Ketu and their remedies, केतु के शुभ-अशुभ लक्षण व उनके उपाय
Ketu and their remedies, ketu ke upay, kaise karen keru ka upay, Ketu and their remedies,केतु के शुभ-अशुभ लक्षण व उनके उपाय,
इस लेख में आपको अशुभ केतु के ऐसे लक्षण बताये जायेंगे, जिनसे आप जान सकते हैं कि आपकी कुंडली में केतु बुरा रिजल्ट तो नहीं दे रहा है। व बुरे रिजल्ट से बचने के लिए आपको उपाय भी बताये जायेंगे।
यदि आपको कुंडली देखना नहीं आता तो केवल लक्षण के आधार पर आपको पता लग जायेगा कि केतु बुरा है या अच्छा।
सबसे पहले आप केतु को जान ले मैंने राहु वाले लेख में स्वरभानु नाम के असुर की कहानी बताई है। कैसे समुद्र मंथन के समय एक असुर देवताओं के बीच बैठ कर अमृत पी रहा था और सूर्य व चंद्र ने उसे देख लिया। उन्होंने मोहिनी रूप धारण किये भगवान् विष्णु को बताया तब विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सर काट दिया। अमृत के प्रभाव से वह जीवित रहा और दो भागों में बट गया सर राहु और धड़ केतु कहलाया।
क्योंकि राहु और केतु एक ही असुर का शरीर है। इसलिए दोनों के लक्षण बहुत हद तक मिलते हैं। लेकिन उनमें काफी अंतर भी है जिसे अगर आप समझ गए तो राहु और केतु की समस्या का समाधान निकाल पाएंगे। अन्यथा केतु के प्रभाव को राहु का प्रभाव समझेंगे और राहु के प्रभाव केतु का।
केतु से पीड़ित व्यक्ति के कुछ लक्षण है (Ketu and their remedies)
Rahu and their remedies, राहु के शुभ-अशुभ लक्षण व उनके उपाय
पुत्र प्राप्ति में बहुत समय लग जाता है या पुत्र होकर भी पुत्र सुख नहीं मिलता। लोग अक्सर सवाल पूछते हैं कि बुढ़ापे में बच्चे साथ देंगे या नहीं? अगर आपकी कुंडली में केतु अच्छा है या न्यूट्रल यानी सामान्य है। तो बुढ़ापे में आपका पुत्र आपका साथ देगा और यदि केतु नुकसान दे रहा है, तो बुढ़ापे में आपका पुत्र चाह कर भी आपका साथ नहीं दे पाएगा।
नाड़ी ज्योतिष और लाल किताब के अनुसार केतु ननिहाल का कारक होता है। यानी मामा और नाना की स्थिति आपको केतु से पता लगेगी। यदि आपका ननिहाल स्ट्रगल कर रहा है मतलब तकलीफ में है तो आपका केतु भी तकलीफ में है। यानी केतु आपको नेगेटिव हो सकता है। यह इसका एक लक्षण है।
केतु से सम्बंधित बीमारी में चर्म रोग, पेशाब की बीमारी,संतान उत्पति में रुकावट, सिर के बाल झड़ जाते हैं, शरीर की नसों में कमजोरी आ जाती है, कान खराब हो जाता है या सुनने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है। महिला और पुरुष से सम्बंधित बीमारी, रीढ़ की हड्डी में दर्द, घुटने के जोड़ आदि में समस्या उत्पन्न हो जाती है।
जब राहु नकारात्मक होता है तो बीमारी कोई और होती है और डॉक्टर किसी और बीमारी का इलाज कर रहा होता है। जबकि जब केतु नकारात्मक होता है तो बीमारी का पता ही नहीं चलता। मतलब डॉक्टर बीमारी पकड़ नहीं पाता और हो सकता है कि वह आपको वह दवा दे दे जो आपको रिएक्शन कर। प्राचीन समय में स्नेक बाइट यानी सांप काटने का या कुत्ते काटने को केतु से जोड़ा गया था। आज के समय में कुत्ता काटना तो माना जा सकता है। और सांप का जहर के स्थान पर दवाई का रिएक्शन माना जा सकता है। आपने सुना होगा देसी दारू पीने से अमुक स्थान पर मौत यह भी केतु के दुष्प्रभाव के कारण होता है।
ऐसे चोट लग जाये जिसमें हमें स्वस्थ होने में बहुत ज्यादा समय लगे तो आप समझ जाइए आपका केतु खराब है। ऐसी स्थिति में जरूर आपकी केतु की महादशा या अंतर्दशा चल रही होगी।
केतु को कैंची का कारक कहा गया है। इसलिए जब शरीर में कैंची लगती है तो केतु या मंगल की ही दशा होती है। एक्सीडेंट हो गया है और टांके लगाए जा रहे हैं इसका मतलब यह है कि मंगल कहीं पर नकारात्मक यानि नेगेटिव है। लेकिन एक्सीडेंट हुआ है और कैंची से काटकर कुछ निकाला जा रहा है। या शरीर में काट पीट हो रही है तो पक्का केतु की महादशा अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा चल रही होगी।
जीवन में अचानक बहुत बड़ा बदलाव हो जाए जैसे अचानक नौकरी का छूट जाना अचानक किसी बड़ी दुर्घटना हो जाये। अचानक धन लाभ मतलब शुभ केतु और अचानक धन हानि मतलब अशुभ केतु। बहुत समय तक नौकरी का छूटा रहना या नौकरी नहीं मिलना।
एक और लक्षण है जो शनि से मिलता-जुलता है। लोग कन्फ्यूजन में इसको शनि की दशा बता देते हैं। किसी व्यक्ति की नौकरी छूट गई है और 7 साल बाद उसको नौकरी मिलती है। लोग यह कहने लगते हैं कि कहीं साढ़ेसाती के कारण यह दिक्कत हुई है। परंतु यह दिक्कत साढ़ेसाती की वजह से नहीं बल्कि केतु के कारण हुई होगी। इसलिए लंबे समय तक नौकरी के बिना रहने का मतलब है कि कहीं ना कहीं केतु का दुष्प्रभाव भी हो सकता है। क्योंकि विद्वान लोग केतु को भाग्य का कारक भी मानते हैं। नौकरी या व्यवसाय भाग्य से चलता है। हाँ मैनेजमेंट का अपना योगदान होता है। लेकिन उसके बाद भी भाग का कहीं ना कहीं प्रभावी होता है। उसका उदाहरण है टाटा नैनो जैसा बहुत बड़ा प्रोजेक्ट फेल हो जाना।
इसका प्रभाव आपके कार्यक्षेत्र पर पड़ता है। आप लोगों का भला करने की सोचेंगे लेकिन वही लोग आप की जड़ काट रहे होंगे। तो समझ जाइए कि यह बुरे केतु के कारण हो रहा है। इसलिए आपके पीछे आपके दोस्त आपकी बुराई करने लगी तो भी इसमें कहीं ना कहीं बुरे केतु का हाथ है।
नशा और जुआ इनकी लत लग गई है और छूट नहीं रही। तो समझ जाइए आपका केतु खराब है। एक बात आपने सुनी होगी जुआरी अपने घर कभी जीत कर नहीं जाता। जिनका केतु शुभ है वो जीतेगा चाहे छल से ही जीते। क्युकी केतु छल है। शकुनि है।
मैं आपको अपने जीवन की एक घटना बताता हूं। किसी का वास्तु देखने गया हुआ था जिसका वास्तु देखने गया था वह काफी अमीर थे। वह कुछ ऐसा काम करवाना चाहते थे जिसमें सरकार अड़चन डाल रही थी। वास्तु देखने के बाद दो एक छोटे-छोटे उपाय थे वह मैंने उनको बता दिए। फिर मैंने कहा हो सकता है कि आपकी कुंडली में कोई दोष हो। जब कुंडली देखी तो पता चला की उनका केतु काफी प्रभावी है। मैंने पूछा कि आप क्या काम करते हैं तो उन्होंने बताया कि उनका गोवा में होटल है। फिर कुंडली देखने के बाद धीरे-धीरे जानकारी मिलती गई। वह काफी खुश हुए उन्होंने मुझे कहा कि सर अगर आप कभी गोवा जाए तो हमारे कसीनो में जरूर जाइएगा। आपको वहां जाकर काउंटर से पैसे लेने हैं और जीतना है और जीतने के बाद पैसे काउंटर पर जमा कर दीजिएगा और अपना कमीशन लेकर चले जाएगा। मैं आश्चर्य में पड़ गया ये क्या है? तब मुझे समझ में आया कि ऐसी कोई भी जुआ वाले स्थानों पर पहले से ही सब कुछ तय होता है, कौन जीतेगा। यह एक तरह का छल है ज्यादातर कसीनो या जुआ घर वही लोग खोल पाते हैं जिनका केतु मजबूत होता है। अगर केतु खराब है तो डेफिनेटली आप जुए की लत से परेशान होंगे और सब कुछ खत्म कर देंगे।
आपने सुना होगा कुछ लोग बिना किसी अपराध के ही सजा काट रहे होते हैं। जब वह सजा काट लेते हैं तो बाइज्जत बरी हो जाते हैं। लेकिन जो उन्होंने सजा काट ली उसकी कोई भरपाई नहीं हो पाती। पैसे से तो भरपाई हो सकती है लेकिन उम्र का वह जो भाग है जो चला गया उसकी कोई भरपाई नहीं कर सकता। कुछ लोगों पर झूठे इल्जाम लग जाते हैं जबकि उन्होंने किया ही नहीं होता है। यह सब केतु के अधिकार क्षेत्र में आता है यदि केतु बुरा है तो यह प्रभाव भी दे सकता है यानी बिना कुछ किए कोर्ट कचहरी के चक्कर लगवा देगा। कुछ लोग इसे पूर्व जन्म से जोड़ते हैं।
केतु को वृद्ध ग्रह भी कहा जाता है यानी बुढ़ा ग्रह। इसका प्रभाव 48 साल की उम्र से आरंभ होता है। 48 वर्ष में अचानक आपको बहुत बड़ी मुसीबत आ जाए तो समझ ले कि यह केतु का दुष्प्रभाव चल रहा है। बहुत सारे बड़े लोगों की कुंडलियों में यह देखा गया है कि 48 साल में केतू के नकारात्मक प्रभाव से बहुत बड़ा डाउन फॉल लाइफ में आता है।
Ketu and their remedies केतु के दुष्प्रभावों से बचने के उपाय
केतु के दुष्प्रभावों से बचने के लिए भगवान गणेश की पूजा सबसे आसान उपाय है। मान्यता है कि गणेश जी को केतु का कारक देवता माना गया है। केतु के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए बुधवार के दिन गणेश पूजन करने तथा अथर्वास्तोत्र का पाठ पढ़ने से लाभ होगा।
काले रंग की गाय का दान करने से केतु ग्रह के संकट को दूर किया जा सकता है। लेकिन अगर काली गाय का दान संभव नहीं है तो काली गाय को चारा खिलाना और उसकी सेवा करने से भी केतु को प्रभावों को कम किया जा सकता है।
केतु गरीब और असहाय मुख्य रूप से अपंग लोगों की सेवा करने से प्रसन्न होते हैं।
केतु ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए गरीब, असहाय, अपंग व्यक्तियों को भोजन, धन आदि का दान करें। भूलकर भी उनका अपमान न करें और सामर्थ्य अनुसार मदद करने से केतु का दुष्प्रभाव समाप्त होता है।
केतु दोष से मुक्ति के लिए कंबल, छाता, लोहा, उड़द, गर्म कपड़े, कस्तूरी, लहसुनिया आदि का दान करना चाहिए
ज्योतिष के अनुसार काले-सफेद या दो रंग वाले कुत्ते को नियमिततौर पर भोजन का कुछ हिस्सा खाने को दें।
अगर यह संभव न हो तो काल और सफेद तिल बहते हुए जल में प्रवाहित करने से भी लाभ होता है.
कुंडली में मौजूद केतु की अशुभता को दूर करने के लिए केतु बीज मंत्र का जाप करें. केतु का एकाक्षरी बीज मंत्र…
‘ॐ कें केतवे नमः॥’
केतु दोष को दूर करने या केतु की शांति के लिए ओम स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम: मंत्र का जाप करना चाहिए. आप इस मंत्र का 18, 11 या 05 माला जाप कर सकते हैं.
राहु दोष से मुक्ति के उपायों और खाद्य पदार्थों से जुड़ी बातें केतु दोष में भी लागू होती हैं। आपको शनिवार वाले दिन एक पात्र में कुशा और दूर्वा रखकर पानी भर लें। और इसे पीपल के जड़ में अर्पित करें। ऐसा काम से काम 7 शनिवार जरूर करें।
केतु दोष के निवारण के लिए आप उसके रत्न लहसुनिया को धारण करने को कहा जाता है पर यदि उसके स्थान पर यदि फिरोजा या गोमती चक्र पहने तो यह ज्यादा लाभकारी होता है।