ज्योतिष के अनुसार कौनसे ग्रह क्रोध का कारक होते हैं,
ज्योतिष के अनुसार कौनसे ग्रह क्रोध का कारक होते हैं
ज्योतिष में, कुछ ग्रह ऐसे होते हैं जो क्रोध और आक्रामकता का कारक माने जाते हैं। इन ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति की मानसिकता, स्वभाव और व्यवहार पर महत्वपूर्ण रूप से पड़ता है। यहाँ उन ग्रहों का विवरण दिया गया है जो ज्योतिष के अनुसार क्रोध का कारण बनते हैं:
सामान्यतः सूर्य, मंगल, राहु, केतु और शनि जैसे ग्रह क्रूर ग्रहों को क्रोध का कारक माना जाता है। लेकिन अग्नितत्व राशियाँ भी क्रोध का कारक हैं। धनु, मेष और सिंह अग्नितत्व राशि हैं। जिसका कुंडली में प्रभाव ज्यादा हो तो जातक को गुस्सा बहुत आता है। हम देखते है जब भी किसी को बहुत गुस्सा आता है उसे मंगल के उपाय करने को कहा जाता है।
यहाँ हम ये जानेंगे कि कैसे ग्रह आपके स्वाभाव पर असर डालते है और उनके लक्षण के आधार पर ये पता करते हैं की किस ग्रह और किस हाउस के कारन गुस्सा आता है।
दोस्तों
ज्योतिष विज्ञान में मंगल ग्रह को शक्ति, ऊर्जा, और साहस का प्रतीक माना जाता है। यह ग्रह व्यक्ति के जीवन में शक्ति, साहस और संघर्ष की भावना को उभारता है।
मंगल ग्रह को ज्योतिष में ‘युद्ध का ग्रह’ कहा जाता है। यह ग्रह मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामी है और इसकी स्थिति और दृष्टि का प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार, स्वभाव और मानसिक स्थिति पर पड़ता है। जब कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत और अनुकूल स्थिति में होता है, तो व्यक्ति साहसी, आत्मविश्वासी और ऊर्जा से भरपूर होता है। लेकिन, जब यह ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति को अति क्रोधी, आक्रामक और विवादप्रिय बना सकता है।
क्रोध का स्वरूप
- तीव्र और तात्कालिक क्रोध:
मंगल ग्रह के कारण उत्पन्न क्रोध अक्सर तीव्र और तात्कालिक होता है। यह क्रोध अचानक उत्पन्न होता है और व्यक्ति को बिना सोचे-समझे प्रतिक्रिया देने के लिए प्रेरित करता है। ऐसे लोग छोटी-छोटी बातों पर भी जल्दी भड़क जाते हैं और उनकी प्रतिक्रिया तीव्र और आक्रामक होती है। - दृढ़ और विद्रोही प्रवृत्ति:
मंगल का प्रभाव व्यक्ति को दृढ़ और विद्रोही बनाता है। ऐसे लोग अपने विचारों और मान्यताओं के प्रति बहुत अधिक दृढ़ होते हैं और जब उन्हें चुनौती दी जाती है, तो उनका क्रोध विद्रोह के रूप में प्रकट होता है। वे किसी भी प्रकार के अनुशासन या नियंत्रण को सहन नहीं कर पाते और तुरंत प्रतिक्रिया करते हैं। - अधीरता और असहिष्णुता: मंगल के प्रभाव में आने वाले लोग अधीर और असहिष्णु होते हैं। वे अपने लक्ष्यों को तुरंत प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं और जब चीजें उनकी योजना के अनुसार नहीं होतीं, तो वे क्रोधित हो जाते हैं। उनकी असहिष्णुता उन्हें दूसरों की गलतियों को बर्दाश्त करने में असमर्थ बनाती है।
क्रोध को नियंत्रित करने के मंगल के उपाय
नियमित रूप से मेडिटेशन और योग का अभ्यास करने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति में सुधार होता है और क्रोध को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
मंगल मंत्र का जाप, हनुमान चालीसा का पाठ, और मंगलवार को व्रत रखने से मंगल देव शांत होते हैं। इसके अलावा, लाल मूंगा रत्न धारण करना भी लाभकारी हो सकता है।
सूर्य ग्रह के कारन क्रोध
ज्योतिष विज्ञान में सूर्य ग्रह को आत्मा, ऊर्जा, और जीवन शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह ग्रह व्यक्ति के व्यक्तित्व, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को प्रभावित करता है। इसका क्रोध अहंकार के रूप में प्रकट होना।
सूर्य ग्रह का प्रभाव
सूर्य ग्रह को ज्योतिष में ‘राजा’ का स्थान प्राप्त है। यह ग्रह सिंह राशि का स्वामी है और इसका सीधा संबंध व्यक्ति के आत्म-सम्मान और प्रतिष्ठा से होता है। जब कुंडली में सूर्य मजबूत और अनुकूल स्थिति में होता है, तो व्यक्ति आत्मविश्वासी, प्रतिष्ठित और उदार होता है। लेकिन, जब यह ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति को अहंकारी, तानाशाही और क्रोधी बना सकता है। अगर कोई उसकी शान में गुस्ताखी करेगा तो उसे क्रोध आएगा। जबकि मंगल का क्रोध अति तीव्र होता है पर सूर्य का क्रोध देर तक रहता हैं मगल वही फैसला करता है सूर्य के करण पनपा क्रोध लम्बे समय तक रहता है वह सोच समझ कर दंड देता है।
सूर्य ग्रह के कारण उत्पन्न क्रोध अक्सर अहंकार और आत्म-केंद्रितता से जुड़ा होता है। ऐसे लोग अपने विचारों और निर्णयों को सर्वोपरि मानते हैं और जब उन्हें चुनौती दी जाती है या उनका अपमान होता है, तो उनका क्रोध भड़क उठता है। यह क्रोध उनके अहंकार को चोट पहुँचने का परिणाम होता है। वे चाहते हैं कि सब कुछ उनकी मर्जी के अनुसार चले और जब चीजें उनकी योजना के अनुसार नहीं होतीं, तो वे क्रोधित हो जाते हैं। उनका क्रोध विशेष रूप से तब प्रकट होता है जब उन्हें लगता है कि उनका नियंत्रण खो रहा है। वे किसी भी प्रकार के अपमान को सहन नहीं कर पाते और तुरंत प्रतिक्रिया करते हैं।
राहु और केतु ग्रह के कारण क्रोध
ज्योतिष विज्ञान में राहु ग्रह को छाया ग्रह के रूप में जाना जाता है, जो व्यक्ति के मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालता है। राहु व्यक्ति के जीवन में भ्रम, उलझन और अस्थिरता ला सकता है। जब कुंडली में राहु अशुभ स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति को अस्थिर, चिड़चिड़ा और क्रोधी बना सकता है। ऐसे लोग अक्सर अपनी समस्याओं का स्पष्ट समाधान नहीं ढूंढ पाते और इस मानसिक उलझन के कारण क्रोधित हो जाते हैं। उनका क्रोध बिना किसी स्पष्ट कारण के उत्पन्न हो सकता है और अक्सर उनका व्यवहार असंगत होता है। ऐसे लोग छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत जल्दी आहत हो जाते हैं और उनकी प्रतिक्रिया अत्यधिक तीव्र होती है। वे दूसरों की आलोचना या अस्वीकृति को सहन नहीं कर पाते और तुरंत क्रोधित हो जाते हैं।
केतु ग्रह के कारण क्रोध
ज्योतिष विज्ञान में केतु ग्रह को भी छाया ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति के आध्यात्मिक और रहस्यमय पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालता है। केतु का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में रहस्य, अव्यवस्था, और असमंजस ला सकता है। जब कुंडली में केतु अशुभ स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति को मानसिक रूप से अस्थिर, चिड़चिड़ा और क्रोधी बना सकता है। यह अकेलापन और अवसाद उनके क्रोध को बढ़ा सकते हैं। ऐसे लोग अक्सर अपने आस-पास की दुनिया से कटे हुए महसूस करते हैं और यह भावनात्मक असंतुलन उनके क्रोध का कारण बनता है।
मंगल से तेज गुस्सा आता है सूर्य का गुस्सा जिसपर होता है उसी पर निकलता है पर राहु का गुस्सा बिना वजह ही होता है। और यह किसी पर भी उतर जाता है।
शनि ग्रह और क्रोध: ज्योतिषीय दृष्टिकोण
ज्योतिष विज्ञान में शनि ग्रह को न्याय, कर्मफल और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है। यह ग्रह व्यक्ति के धैर्य, आत्म-नियंत्रण, और जीवन के कठिन पाठों को प्रभावित करता है। शनि के प्रभाव से उत्पन्न क्रोध का स्वरूप भी विशेष होता है। शनि का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में धीमी और स्थिर प्रगति, कड़ी मेहनत और कठिनाइयों के माध्यम से सीखने की प्रवृत्ति को उभारता है। जब कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति को अवसादग्रस्त, निराश, और क्रोधी बना सकता है। ऐसे लोग अनुशासन और नियमों का पालन करने के प्रति अत्यधिक सख्त होते हैं और जब उन्हें अन्य लोग अनुशासनहीन या अनुचित व्यवहार करते दिखते हैं, तो वे क्रोधित हो जाते हैं। यह अवसाद और निराशा का भाव उनके क्रोध को बढ़ा सकता है। ऐसे लोग अपने जीवन में स्थिरता और सफलता की कमी से निराश हो सकते हैं और यह निराशा उनके क्रोध को प्रकट करती है।
यदि आपकी कुंडली है तो ये एक आसान तरीका है ये पता करने का की आपको गुस्सा ज्यादा आता है तो उसका कारण कौनसा गृह है।