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Benefits Cats Eyes Stone, लहसुनिया रत्न,

Benefits Cats Eyes Stone, लहसुनिया रत्न,

रत्न शास्त्र के अनुसार, हर एक रत्न का अपना एक महत्व और लाभ होता है। इन्हीं रत्नों में से एक है लहसुनिया। इस रत्न को केतु का रत्न माना जाता है। माना जाता है कि कुंडली में केतु अच्छा है पर उसकी स्थिति कमजोर है, तो इस रत्न को पहनना लाभकारी होगा। इसके साथ ही इस रत्न को पहनने से व्यापार, नौकरी में भी काफी लाभ मिलता है। बेहद चमकीला दिखने वाले इस रत्न के बीच में बिल्ली की आंखों की तरह बनावट होती है। इसी कारण इसे अंग्रेजी में ‘कैट्स आई (Cats Eyes) कहा जाता है। रत्न शास्त्र के अनुसार इस रत्न को धारण करने से मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। आइये जानते हैं कि लहसुनिया पहनने से क्या लाभ व नुकसान है।

लहसुनिया रत्न केतु से संबंधित होता है।

केतु ग्रह मनुष्य के ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण ग्रह है। जिसे “छाया ग्रह” या “मोक्ष ग्रह” भी कहा जाता है, ज्योतिष में इसे नवां ग्रह माना जाता है और ज्योतिष शास्त्र में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। यह ग्रह आध्यात्मिकता, मोक्ष, ज्ञान, रहस्यवाद, मुक्ति, त्याग, वैराग्य, विदेश यात्रा, विज्ञान, मीडिया, तकनीकी कौशल, उपासना और “अज्ञात” का कारक माना जाता है।

बलवान केतु व्यक्ति को आध्यात्मिक, ज्ञानी, विद्वान और रहस्यवादी बनाता है। उसे मोक्ष और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति होती है। वह विदेश यात्रा का आनंद लेता है। जबकि दुर्बल केतु व्यक्ति को भ्रमित, अस्थिर, और अनिश्चित करता है। उसे आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने में कठिनाई होती है। वह विदेश यात्रा में बाधाओं का सामना कर सकता है।

लहसुनिया एक ऐसा रत्न है जो आध्यात्मिक गुणों के लिए जाना जाता है। यह केतु के दोष पूर्ण प्रभाव से दूर करने में मदद करता है और बढ़ती ठंड के कारण शरीर में होने वाली बीमारियों को भी कम करता है।
केतु हमेशा वक्री रहता है और जब कुंडली में प्रधान होकर स्थित होता है तब वह अप्रत्याशित लाभ व फायदे लेकर आता है। केतु मुख्यतः दादाजी, कुष्ठ रोग, किसी चोट या किसी दुर्घटना, भाग्य व भय के मामलों का संकेत देता है। इतना ही नहीं यह ग्रह यात्रा, बच्चों व जीवन में होने वाली आर्थिक स्थिति को भी दर्शाता है।

लहसुनिया कई रंगों जैसे मटमैला पीला, भूरा, शहद की तरह भूरा, सेब की तरह हरे रंग में उपलब्ध होता है। यह रत्न अपनी चमक के लिए जाना जाता है। लहसुनिया कैबोकाॅन रूप में कटा होता है जिस कारण इसके ऊपर पड़ने वाला प्रकाश एक लंबी रेखा के रूप में दिखाई देता है। इस रत्न के प्रभाव से जातक का मोह-माया व विलास आदि से मन हट जाता है और वह अध्यात्म की ओर झुकने लग जाता है।

लहसुनिया रत्न के फायदे Benefits Cats Eyes Stone,

लहसुनिया रत्न के कई लाभ हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

लहसुनिया उन जातकों के लिए बेहद उत्तम होता है जो शेयर बाजार या जोखिम भरे निवेश कार्य करते हैं। इस रत्न की कृपा से जोखिम भरे निवेशों का कार्य कर रहे व्यक्ति का भाग्य चमकता है।
व्यावसायिक क्षेत्र में यदि आपकी तरक्की लंबे समय से रुकी हुई है, तब भी यह रत्न काफी लाभकारी साबित होता है। इसके प्रभाव से आपको प्रोफेशनल लाइफ में सफलता प्राप्त होती है। फंसा हुआ पैसा व खोई हुई आर्थिक संपदा को भी वापस लाने में लहसुनिया लाभदायी होता है।
इस रत्न को धारण करने से आप बुरी नज़र के प्रभाव से भी बचे रहते हैं।
केतु जीवन को बहुत संघर्ष पूर्ण बना देता है और कड़ा सबक सिखाता है। लहसुनिया केतु का ही रत्न है जो इस चुनौती भरी स्थिति में भी आपको सुख-सुविधाओं का आनंद प्राप्त करवाता है।
अध्यात्म की राह पर चलने वालों के लिए भी लहसुनिया रत्न लाभकारी होता है। इसको धारण करने से सांसारिक मोह छूटता है और व्यक्ति अध्यात्म व धर्म की राह पर चलने लग जाता है।
लहसुनिया के प्रभाव से शारीरिक कष्ट भी दूर होते हैं। अवसाद, लकवा व कैंसर जैसी बीमारियों में भी यह रत्न लाभदायक होता है।
लहसुनिया मन को शांति प्रदान करता है और इसके प्रभाव से स्मरण शक्ति तेज होती है और आप तनाव से दूर रहते हैं।
लहसुनिया रत्न के नुकसान
कुछ रत्न जो व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों के साथ यदि मेल नहीं खाते हैं तो उनका बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है इसलिए किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह ज़रूर लें, तभी खुशहाली व समृद्धि प्राप्त होगी।

लहसुनिया से होने वाले कुछ बुरे प्रभाव इस प्रकार हैं:

दिल या मस्तिष्क से जुड़े रोग हो सकते हैं।
चोट आदि लगने का भी डर रहता है, जिसके चलते खून ज़्यादा बह सकता है।
जननांगों में समस्याएं हो सकती हैं।
पसीना बहुत ज़्यादा निकलने लग जाता है। हर वक्त थकान व मितली जैसा महसूस होता है।
स्वभाव में उग्रता आती है व बेफिज़ूल के झगड़े होने लग जाते हैं।

कितने रत्ती का रत्न धारण करें?

रत्न के आकार और वजन का चुनाव करते वक्त कई पहलुओं को देखा जाता है। लहसुनिया रत्न को केतु की दशा के वक्त पहनने का सुझाव दिया जाता है। इस रत्न को आजीवन धारण नहीं किया जाता है। बस जब केतु कुंडली में गलत स्थान पर स्थित होता है, केवल तब ही इस रत्न को पहनते हैं। इस रत्न का वजन निर्धारित करने के लिए सामान्यतः ज्योतिषी धारण करने वाले का शारीरिक वजन देखते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई व्यक्ति 60 किलो का है तो वो लगभग 6 कैरेट या रत्ती का रत्न धारण कर सकता है। या फिर ज्योतिषी रत्न का वजन पता करने के लिए केतु की दशा का प्रभाव भी देखते हैं। वैसे आमतौर पर 2.25 कैरेट से लेकर 10 कैरेट तक का रत्न धारण किया जा सकता है।

लहसुनिया का हर राशि पर प्रभाव

लहसुनिया हर राशि पर अलग-अलग प्रकार से कार्य करता है। आइए देखें कि इस रत्न का विभिन्न राशियों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

जानें अपनी राशि के अनुसार अपना भाग्य रत्न: रत्न सुझाव

मेष- यदि इस राशि के जातकों की कुंडली में केतु पांचवें, छठे, नौवें या बारहवें भाव में है तो उन लोगों को लहसुनिया धारण कर लेना चाहिए। यह पत्थर विशेष रूप से तब पहनना चाहिए, जब केतु जन्म कुंडली में एक निर्णायक स्थिति में हो। रत्न की उपयुक्तता का परीक्षण करने के लिए उसका कम से कम तीन दिन तक परीक्षण ज़रूर करें।

वृषभ- यदि केतु आपकी कुंडली में नवम या एकादश भाव में स्थित हो तो इस राशि के जातकों को लहसुनिया ज़रूर पहनना चाहिए। आपको भी यह रत्न तीन दिन पहन कर ज़रूर देखना चाहिए।

मिथुन- इस राशि के जातकों को लहसुनिया तब ही पहनना चाहिए जबकि केतु नवम, दशम या एकादश भाव में स्थित हो। आपको भी इस रत्न को पहनने के लिए तीन दिन का प्रशिक्षण ज़रूर करना चाहिए।

कर्क- कर्क राशि के जातकों की कुंडली में यदि केतु छठे, नौवें या ग्यारहवें भाव में स्थित है तो आप भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं। शुरू में इस रत्न को तीन दिन पहनकर ज़रूर देखें।

सिंह- यदि आपकी कुंडली में केतु अष्टम, नवम व एकादश भाव या फिर किसी संदिग्ध स्थिति में है तो आपको लहसुनिया रत्न धारण कर लेना चाहिए। रत्न का असर जानने के लिए तीन दिन का ट्रायल ज़रूर करें और तभी जारी रखें जबकि प्रभाव शुभ हो।

कन्या- कन्या राशि के जातक जिनकी जन्म कुंडली में केतु चतुर्थ, नवम व तृतीय भाव में स्थित है, या फिर केतु हावी है तो वो लोग लहसुनिया रत्न धारण कर सकते हैं। लेकिन रत्न को पूरी तरह से अपनाने से पहले तीन दिन पहन कर उसके प्रभाव पर नज़र डालें।

तुला- जब केतु कुंडली में द्वितीय, तृतीय या फिर एकादश भाव में हो या हावी हो, ऐसी स्थिति में इस राशि के जातकों को लहसुनिया धारण कर लेना चाहिए। तीन दिन का ट्रायल अवश्य करें।

वृश्चिक- वृश्चिक राशि के जातक केवल तब ही लहसुनिया रत्न धारण कर सकते हैं, जब आपकी कुंडली में केतु द्वितीय, दशम या एकादश भाव में हो या फिर हावी हो। शुरू में तीन दिन इस रत्न का परीक्षण ज़रूरी है।

धनु- केतु के संदिग्ध या द्वितीय, चतुर्थ, नवम या द्वादश भाव में स्थित होने पर धनु राशि के जातक इस रत्न को धारण कर सकते हैं। आपके लिए भी तीन दिन का ट्रायल आवश्यक है।

मकर- मकर राशि के जातकों की कुंडली में यदि केतु दूसरे, चौथे, नौवें या बारहवें भाव में है या फिर किसी प्रभावित स्थान पर है तो आपको लहसुनिया रत्न धारण कर लेना चाहिए। तीन दिन तक रत्न के प्रभाव को ज़रूर देखना चाहिए।

कुंभ- आपकी कुंडली में यदि केतु द्वितीय, दशम या एकादश भाव में स्थित हो या फिर मज़बूत हो तो आपको लहसुनिया धारण कर लेना चाहिए। रत्न धारण करने से पहले तीन दिन का परीक्षण ज़रूर कर लें।

मीन-आप इस रत्न को केवल तब ही धारण कर सकते हैं जबकि आपकी कुंडली में केतु द्वितीय, नवम या दशम भाव में स्थित हो या फिर कुंडली में हावी हो। शुरू में तीन दिन तक ट्रायल करें, यदि उसका प्रभाव अच्छा दिखें, तब ही केवल उसे पहने रखें।

लहसुनिया रत्न धारण करने की विधि

आप जिस हाथ से कार्य करते हैं, उसी हाथ की रिंग फिंगर या फिर मध्यिका में इस रत्न को धारण करना चाहिए।
लहसुनिया रत्न को धारण करने का मकसद यह है कि ये पहनने वाले की त्वचा से टच करें।
यह ज़रूरी है कि लहसुनिया को धारण करने से पहले उसे गंगाजल या गाय के दूध में 10 मिनट के लिए डुबोएं।
लहसुनिया को आमतौर पर शुक्ल पक्ष के दौरान पड़ने वाले मंगलवार को सुबह के समय पहनना चाहिए।
मशहूर व प्रसिद्ध ज्योतिषियों के अनुसार अंगूठी धारण करते वक्त ‘ॐ केतवे नमः’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

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