What is chalisa । चालीसा क्या होती है 1
what is chalisa, |
चालीसा क्या होती है। और यह इतनी प्रभावी क्यों है।
आपने सुना होगा की तपस्वी लोग कई सालों तक भगवन को प्रसन्न करने के लिए कड़ी साधना करते हैं। वे तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं तो ये आपकी गलतफहमी है कि बस चालीस लाइनों के पाठ से भगवान् प्रसन्न हो जाते हैं। आखिर क्या कारण है कि सभी देवताओं की चालीसा बनाई गई है और उसको कहने का भी बड़ा महत्व माना गया है?
दरअसल दोस्तों चालीसा 40 लाइन का वह मंत्र है जो आपके आराध्य की स्तुति में गाया जाता है। इसे जोर-जोर से गाया जाता है क्योंकि या यह शाबर मंत्रों की तरह ही कार्य करते हैं जो सामान्य भाषा में होते हैं। यह एक लय में होते हैं यानी कविता के रूप में होते हैं। जिन्हे पढ़ने व सुनने में बड़ा आनंद आता है।
what is chalisa, चालीसा क्या होती है
जैसा कि हमने ऊपर कहा कि चालीसा शाबर मंत्रों की तरह होती है। दरअसल शाबर मंत्र गुरु गोरखनाथ जी और नवनाथ तथा 84 सिद्धियों ने लिखे थे। जो ग्रामीण भारतीय भाषाओं में थे हालांकि यह मंत्र अकेले हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि इस्लाम और अन्य पंथों में भी होते हैं। शाबर मंत्र एक तरह का वशीकरण होता है जिससे अपने आराध्य को वश में कर लिया जाता है। इन को सिद्ध करने के लिए बहुत ज्यादा परिश्रम की आवश्यकता नहीं होती है बहुत ही थोड़े समय में सिद्ध हो जाते हैं। उसी श्रेणी में चालीसा भी आती है। पर यह शाबर मंत्र नहीं होती यह शाबर मंत्र की तरह होते हैं।
चालीसा में 40 लाइनें होती हैं जिन 40 पंक्तियों में हम अपने आराध्य की स्तुति करते हैं। उनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बताते हैं तथा उनकी उपासना करते हैं। अब आप इसे से समझिए कि यदि आप किसी से मिलने जा रहे हैं और आप उसकी तारीफ करें तो वह बड़ा खुश होता है। अगर आप की किसी ने मदद की है और आपने उसकी मदद को बहुत सारे लोगों के बीच कह दिया कि भाई इस व्यक्ति ने मेरी मदद की थी तो वह आदमी अपने अंदर एक सम्मान का भाव प्राप्त करता है। ठीक इसी तरह अपने आराध्य को एक मनुष्य की तरह मान कर हम उसकी स्तुति करते हैं। हम उसकी आराधना करते हैं जिससे वह प्रसन्न होता है।
चालीसा का इतिहास क्या है और यह किसने लिखी है? what is chalisa,
दोस्तों सबसे पहले तुलसीदास जी ने लिखी थी जिसका नाम था हनुमान चालीसा। एक बार उन्हें अकबर ने बंदी बना लिया था। तब उन्होंने जेल में बैठकर हनुमान चालीसा लिखी थी। जिसके प्रभाव से अकबर ने उन्हें छोड़ दिया था। उसके बाद काफी सारे लोगों ने अलग-अलग देवी-देवताओं की व अपने-अपने आराध्या के की चालीसा लिखी है। जैसे देवी दास जी ने दुर्गा चालीसा लिखी उसी तरह अयोध्या दास ने शिव चालीसा लिखी। जब भी आपको चालीसा पढ़ते या सुनते हैं तो उस चालीसा में ज्यादातर उसके लेखक का नाम आता ही है।
जैसे “तुलसीदास सदा हरी चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
जैसे दुर्गा चालीसा में देवी दस का नाम आता है
देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदंबा भवानी।।
तो अगला सवाल यह है कि चालीसा कितने दिन में सिद्ध हो जाती है ?
किसी भी मंत्र तंत्र यंत्र को सिद्ध करने का कोई समय नहीं होता। आपके माइंड सेट पर डिपेंड करता है कि आप कितने समय में इसे सिद्ध कर लेंगे। आप अपने लक्ष्य के प्रति कितने समर्पित हैं। आपके मन में अपने आराध्य के प्रति कितनी श्रद्धा है उसके अनुसार ही आप मंत्र या चालीसा सिद्ध कर पाएंगे। आपने सुना होगा कि ऋषि जान हजारों साल तक तपस्या करते रहते थे और उनको भगवान के दर्शन नहीं होते थे लेकिन भगवन के दर्शन नहीं हुए। मात्र 5 साल के ध्रुव को भगवान के दर्शन हुए वह भगवान की गोदी में बैठा। इसी तरह 12 साल का संत ज्ञानेश्वर जिसने बकरे के सर पर हाथ रख दिया था और वह वेद मंत्र बोलने लगा था। 5 साल का छोटा बच्चा जिसे अपने भगवान पर इतना विश्वास था कि उसके लिए भगवान खंबा फाड़ कर निकल आए। बच्चे आसानी से विश्वास कर लेते हैं और इसीलिए कई बार यह काम कर जाते हैं जो हमने सोचा नहीं होते। क्योंकि उनके पीछे उनका विश्वास है उस आराध्य पर। ज्यादातर लोग भगवान पर ऊपर से विश्वास करते हैं लेकिन अंदर से उनके मन में रहता है कि भगवान है भी या नहीं? ऐसे लोग पशोपेश में फंसे रहते हैं और वह कभी सिद्ध नहीं कर पाते। वह तो करोड़ बार भी कर लेंगे ना तो भी सिद्ध नहीं कर पाएंगे। उनका विश्वास ही नहीं अपने आराध्य से वह उनसे अपने तार ही नहीं जोड़ पाते।
लेकिन जो किताबों में या सिद्धू लोगों द्वारा कहा गया है वह आपको बताता हूँ।
कहा जाता है कि 40 दिन तक 11 बार सुबह और 11 बार शाम यदि चालीसा का पाठ किया जाए तो वह चालीसा सिद्ध हो जाती है। एक बार चालीसा पढ़ने मात्र से आप बहुत बड़ी मुसीबत से बाहर निकल आते हैं। आपका अपने आराध्य से कनेक्शन बन जाता है। आप कुछ भी पूछ रहे हैं आपको बता देते हैं ऐसे चमत्कार होने लगते हैं कि आप स्वयं विश्वास नहीं कर पाते। मेरे मित्र हैं जो हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त हैं और उन्होंने हनुमान चालीसा को सिद्ध कर रखा है। वह उस चालीसा से लोगों की बीमारियां तक ठीक कर देते हैं किसी को पानी पढ़ कर दे दिया तो वह ठीक हो जाता है।
चालीसा पढ़ने से क्या लाभ होता है?
यदि आप मंत्रों का ज्ञान नहीं रखते और आपको लगता है कि आप से त्रुटि हो जाएगी तो ऐसी स्थिति में आपको चालीसा का पाठ करना चाहिए। यह सरल होती है साथ ही इसके अंदर वह सारी स्तुति सामग्री होती है जो एक मंत्र में पाई जाती हैं। मजेदार बात यह है कि यह आपके सबकॉन्शियस माइंड पर बहुत तेजी से प्रभावी होता है। मंत्र से भी ज्यादा क्योंकि मंत्र को ज्यादातर मंत्र संस्कृत में होते हैं, और आपने संस्कृत पढ़ी नहीं होती है। आपके अवचेतन मन को उस मंत्र के प्रभाव को समझने में समय लगता है। हालांकि उस मंत्र की आवृत्ति यानि फ्रीक्वेंसी काम कर रही होती है। लेकिन आपका सबकॉन्शियस उसे समझने में टाइम लगाता है जबकि चालीसा को अच्छे से समझ लेता है। उसकी एक एक लाइन का मतलब आपको आसानी से समझ में आ जाता है इसलिए यह आपके मन पर बहुत तेजी से प्रभाव करती है। उस आराध्य से आपके कनेक्शन को जोड़ देती है जिससे जो भी आपके मन की इच्छा होती है वह पूरी हो जाती है।
दोस्तों चालीसा पढ़ने के बहुत सारे लाभ हैं। हर एक साधक के अलग-अलग तरह के अनुभव होते हैं लेकिन यह कुछ लाभ हैं जो हर एक चालीसा को पड़ने पर आपको मिलेंगे ही मिलेंगे।
सबसे पहला लाभ के यह आपको मानसिक शांति प्रदान करता है।
चालीसा पाठ धन-धान्य तथा सुख समृद्धि को देने वाला होता है।
चालीसा पाठ करने से आपकी बात आपके आराध्य तक आसानी से पहुंच जाती है क्योंकि वह आपके बहुत करीब रहते हैं।
चालीसा पढ़ने से जाने अनजाने किए गए पाप नष्ट होते हैं।
चालीसा पढ़ने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
आपके डिसीजंस आपके द्वारा लिए गए निर्णय सही होने लगते हैं।
चालीसा पढ़ने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि किसी भी तरह का भय आपको परेशान नहीं करता।
हमें किसकी चालीसा पढ़नी चाहिए?
ऐसा नहीं है कि हनुमान चालीसा पढ़ने से ही स्पेसिफिक लाभ होगा या दुर्गा चालीसा पढ़ने से ही आपको यह वाला फायदा होगा शिव चालीसा पड़ेंगे शनि चालीसा पड़ेंगे तो ऐसा होगा। आपको अपने आराध्य की चालीसा पढ़नी चाहिए। क्योंकि एक साधे सब सधे सब साधे सब जाए,
आपको जो भी आराध्य पसंद हो आप उसकी ही पूजा करें। हिंदू धर्म में कहा गया है कि आपको अपने आराध्य की पूजा करनी चाहिए जिस पर आपकी श्रद्धा सबसे ज्यादा है। लेकिन मानना सभी को चाहिए यानी निरादर किसी का नहीं करना चाहिए। फिर कहता हूं आपको एक आराध्य की पूजा करनी चाहिए वही आपको पार लगाएगा ऐसा नहीं है कि देवी सरस्वती की पूजा करने वाले महान होते हैं। और लक्ष्मी की पूजा करने वालों को सिर्फ पैसा ही पैसा मिलता है उनको ज्ञान भी मिलता है।