JyotishMantra

Ashubh Surya ke upay, अशुभ सूर्य के लक्षण

Ashubh Surya ke upay,अशुभ सूर्य के लक्षण, सूर्य ग्रह के कारकत्व

वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा कहा गया है। सूर्य को जगत पिता भी कहा गया है इसी की शक्ति से समस्त ग्रह चलायमान है। सूर्य ग्रहो का राजा भी है। सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मा स्वरूप हैं। इसे आत्म कारक एवं पिता का कारक कहते हैं, एवं पुत्र, राज्य, सम्मान, पद, भाई, शक्ति, चिकित्सा, पितरो की आत्मा, स्‍वर्ण, तांबा, फलदार वृक्ष, छोटे वृक्ष, गेंहू, भगवान भोले नाथ और राजनीति का कारक ग्रह है। जब कुंडली में सूर्य मजबूत स्थिति में होता है तो इन्ही परिणामो में फायदा होता है और जब कमजोर स्थिति में होता है तो व्यक्ति को नौकरी और सरकार से सम्बंधित चीजों में नुक्सान उठाना पड़ता है।

सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र है और इनकी माता का नाम अदिति है जो दक्ष प्रजापति की पुत्री हैं। सूर्य ग्रह सिंह राशि का स्वामी है और यही इसकी मूल त्रिकोण राशि भी है।
मेष राशि में सूर्य उच्च होता हैं एवं तुला राशि में नीच। सूर्य से सम्बन्धित नक्षत्र कृतिका, उत्तराषाढा और उत्तराफ़ाल्गुनी हैं। चन्द्र, मंगल, गुरु ग्रह सूर्य के मित्र हैं, शनि और शुक्र शत्रु तथा बुध के साथ सूर्य सम भाव रखता है। गुरु सूर्य का परम मित्र है,दोनो के संयोग से जीवात्मा का संयोग माना जाता है। गुरु जीव है तो सूर्य आत्मा। लग्न से दशम भाव में बलि होता है और मकर से 6 राशि पर्यन्त इसे चेष्टा बल प्राप्त होता है। सूर्य जब आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है, तभी से औपचारिक रूप से वर्षा ऋतू का प्रारम्भ माना जाता है।

सूर्य अपने मित्र ग्रहों के साथ होता है तो यह जातकों को शुभ फल देता है। जबकि शत्रु ग्रहों के साथ इसके फल अच्छे नहीं होते हैं। ऐसा कहते हैं कि सूर्य के समीप आने पर किसी भी ग्रह का प्रभाव शून्य हो जाता है, इसलिए कई बार ऐसा होता है कि सू्र्य के प्रभाव में आने के कारण संबंधित ग्रह अपनी प्रकृति के अनुसार परिणाम नही दे पाते हैं। विभिन्न राशियों में सूर्य की चाल के आधार पर ही हिन्दू पंचांग की गणना संभव है। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है तो उसे एक सौर माह कहते हैं। राशिचक्र में 12 राशियाँ होती हैं। अतः राशिचक्र को पूरा करने में सूर्य को एक वर्ष लगता है। अन्य ग्रहों की तरह वक्री नहीं होता है।

सूर्य ग्रह के कारकत्व

सूर्य को कुंडली में सम्मान, सफलता, प्रगति एवं सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र में उच्च सेवा का कारक माना जाता है। ज्योतिष में सूर्य को आत्मा तथा पिता का कारक भी कहा गया है। सूर्य सभी ग्रहों का राजा होता है अर्थात यह नेतृत्व का प्रतीक है। पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत सूर्य ही है। इसलिए सूर्य को ऊर्जा का भी कारक माना जाता है। इसके अलावा सूर्य ग्रह आत्मा का कारक होता है। मनुष्य के शरीर में सूर्य उसके हृदय को दर्शाता है। साथ ही यह पुरुषों की दायीं आँख जबकि महिलाओं की बायीं आँख का प्रतिनिधित्व करता है। पीड़ित सूर्य के कारण जातकों को कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। अतः यह लो ब्लड प्रेशर, चेहरे पर मुहांसे, तेज़ बुखार, टाइफाइड, मिर्गी एवं पित्त, हृदय या हड्डी से संबंधित रोगों का कारक है।

ऋग्वेद के देवताओं में सूर्यदेव का महत्वपूर्ण स्थान है। सूर्य को समस्त चराचर जगत की आत्मा कहा गे है। सूर्य शब्द का अर्थ है सर्व प्रेरक, सर्व प्रकाशक, सर्व प्रवर्तक और सर्व कल्याणकारी है।
यजुर्वेद ने “चक्षो सूर्यो जायत” कह कर सूर्य को भगवान का नेत्र माना है।
ब्रह्मवैर्वत पुराण तो सूर्य को परमात्मा स्वरूप मानता है।
प्रसिद्ध गायत्री मंत्र सूर्य परक ही है।
सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उतपत्ति का एक मात्र कारण निरूपित किया गया है। और उन्ही को संपूर्ण जगत की आत्मा तथा ब्रह्म बताया गया है। संपूर्ण जगत की सृष्टि तथा उसका पालन सूर्य ही करते है।

सूर्य देवता का जन्म

एक समय की बात है दैत्यों और देवताओं में बहुत दुश्मनी बढ़ गई। दैत्यों ने सभी देवताओं को स्वर्ग से निकाल दिया और स्वयं स्वर्ग पर शासन करने लगे। देवराज इन्द्र ने ये बात अपनी माता अदिति को बताई। अदिति ने भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य ने उनसे वरदान मांगने को कहा। अदिति ने उनसे कहा कि “आप मेरे पुत्र के रूप में उत्पन्न होंवें। सूर्य भगवान ने तथास्तु कह दिया और अंतर्ध्यान हो गए। एक बार अदिति और उनके पति प्रजापति कश्यप में किसी बात को लेकर कलेह हो गई। अदिति उस समय गर्भवती थीं। प्रजापति कश्यप ने उनके गर्भ में पल रहे बालक को मृत कह दिया उसी समय अदिति के गर्भ से एक तेज़ पूंज निकला और भगवान सूर्य प्रकट हुए और कहा कि आप दोनों इस पूंज का पूजन प्रतिदिन करें समय आने पर इस पूंज से एक पुत्र रत्न जन्म लेगा और आपके दुखों को दूर करेगा। अदिति और प्रजापति कश्यप ने उस पूंज का पूजन प्रतिदिन किया और उस पूंज से एक पुत्र ने जन्म लिया। प्रजापति कश्यप ने अपने उस पुत्र को विवस्वान् नाम दिया। देवासुर संग्राम में सभी दैत्य विवस्वान् के तेज़ को देखकर भाग खड़े हुए।

सूर्य कमजोर से होने वाली बीमारियां

दिल की बीमारी
सूर्य दिल है जो खून को पंप करता है यहाँ समझने वाली बात ये है कि खून लिक्विड है लिसपर चंद्र का अधिकार है। उसके दौड़ने की गति पर मंगल का अधिकार है और उसमे आने वाली शुद्धता और अशुद्धता हैं उन पर शुक्र का अधिकार है। जब पंप में खराबी या कचरा आता है तो वह स्लो हो जाता है वैसे ही सूर्य का असर खराब होता है तो जीवन की चाह कम हो जाती है। दिल की किसी भी तरह की बीमारी सूर्य के कारण होती है और यदि सूर्य थोड़ा बहुत कमजोर होता है तभी मंगल भी अपना नकारात्मक प्रभाव दिखता है। दिल की बीमारी अकेले सूर्य के कारण होती है हार्ट फ़ैल। लेकिन अन्य गृह के साथ सूर्य नेगटिव होने पर दिल से सम्बंधित अलग अलग बीमारी देता है। जैसे दिल में छेद होना की समस्या केतु व सूर्य के कारण होता है। हाई ब्लड प्रेसर दिल का दौरा पड़ना सूर्य मंगल के कारण है।
फेफड़े पर गुरु और चंद्र का शिकार होता है पर सूर्य के कुपित होने के कारन न्यूमोनिया की बीमारी, होना माना जाता है। फेफड़ों में इन्फेक्शन भी सूर्य से देखी जाती है। कुछ लोगों का मानना है की अल्सर की समस्या भी सूर्य से देखि जाती है।

पेट में गर्मी बढ़ने पर शरीर का तापमान बढ़ सकता है। गर्मी बढ़ने पर उल्टी या दस्त की समस्या हो सकती है। सिर दर्द की समस्या एक खास लक्षण है यदि सूर्य के नकारात्मक होने का इसी शाम को सर में दर्द हो तो सूर्य के कारण होता है। इसमें पेट में गर्मी बढ़ जाती है। पेट में गर्मी बढ़ने पर थकान भी महसूस होती है। कई लोगों को आधे सर में दर्द रहता है इसका मतलब सूर्य के उपाय से लाभ मिलता है। जिनको माइग्रेन की समस्या होती है उनकी कुंडली में भी सूर्य कमजोर होता है। इसे ठीक करने के लिए सूर्य देव को नियमित रुप से जल चढ़ाना चाहिए। सूर्य हमारे चेहरे का तेज कहा जाता है। यदि सोते समय मुंह खुला रहता है और लार गिरती है तो सूर्य ग्रह कमजोर होने की निशानी है। लाल किताब के अनुसार मुँह में यदि लार यानि थूक बहुत बनता है तो भी सूर्य नकरत्मक होता है

हड्डियों संबंधी समस्या भी सूर्य के कारण होती है हडियों पर शनि का भी प्रभाव होता है पर हड्डियों में इन्फेक्शन, हडियों का बढ़ना शनि के पभाव में आता है। पर हड्डी का टूटना कमजोर सूर्य के लक्षण है।

कुंडली में कमजोर सूर्य के मानसिक लक्षण

जन्म कुंडली में सूर्य के कमजोर होने पर व्यक्ति को विभिन्न मानसिक लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। सूर्य जीवन का प्रकाश है और इसकी दृष्टि व्यक्ति की आत्मा और व्यक्तित्व को प्रभावित करती है। कमजोर सूर्य आत्म यानि स्वम को प्रभावित करता है। उसमे अवसाद, तनाव और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। हमारे विचार कितने शुद्ध हैं, इनसे भी सूर्य ग्रह की शक्ति का अनुमान लगाया जा सकता है। सूर्य नैतिक गृह है नैतिकता देता है जैसे अच्छे राजा नैतिक कार्य करते हैं लोगो के हित में सोचते हैं, उसी तरह सूर्य के कमजोर होने पर व्यक्ति अन्य लोगों के हित में नहीं सोचते, इसलिए ऐसे कर्म जो अनैतिक हो कर डालते हैं बाद में वे राज दंड के अधिकारी होते हैं।
आत्म विश्वास की कमी होना सूर्य का एक लक्षण हो सकता है क्योकि आत्मविश्वास मंगल और आपके लग्न से भी देखा जाता है।

सूर्य के कमजोर होने से व्यक्ति की स्वानुभूति में कमी हो सकती है, जिससे वह अपनी असली पहचान से दूर महसूस कर सकता है। लोग कहते हैं वह क्या था क्या हो गया। नैतिकता नहीं रही उसमे।

आत्म-संवाद में कमजोरी: आपने सचिन तेंदुलकर को खेलते हुए देखा होगा। जब तक वह मैदान में होता था स्वाम से बात करता रहता था इसे आत्म-संवाद कहते है खुद का विश्लेषण और खुद को मोटीवेट करना। यदि सूर्य ख़राब है तो व्यक्ति खुद को मोटीवेट नहीं कर पता है। उसके मन में विचार तो बहुत आते हैं पर ज्यादातर नेगेटिव ही आते हैं और अगर बहुत ख़राब है तो आत्महत्या तक के विचार आते हैं।
ऐसे विक्ति में सततता यानि रेगुलेशन की कमी होती है वो किसी भी कार्य को सतत नहीं कर पाता जिससे वे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में कठिनाई महसूस करता हैं। उसमे सकारात्मक ऊर्जा की कमी होती है, जिससे व्यक्ति आलस्यकारी और उदास महसूस कर सकता है।

कुंडली में कमजोर सूर्य के आर्थिक लक्षण

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को जीवन का प्रमुख कारक माना जाता है, और जन्म कुंडली में सूर्य की स्थिति आर्थिक स्थिति पर प्रभाव डाल सकती है।
इसका पहला लक्षण है नौकरी में समस्याएं आना नौकरी का कारक शनि है परन्तु यदि सूर्य खराब है तो आपके बॉस से आपके सम्बन्ध अच्छे नहीं होंगे। नौकरी नहीं जाएगी पर नौकरी में समस्याएं आती रहेगी, बॉस परेशान करके रखेगा। आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।

यदि आप व्यापारी है तो सरकार से आपको आर्थिक दंड लग सकता है। एक छोटा सा पेपर लेने के लिए ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ेंगे, बड़ी कंपनियों में टेंडर मिलने में तकलीफ होगी। आर्थिक लाभ के लिए योजना बनाना और उसे प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।ख़राब सूर्य होने पर निवेश में हानि होगी और कमजोर सूर्य होने पर निवेश करने में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सूर्य के कमजोर होने से व्यक्ति को ऋण लेने या चुकाने में मुश्किलें उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे आर्थिक दबाव बढ़ सकता है।

कुंडली में कमजोर सूर्य के सामाजिक लक्षण

सूर्य के कमजोर होने से व्यक्ति को समाज में अपनी जगह बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है। अन्य ग्रहों व राजयोग के प्रभाव से वह उच्च स्थान तो प्राप्त कर लेगा लेकिन उसे बरक़रार यानि स्थिर नहीं रख पायेगा। कुछ ही समय में उसका पद चला जायेगा। केतु कुंडली में बलवान है तो वह एकदम से पद दिला देगा पर सूर्य बलवान नहीं तो कुछ ही समय में सब खतम हो जायेगा आप देखे ऐसे कितने लोग है जो एकदम से लाइमलाइट में आये पर आज वो कहाँ है हमें नहीं पता।

सूर्य के कमजोर होने से परिवार में संबंधों में कटुता उत्पन्न हो सकती है। विशेष रूप से पिता से सम्बन्ध अच्छे नहीं होते। सूर्य खराब है तो पिता से बिलकुल भी नहीं बनती वह आपका सहयोग नहीं करते। यदि सूर्य कमजोर है तो पिता से आपकी अच्छी नहीं बनती उदाहरण के लिए पिता जी इस कमरे में है तो आप दूसरे कमरे में चले जाते हैं। आपने कोई बात कही पिता जी ने उसे काट दिया। पिता जी आपपर थोड़े सख्त हैं ऐसा आपको लगेगा।
सूर्य के कमजोर होने से व्यक्ति को अपने समाज में अपनापन की कमी महसूस होगी, उसकी विचारधारा का समर्थन नहीं होगा। ऐसे लोगों को सामाजिक विरोध भी होता है। सूर्य की कमजोरी से व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी हो सकती है, जिससे उन्हें समाज में सही से मान्यता नहीं मिल पाती। सामाजिक बहिस्कार भी उन्ही लोगों का होता है जिनका सूर्य कमजोर होता है। व्यक्ति को समाज में स्थान बनाए रखने के लिए अधिक प्रयास करना पड़ सकता है। उन्हें सामाजिक न्याय नहीं मिलता साथ ही कई झूठे आरोपों का भी सामना करना पड़ता है और मान-सम्मान में भी कमी आती है। सूर्य कमज़ोर होगा उनको सुसराल में बदनामी मिलेगी और तिरस्कार होता रहेगा। यदि केतु भी पीड़ित है तो ससुराल से झगड़े की स्थिति रहती है। उन पर झूठे आरोप लगाये जाएंगे। अपने ही परिवार से कभी साथ नहीं मिलेगा।

कुंडली में कमजोर सूर्य के सरकारी लक्षण

सूर्य ग्रह का प्रभाव सरकारी अनुसंधान, कर्मचारी, और सरकार से संबंधित क्षेत्रों में होता है। जन्म कुंडली में सूर्य कमजोर या ख़राब है, तो वह सरकार से जुड़े क्षेत्रों में कई समस्याओं का सामना कर सकता है।
सरकारी नौकरी के 2 गृह मुख्यता कारक होते हैं सूर्य और चंद्र सूर्य सेन्ट्रल गवर्नमेंट है जबकि चंद्र स्टेट गोएरनमेंट। मान लो किसी की मजबूत चंद्र के कारन सरकारी नौकरी लग गई पर यदि सूर्य कमजोर है तो प्रमोशन में परेशानी होती है। व्यक्ति अपने कौशलों को सरकारी स्तर पर प्रदर्शित नहीं कर पाता।

सूर्य के कमजोर होने से व्यक्ति को सरकारी योजनाओं और लाभों में कमी हो सकती है। इससे उन्हें आर्थिक सहारा प्राप्त करने में दिक्कतें उत्पन्न हो सकती हैं। सरकारी बैंक से लोन नहीं मिलता, परियोजनाओं और कार्यक्रमों में शामिल होने में कठिनाई होती है। राजनीतिक क्षेत्र में चुनौतियां आती हैं। व्यक्ति को अपनी राजनीतिक करियर में उच्च पदों तक पहुँचने में कठिनाई हो सकती है।

कुंडली में सूर्य के दूषित होने पर पितृदोष लगता है। ज्योतिष के पितामह पराशर ऋषि ने बताया कि नवम भाव में सूर्य के साथ राहु होने पर पित्र दोष लगता है। कुछ ज्योतषियो का मत है कि राहु व शनि की युति सूर्य के साथ पहले, दूसरे, चौथे, पांचवे, सातवें और दसवें भाव में हो तो पितृदोष सकता है। सूर्य के आलावा चंद्र और गुरु के दूषित होने पर भी पितृ दोष हो सकता है। पितृ दोष का सम्बन्ध आपके पूर्वजों से है या नहीं मुझे नहीं पता। पर सौर मंडल का पिता सूर्य को कहते है इसलिए जब भी सूर्य को राहु से दोष लगता है इसे पितृ दोष कहा जाता है। यह दोष जिस भाव में बनता है उससे सम्बंधित फल में कमी आती है।

घर में हमेशा किसी का बीमार रहना, मान-सम्मान की हानि, पिता से विवाद, बहुत मेहनत के बाद भी सफलता न मिलना या फिर बने बनाए काम का बिगड़ जाना। यह लक्षण कुंडली में सूर्य के कमजोर होने का संकेत हैं। यह चीजें इस तरफ भी इशारा करती हैं कि आपके कुंडली में पितृ दोष है।

तंत्र मंत्र का असर तभी होता है जब सूर्य कमजोर हो जब सूर्य कमज़ोर होता है तो शनि राहु और केतु जैसे गृह हावी हो जाते हैं ,और ऐसे इंसान पर कुछ भी तंत्र मन्त्र किया कराया जा सकता है और उसका असर बहुत जल्दी और देर तक रहता है । ऐसे लोग बार बार षड्यंत्र का शिकार बनते है। चोरी की आदत पड़ जाती है

बलि सूर्य के लक्षण

ज्योतिष में सूर्य ग्रह अपनी मित्र राशियों में उच्च होता है जिसके प्रभाव से जातकों को अच्छे फल प्राप्त होते हैं। इस दौरान व्यक्ति के बिगड़े कार्य बनते हैं। बली सूर्य के कारण जातक के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं और जीवन के प्रति वह आशावादी होता है। सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन में प्रगति करता है और समाज में उसका मान-सम्मान प्राप्त होता है। यह व्यक्ति के अंदर अच्छे गुणों को विकसित करता है। उसे सरकार से लाभ मिलता है। बली सूर्य लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है। ये लोग साहसी, प्रतिभावान, नेतृत्व क्षमता वाले, समाज में सम्मान प्राप्त करते हैं। इनमे ऊर्जा, आत्म-विश्वास, आशा, ख़ुशी, आनंद, दयालु, शाही उपस्थिति, वफादारी, कुलीनता होती है। इन्हे सांसारिक मामलों में हर कदम पर सफलता मिलती है।

सूर्य से बनने वाले राजयोग

वेशि राजयोग: जिन जातकों की कुंडली में सूर्य के पिछले घर में किसी ग्रह के होने पर वसी योग बनता है, लेकिन यह ग्रह चंद्रमा, राहु और केतु नहीं होने चाहिए, तब जाकर इस योग से शुभ फल की प्राप्ति होती है. वेशि राजयोग वाले जातकों के जीवन की शुरुआत में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. हालांकि आगे चलकर जीवन में धन-संपत्ति और यश की प्राप्ति होगी. ऐसे व्यक्ति को अपने खानपान पर विशेष ध्यान रखना चाहिए और गुड़ जरूर खाना चाहिए.

उभयचारी राजयोग: सूर्य के आगे और पीछे दोनों ही भाव में ग्रहों के उपस्थित होने से उभयचारी राजयोग बनता है, लेकिन आगे या पीछे चंद्रमा, राहु और केतु नहीं होना चाहिए. जिस व्यक्ति की कुंडली में यह राजयोग बनता है, वह व्यक्ति बहुत छोटी सी जगह से बहुत ऊंचाइयों तक पहुंचता है. इस कारण यह व्यक्ति अपने प्रदेश और अपने देश में प्रसिद्धि प्राप्त करता है. इस योग के बनने से प्रशासन और राजनीति के कई बड़े पद भी आसानी से हासिल हो जाते हैं.

वाशि राजयोग: जब सूर्य से द्वादश स्थान मे चंद्र को छोड़कर कोई अन्य ग्रह विद्यमान हो तो वासी योग का निर्माण होता है। अतः यदि सूर्य से द्वादश भाव मे मंगल, बुध, शुक्र, गुरु ,शनि हो तो वासी योग का निर्माण होता है। वाशि राजयोग के व्यक्ति को ज्ञानी, धनवान और बुद्धिमान बनाता है और राजा की तरह जीवन यापन करते हैं. ऐसे व्यक्ति घर से दूर जाकर बहुत सी सफलताएं हासिल करते हैं और बहुत सी विदेशी यात्रा भी करते हैं. ऐसे व्यक्ति को लकड़ी के पलंग पर सोना चाहिए.

सूर्य के उपाय

21 रविवार तक गणेश जी पर लाल फूलों चढ़ाएं |
तांबे का कड़ा धारण करे।
रोज 12 ज्योतिर्लिंगों के नामों का स्मरण करें।
सूर्य को मजबूत करने के लिए सूर्य को ताम्बे (ताम्र) के लोटे से “जल, गंगाजल, चावल, लाल फूल(गुडहल आदि), लाल चन्दन” मिला कर अर्घ्य दें । जल देते समय ॐ अदित्याये नमः अथवा ॐ घृणि सूर्याय नमः का जाप करे ।
सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पुष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
सुबह को सूर्य को नमस्कार करना चाहिये,यह सूर्योदय के समय ठीक रहता है।
लाल किताब के अनुसार सूर्य कुंडली में अशुभ है तो नदी की धारा में तांबे के पैसे फेकें।
गायों को गुड़ और गेंहूं रविवार को खिलाना चाहिये।
आदित्य हृदय स्तोत्रम् का पाठ चालीस दिन करना चाहिए।
एक चीज का ध्यान रखना चाहिए कि सूर्य के कारक वस्तुओं का दान कभी भी सुबह या शाम के समय नहीं करना चाहिए । यह सूर्य को कमजोर करता है। इसे दोपहर के समय दान करना चाहिए जब सूर्य मजबूत होता है।
हाथ में घड़ी अवश्य पहने।
रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए। सुबह किसी भी अवस्था में सूर्योदय से पहले ही उठकर ताम्बे के बर्तन का पानी पियें।
किसी भी कार्य को प्रारंभ करने से पूर्व थोडा मीठा मुहँ में डाल कर पानी पी लें।
लाल चन्दन या केशर का तिलक लगायें।
घर में खुला हुआ आँगन होना चाहिए जहाँ सूर्य का प्रकाश आये।
अगर धन भाव में सूर्य समस्या दे रहा तो बहते जल में गुड़ बहायें। मधु और दूध पीएं तथा अग्नि को दूध दें।
सूर्य मंत्र
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए आप सूर्य बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं। मंत्र – ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं – ॐ घृणि सूर्याय नमः!

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