शरद पूर्णिमा । Sharad Purnima
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नमस्कार दोस्तों वैसे तो हिंदू धर्म त्योहारों का ही धर्म है जहां हर छोटा या बड़ा पर्व विशेष होता है। उसकी अपनी कोई ना कोई वैज्ञानिक प्रमाणिकता जरूर होती है। उसे श्रंखला में शरद पूर्णिमा भी एक है जिसे कुछ लोग कोजागिरी या रास पूर्णिमा भी कहते हैं। शरद पूर्णिमा कहा जाता है कार्तिक का महीना शुरू हो जाएगा जो सर्दियों की शुरुआत माना जाता है। इसी तरह इसे कोजागरी यानी कौन जाग रहा है भी कहा जाता है क्योंकि इस रात को जागरण करने का विधान है। साथ ही भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ रास रचाते हैं इसलिए यह त्यौहार रास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को जब चंद्रमा पूर्ण रुप से आसमान में दिखाई देता है तो उस दिन पूर्णिमा तिथि आती है। हिंदू धर्म में हर पूर्णिमा तिथि का महत्व माना जाता है लेकिन अश्विन मास में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना गया है। अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के पर्व के रुप में मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार माना जाता है कि इस दिन आकाश से अमृत वर्षा होती है, इसी दिन से सर्दियों की शरुआत भी माना जाता है। यह दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए बहुत विशेष माना जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा के साथ रात्रि जागरण कर मां लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। विद्वानों का मत है कि इस दिन लक्ष्मी जी अपने वाहन पर सवार होकर अपने भक्तजनों को देखने के लिए आती है। पौराणिक मत के अनुसार लक्ष्मी जी समुद्र मंथन से शरद पूर्णिमा के दिन ही बाहर आई थी इसीलिए स्थिति को धनदायक सिद्दीकी भी माना जाता है जो भक्तजन जागा हुआ मिलता है उसपर लक्ष्मी मां की विशेष कृपा होती है। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से धन वृद्धि होती है। तो चलिए जानते हैं शरद पूर्णिमा तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। Sharad Purnima
इस बार शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा 9 अक्टूबर 2022, रविवार को मानई जाएगी.
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें यदि आसपास नदी ना हो तो ऐसी स्थिति में घर के अंदर गंगाजल डालकर स्नान करें तथा इस मंत्र का जाप करें गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन सानिद्य कुरु। उसके बाद स्वच्छ वस्त्र वस्त्र धारण करें एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और गंगाजल से शुद्ध करें चौकी के ऊपर लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। लाल चुनरी पहना कर लाल फूल जैसे गुलाब या गुड़हल आदि देवी मां को अर्पित करें। थोड़ा सा इत्र चढ़ाएं और साथ में प्रसाद के रूप में कोई भी सफेद खाद्य वास्तु जैसे कलाकंद, बर्फी या या सफ़ेद रसगुल्ले चढ़ाएं। उनके सामने धुप और दीप जलाएं तथा एक सुपारी चढ़ाएं। उसके बाद मां लक्ष्मी की चालीसा का पाठ करें।
उसके बाद आप आरती करें। शाम के समय भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा करें तथा चंद्र को अर्घ्य दें। ज्योतिष में शारद पूर्णिमा के चंद्र का एक विशेष महत्व होता है जो मैं आपको आगे बताने वाला हूं। इसलिए ध्यान दीजिएगा चावल और गाय के दूध में दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी पर रखिए। तकरीबन 7 बजे तक आखिर बना लीजिए और फिर उसे चंद्रमा की रोशनी में दीजिए और 12 बजे के आसपास इस खीर को परिवार जनों को वितरित कर दीजिए। यह सामान्य पूजा विधि है जो कि आपको पता होनी चाहिए।
दोस्तों हमने चंद्र के ऊपर पहले से ही दो वीडियो बनाई हुई है जिसमें यह बताया हुआ है कि चंद्र आपके जीवन में कितना उपयोगी है। यदि चंद्र कमजोर है तो किसी भी तरह का राजयोग फलित नहीं होगा। इसलिए आज के दिन विशेष तौर पर चंद्र को मजबूत करने के कुछ उपाय बताए जाते हैं। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि 90% मामलों में चंद्र किसी ना किसी तरह से पीड़ित ही होता है। वरना दुनिया में हर कोई तरक्की कर जाए और हर कोई अमीर और करोड़पति हो। ऐसी स्थिति में हिंदू ज्योतिष शास्त्र में बहुत से उपाय बताए गए हैं। चंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए उपाय बताए गए हैं। जिनमें कुछ खास उपाय हैं जो मैं आज आपको बताने जा रहा हूं। अगर आप इन्हें शरद पूर्णिमा के दिन करते हैं तो समझिए आपकी तरक्की कोई नहीं रोक सकता।
सबसे पहले आयुर्वेद का ज्योतिषीय उपाय बताता हु जो स्वस्थ के लिए हैं। शरद पूर्णिमा की खीर क्यों उपयोगी है और कैसे इससे आप लाभ ले सकते हैं?
वह लोग जो चंद्र जनित समस्या से पीड़ित हैं जैसे दमा की बीमारी, खांसी जुकाम से संबंधित समस्या, हृदय संबंधित समस्या, साथ ही पेट की छोटी मोटी गड़बड़ इत्यादि। उन लोगों को 5 ग्राम पीपल की छाल व २ ग्राम काकड़ सिंगी का चूर्ण बनाना है जिसे एक कटोरा लगभग 300 ग्राम खीर के ऊपर छिड़क लेना है। यह खीर चन्द्रमा की रौशनी में लगभग 5 घंटे तक रखना है। फिर इसे खा लेना है शरद पूर्णिमा से शरू कर यह हर पूर्णिमा का करना चाहिए। यह प्रयोग दमा के रोगियों को विशेष करना चाहिए।
हेल्थ के लिए दूसरा प्रयोग जो सभी को करना चाहिए ऐसा कहा जाता है कि यह प्रयोग रावण भी किया करता था। वह शरद पूर्णिमा की रात चंद्र किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि पर ग्रहण करता था। इस प्रक्रिया से उसे पुनर्योवन शक्ति प्राप्त होती थी। चांदनी रात में 10 से मध्यरात्रि 12 बजे के बीच कम वस्त्रों में घूमने वाले व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है। सोमचक्र, नक्षत्रीय चक्र और आश्विन के त्रिकोण के कारण शरद ऋतु से ऊर्जा का संग्रह होता है और बसंत में निग्रह होता है।
अब हम बात करते धन संबंधित आप क्या कर सकते हैं।
- शरद पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष की सात परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करते समय मां लक्ष्मी का ध्यान करना चाहिए और अपनी मनोकामना को बार-बार मन में दोहराना चाहिए। ऐसी मान्यता है की अपनी मनोकामना कहने से वह जल्द ही पूरी हो जाती है।
- इस रात लक्ष्मी मां की पूजा करेंगे तो निश्चित ही आपके पास धन आएगा लेकिन यदि चंद्र कमजोर है तो आपका मन पूजा में नहीं लगेगा। इसलिए चंद्र को मजबूत करने के लिए यह उपाय विशेष रूप से आज के दिन किया जाता है। इसमें आपको कोई भी लकड़ी का टुकड़ा जला लेना है गांव में तो लकड़ी के टुकड़े आसानी से जल जाते हैं शहर में आप गैस के ऊपर रखकर उसे जला लीजिए। जब उसमें आग लग जाए और थोड़ा सा जल जाए तब आप उसे उठाकर अपनी बालकनी में या पार्क में किस ऐसे स्थान पर रखें जहां पर चन्द्रमा की रोशनी पूरी आती हो। साथ ही रखने के बाद एक कटोरी में या गिलास में दूध ले लीजिए। चंद्र को अर्घ देते हुए दूध से जलती हुई आग पर डालिए। इससे धीरे धीरे डालते रहिये और चन्द्रमा का नाम मंत्र – ॐ सों सोमाय नम: का ११ बार जाप करें। आग दूध से पूरी तरह बुझ जाने के बाद वही बैठ चंद्र त्राटक करें। इस प्रयोग से आपका मन मजबूत होता है और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- रात के समय आप 11000 बार ओम श्री नमः का जाप करें इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगे