Hanuman Chalisa, हनुमान चालीसा
Hanuman Chalisa, हनुमान चालीसा, हनुमान चालीसा कब लिखी गई, हनुमान चालीसा किसने लिखी,
हनुमान चालीसा कब क्यों और किसने लिखी इसे जपने से क्या लाभ होता है इस लेख में हम यह जानेंगे।
तुलसीदास सदा हरी चेरा कीजै नाथ हृदय महं डेरा। इस चौपाई से यह पता चलता है। कि हनुमान चालीसा तुलसीदास जी ने लिखी थी। लेकिन इसकी रचना कब और क्यों की गई? इसके पीछे एक बहुत ही रोचक कहानी है। तुलसीदास और अकबर समकालीन थे। तुलसीदास जी ने जब रामचरितमानस लिखी तो उनका यश चारों ओर फैल गया। इस बात की भनक अकबर को भी लगी अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास को अपने दरबार में बुला भेजा। जब तुलसीदास वहां पहुंचे तो अकबर ने उन्हें अपनी प्रशंसा में यानी अकबर की प्रशंसा में कोई ग्रंथ लिखने को कहा। जिस पर उन्होंने मना कर दिया अकबर ने तुलसीदास जी को बंदी बना लिया। और कारावास में डाल दिया।
कारावास में अपने आराध्य भगवान राम के भक्त तुलसीदास ने हनुमान जी की आराधना में 40 चौपाइयां लिखी। जिन्हें हम हनुमान चालीसा के नाम से जानते हैं।
जै जै जै हनुमान गुसाईँ, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥
ऐसा कहकर उन्होंने रचना की कि जो भी इस चौपाई का पाठ करेगा वह बंदी से छूट जाएगा। इसी तरह हनुमान चालीसा का एक एक पंक्ति में हनुमान हनुमान जी के गुणों का बखान किया गया।
हनुमान चालीसा के प्रभाव से अकबर को सद्बुद्धि मिली और उसने गोस्वामी तुलसीदास को छोड़ दिया। इसी तरह की घटना और बताई जाती है जब तुलसीदास जी वापस लौटे तो उन्होंने लोगों को हनुमान चालीसा सुनाई। गंगा तट पर तुलसीदास जी रोज हनुमान चालीसा का पाठ किया करते थे। जिसे सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आया करते थे। एक बार सभी लोग पाठ समाप्त होने के बाद चले गए परंतु एक वृद्ध वहां पर ही बैठा रहा। उसने तुलसीदास से सवाल करने शुरू कर दिए अंततः तुलसीदास जी को पता चला कि वह वृद्ध हनुमानजी थे। यानी उस वृद्ध के रूप में हनुमान जी ने तुलसीदास को दर्शन दिए। तब से हनुमान चालीसा की मान्यता और बढ़ गई और आज भी माना जाता है कि जो नियमित हनुमान चालीसा पड़ता है उसे उस पर भगवान श्री राम की और हनुमान जी की कृपा बनी रहती है।
हनुमान चालीसा की पहली 10 चौपाइयां जिसमें हनुमान जी के ज्ञान और शक्ति का बखान किया गया है और उसके बाद अगली 10 चौपाइयां भगवान राम और लक्ष्मण जी के बारे में है और आखिर की चौपाइयों में हनुमान जी की कृपा के बारे में बताया गया है।
इस पूरी चालीसा में 40 छंद हैं जिनमें कई छंद ऐसे हैं जो अकेले ही पढ़े जाने पर बहुत लाभ देते हैं। जिसमें से कुछ महत्वपूर्ण छंद इस प्रकार है
जैसे बच्चे का पढ़ाई में मन न लग रहा हो तो ऐसी स्थिति में बच्चे को रोज इस का 21 बार पाठ करना चाहिए” बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार॥ इससे बच्चे का मन पढ़ाई में लगने लगेगा
अगर आपको अकारण ही भय लग रहा है तो ऐसी स्थिति में भूत पिशाच निकट नहि आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥ पंक्ति का जाप करना चाहिए।
यदि किसी कार्य में सिद्धि प्राप्त ना हो रही हो तो ऐसी स्थिति में भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥ का जाप करना चाहिए
यदि कोई बीमार है और ठीक नहीं हो रहा नासा रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत वीरा का जाप करना चाहिए
प्राण यदि संकट में आ गए हैं संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमिरे हनुमत बलबीरा संकट में हनुमान चढ़ा में मन क्रम वचन से ध्यान जो लावे जपना चाहिए
यदि आप बुरी संगत में पड़ गए हैं और यह संगत छूट नहीं रही तो आपको कहना है महावीर विक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी
यदि आप किसी भी प्रकार के बंधन में है तो 100 बार यह बोलने पर छूट जाते हैं जो सत बार पाठ करे कोई छूटे बंदी महा सुख होई
किसी भी प्रकार के डर में आप पढ़ सकते हैं सब सुख ली होती सरना तुम रक्षक काहू को डरना
अगर आपकी किसी भी प्रकार की मनोकामना पूर्ण नहीं हो रही है तो ऐसी स्थिति में पढ़ना है और मनोरथ जो कोई लावे सोई अमित जीवन फल पावे।
हालांकि यह कुछ छंद हैं जिनको आप अकेले ही पढ़ सकते हैं परंतु पूरी हनुमान चालीसा पढ़ना सबसे श्रेष्ठ होता है।
हनुमान चालीसा का पाठ करने से डर भय और संकट आदि से रक्षा होती है। हनुमान जी ने शनि के प्राणों की रक्षा की थी इसलिए शनिदेव दें उन्हें वचन दिया था कि जो भी हनुमान आराधना करेगा उसे शनि परेशान नहीं करेगा इसलिए यदि शनि की साढ़ेसाती ढैया या फिर शनि की बुरी महादशा चल रही है तो ऐसी स्थिति में आपको नित्य प्रति हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। बहुत बुरी स्थिति है और कहीं कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है ऐसी स्थिति में भी आप सिर्फ 21 दिन हनुमान चालीसा का जाप कीजिए। हनुमान जी की कृपा से आपको रास्ते दिखाई देने लगेंगे। अगर कोई बुरी शक्तियों से परेशान है तो वह हनुमान चालीसा का पाठ कर उनसे छुटकारा पा सकता है। कोई अपराध करने पर आपके मन में किसी तरह की ग्लानि है तो हनुमान चालीसा का पाठ कर हनुमान जी से क्षमा मांगने पर उस श्राप से मुक्ति मिलती है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन शांत व तनाव मुक्त रहता है। यात्रा में सुरक्षित रहने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए हनुमान चालीसा में देवी शक्तियां हैं इसका पाठ करने से कुटिल से कुटिल व्यक्ति का मन अच्छा हो जाता है। आपने अक्सर सुना होगा कि हिंदू संगठन सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं हनुमान चालीसा का पाठ करने से लोगों में एकता का भाव उत्पन्न होता है। नकारात्मकता दूर होती है बुरी आत्माएं तो खैर आपको परेशान करती ही नहीं जिन लोगों को रात में डर लगता है या डरावनी ख्याल आते हैं उन लोगों के लिए हनुमान चालीसा वरदान स्वरुप हैं।
कलयुग में तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा दीन दुखियों के लिए संजीवनी का काम करती है पता है भगवान श्री राम वह हनुमान में आस्था रखने वाले को हनुमान चालीसा रोज पढ़नी चाहिए।
Pingback: Kalabhairavashtakam, कालभैरवाष्टकम् - Piousastro
हनुमान चालीसा हिंदू वानर देवता हनुमान को समर्पित एक भक्ति भजन है। तुलसीदास द्वारा रचित, इसमें 40 छंद हैं (चालीसा का अर्थ है चालीस)। यह हनुमान की ताकत, बहादुरी और भक्ति की प्रशंसा करता है, उनके वीरतापूर्ण कार्यों का वर्णन करता है, और सुरक्षा और सफलता के लिए उनका आशीर्वाद मांगता है। आध्यात्मिक और शारीरिक कल्याण के लिए इसका व्यापक रूप से पाठ किया जाता है।