aditya hridaya shrotam, आदित्य हृदय स्त्रोत
आदित्य हृदय स्त्रोत, Aditya hridaya shrot, aditya hridaya shrotam
ज्योतिष में सूर्य को पिता का स्वरूप माना गया है इसे ग्रहों का राजा कहा जाता है जिसके चारों तरफ सभी ग्रह घूमते हैं। सूर्य नौकरी पेशा, सामाजिक प्रतिष्ठा, आत्म सम्मान आदि का कारक है। यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत है तो ऐसी स्थिति में आपको वह प्रधानमंत्री तक बना सकता है। प्रशासनिक कार्य में आपको सफलता दिला सकता है। सरकार से आपको पूरी मदद दिलाएगा। सरकारी नौकरी का कारक भी सूर्य ही है इसलिए कुंडली में सूर्य की स्थिति अच्छी होना बहुत जरूरी है। अन्यथा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा यदि जिंदगी में आपकी परेशानियां चल रही है। काम बिगड़े जा रहे हैं पैसा हाथ में रुक नहीं रहा है और मेहनत करने के बावजूद सफलता नहीं मिल रही। ऐसी स्थिति में आप को सूर्य को मजबूत करना चाहिए।
सूर्य आपकी आत्मा है आत्मा किसी मकान की नींव की तरह है यदि नीव कमजोर है तो पूरा मकान कभी भी गिर सकता है। सूर्य आत्म बल है आपके अंदर यदि लड़ने की ताकत है तो आप कैसी भी परिस्थितियों से लड़ सकते हैं लेकिन यदि सूर्य कमजोर है तो लड़ने की ताकत खत्म, साहस खत्म, आप कमजोर जायेंगे और कोई भी आपको दबा देगा।
कुछ लोग बचपन से ही साहसी होते हैं यह सूर्य के कारण है उनमें कुछ भी कर लेने का साहस होता है कैसी भी परिस्थितियों से वह हार नहीं मानते और जो हार नहीं मानते वही विजेता होते हैं। विजेता बनने के लिए आपको अपना सूर्य मजबूत करना ही पड़ेगा। वह सूर्य ही है जो आपको टूटने नहीं देता आपको थकने नहीं देता और हर समय आपके अंदर एक मोटिवेशनल आग लगाए रखता है। इसलिए सूर्य का मजबूत होना बहुत जरूरी है। किसी भी तरह की सफलता के लिए देवताओं और दानवों के पिता ऋषि कश्यप द्वारा भगवान राम को दिया गया यह स्त्रोत जिसने जप कर श्री राम ने सूर्य देव को प्रसन्न किया और रावण से युद्ध किया तथा विजय प्राप्त की। वही स्त्रोत आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
सबसे पहले इसका इतिहास जानते हैं आदित्य हृदय स्त्रोत सूर्य की स्तुति मंत्र है बाल्मीकि रामायण के छठे अध्याय या छठा कांड जिसे युद्ध कांड कहा जाता है उसमें इसका स्त्रोत का वर्णन आया है। जब राम जी युद्ध क्षेत्र में खड़े थे उस समय अगस्त ऋषि ने भगवान राम को सूर्य की स्तुति करने की सलाह दी और यह मंत्र दिया। राम जी रावण के विभिन्न योद्धाओं से लड़ते-लड़ते थक गए थे और ऐसी स्थिति में उनका रावण से युद्ध करना मुश्किल सा प्रतीत हो रहा था। तब अगस्त ऋषि ने भगवान सूर्य की उपासना करने की शिक्षा दी। भगवान राम ने सूर्य उपासना की उनका आत्म बल फिर से जागृत हो गया। उनकी थकान समाप्त हो गई उन्होंने रावण से युद्ध किया तथा उसका नाश किया। यह स्त्रोत हनुमान जी का भी प्रिय है क्योंकि हनुमान जी सूर्य के शिष्य थे।
आदित्य हृदय स्त्रोत में कुल 30 श्लोक हैं जिन्हें 6 भागों में बांटा गया है।
पहला और दूसरा श्लोक ऋषि अगस्त का राम जी के पास आना बताता है
तीसरे से पांचवां श्लोक अगस्त ऋषि द्वारा आदित्य ह्रदय स्त्रोत की महानता व उसके महत्व के बारे में बताना है।
उसके बाद श्लोक 6 से लेकर श्लोक 15 जिसमें सूर्य के नामों का ब्रह्मांड की उत्पत्ति का वर्णन बताया गया है।
16 से लेकर 20 तक सूर्य के मंत्रों का जाप किया गया है
21 से लेकर 24 तक आदित्य को यानि भगवान सूर्य को नमन किया गया है
श्लोक 25 से लेकर 30 तक इस स्त्रोत को पढ़ने से प्राप्त फलों का वर्णन अर्थात स्त्रोत को पढ़ने की विधि इसके फल तथा रामजी का रण क्षेत्र में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद लेना व युद्ध क्षेत्र में जाना बताया गया है।
आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ किन लोगों को करना चाहिए?
ऐसा व्यक्ति जिन पर सरकारी मुकदमे चल रहे हो
सरकार से किसी तरह का डर हो
पिता से संबंध अच्छे ना हो
हड्डियों से संबंधित आंखों से संबंधित या दिमाग से संबंधित कोई बीमारी हो
जीवन में बड़े कार्य में सफलता ना मिल रही हो
प्रशासनिक सेवाओं की जो लोग तैयारी कर रहे हैं उनको तो यह जरूर करना चाहिए
गवर्नमेंट जॉब किसी भी तरह की हो उसके लिए बहुत लाभकारी है
आपकी नौकरी में अगर कोई दिक्कत आ रही है तो भी इसे जरूर करना चाहिए
किन राशि वालों के लिए यह पाठ उत्तम होता है
मेष राशि वालों के लिए शिक्षा के लिए
सिंह राशि वालों के लिए स्वास्थ्य के लिए
धनु राशि वालों के लिए भाग्य के लिए इस का पाठ करना चाहिए
वृषभ राशि वालों को संपत्ति के लिए
कन्या राशि वालों को नौकरी के लिए
मकर राशि वालों को आयु के लिए इसका पाठ करना चाहिए
मिथुन, तुला और कुंभ राशि वालों को वैवाहिक जीवन के लिए इसका पाठ करना चाहिए
कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों के उच्च पद प्राप्त करने के लिए इसका पाठ करना चाहिए
साथ ही यदि कुंडली में सूर्य दूसरे, तीसरे, चौथे, छठे, सातवें, आठवें तथा बारहवें भाव में हो तो भी इसका पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं
इसके पाठ करने के कुछ नियम है इसका पाठ कैसे करना चाहिए और कब करना चाहिए?
रविवार के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर तांबे के या कांस्य के लोटे में भगवान सूर्य को अर्घ देना चाहिए। अर्ध्य देते समय आपको गायत्री मंत्र का पाठ करना है अर्थात गायत्री मंत्र का जप करना है। तत्पश्चात सूर्य के समक्ष खड़े होकर वही हाथ जोड़कर स्त्रोत का पाठ करना है यदि संभव हो तो आप इसे बोलकर करें और अगर संभव ना हो तो ऐसी स्थिति में अपने मोबाइल पर या किसी स्पीकर पर से बजा लेना चाहिए। उस दिन मांसाहार मदिरा और तेल का प्रयोग ना करें अर्थात सर में व शरीर में तेल ना लगाएं। संभव हो तो सूर्यास्त के बाद नमक का सेवन न करें। कुछ ही दिनों में यह स्त्रोत आपको बड़ा फल देगा।
यदि आपको स्त्रोत का और अच्छा फल चाहिए तो हमने इसको इसका एक वीडियो बनाया है जिसको आप केवल सुबह के समय चला दीजिए और दो से तीन बार बजाइए देखिए आपके घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है नौकरी में आपको पूरा लाभ मिलेगा और साथी आपको बहुत सारे लाभ दिखने शुरू हो जाए धन्यवाद दोस्तों हम इसी तरह काम की जानकारी लाते रहेंगे।
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