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कोरोना से कब मिलेगी राहत?

देशभर में कोरोनावायरस हालात बहुत नाजुक बने ऑक्सीजन की कमी, बेड की कमी, दवाइयों के बिना लोग मारे जा रहे हैं। अगर हम ज्योतिष के बारे में बात करें तो जब से करोना हुआ है तब से बड़े-बड़े ज्योत से ज्योतिषी अपने अपने विचार रख रहे हैं पिछले साल जब करोना था तो ज्योतषियों का मानना था कि सितंबर 2020 के बाद कोई ना परेशान नहीं करेगा। थोड़ा बहुत देखने में आया कि लोग उभरने भी लेकर थे फिर अचानक से इतनी तेजी से केस बढ़ने लगे अब ज्योतषियों का कहना है कि करोना 29 अप्रैल 2022 तक चलेगा पर तत्काल की बात करें तो इस समय शनि और मंगल एक दूसरे से षडाष्टक योग बनाते हैं। यानी मंगल से शनि आठवें और शनि से मंगल में बैठे हैं जिसके कारण यह परेशानियां चल रही है। 2 जून तक यह परेशानियां रहेंगी इसके बाद कम हो जाएँगी।
13 अप्रैल 2021 में 2078 विक्रमी सम्वत शुरू हुआ था ज्योतषियों ने बताया की नव संवत्सर राक्षस नाम से जाना जाएगा। इसमें रोग बढ़ेंगे भय और राक्षसी प्रवर्तियों में वृद्धि पाई जाएगी। शनि ग्रह स्वग्रही होंगे और भोग करेंगे धनु राशि उनकी लात और कुंभ राशि पर उनकी दृष्टि रहेगी। इन राशियों के जातकों को शनि देव का जाप करना चाहिए ऐसी बहुत सारी बातें हैं। इस साल के राजा व मंत्री दोनों मंगल है जिसके कारण जनमानस में उग्रता रहेगी और युद्ध जैसी स्थितियां बनने की पूर्ण संभावना है। कृषि मंत्री बुद्धदेव हैं जिनकी वजह से अनाज की कमी नहीं आएगी। ऐसी बहुत सारी बातें जो अलग-अलग ज्योतषि करते हैं।

प्रश्न यह है कि कोरोना कब जाएगा ज्योतिष के अनुसार कोरोना कब जायेगा कोई एकदम सटीक नहीं बता पा रहा है। ऐसा क्यों है क्योंकि प्रकृति यह बताना चाहती है कि तुम मुझ से ऊपर नहीं हो। जिसको भी इतिहास की थोड़ी बहुत जानकारी हो उसे यह बात पता है कि इस तरह की समस्याएं हमेशा आती रही है पहले के समय में तो गांव के गांव साफ हो जाते थे हैजा चेचक मियादी बुखार जिसे हम टाइफाइड के नाम से जानते हैं ऐसी समस्याओं से पूरा गांव खत्म हो जाता था हम उस समय भी जिंदा रहे और आज भी जिंदा रहेंगे बस उस समय हमारा मनोबल तोड़ने के लिए मीडिया नहीं हुआ करता था।
प्रकृति का एक सिद्धांत है जिसे हम कहते हैं Survival of the Fittest, समरथ को नहिं दोष गुसाईं, हिम्मत ए मर्दा मदद ए खुदा, यह सारी कहावतें आपने सुनी होंगी पर अमल में कब लाएंगे। सोना तपने के बाद कुंदन बन जाता है। लोहे पर जब चोट पड़ती है तो उसमे धार आ जाती है। इंसान पर जब मुसीबत आती है तो वह उसे झेलना या हल करना सीख जाता है। हीरे पर रगड़ने के बाद ही चमक आती है बस आपको यही बात ध्यान रखनी है के ईश्वर हमारी परीक्षा ले रहा है हम तो रोज लेते रहते हैं भगवान मेरा यह काम करा दो, भगवान मेरा वह काम करा दो, पर अब उसकी बारी है तो हमें अपनी परीक्षा देनी होगी। भगवान हमें मजबूत करने के लिए परेशानियां देता है।

मुझे एक कहानी याद आती है एक बार कोई दीप उत्सव हो रहा था जिसमें दीप जलाकर यमुना में छोड़े जा रहे थे और कृष्ण जी नदी के किनारे बैठकर एक डंडे से दीयों को किनारे पर लगा रहे थे यशोदा मैया ने पूछा यह क्या कर रहे हो तो कान्हा बोले मैं इन्हें डूबने से बचा रहा हूं। यशोदा मैया ने पूछा कि तुम किस किसको बचाओगे यहाँ तो बहुत से दिए हैं। कृष्ण जी ने कहा कि मैंने सब का ठेका थोड़ी ले रखा है जो मेरे पास आएगा मैं तो उसे ही बचाऊंगा ना। चलो एक बार मैं मान लेता हूं यह कहानी एक झूठी है लेकिन इसके पीछे का सार झूठा नहीं है यह बात सत्य प्रतिशत सच है कि यदि आप उसकी शरण में चले जाओगे तो आपने उसे खुद की रक्षा का ठेका दे दिया समझो। यदि आपका अटूट विश्वास अपने आराध्य पर है तो यकीन मानिए कि आप कितनी भी बड़ी मुसीबत हो उस से बाहर निकल सकते हैं।

यह बात थोड़ी सी सांप्रदायिक हो जाएगी लेकिन भारत में श्मशान घाट पर ज्यादा भीड़ है कब्रिस्तान पर नहीं क्योंकि कब्रिस्तान वालों को अपने आराध्य पर पूरा भरोसा है जबकि श्मशान घाट वाला अपने आराध्य पर भरोसा नहीं करता उसकी आस्था बहुत कमजोर है। इतनी कमजोर आस्था के साथ उसका बचाना मुश्किल हो जाता है। अफगान से वर्मा तक भारत था।
इस समय डॉक्टर जो भी उपाय बताये उसे आप करें। लेकिन सबसे ज्यादा जरूरत हमें आस्था की है।
एक छोटी सी कहानी याद आती है एक गांव में दो तीन लोगों को गांव निकाला दिया गया। उन लोगों ने जाकर नदी के उस पार अपना ही एक गांव बसा लिया लगभग 100 साल बीत गए। 100 साल के बाद इस बड़े गांव से छोटे गांव यानी नदी पार लोगों ने एक पंडित जी को बुलाया। ताकि वह यह जान सके की पूजा कैसे की जाती है पंडित जी जब वहां पहुंचे तो उन्होंने पूछा कि आप कैसे पूजा करते हैं तो वहां के लोगों ने बताया कि यहां पर एक शिवलिंग है हम नियमित आकर यहां पर जल देते हैं इससे ज्यादा हम कुछ जानते ही नहीं अगर आप हमें पूजा का विधि विधान बता दें तो हमारे लिए बहुत अच्छा होगा हम भी ईश्वर की तरफ थोड़ा बढ़ जाएंगे। पंडित जी ने उन्हें पूरा विधि-विधान समझाया और उसके बाद वह वापस जाने लगे वह जब चले गए तो एक व्यक्ति को ध्यान आया कि पंडित जी ने इस के बाद क्या करने के लिए बताया था। उसने कहा कि कोई जाए और उनसे पूछ कर आए।
एक व्यक्ति भागता हुआ नदी पंहुचा परंतु पंडित जी तब तक आधी नदी में पहुंच चुके थे वह आदमी पानी के ऊपर दौड़ता हुआ पंडित जी के पास पहुंचा। और हाँफते हुए पूछा कि मुझे यह बताइए इस के बाद कैसे पूजा करनी है? तब पंडित जी ने उसको देखा। यह व्यक्ति पानी पर दौड़ता हुआ चला आया। तो उन्होंने हाथ जोड़कर कहा कि मैंने जो आपको बताया वह भूल जाओ और आप जैसे पूजा करते थे वैसे ही पूजा करो क्योंकि वही सबसे श्रेष्ठ तरीका है। उस गांव के लोगों को ईश्वर में आस्था थी इसीलिए उनके पास वह शक्तियां थी जिनके लिए बड़े-बड़े तपस्वी जीवन भर तप करते हैं

मेरा आप से यही अनुरोध है कि अपने आराध्य पर विश्वास रखिए और जैसे हर रात के बाद सवेरा आता है ठीक उसी तरह यह समय भी निकल जाएगा। वह परीक्षा ले रहा है हमें पास होना।
एक दूसरे का मनोबल बढ़ाते रहिए,
राम भजन सुनते रहिये सुनाते रहिये।

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