Dharm

गणेश चतुर्थी पर चाँद देखने से कलंक क्यों लगता है? इसका निवारण कैसे करें?

गणेश चतुर्थी पर चाँद देखने से कलंक क्यों लगता है? इसका निवारण कैसे करें?,

सोचिए अगर आप पर कोई चोरी का आरोप लगाए जो आपने की भी न हो या कोई मिथ्‍या आरोप आपके सिर मढ़ दिया जाए। आप सोच रही होंगी कि आखिर ऐसा होगा क्‍यों? मगर, पुराणों की मानें तो ऐसा हो सकता है अगर आपने गणेश चतुर्थी की रात चांद देख लें तो।
राम चैट मानस में तुलसीदास जी कहते है “सो परनारि लिलार गोसाईं। तजउ चउथि के चंद कि नाईं।। अर्थात जो मनुष्य अपना कल्याण, सुंदर यश, सुबुद्धि, शुभ गति और सुख चाहता हो, वह परस्त्री के ललाट को चौथ के चंद्रमा की तरह त्याग दे, यानी परस्त्री का मुख ही न देखे। विभीषण सीताजी को लौटाने का आग्रह कर रहे थे।

भगवत पुराण में एक घटना का जिक्र मिलता है कि एक बार गणेश चतुर्थी का चांद भगवान श्री कृष्ण ने देख लिया था उनको भी समयन्तक मणी चोरी करने का आरोप से कलंकित होना पड़ा था। ’

पौराणिक कथा, क्यों नहीं देखते हैं इस दिन चंद्रमा?
पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान गणेश को गज का मुख लगाया गया तो वे गजानन कहलाए। सभी देवताओं ने उनकी स्तुति की पर चंद्रमा मंद-मंद मुस्कुराते रहें उन्हें अपने सौंदर्य पर अभिमान था। गणेशजी समझ गए कि चंद्रमा अभिमान वश उनका उपहास कर रहे हैं। क्रोध में आकर भगवान श्रीगणेश ने चंद्रमा को काले होने का श्राप दे दिया। इसके बाद चंद्रमा को अपनी भूल का एहसास हुआ। तब चंद्रदेव ने भगवान गणेश से क्षमा मांगी तो गणेश जी ने कहा कि सूर्य के प्रकाश को पाकर तुम एक दिन पूर्ण हो जाओगे यानी पूर्ण प्रकाशित होंगे। लेकिन चतुर्थी का यह दिन तुम्हें दण्ड देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। इस दिन को याद कर कोई अन्य व्यक्ति अपने सौंदर्य पर अभिमान नहीं करेगा। जो कोई व्यक्ति भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा,उस पर झूठा आरोप लगेगा।

द्वापर युग में द्वारकापुरी में सत्राजित नामक यदुवंशी को भगवान सूर्य की कृपा से यह मणि प्राप्त हुई। एक बार वह उसे धारण कर राजा उग्रसेन की सभा में आया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने राष्ट्र हित में वह दिव्य मणि उग्रसेन को भेंट करने की सलाह दी। सत्राजित के मन में यह भाव आया कि शायद भगवान श्रीकृष्ण उनकी मणि लेना चाहते हैं।
उसने मणि अपने भाई प्रसेन को दे दी। एक बार प्रसेन मणि को गले में डालकर आखेट के लिए वन में गया, जहां वह सिंह द्वारा मारा गया, लेकिन सत्राजित ने भगवान श्रीकृष्ण पर मणि छीनने का आरोप लगाया।
श्रीकृष्ण जंगल में स्यमंतक मणि तथा प्रसेन को ढूंढने गए। वहां रामायण काल के जामवंत जी अपनी पुत्री जामवंती के साथ रहते थे, उन्हें वन में स्यमंतक मणि मिल गई। श्री कृष्ण का जामवंत से युद्ध हुआ, जिन्होंने उन्हें अपने स्वामी श्री राम के रूप में पहचान लिया। जामवंत जी ने अपनी पुत्री का विवाह उनसे कर दिया तथा स्यमंतक मणि भी उन्हें दे दी। इस प्रकार श्रीकृष्ण मिथ्या कलंक से मुक्त हुए।

गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन कलंक निवारण के उपाय
इस वर्ष – 18 सितम्बर 2023 सोमवार को चंद्र दर्शन निषेध चन्द्रास्त : रात्रि 08:40 एवं 19 सितम्बर, मंगलवार को चंद्र दर्शन निषेध चन्द्रास्त : रात्रि 09:18

भाद्रशुक्लचतुथ्र्यायो ज्ञानतोऽज्ञानतोऽपिवा।
अभिशापीभवेच्चन्द्रदर्शनाद्भृशदु:खभाग्॥
अर्थातः जो जानबूझ कर अथवा अनजाने में ही भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन करेगा, वह अभिशप्त होगा। उसे बहुत दुःख उठाना पडेगा।

गणेश पुराण के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख लेने पर कलंक अवश्य लगता है। ऐसा गणेश जी का वचन है।

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन न करें यदि भूल से चंद्र दर्शन हो जाये तो उसके निवारण के निमित्त श्रीमद्‌भागवत के १०वें स्कंध, ५६-५७वें अध्याय में उल्लेखित स्यमंतक मणि की चोरी कि कथा का श्रवण करना लाभकारक है। जिससेे चंद्रमा के दर्शन से होने वाले मिथ्या कलंक का ज्यादा खतरा नहीं होगा।

चंद्र-दर्शन दोष निवारण हेतु मंत्र

यदि अनिच्छा से चंद्र-दर्शन हो जाये तो व्यक्ति को निम्न मंत्र से पवित्र किया हुआ जल ग्रहण करना चाहिये। मंत्र का २१ बार जप करें । ऐसा करने से वह तत्काल शुद्ध हो निष्कलंक बना रहता है। मंत्र निम्न है।
सिंहः प्रसेनमवधीत्‌ , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः ॥

अर्थात: सुंदर सलोने कुमार! इस मणि के लिये सिंह ने प्रसेन को मारा है और जाम्बवान ने उस सिंह का संहार किया है, अतः तुम रोओ मत। अब इस स्यमंतक मणि पर तुम्हारा ही अधिकार है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, अध्यायः ७८)

चौथ के चन्द्रदर्शन से कलंक लगता है | इस मंत्र-प्रयोग अथवा स्यमन्तक मणि कथा के वचन या श्रवण से उसका प्रभाव कम हो जाता है |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *