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Benefits of wearing Rudraksha Ring, Mala or Bracelet। रुद्राक्ष की अंगूठी, माला या ब्रेसलेट पहनने के लाभ

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दोस्तों हमने अक्सर लोगों को रुद्राक्ष की माला, ब्रेसलेट या अंगूठी पहने हुए देखा होगा। इसे पहनने से क्या लाभ है क्यों पहननी चाहिए? इसपर चर्चा करेंगे।

रुद्राक्ष एक फल की गुठली है। इसका उपयोग लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए भी करते हैं। पर यह आध्यात्मिक क्षेत्र में बड़ा कारगर है। इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। यह शिव का वरदान है, जो संसार के भौतिक दु:खों को दूर करने के लिए आदिगुरु शिव ने प्रकट किया है।

रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई? origen of rudraksha

ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है। पुराणों के अनुसार प्राणियों के कल्याण के लिए जब कई सालों तक ध्यान करने के बाद भगवान शिव ने आंखें खोलीं, तब आंसुओं की बूंदे गिरीं और धरती मां ने रुद्राक्ष के पेड़ों को जन्म दिया।

रुद्राक्ष का अर्थ, Meening of rudraksha

रुद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है रुद्र अर्थात भगवान शिव और दूसरा शब्द है अक्ष अर्थात नेत्र। कुछ विद्वान इसे भगवन शिव का सूक्षम स्वरुप मानते हैं।

रुद्राक्ष क्या होता है। what is rudraksh,

रुद्राक्ष ‘इलाओकार्पस गैनिट्रस’ पेड़ का बीज है। यह परंपरागत रूप से हिंदू धर्म (विशेष रूप से शैववाद) में प्रार्थना के माला के रूप में प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर भक्तों द्वारा सुरक्षा कवच के तौर पर या शिव मंत्र के जाप के लिए पहने जाते हैं। ये बीज मुख्य रूप से भारत और नेपाल में ऊँचे स्थानों पर प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। पर आजकल ये हर जगह उगाया जाता है इसकी खेती होती है। लोग माला या ब्रेसलेट के रूप में उपयोग करते हैं। इसको रत्नो के साथ भी माला या ब्रेसलेट के रूप में पहनते हैं।

रुद्राक्ष काम कैसे करता है?

जैसा की हम जानते हैं की दुनिया में पाई जाने वाली हर वास्तु जीवित या निर्जीव उसका अपना गुरुत्व होता है, यानि ग्रेविटी होती है उसका एक औरा होता है। जिस वस्तु का जितना बड़ा और होता है उसे उतना पवित्र माना जाता है। रत्नो का जैसे माणिक्य हीरा इत्यादि, पत्थरों का जैसे शालिग्राम, कुछ खास तरह की वनस्पति जैसे तुलसी पीपल इत्यादि या ज्यामितीय संरचना जैसे शिवलिंग का ओवेल आकर या श्रीयंत्र के ट्रैंगल इत्यादि के और विशेष ऊर्जा छोड़ते हैं। इनका औरा अन्य वस्तुओं से अधिक शक्तिशाली होता है। जब भी हम इस वस्तुओं के संपर्क में आते हैं हमें ऊर्जा में वृद्धि महसूस होती है। इसी श्रृंखला में रुद्राक्ष आता है इसका मुख के अनुसार इसकी ऊर्जा बताई जाती है। यह एक मुखी से 21 मुखी तक होता है। जब भी हम रुद्राक्ष के संपर्क में आते हैं तो हमारा औरा बढ़ जाता है जिससे जीवन की आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।

हर व्यक्ति का औरा अलग रंग व ऊर्जा होती है। इसलिए राशि अनुसार जन्म अंक अनुसार या कुल अनुसार व्यक्ति को रुद्राक्ष धारण करने का विधान है। इसलिए कई बार लोग कहते हैं की उन्हें रुद्राक्ष के कोई लाभ नहीं हुआ। क्योकि वह रुद्राक्ष उनके अनुसार था ही नहीं। उदाहरण के लिए एक मुखी रुद्राक्ष दो तरह के होते हैं पहला गोल रुद्राक्ष दूसरा काजूदाना रुद्राक्ष कई लोगों का मानना है की काजूदाना नकली होता है। पर ऐसा नहीं है ये ठीक से पका नहीं होता इसमें पांच मुखी रुद्राक्ष जितनी शक्ति होती है। अगर आपका गुरु पॉजिटिव है तो यह आपको लाभ देगा नहीं तो कोई लाभ नहीं मिलेगा।
दोस्तों सबसे ज्यादा पंचमुखी रुद्राक्ष ही पाए जाते हैं क्योकि पेड़ ही पंचमुखी रुद्राक्ष का होता है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाये तो असली रुद्राक्ष पंचमुखी होता है अन्य रुद्राक्ष विकृति हैं। मतलब इंसान के दो हाथ होते हैं चार हाथ वाला इंसान विकृत है विज्ञानं की दृष्टि में यह पूर्ण नहीं है। पर हमारे लिए वह विष्णु का अवतार है। इस तरह रुद्राक्ष की विकृति ही उसके ऊर्जा के स्तर को अलग अलग करती है। जससे एक ही फल के बीज का इतने प्रकार से उपयोग होता है।
एकमुखी तो सूर्य का प्रतीक
यदि एक बड़ा और छोटा रुद्राक्ष चिपके हों तो गणेश रुद्राक्ष
दो बड़े रुद्राक्ष एक साथ जुड़े हैं तो गौरी शंकर रुद्राक्ष
इसी तरह अन्य मुखी का भी अपना अलग उपयोग है।

Benefits of Rudrabhishek, रुद्राभिषेक के लाभ,

कैसे पहचाने कितने मुखी रुद्राक्ष है?

संस्कृत में मुखी का मतलब चेहरा होता है यहाँ मुखी का अर्थ रुद्राक्ष का मुख है। एक मुखी रुद्राक्ष का अर्थ एक मुंह वाला रुद्राक्ष या एक मुह खोलने के साथ, ४ मुखी रुद्राक्ष का मतलब रुद्राक्ष ४ मुंह या खोलने के साथ है। रुद्राक्ष १ से २१ मुख के साथ आता है। एक और तरीका है रुद्राक्ष पर जितनी लइने हों उतने मुखी होता है।

माला या ब्रसलेट में 5 मुखी रुद्राक्ष ही क्यों?

माला या ब्रासलेट में ज्यादातर 5 मुखी रुद्राक्ष ही होता है। यह पूर्ण रुद्राक्ष है। पंचमुखी रुद्राक्ष सुरक्षित होता है और यह पुरुषों, महिलाओं और बच्चों, हर किसी के लिए अच्छा है। यह समान्य खुशहाली, स्वास्थ्य और स्वतंत्रता के लिए है। यह आपके ब्लड प्रेशर को कम करता है, आपकी तंत्रिकाओं को शांत करता है और स्नायु तंत्र यानि नर्वस सिस्टम को शांत व सतर्क रखता है। रुद्राक्ष शिव साधना में सहायक है। अधयत्मिक मार्ग पर चलने में ये आपको आत्मबल प्रदान करता है।
इसे पहनने पर आप पाएंगे की आपकी अपने मन पर पकड़ मजबूत हो गई है। और कहा जाता है की मन के हारे हार है मन के जीते जीत।
रुद्राक्ष पहनने के फायदे
रुद्राक्ष पहनने वाले को अपनी ऊर्जा का सुरक्षा कवच प्रदान करता है। ज्यादा तर आपने साधु संतो को इसे धारण करे देखा होगा। वह हमेशा घूमते रहते हैं उन्हें बहुत से नकारत्मक शक्तियों का सामना करना पड़ता है जिसमे रुद्राक्ष उनके सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। अनिद्रा के लिए यह बहुत कारगर है। यह आपके चारों और अपनी ऊर्जा का एक सुरक्षा कवचा बना देता है।
अगर आप माला या ब्रेसलेट धारण करते हैं तो इसे आप नेगटिव और पोसेटिव ऊर्जा को नापने का यन्त्र बना सकते है। मैंने सतगुरु जग्गी जी का एक वीडियो देखा जिसमे वह रुद्राक्ष को पेंडुलम की तरह इस्तमाल कर पता लगा रहे थे की कौन सी वास्तु नेगेटिव है और ऑन सी पोसिटिव। वह कहते है कि अगर पानी के ऊपर एक रुद्राक्ष को लटकाया जाता है तो अगर पानी अच्छा है और पीने योग्य है, तो यह घड़ी की सुई की दिशा में घूमेगा। अगर यह जहरीला है तो यह विपरीत दिशा में घूमेगा। भोजन की गुणवत्ता को जांचने का भी यही तरीका है। अगर आप इसे किसी पॉज़िटिव प्राणिक खाद्य पदार्थ पर लटकाते हैं, तो यह घड़ी की सुई की दिशा में घूमेगा। अगर आप इसे निगेटिव प्राणिक खाद्य पदार्थ पर लटकाते हैं, तो यह उल्टी दिशा में घूमेगा। यह नकारात्मक ऊर्जाओं के खिलाफ एक कवच की तरह है।

रुद्राक्ष की माला ब्रेसलेट या अंगूठी धारण करने वाले को आसानी से तंत्र जादू टोना असर नहीं करते। अभी कुछ समय पहले तक 12 साल से ऊपर के बच्चों को 6 मुखी रुद्राक्ष की कंठी पहनाई जाती थी। यह उनकी नज़र दोष, प्रेत बाधा, लंघन व छोटी-मोटी परेशानियों से रक्षा करता था।

रुद्राक्ष माला पहनने के फायदे

रुद्राक्ष पहनने से शीघ्र ही मन शान्त होता है व आकर्षक फैलता है।
दिमाग शान्त होता है।
तनाव को दूर करता है।
मानसिक बीमारी दूर होती है।
वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है।
जीवन में प्रेम बढने लगता है।
मष्तिष्क पर नियंत्रण होता है।

रुद्राक्ष पहनने के नुकसान
एक ओर रुद्राक्ष पहनने से जहां अनेकों फायदे होते हैं। वहीं दूसरी ओर रुद्राक्ष पहनने से बहुत सारे नुकसान भी हो सकते हैं। नुकसान के बहुत सारे कारण हैं।
जैंसे कि रुद्राक्ष को सही विधि से धारण न करना, रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियमों का पालन न करना, अपने अनुसार गलत मुखी रुद्राक्ष धारण कर देना आदि।
अतः रुद्राक्ष पहनते वक्त एवं पहनने के बाद इसके नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। अन्यथा रुद्राक्ष पहनने के नुकसान हो सकते हैं। गलत विधि से रुद्राक्ष पहनने के निम्न नुकसान हो सकते हैं।
बिना नियमपूर्वक पहना गया रुद्राक्ष मन को अस्थिरता देता है।
रुद्राक्ष पहनने के बाद नियम पालन न करने से यह व्यक्ति को पथभ्रष्ट कर देता है।
शराब व मांस का सेवन करने से रुद्राक्ष का बुरा असर पड़ता है।

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