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25 beej mantras that cure diseases, 25 बीज मन्त्र जो करते हैं बीमारी का समाधान

बीज मन्त्रों द्वारा करें असाध्य बीमारी का इलाज, 25 beej mantras that cure diseases, 25 बीज मन्त्र जो करते हैं बीमारी का समाधान, beej mantra,

विद्वानों के अनुसार जैसे पूरा पेड़ उसके बीज में समाहित होता है ऐसे ही किसी भी देव की शक्ति का अंश उसके बीज मन्त्र में होता है। किसी भी मंत्र की शक्ति उसके बीज में होती है।
बीज मंत्र की अधिक जानकारी के लिए आप हमारा ये लेख पढ़ सकते हैं।
बीज मंत्र को अपनी सुविधा और समयानुसार चलते-फिरते उठते-बैठते अर्थात किसी भी अवस्था में जप सकते हैं। यहाँ हम कुछ बीज मंत्र बता रहे हैं जिनका जप करके आप अंग विशेष से जुडी समस्या का समाधान कर सकते हैं। किसी बीमारी में यह रामबाण सिद्ध हो सकता है।
बीज मन्त्रों को जपने का सबसे सही समय ब्रम्ह मुहरत ही है।

मस्तिष्क से जुडी समस्या

ॐ- यह परमपिता परमेश्वर की शक्ति का प्रतीक है। किसी भी तरह के मानसिक विकार में, अनिद्रा, अत्यधिक तनाव, भूलने की समस्या, व पार्किंसन जैसे समस्यों में इस मन्त्र का नियमित जप करने से लाभ मिलता है।
ढं– ये बीज मंत्र मानसिक शांति प्रदान करता है। ऊपरी बाधा जैसे मारण, स्तम्भन आदि प्रयोगों से उत्पन्न हुए विकारों में उपयोगी।
क्लीं– पागलपन में तथा डर दूर करने में सहायक है।
धं– काम में हुए तनाव को काम करता है। इसे शाम को १० मिनट जपना चाहिए
यं– बच्चों के चंचल मन के एकाग्र करने में अत्यत सहायक।

कान से जुडी समस्या

द्वां– कान के समस्त रोगों में सहायक।

सीने तथा पेट से जुडी समस्या

पं– फेफड़ों के रोग जैसे टी.बी., अस्थमा, श्वास रोग आदि के लिए गुणकारी।
मं– महिलाओं में स्तन सम्बन्धी विकारों में सहायक। यह स्तन कैंसर को दूर करने में सहायक है।
कां– पेट सम्बन्धी कोई भी विकार और विशेष रूप से आंतों की सूजन में लाभकारी।
रं– उदर विकार, शरीर में पित्त जनित रोग, ज्वर आदि में उपयोगी।
अं– पथरी, बच्चों के कमजोर मसाने, पेट की जलन, मानसिक शान्ति आदि में सहायक
शुं– आंतों के विकार तथा पेट संबंधी अनेक रोगों में सहायक ।
गुं– मलाशय और मूत्र सम्बन्धी रोगों में उपयोगी।
सं- बवासीर मिटाने के लिए

वात पित्त कफ के लिए बीज मन्त्र

ह्रीं– कफ विकार जनित रोगों में सहायक।
ऐं- वात नाशक, रक्त चाप, रक्त में कोलेस्ट्राॅल, मूर्छा आदि असाध्य रोगों में सहायक। तथा पित्त जनित रोगों में उपयोगी।
बं– शूगर, वमन, कफ, विकार, जोडों के दर्द आदि में सहायक। वायु रोग और जांघो के दर्द के लिये

अन्य समस्याओ के लिए बीज मन्त्र

शं– वाणी दोष, स्वप्न दोष, महिलाओं में गर्भाशय सम्बन्धी विकार औेर हर्निया आदि रोगों में उपयोगी।
घं– काम वासना को नियंत्रित करने वाला और मारण-मोहन-उच्चाटन आदि के दुष्प्रभावके कारण जनित रोग-विकार को शांत करने मेंसहायक। स्वप्नदोष व प्रदररोग में
लं- महिलाओं के अनियमित मासिक धर्म, उनके अनेक गुप्त रोग तथा विशेष रूप से आलस्य को दूर करने में उपयोगी। पुरुषों में थकान दूर करने के लिए
हुं– यह बीज एक प्रबल एन्टीबॉयटिक सिद्ध होता है। गाल ब्लैडर, अपच, लिकोरिया आदि रोगों में उपयोगी।
कं- मृत्यु के भय का नाश, त्वचारोग व रक्त- विकृति में..
ह्रीं- मधुमेह हृदय की धड़कन में
भं- बुखार दूर करने के लिए
वं- भूख प्यास रोकने के लिए

ध्यान देने वाली बात यह है कि आपकी औषधि लेना नहीं भूलना है।

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