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Benefits of hathajodi, हत्थाजोड़ी के फायदे

हत्थाजोड़ी के फायदे, Benefits of hathajodi,

हत्थाजोड़ी एक पौधे की अत्यंत दुर्लभ जड़ है जिसे देवी माँ का रूप माना जाता है। विद्वानों का मत है कि यदि इस जड़ को सिद्ध कर लिया जाए तो ये गरीबी को कुछ ही समय में दूर कर देती है। हमारे एक मित्र का खाना है की ये पैसे को चुम्बक की तरह खींचता है। जिसके पास सिद्ध हत्थाजोड़ी होता है उसके सारे काम मन मुताबिक बनने लगते हैं।

ज्योतिष में हर परेशानी के लिए अलग-अलग उपाय होते हैं। पर उसके लिए कुंडली या हाथ की रेखाओ को देखने की जरुरत होती है। लेकिन कई ऐसी वस्तुएं हैं जिनके पास होने पर आपका भग्योदय हो जाता है। जैसे प्लूटोनियम का सही उपयोग ऊर्जा उत्पन्न करता है लेकिन गलत उपयोग परमाणु बम के रूप में दुनिया की नुकसान पंहुचा सकता है ऐसे ही बहुत सी वस्तुए है जिनका सही उपयोग आपकी किस्मत पलट सकता है। जिसमे हत्थाजोड़ी भी एक है।

उपलब्ध साहित्य के अनुसार “हत्था जोड़ी” एक दुर्लभ प्रकार की जड़ी-बूटी की जड़ है जो मध्य प्रदेश (भारत) में विन्द्याचल पहाड़ियों में पाई जाती है और नेपाल की लुमिबानी घाटी में घने जंगल हैं। इन जंगलों में “बिरवा” नामक एक पौधा मिल सकता है जिसमें नीले और सफेद रंग के फूल होते हैं और जो धतूरा के पौधे के समान होता है। इसकी सावधानी से खुदाई की जाए तो इस पौधे की जड़ों में दो छोटे हाथ की अंगुलियों की तरह दिखती शाखाओं को प्रकट करेगी। यह देवी चामुंडा का अवतार है। इसमें बहकाने, सम्मोहित करने, लोगों को ढालने और वित्तीय स्थिति को बढ़ाने की उत्कृष्ट शक्तियाँ हैं। मनुष्य की बंद मुट्ठी की तरह नजर आने वाली हत्थाजोड़ी वास्तव में एक पौधे की अत्यंत दुर्लभ जड़ है।

मान्यता है कि यदि इस जड़ को सिद्ध कर लिया जाए तो उस व्यक्ति पर मातारानी की विशेष कृपा होती है और वो इस जड़ की मदद से किसी भी काम में सफलता प्राप्त कर सकता है। इसे गरीबी दूर करने का सटीक उपाय माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि सिद्ध हत्थाजोड़ी की जड़ को तिजोरी में रख लेने मात्र से पैसा चुंबक की तरह खिंच कर चला आता है और व्यक्ति मालामाल हो जाता है।

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हत्था जोड़ी का समोहन प्रभाव:

हत्था जोड़ी उन लोगों के लिए सम्मोहित करने, में प्रयोग किया जाता है। जिसके पास ये होती है उसमे आकर्षण शक्ति बढ़ जाती है उसमे अनोखा आकर्षण उत्पन्न हो जाता है। लोग उसकी तरफ अनायास ही आकर्षित हो जाते हैं और उसकी बात मानने लगते है। पुराने समय में ऐसा कहा जाता है कि इसे यात्रा में साथ रखने पर रक्षा होती है, चर्चाओं, साक्षात्कारों और लड़ाइयों में विजय मिलती हैं। इसमें भय को दूर करने की अद्भुत क्षमता होती है।

हत्था जोड़ी अच्छी किस्मत का प्रतीक :

हत्था जोड़ी को एक दुर्लभ भाग्यशाली आकर्षण भी माना जाता है। यह अपने धारक को भाग्य, ज्ञान, धन और आकर्षण प्रदान करता है। इसे पहनने वाला वित्तिय मामलो में बहुत भग्यशाली हो जाता है। सट्टा या मैच पर बैटिंग करने वालों के लिए ये वरदान सिद्ध होता है। पुराने जुआरी सिद्ध हत्था जोड़ी के लिए मुहमांगे दाम देने को तैयार रहते हैं। ये प्रतिद्वंदी से जीतने में सहायक होता है ख़ासतौर तब जब खेल किस्मत वाला हो।

हत्था जोड़ी से वित्तीय लाभ :

हत्था जोड़ी नुकसान और घाटे से सुरक्षा प्रदान करने के अलावा सौभाग्य, धन और व्यापार में वृद्धि भी प्रदान करती है। यह व्यवसाय के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, क्योंकि यह ग्राहक, व्यावसायिक स्थिति और व्यक्ति की आकर्षण शक्ति को बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि इसमें “वशीकरण” की शक्तियां होती हैं, जिसे भारतीय संस्कृति में आकर्षण के रूप में पहचाना जाता है।

मंत्र सिद्ध हत्थाजोड़ी को लाल रेशमी वस्त्र में बांधकर यदि तिजोरी में रख दिया जाए तो घर में कभी धन की कमी नहीं होती। हमेशा तिजोरी भरी रहती है। लेकिन इसे पूरे विधि विधान से ही तिजोरी में रखना चाहिए, वर्ना ये विपरीत प्रभाव दे सकती है।

अगर आपको लंबे समय से व्यापार में हानि हो रही है तो ये जड़ आपके लिए काफी मददगार है। सिद्ध की हुई जड़ को अपने कार्यस्थल पर रखने से आपको मुनाफा होने लगेगा।

यदि कोर्ट कचहरी के वित्तीय मामलों में फंसे हुए हैं, तो जब भी इस काम से घर से निकलें, सिद्ध की हुई इस जड़ को साथ लेकर जाएं। फैसला आपके पक्ष में होगा।

यदि मंत्र सिद्ध हत्थाजोड़ी को सामने रखकर शत्रु दमन मंत्र का जाप किया जाए तो शत्रु पीड़ा से मुक्ति मिलती है और शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है।

यदि हत्थाजोड़ी पर अर्पित किए गए सिंदूर का तिलक किसी व्यक्ति के माथे पर लगा दिया जाए तो उस व्यक्ति में वशीकरण की क्षमता आ जाती है। उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

सिद्ध करने के हैं ये तरीके

प्राकृतिक हत्थाजोड़ी को मंत्रों के साथ निकाला जाता है और विशेष मुहूर्त में सिद्ध किया जाता है। ये मुहूर्त रवि-पुष्य, गुरु-पुष्य, नवरात्रि, ग्रहणकाल, होली, दीपावली आदि हो सकते हैं। सिद्ध करने के लिए ​भी विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, इसके बाद इस जड़ को चांदी की एक डिब्बी में सिंदूर के साथ रखा जाता है।

पूजा की विधि – इसे गंगा जल से धोकर लाल कपड़े के टुकड़े पर रखना चाहिए। जब पानी सूख जाए तो इसे सिंदूर में डुबोकर रख लेना चाहिए। हत्था जोड़ी को पूरी तरह से सिंदूर में डुबो देना चाहिए। बर्तन / कटोरी को किसी धार्मिक स्थान पर रखना चाहिए। इसे इस मंत्र से सिद्ध किया जाता है इसके लिए हत्था जोड़ी के सामने बैठकर रोजाना 11 माला 41 दिन जप करना होता है। इस जप की संख्या 51000 होती है।

मंत्र

ॐ किलि किलि स्वाहा ||

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