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ओम, oum

नमस्कार दोस्तों जब भी हम कोई मंत्र का जाप करते हैं उससे पहले ओम जरूर लगाया जाता है जैसे ओम नमः शिवाय, ओम नमो भगवते वासुदेवाय, अगर किसी ग्रह का जाप करते हैं तो भी उससे पहले ओम ही लगाया जाता है जैसे शनि का जाप करते समय ओम प्राम प्रीम प्रौम सह शनिश्चराय नमः, ओम ग्राम ग्रीम ग्रूम सः गुरुवे नमः। ओम बड़ा ही महत्वपूर्ण शब्द है जिसकी महिमा वेद पुराणों उपनिषदों में ही नहीं बल्कि नासा के वैज्ञानिकों ने भी इसे सर्वश्रेष्ठ शब्द ध्वनि कहा है। (oum)

आप जानना चाहते हैं कि कैसे इस एक अक्षर के मंत्र से आप अपनी पूरी जिंदगी बदल सकते हैं तो यह यह लेख पूरा पढ़ना।
साथ ही हमने ओम का एक विशेष वीडियो बनाया है। जिससे आपकी तीसरी आंख खुल सकती है। जिसके लाभ हाँ अंत में बताएँगे।

जो म्यूजिक आपको नीचे दिया गया है उसके अंदर थीटा ब्रेनवेव म्यूजिक है। तिब्बतियन मंदिर की घंटियों कि साउंड है तथा साथ ही उसमें एंजल नंबर्स भी लिखे हैं। ये एंजेल्स नंबर को केवल देखने मात्र से ही आपके लाइफ में प्रोस्पेरिटी आती है।

बहुत से लोगों का यह कहना है कि वह पूजा-पाठ जब तक के लिए समय नहीं निकाल पाते तो ऐसे लोगों के लिए सिर्फ और सिर्फ 5 मिनट ओम का जाप करना बहुत ही चमत्कारी लाभ देता है। यह केवल शब्द ही नहीं है बल्कि पूरी एक शृष्टि है धार्मिक रूप से ओम को बहुत शक्तिशाली माना गया और ज्यादातर मन्त्रों से पहले लगाया जाता है क्योंकि उस मंत्र के पहले लगाने पर उस मंत्र की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। ओम शब्द बोलते समय हमारे गले और शरीर में खास तरह का कंपन पैदा होता है जिसकी वजह से थायराइड, बीपी, पेट की समस्या, फेफड़ों की समस्या
दूर होती हैं यह बहुत अच्छे एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है। इसके नियमित जाप से उम्र लम्बी होती है तथा बुढ़ापा जल्दी नहीं आता। इस बात को भारत ही नहीं बल्कि तमाम वैज्ञानिक लोग मानते हैं कि इसके नियमित जप से तनाव डिप्रेशन अनिद्रा गुस्सा जैसी मानसिक समस्याओं पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है।

Oum, ओम का अर्थ क्या है और उसका महत्व क्या है?
ओम शब्द वास्तव में 3 शब्दों से मिलकर बना है। अ उ और म इसका वर्णन
उपनिषदों में और खास तौर पर वेदांत में मिलता है। इसे ब्रह्मांडिय ध्वनि कहा गया है।
एक थ्योरी होती है जिसे हम स्ट्रिंग थ्योरी के नाम से जानते हैं स्टिंग थ्योरी यह बताती है कि पूरा ब्रह्मांड एक गूंज है। इस गूंज में ब्रह्मा विष्णु महेश समाहित है।
ब्रह्मा जी जिन्होंने सृष्टि का निर्माण किया वह अ ध्वनि है। इसे निकालने के लिए आपको बहुत ज्यादा परिश्रम नहीं करना पड़ता। यह एक स्वाभाविक ध्वनि है। दूसरी ध्वनि है भगवन विष्णु की जो उ कही जाती है। सृष्टि में आपको आने के लिए परिश्रम नहीं करना है वह कोई और ही कर रहा होता है। आप तो अनायास ही आ जाते हैं उसके बाद शुरू होता है भगवान विष्णु का काम जो कि दुनिया के पालक है। जन्म के साथ ही आपके जीवन के संघर्ष शरू हो जाते हैं। जो आपको मजबूत बनाते हैं। आपको उ शब्द बोलने के लिए गाल और होठों की ताकत लगनी पड़ती है। देर तक बोलेंगे तो थक जायेंगे यानी यह बताते हैं कि जीवन संघर्ष में होता है।
तीसरा शब्द म है जिसका मतलब महेश है। जैसे ही आप म बोलते हैं तो मुँह बंद हो जाता है। कोई दूसरा शब्द बोलने के लिए फिर से शुरुआत करनी पड़ती है। यानी व्यक्ति पैदा हुआ उसने जीवन जिया और समाप्त हो गया इस अकेले शब्द में पूरा जीवन समाहित है

ओम शब्द की व्याख्या बहुत ही विस्तृत है और कहा गया है हरि अनंत हरि कथा अनंता कहि सुना ही बहु विधि सब संता यानी भगवान अनंत है और उसकी व्याख्या भी अनंत है हर विद्वान अपने अनुसार उसकी व्याख्या करता है। ठीक उसी तरह ओम भी है जिसके बारे में जितना जाने उतना कम जितने विद्वान लोग मिलेंगे आपको वह सभी ओम के बारे में कुछ बातें कॉमन तो कुछ नई बातें जरूर बताएंगे।

ओम का जप कैसे किया जाए एक शांत जगह पर बैठ जाइए जहां आसपास लोग आपको डिस्टर्ब ना करें।
पहले लंबी सांस लेकर फिर आधी साँस में ओ और आधी साँस में म का उच्चारण करें। यह आपको पूरे 5 मिनट तक करना है। ध्यान रखें गिनती करने की कोई आवश्यकता नहीं है बस केवल आपको 5 मिनट तक करना है। सके सैकड़ों लाभ आपको स्वयं महसूस होने लगेंगे यदि आप बोलकर न कर पाए तो हमने उनके लिए कि स्पेशल म्यूजिक तैयार किया है जिसमें आप कान में हेड फोन लगाकर सुन सकते हैं। इससे मानसिक शांति प्राप्त होगी, आपकी नेचुरल पावर जागृत हो जाएगी। दूसरों के मन की बात आप आसानी से पढ़ पाएंगे, आप भविष्य में होने वाली घटना देख पाएंगे। साथ ही कुछ लोग दूर बैठे लोगों से बात कर पाएंगे यानि इस म्यूजिक को सुनने से आप में टेलीपैथी डिवेलप हो जाएगी। अगर आप इसे रोज बैठकर 15 मिनट सुनते हैं। रात को सोते समय यदि आप इसे हेड फोन लगाकर सुनते हैं तो इससे अंदर धीरे-धीरे छठी इंद्री भी जागृत होनी शुरू हो जाएगी। इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिंक दिया हुआ है।

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