रिश्ता जुड़ा हुआ है। अन्य देवी-देवताओं की बात अलग है पर लड्डू गोपाल की बात कुछ और ही है क्योंकि वह एक बालक है आपका परंतु हमें इस बात का भी ध्यान रखना है कि वह भगवान भी हैं। ज्यादातर महिलाएं स्वयं ही उन दिनों में लड्डू गोपाल को नहीं छूती हैं क्योंकि उन्हें खुद को ही ऑनहाइजीन महसूस होता है। कुछ महिलाएं अपनी रसोई का बना खाना भी उनको नहीं देती हैं।
हिंदू धर्म अपनी कुरीतियों को दूर करने में ज्यादा समय नहीं लगाता। यदि भविष्य में यह पता चलता है कि यह एक कुरीति है तो निश्चित ही एक दिन “उन दिनों” में भी महिलाएं भगवान की पूजा कर पाएंगी। परंतु आज के समय में अभी समाज इतना उन्नत नहीं हुआ है या हमारे धर्म में इसको भी कुरीति नहीं माना जाता। बल्कि इसे मर्यादा कहा जाता है। इसलिए प्रयास करके उन दिनों में महिलाओं को लड्डू गोपाल से दूर रहना चाहिए। उस समय महिलाएं उनको उनसे दूर से बात कर सकती हैं और उनको लाड भी कर सकती हैं तथा उनका हाल-चाल पूछ सकती हैं, उनसे बातें कर सकती हैं परंतु उन्हें हाथ ना लगाएं।