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नमस्कार दोस्तों मां लक्ष्मी की कृपा से मनुष्य हर तरह का सुख प्राप्त करता है। धन संपदा जमीन जायदाद सब महालक्ष्मी की कृपा से ही प्राप्त होता है। लक्ष्मी का मतलब केवल पैसा ही नहीं बल्कि अन्य सुख व वैभव को भी लक्ष्मी ही कहा जाता है। आठ तरह की सम्पन्नता को अष्टलक्ष्मी कहा जाता है। आज हम आपको यह बताएंगे कि अष्टलक्ष्मी क्या होती हैं? इनकी उत्पत्ति कैसे हुई व इनकी उपासना विधि क्या है।
शास्त्रों में वर्णित है कि व्यक्ति को दरिद्रता दूर करने के लिए मां लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। सभी व्यक्ति अपने अपने सामर्थ्य अनुसार कर्म करते हैं परंतु कर्म करने के साथ-साथ भाग्य की भी आवश्यकता होती है। जैसा कि शास्त्रों में कहा गया है कि लक्ष्मी चंचला होती है वह एक स्थान पर रूकती नहीं है। भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में कहा है कि जो कल किसी और का था आज तुम्हारा है और जो आज तुम्हारा है वह कल किसी और का होगा। यानी जो ऐश्वर्या तुम्हारा आज है वही ऐश्वर्या कल किसी और का होगा कल कोई और राजा होगा। यह सब लक्ष्मी जी के कारण है। इसी भाग्य को बचाए रखने के लिए पूजन आराधना जप तप का विधान भी किया जाता है।
ऋषि विश्वामित्र ने कठोर आदेश से लक्ष्मी साधना को अत्यंत दुर्लभ तक गोपनीय कर दिया गया तथा इसे गुप्त रखने के लिए कहा गया। ऐसा पुराणों में वर्णित है कि समुद्र मंथन से पूर्व देवता धन और ऐश्वर्य विहीन हो गए थे। लक्ष्मी माता के प्रकट होने के बाद देवराज इंद्र ने लक्ष्मी की स्तुति की। जिससे प्रसन्न होकर लक्ष्मी महालक्ष्मी ने देवराज इंद्र को वरदान दिया कि तुम्हारे द्वारा दिए गए द्वादश अक्षर मंत्र को जो भी व्यक्ति नियमित रूप से जपेगा या तीन संख्याओं में उसका जप करेगा तो वह धनवान हो जाएगा।
वहीं पर महालक्ष्मी के 8 स्वरूपों का वर्णन है, जो जीवन की आधारशिला है।
अष्टलक्ष्मी में पहली लक्ष्मी जिन्हें हम आदिलक्ष्मी कहते हैं यह जीवन का प्रारंभ है यानी आप का जन्म और आपकी आयु निर्धारित करती हैं। इसी लक्ष्मी के प्रभाव से आयु का निर्धारण होता है और जीवन की बेसिक आवश्यकताएं पूरी होती हैं। इनका मूल मंत्र है “ॐ श्रीम।” जीवन की मूल आवश्यकता जैसे रोटी कपडा और सर छुपाने को जगह मिलने में परेशानी आ रही हो तो समझ जाइए आदिलक्ष्मी आपसे प्रसन्न नहीं है। उन्हें प्रसन्न करने के लिए आप ॐ श्रीं नमः का जाप करें।
धान्य लक्ष्मी
लक्ष्मी जी का दूसरा स्वरूप धान्य लक्ष्मी है जीवन में धन-धान्य से संबंधित सभी संपन्नतायें माता धन्य लक्ष्मी के द्वारा ही संचालित और नियंत्रित की जाती हैं। ज्यादातर व्यापारी लोग इन्हीं की पूजा करते हैं। आपके व्यापार की उन्नति की यही कारक देवी है। इनकी पूजा करने से घर में धन-धान्य के कोष भर जाते हैं। फिल्मों में अक्सर आपने देखा होगा कि साहूकार लोग लक्ष्मी की पूजा करते हुए दिखाई देंगे यह वही धान्य लक्ष्मी है। इनका मूल मंत्र है ॐ श्रीं क्लीं
धैर्य लक्ष्मी,
वह देवी हैं जो जीवन में कठिनाइयों पर काबू पाने के लिए साहस और शक्ति का वादा करती हैं। धैर्य लक्ष्मी को वीर लक्ष्मी या साहस लक्ष्मी के रूप में भी जाना जाता है। जीवन में कठिन जीवन की कठिनाइयों को दूर करने और स्थिरता का जीवन सुनिश्चित करने के लिए की जाती है। इनका मूल मंत्र है ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।
गज लक्ष्मी
यह स्वास्थ्य व बल की देवी कही जाती है। भाद्रपद की राधा अष्टमी तिथि से अश्विन मास की अष्टमी तिथि तक महालक्ष्मी के सोलह दिनों के व्रत रखने का विधान है। इसका समापन गज लक्ष्मी के व्रत के साथ होता है। इस दिन माता लक्ष्मी के साथ उनकी सवारी गज यानि हाथी का भी पूजन किया जाता है। इस दिन मिट्टी या चांदी के हाथी का पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से आपके घर में धन-धान्य की कभी कोई कमी नहीं रहेगी। इसके अतिरिक्त पितर पक्ष में पड़ने के बाद भी इस दिन सोना खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि मां लक्ष्मी को समर्पित होने के कारण इस दिन खरीदे हुए सोने में आठ गुना की वृद्धि होती है। इनका मूल मंत्र था इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।
संतान लक्ष्मी
मनुष्य जीवन में विवाह के बाद संतान ही एक ऐसा सुख है जो नहीं तो जीवन अधूरा है। संतान के न होने के दुख से बड़ा दुख नहीं होता हैं। संतान लक्ष्मी पूजा द्वारा आप संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। देवी संतान लक्ष्मी के स्वरूप में माँ को एक बच्चे के साथ दर्शाया गया हैं। ऐसा कहा जाता है की संतान लक्ष्मी माँ अपने भक्तो का बच्चे की तरह ध्यान रखती हैं। इनका मूल मंत्र है – ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं।।
श्री विजय लक्ष्मी यां वीर लक्ष्मी – ये जीवन में जीत और वर्चस्व को संबोधित करती है
उन्होंने ही मां दुर्गा का अवतार लिया था। कहा जाता है कि देवी वीर लक्ष्मी से प्रार्थना करने से भय का नाश होता है और संचित पापों से मुक्ति मिलती है। उन्हें उन भक्तों की इच्छाओं और वरदानों को प्रदान करने के लिए भी कहा जाता है जो ईमानदारी से उनकी पूजा करते हैं। तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ क्लीं ॐ।।
श्री विद्या लक्ष्मी
संस्कृत का एक श्लोक है जिसमें कहा गया है कि यदि आप राजा हैं तो आपका सम्मान आपके राज्य में ही होगा लेकिन यदि आप विद्वान है तो जहां पर भी जाएंगे वहां आपका सम्मान होगा यदि आपके पास ज्ञान है तो आप किसी भी तरह की मुसीबत से युति लगाकर बाहर निकल जाएंगे जहां पर बल काम नहीं आता वहां बुद्धि जरूर काम आती है इसीलिए लोग श्री विद्या लक्ष्मी की पूजा करते हैं जो बुद्धि और ज्ञान को संबोधित हैं। तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ ऐं ॐ।।
श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी
ये जीवन में प्रणय और भोग को संबोधित करती है। भारतीय संस्कृति में भोग को भी जीवन का एक हिस्सा मन गया है परन्तु ऐसा नहीं हैं कि बस वास्तु वासना में फसें रहो इसके लिए उन्होंने मर्यादित उपभोग शब्द का उपयोग किया है। इसका मतलब आप प्रणय और भोग का पूरा लाभ ले परन्तु उसमे लिप्त नहीं होना। माँ ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा करने से सभी तरह के ऐश्वर्य आपके पास रहते हैं। इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं श्रीं।।
दोस्तों लक्ष्मी जी की उपासना कैसे करनी है। दीपावली पर पूजा के दो समय होते हैं। पहला वृषभ लग्न में होता है जो तकरीबन 6:30 से 8:30 के बीच में हमेशा होता है थोड़ा बहुत आगे पीछे हो सकता है। इसमें आम जन पूजा करते हैं। माँ लक्ष्मी गणेश जी कुबेर तथा भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसमें सबसे पहले पूजा की सामग्री जैसे दिए, प्रशाद पूजा की चौकी, चुकी न हो तो जमीं पर लाल कपडा बिछा लें। लाल कपड़ा बिछड़ने के बाद उस पर लक्ष्मी गणेश की मूर्ति स्थापित करें। यदि आपके पास कुबेर और विष्णु जी का फोटो हो तो वह भी स्थापित कर सकते हैं। उसके बाद गणेश जी का पूजन करें लक्ष्मी जी का पूजन करें भगवान विष्णु और कुबेर का पूजन करें तत्पश्चात आरती करने के बाद प्रशाद वितरित करे तथा घर में दिए जलाएं। यह एकदम सरल पद्धत्ति है। बाकि आप अपने समर्थ अनुसार ज्यादा सामग्री भी रख सकते हैं।
दूसरी पूजा तकरीबन 11:30 से 1:30 बजे तक रहती है इस समय सिंह लग्न उदित होता है। इसे महानिशा काल भी कहते हैं। इस समय लोग अपने आराध्य, ईस्ट की पूजा करते हैं। ज्यादातर लोग मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। कुछ शाबर मंत्रों का भी प्रयोग करते है। मंत्र सिद्धि के लिए यह समय बहुत अच्छा माना जाता है।इस समय मंत्र जपने पर एक हजार गुना फल देता है। जो मंत्र उपासना अभी हम बताने जा रहे हैं वह दिवाली पर सिंह लग्न में तथा अन्य दिनों में शुक्रवार के दिन रात को 9:00 से लेकर 11:00 के बीच में भी कर सकते हैं।
अगर आप सोचते हैं की रोटी कपड़ा मकान व मूल आवश्यकताएं जैसे वाहन मोबाइल का खर्चा बच्चों की पढ़ाई व अन्य एक सुखी जीवन जीने के लिए आवश्यक
वस्तुएं माँ लक्ष्मी की कृपा से आपके पास सदैव बानी रहे और बाकी चीज है आप अपने परिश्रम से कमा लेंगे तो यह मंत्र आपके लिए ही है। या जीवन की कोई मुराद है जैसे नौकरी में उन्नति, व्यापर वृद्धि, मकान या वाहन की इक्षा। तो भी यह मंत्र संकल्प लेकर कर सकते हैं। सबसे पहले आपको हाथ में ₹11, ₹21 या ₹51 रखने हैं फिर एक फूल लेना है थोड़े से चावल व एक दो बूंद गंगाजल अपने हाथ पर रखना है। अब मां लक्ष्मी से कहना है कि मां लक्ष्मी मेरी अमुक इक्षा है। जैसे आप मकान प्राप्त करना चाहते हैं तो कहिए कि मां लक्ष्मी मैं यह संकल्प लेता हूं कि मैं आज 11 माला का जाप करूंगा और अगले 21 दिन तक 11 माला का रोजा करूंगा मुझे मकान की आवश्यकता है मेरी इच्छा पूरी करें। ऐसा कहकर जो सामग्री आपके हाथ में है उसे देवी मां के सामने रख दें। अनुष्ठान पूरा होने के बाद पैसे किसी मंदिर में दान कर दे। फूल आप किसी पौधे या पेड़ के नीचे डाल दे। फूल और चावल किसी ऐसी जगह डाल दें जहाँ किसी का पैर न लगे।
यह मंत्र है ॐ श्रीं नमः (om shreem namha)
इसे कमल गट्टे की माला से 11 माला जपें। यदि आप जप न सके तो यह मंत्र नियमित सुनने से भी उतना ही लाभ होता है।
अगला मंत्र अष्टलक्ष्मी कुबेर मंत्र है जिसका जाप करने से घर में धन धन्य की कमी नहीं रहेगी। तरीका वही है।
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
यह मंत्र यह दिवाली के दिन करना चाहिए अगर आप किसी और दिन भी करना चाहते हैं तो शुक्रवार को कभी भी रात को 9:00 बजे से लेकर और 11:00 के बीच में इस मंत्र का जाप कर सकते हैं इसका पूरा फल मिलता है। साथी धन्यवाद दोस्तों हम इसी तरह काम की जानकारी लाते रहेंगे