Jyotish

Ashubh chandr ke upay

चंद्रमा नौ ग्रहों के क्रम में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है। वैदिक ज्योतिष में यह मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, यात्रा, सुख-शांति, धन-संपत्ति, रक्त, बायीं आँख, छाती आदि का कारक होता है। चंद्रमा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी होता है। इसका आकार ग्रहों में सबसे छोटा है परंतु इसकी गति सबसे तेज़ होती है। चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है। यह लगभग सवा दो दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में संचरण करता है। चंद्र ग्रह की गति के कारण ही विंशोत्तरी, योगिनी, अष्टोत्तरी दशा आदि चंद्र ग्रह की गति से ही बनती हैं। वहीं वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राशिफल को ज्ञात करने के लिए व्यक्ति की चंद्र राशि को आधार माना जाता है। जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है वह जातकों की चंद्र राशि कहलाती है। लाल के किताब के अनुसार चंद्र एक शुभ ग्रह है। यह सौम्य और शीतल प्रकृति को धारण करता है। ज्योतिष में चंद्र ग्रह को स्त्री ग्रह कहा गया है।

चन्द्रमा वृष राशि में स्थित होकर सर्वाधिक बलशाली हो जाते हैं तथा इस राशि में स्थित चन्द्रमा को उच्च का चन्द्रमा कहा जाता है। वृष के अतिरिक्त चन्द्रमा कर्क राशि में स्थित होने से भी बलवान हो जाते हैं जो कि चन्द्रमा की अपनी राशि है।कुंडली में चन्द्रमा के बलहीन होने पर अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में आकर दूषित होने पर जातक की मानसिक शांति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा उसे मिलने वाली सुख-सुविधाओं में भी कमी आ जाती है। चन्द्रमा वृश्चिक राशि में स्थित होकर बलहीन हो जाते हैं ।

इसके अतिरिक्त कुंडली में अपनी स्थिति विशेष और अशुभ ग्रहों के प्रभाव के कारण भी चन्द्रमा बलहीन हो जाते हैं। किसी कुंडली में अशुभ राहु तथा केतु का प्रबल प्रभाव चन्द्रमा को बुरी तरह से दूषित कर सकता है तथा कुंडली धारक को मानसिक रोगों से पीड़ित भी कर सकता है।इसलिए कुंडली में चन्द्रमा को मजबूत करना आवश्यक है।

भारत में प्रत्येक जन्मपत्री में दो लग्न बनाये जाते हैं। एक जन्म लग्न और दूसरा चन्द्र लग्न। जन्म लग्न को देह समझा जाए तो, चन्द्र लग्न मन है। बिना मन के देह का कोई अस्तित्व नहीं होता और बिना देह के मन का कोई स्थान नहीं है। देह और मन हर प्राणी के लिए आवश्यक है इसीलिये लग्न और चन्द्र दोनों की स्थिति देखना ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। चन्द्र माता का कारक है। चन्द्र और सूर्य दोनों राजयोग के कारक होते हैं। इनकी स्थिति शुभ होने से अच्छे पद की प्राप्ति होती है। चन्द्र जब धनी बनाने पर आये तो, इसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति के चंद्रमा मजबूत होता है, वह व्यक्ति देखने में सुंदर और आकर्षक होता है और स्वभाव से साहसी होता है। चंद्र ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति अपने सिद्धांतों को महत्व देता है। व्यक्ति की यात्रा करने में रुचि होती है। लग्न भाव में स्थित चंद्रमा व्यक्ति को प्रबल कल्पनाशील व्यक्ति बनाता है। इसके साथ ही व्यक्ति अधिक संवेदनशील और भावुक होता है। यदि व्यक्ति के आर्थिक जीवन की बात करें तो धन संचय में उसे कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

चंद्र के जन्म की कथा

स्कन्द पुराण के अनुसार जब देवों तथा दैत्यों ने क्षीर सागर का मंथन किया था तो उस में से चौदह रत्न निकले थे। चंद्रमा उन्हीं चौदह रत्नों में से एक है जिसे लोक कल्याण हेतु, उसी मंथन से प्राप्त कालकूट विष को पी जाने वाले भगवान शंकर ने अपने मस्तक पर धारण कर लिया। पर ग्रह के रूप में चन्द्र की उपस्थिति मंथन से पूर्व भी सिद्ध होती है। हालाकि इस कहानी को कई लोग नकारते हैं क्योकि जब समुद्र मंथन का मुहर्त निकला गया जिसका वर्णन स्कन्द पुराण में मिलता है। माहेश्वर खंड में गर्गाचार्य ने समुद्र मंथन का मुहूर्त निकालते हुए देवों को कहा कि इस समय सभी ग्रह अनुकूल हैं। चंद्रमा से गुरु का शुभ योग है। तुम्हारे कार्य की सिद्धि के लिए चन्द्र बल उत्तम है। यह गोमन्त मुहूर्त तुम्हें विजय देने वाला है।

तो हो सकता है की जिस चंद्र की बात समुद्र मंथन में हो रही है वो शायद सोम हो जिसका सोमरस बनता हो। मत्स्य पुराण में लिखा है कि जब सृष्टि के रचनाकार ब्रह्माजी ने मानस पुत्रों को प्रकट किया तो उनमें से एक पुत्र ब्रह्म ऋषि ‘अत्रि’ हुए। उनका विवाह कर्दम ऋषि की पुत्री अनुसुइया से हुआ था। अनुसुइया पतिव्रता स्त्री थीं। जब त्रिदेवों ने अनुसुइया की परीक्षा ली तो उस समय दुर्वासा ऋषि, दत्तात्रेय व सोम का जन्म हुआ, वही सोम चंद्रमा हैं। परन्तु तब तक चंद्र था क्युकी मुहृत में चंद्र का बहुत महत्व है।

प्राचीन ऋषि-मुनियों ने ज्ञान को सामान्य लोगों को समझाने के लिए कहानियों के रूप में प्रस्तुत किया ताकि कम बुद्धि वाला व्यक्ति भी बहुत आसानी से समझ सके। चंद्र की एक कहानी आती है दक्ष प्रजापति ने अपनी सत्ताईस कन्याओं का विवाह चंद देव से किया। ध्यान दीजिएगा यह सत्ताईस कन्याएं नहीं बल्कि 27 नक्षत्र रहें। जिसमें चंद्र भ्रमण करता है। जिनके अनुसार हमारा जन्म के समय राशि का नाम निर्धारित होता है। चंद्रमा सबसे ज्यादा रोहिणी से प्रेम किया करता था। रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। भगवान श्रीकृष्ण भी इसी नक्षत्र में पैदा हुए थे। जब अन्य कन्याओं ने दक्ष से यह बात कही कि चंद्र रोहिणी को सबसे ज्यादा प्रेम करता है तो ऐसा सुनने पर दक्ष प्रजापति ने चंद्र को श्राप दे दिया। जिससे उन्हें क्षय रोग यानि टी बी हो गया और चंद्र की चमक समाप्त हो गई। श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्र देव भगवान शिव की आरधना की और सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना की महादेव ने प्रसन्न होकर कहा कि श्राप को काटना असंभव है एक माह में दो पक्ष होते हैं जिनमें से एक इसमें तुम मेरे वरदान के कारण बढ़ोगे और दक्ष के श्राप के कारण घटोगे। इस तरह चंद्र के पक्षों का ज्ञान और घटने बढ़ने तथा तिथि को आम लोगों तक पहुंचाया गया।

चन्द्रमा कब कमजोर होता है।

चंद्र पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जंतुओं वृक्षों पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है जैसा कि आप लोग जानते हैं कि पृथ्वी का दूरी पर समुद्र में ज्वार-भाटा वह पृथ्वी पर मौसम बदलने के कारण होता संसार का ही नहीं बल्कि हमारे अंदर का मौसम भी कंट्रोल करता है, आपकी द्वारा किए गए कार्यों की सफलता व असफलता बहुत हद तक चंद्र ग्रह पर ही निर्भर है कि चंद्रमा स्पंज की तरह होता है। यह जिस ग्रह के साथ बैठा होता है उसके स्वभाव को ग्रहण कर लेता है जैसे पानी को जिस पात्र में डालते हैं उसी पात्र का आकार लेता है उसी तरह चंद्रमा जिस ग्रह के साथ बैठा हो या दृष्टि संबंध में हो या फिर जिस भाव के स्वामी के भाव में बैठा हो उसका स्वभाव लेता है चंद्रमा शनि राहु केतु व मंगल के प्रभाव में कमजोर हो जाता है। पाप कत्री योग, केंद्रुम योग, साढ़े साती आदि चंद्र के कारन ही बनते हैं। शुक्ल पक्ष की अष्टमी से कृष्णपक्ष की सप्तमी तक यह ग्रह मजबूत यानि शुभ माना जाता है। कृष्ण पक्ष की अष्टमी से शुक्ल पक्ष की सप्तमी तक यह कमजोर यानी अशुभ माना जाता है। यदि चंद्रमा कुंडली में मजबूत है तो आपका मन मजबूत है समय अच्छा या बुरा आता जाता रहेगा पर आप विचलित नहीं होंगे। ऐसा हमारे पूर्वजों ने कहा है चंद्रमा आपकी सोच का कारक है इसीलिए कहा जाता है आपकी किस्मत खराब हो तो आप एक दिन कामयाब हो जाते हैं परंतु यदि आप की नीयत खराब है तो आप कभी कामयाब नहीं होते।

कुंडली में कमजोर चंद्रमा के स्वास्थ्य संबंधी लक्षण।

चन्द्रमा मन को मन का कारक बताया गया है। वही चन्द्रमा रक्त का भी कारक है क्योंकि शरीर में रक्त की गति सबसे तेज होती है। परन्तु रक्त की समस्या जैसे ब्लड प्रेसर के लिए मंगल जिम्मेदार होता है। सिर दर्द व मस्तिष्क पीडा जिसमे माइग्रेन की प्रॉब्लम होती है यह भी चंद्र के कारण होता है महिलाओं में चंद्र का प्रभाव ज्यादा होता है। इसलिए उन्हें मीग्रैन होता है। चन्द्रमा को माँ कहा जाता है यह महिलाओं में स्तन सम्बन्धी परेशानी देता है। बचे को जन्म देने के बाद माँ को दूध में कमी हो तो चंद्र की समस्या हो सकती है। इसे में दवाई के साथ साथ चंद्र का उपाय भी करना चाहिए।

चन्द्र साँस है, नाड़ी में बहता खून है। चन्द्र की अशुभ स्थिति से व्यक्ति को दमा भी हो सकता है। खासी जुखाम और कफ सम्बंधित समस्याए चंद्र के बिगड़ने पर ही होती है। कुछ लोग चंद्र को पित्त भी कहते है इसलिए भूख का खुल कर न लगना चक्कर आना चंद्र के नकारात्मक प्रभाव में आता है। पेट का खराब रहना जिसमे कभी दस्त जैसा तो कभी कब्ज जैसा महसूस होना जिसे IBS की प्रोबलम कहते हैं। चंद्र के कारण होता है। मिर्गी के दौरे-चंद्र राहु या केतु के साथ हो तथा लग्न में कोई वक्री ग्रह स्थित हो तो मिर्गी के दौरे पडते हैं। हलाकि मिरहि बुध के खराब होने के कारण आती है। एसिडिटी की प्रॉब्लम चंद्र के कारण होती है। शरीर में तेजाब बहुत तेजी से बनता है आमाशय जलन उससे महसूस होती है। कुछ भी खाते ही एसिडिटी हो जाती है तो चंद्र का उपाय करना चाहिए।

चंद्र का संबंध जल तत्व से है, इसलिए शरीर में उत्पन्न होने वाले अधिकांश जल संबंधी रोग ही होते हैं। चंद्र खराब होने पर मूत्राशय संबंधी रोग अधिक होते हैं। अतिसार, अनिद्रा, नेत्ररोग, विक्षिप्तता, मानसिक पीड़ा, मानसिक थकान, ठंड लगकर बुखार आना, सर्दी-जुकाम, खांसी, दमा, श्वास रोग, फेफड़ों के रोग होते हैं।

कुंडली में कमजोर चंद्रमा के मानसिक लक्षण

चन्द्रमा हमारा मन है। जितनी भी मानसिक समस्याएं है ज्यादातर चंद्र के कारन होती है। इसके प्रभाव से मानसिक तनाव, मन में घबराहट, मन में तरह तरह की शंका बनी रहती है। व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार भी बार-बार आते रहते हैं। इसके अलावा तनाव, डिप्रेशन, एकाग्रता की कमी, नींद न आना और दिमाग को विचलित करने वाली सभी समस्याओं की वजह भी चंद्र का कमजोर होना ही है।

मानसिक समस्याओं में चंद्र सबका बाप है यदि यह शनि पर अपना प्रभाव डालता है या शनि चंद्र पर अपना प्रभाव डालता है तो डिप्रेशन या तनाव उत्पन्न होता है। शनि का प्रभाव दीर्घ अवधी तक फल देने वाला माना जाता हैं, तथा चंद्र और शनि का मिलन उस घातक विष के समान प्रभाव रखने वाला होता हैं जो धीरे धीरे करके मारता हैं। शनि को शराब व नशे का कारक कहा जाता है। शनि लत भी है इन दोनों ग्रहो का अशुभ स्थान पर मिलन परिणाम डिप्रेशन व तनाव उत्पन्न करता हैं। शनि की साढ़े सत्ती भी मन पर प्रभाव ज्यादा डालती है। डिसीजन टेकिंग पावर खतम सी हो जाती है। कोई भी डिसीजन लो आगे चलकर गलत ही हो जाता है।

चंद्र का बुध से सम्बंद हो तो विचारों को अनियंत्रित कर देता है। दिमाग हमेशा रेस्ट लेस सा महसूस करता है। बहुत सरे विचारो के साथ दिमाग भरा सा रहता है। बिना मतलब की चिंता होती है। दिमाग में समझने के क्षमता कम हो जाती है। कुछ भी नया करने का मन नहीं करेगा। स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है।

चंद्र का राहु-केतु से सम्बन्ध व्यक्ति की भ्रमित करेगा। हमेशा मन में एक अंजना भय लगा रहेगा व्यक्ति में भय व घबराहट के साकेत दिखने लगते है। रात में नींद से अचानक उठ जाने की समस्या। इसके आलावा चिंता, अवसाद और चिड़चिड़ा होना बेहद ही आम समस्या होती है।

चंद्रमा सूर्य के निकट हो तो पागलपन या मुर्छा के योग बनते हैं। इस योग में मन व बुद्धि को नियंत्रित करने वाले सभी कारक पीडित होते हैं । व्यक्ति को मानसिक रोग होना।

चंद्र के साथ मंगल हो और चंद्र अशुभ हो तो व्यक्ति में आत्महत्या की प्रवर्ति होती है। वह बहुत क्रोधी भी होता है। इसलिए बहुजलदी नाराज होना और दूसरों की कमी निकलना इसका मुख्य लक्षण है।

कुंडली में कमजोर चंद्रमा के आर्थिक लक्षण

चंद्रमा को लिक्विड मनी कहा जाता है। धन कहा जाता है, वो धन जो आपके पास है। लोग अक्सर कहते हैं की वो कमाते तो बहुत हैं पर पैसा बचता नहीं या हाथ में नहीं रहता। खर्चे पुरे नहीं होते। ये चंद्र का एक लक्षण है यहाँ खर्चे की बात नहीं हो रही खर्च कुंडली के 12 वे भाव पर निर्भर करता है। चंद्र के नेगटिव इम्पैक्ट को आप कह सकते हैं आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया। चंद्रमा मन है जब शनि की साडेसाती आती है तो व्यक्ति के मन को प्रभावित करती है जिसके कारण लिए हुए डिसीजन गलत हो जाता है। अगर चंद्र मजबूत है तो कोई भी ग्रह आपको परेशां तो कर पायेगा लेकिन आप उन परिस्थितियों से लड़कर जीत जायेंगे। यदि चंद्र कमजोर है तो परिस्थितियां आपको इधर उधर दौड़ने के लिए उकसाएंगी और आप जगह जगह भटकेंगे।

अशुभ चंद्र के सामाजिक लक्षण

चंद्र माता का कारक है। यदि माता का स्वस्थ खराब हो जाये माता से अनबन हो जाये या वही आपपर मुकदमा कर दे तो यह खराब चंद्र की निशानी है। कई बार आप अपने जीवन में ऐसा महसूस करते हैं कि, आपके साथ कुछ अशुभ हो रहा है। मसलन आपकी आमदनी का जरिया एकाएक छिन जाता है, या फिर पानी सबंधी दिक्कतें आपको झेलनी पड़ रही हैं, आप अनिष्ट की शंकाओं से घिरे रहते हैं, मन में घबराहट, एक अंजाना भय आपको सताता रहता है, आपकी यादाश्त भी बहुत कमजोर हो जाती है, यहां तक हो सकता है आपके मन में दुनिया छोड़ने तक विचार आते हों। यदि आपके साथ ऐसा कुछ घट रहा है, तो समझ लीजिये कि, आपका चंद्रमा कमजोर है या फिर आप चंद्र दोष का शिकार हैं।

बली चंद्रमा के प्रभाव –

यदि किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा बली हो तो जातक को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते है। बली चंद्रमा के कारण जातक मानसिक रूप से सुखी रहता है। उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है तथा उसकी कल्पना शक्ति भी मजबूत होती है। बली चंद्रमा के कारण जातक के माता जी संबंध मधुर होते हैं और माता जी का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

यदि चंद्रमा बाली है तो व्यक्ति में साहस की कमी नहीं होगी। वह किसी भी परिस्थिति से डगमग आएगा नहीं, उसका मन मजबूत होगा उसमे हर तरह की स्थिति को झेलने की उसमें क्षमता होगी। आपने देखा होगा कई बार कुछ लोग बड़े लापरवाह होते हैं और कुछ लोग निश्चित तो होते हैं। अगर व्यक्ति लापरवाह है तो हो सकता है कि उसका बुध खराब हो लेकिन यदि वह निश्चित है तो यह इस बात की पुष्टि करता है कि उसका चंद्र अच्छा है जिसके कारण वह आने वाली स्थिति को झेलने के लिए मानसिक रूप से खुद को तैयार कर चुका है।

चंद्रमा को भावनाओं का भी कारक कहा गया है अगर चंद्रमा मजबूत है तो व्यक्ति अच्छा कवि होता है क्योंकि वह अच्छी कल्पनाएं कर पता है। चंद्रमा तो कमजोर है लेकिन वह शुभ परिणाम दे रहा हैतो ऐसी स्थिति में अच्छी कल्पना कर पाएगा। परंतु वह केवल कल्पना ही कर पाएगा उसे साकार नहीं कर पाएगा जब के मजबूत चंद्रमा और शुभ चंद्रमा उन कल्पनाओं को साकार करने की ताकत देता है।

बली चंद्रमा के कारण आपकी आर्थिक स्तिथि अच्छी रहती है एक मजेदार बात यह भी है की यदि आर्थिक स्तिथि अच्छी न भी जब भी आपको पैसे की जरुरत होगी वह कही न कही से अरेंज हो जायेगा।

चन्द्रमा अन्य ग्रहो के सहयोग से राजयोग, शुभ योग बनता है।

चंद्रमा मंगल के साथ युति या दृष्टि सम्बन्ध बनाकर “लक्ष्मी योग” नाम का शुभ योग बनाता है।
गुरु यानि बृहस्पति के साथ सम्बन्ध बनाकर “गजकेसरी” नाम का शुभ योग बनता है।
सूर्य से दृष्टि सम्बन्ध बनाकर पूर्णिमा योग बनाकर यह अत्यंत बली और शुभ हो जाता है जिससे कुंडली को विशेष बल मिलता है।
इसी तरह चंद्रमा कुंडली के जिस भाव में बैठा होता है उस भाव से अगले भाव में कोई शुभ ग्रह गुरु शुक्र शुभ बुध बैठा हो तो सुनफा नाम का शुभ योग, और चंद्रमा से पिछले भाव में कोई इन्ही में से शुभ ग्रह बैठा हो तो अनफा नाम का शुभ योग बनाता है।
चंद्रमा सुख, सौभाग्य में वृद्धि करने वाला कल्याणकारी ग्रह है जिन जातक/जातिकाओ का चन्द्र शुभ और पूर्ण बली होकर कोई शुभ योग, राजयोग बनाकर कुंडली में स्थित होता है वह आजीवन राजयोग का उपभोग करते है ऐसे जातक/ जातिका जहाँ जाते है वहाँ खुद अपने जीवन में सफलता के रास्ते खोज लेते और सफल रहते है।

चंद्रमा बहुत से राजयोग को भंग कर देता है।

लॉ आफ अट्रैक्शन के बारे में तो आप सब ने सुना होगा। लॉ आफ अट्रैक्शन क्या है?
और कैसे काम करता है। आपके प्रत्येक विचार से एक ऊर्जा निकलती है जो पूरे ब्रह्मांड में फैल जाती है यह ऊर्जा और ब्रह्मांडीय ऊर्जा जब दोनों की फ्रीक्वेंसी आपस में मिलती है तो आपके विचारों को सत्य कर के सामने लेकर आती है। यदि आपको पूर्ण विश्वास है कि ऐसा ही होगा तो डेफिनेटली वैसा ही होता है।
ज्योतिष से लॉ आफ अट्रैक्शन का क्या लेना-देना है। चंद्रमा ऐसा ग्रह है जो लॉ आफ अट्रैक्शन का कारक ग्रह कह सकते हैं।
चन्द्रमा आपकी मानसिकता को नियंत्रित करता है। आपकी सोच वह आपके दृढ़ निश्चय को बताता है आपकी लक्ष्यों के प्रति चाहत को दर्शाता है यदि चंद्रमा कुंडली में कमज़ोर है तो डेफिनेटली लॉ आफ अट्रैक्शन काम नहीं करेगा। चंद्रमा बहुत से राज योगों को घटित नहीं होने देता। दरअसल राजयोग का मतलब कोई राजा बनना नहीं बल्कि यश सफलता और समृद्धि का योग है।
कोई व्यक्ति जिसकी कुंडली में राजयोग है उसकी कुंडली में नेता बनना लिखा है योग के कारण वह राजनीति में तो जाएगा परंतु अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों के कारण वह रास्ता बदल देगा या उसे छोड़ देगा।
एक और उदाहरण से समझते हैं एक बच्चा जिसकी कुंडली में अच्छी शिक्षा का योग है। अब यदि चंद्र मजबूत होगा तो वह टॉपर होगा। सामान्य या कमजोर है तो वह डिग्री जरूर कर लेगा।

चन्द्रमा के उपाय-

व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए। रात के समय दूध ना पीयें।
घर में किसी भी स्थान पर पानी का जमाव न होनें पाए।
शरीर पर चांदी धारण करें।
र्णिमा के दिन शिव जी को खीर का भोग लगाएं।
माता का आशीर्वाद लें।
चांदी का कडा या चान्दी का छल्ला धारण करें।
पानी ,दूध, चावल का दान करे़ं।
श्मशान में पानी की टंकी या हैण्डपम्प लगवाएं।
वट बृक्ष की जड़ में पानी डालें।
कुएं या नाले के उपर मकान न बनाएं।
धर्म स्थान में दूध और चावल का दान करें।

चन्द्रमा कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को रात्रि में दूध नहीं पीना चाहिए। सफ़ेद वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए और चन्द्रमा से सम्बन्धित रत्न नहीं पहनना चाहिए।

जब चन्द्र की दशा में अशुभ फल प्राप्त हो तो चन्द्रमा के मन्त्रों का जाप करें या कराएं :-
चन्द्रमा का बीज मंत्र है :- ‘ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम:'(जप संख्या 11000)

चंद्र दोष से बचाव के लिये पीड़ित को चंद्रमा के अधिदेवता भगवान शिवशंकर की पूजा करनी चाहिए साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप व शिव कवच का पाठ भी चंद्र दोष को कम करने में सहायक होता है। हर सोमवार को भगवान शिव के मंदिर में चंदन व जल चढाना भी चंद्र दोषों से मुक्ति में मदद करता है।

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