माणिक्य । Mnikya । Ruby
नमस्कार दोस्तों कुंडली में सूर्य यदि खराब स्थिति में हो तो नौकरी में अक्सर परेशानी आती हैं या सूर्य उत्तम स्थिति में होने के बावजूद भी कमजोर हो तो भी इस तरह की दिक्कतें आती हैं।
ऐसी स्थिति में माणिक्य के पहना जा सकता है यदि कुंडली में सूर्य अनुकूल है और आपको सही प्रभाव नहीं दे रहा है तो आप माणिक्य पहन सकते हैं। दोस्तों इस लेख में हम जानेंगे कि कमजोर सूर्य को माणिक के द्वारा कैसे मजबूत किया जा सकता है। कौन लोग इसे पहन सकते हैं, इसकी पहचान क्या है? और इसे पहनने की विधि।
सूर्य का रत्न माणिक्य बेहद ताकतवर रत्न है और नीलम के समान ही इसका भी बहुत जल्दी प्रभाव दिखता है। माणिक्य कुरुन्दम समूह का रत्न है और एल्युमिनियम ऑक्साइड इसका प्रमुख तत्व है। यह गुलाबी व लाल रंग का पत्थर है। Ruby
माणिक्य रत्न के लाभ
यह सूर्य का रत्न और इसलिए इसे सूर्य से संबंधित दोष दूर करने के लिए ही पहना जाता है। सूर्य देव सफलता के कारक हैं तो अगर आपको अपने जीवन में बहुत प्रयास करने के बाद भी सफलता नहीं मिल पा रही है तो आपकी कुंडली में सूर्य दोष हो सकता है।
सूर्य दोष से मुक्ति के लिए या सूर्य को कुंडली में मजबूत बनाने के लिए आप माणिक्य रत्न भी पहन सकते हैं। ये चमत्कारी रत्न आपको न केवल सफलता देता है बल्कि आपकी अन्य समस्याओं का भी निवारण करता है।
चूंकि सूर्य एक ऊर्जावान ग्रह है अतः धारक को सूर्य ऊर्जा मुफ्त में ही प्राप्त होती रहती है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी होता है अतः माणिक धारण करने से व्यक्ति आत्मनिर्भर भी बनता है। इसको पहनने से ओझ, आत्मबल बढता है, हड्डियों की कमजोरी दूर होती है, त्वचा की परेशानी ठीक होती है, आँखो की परेशानी दूर होती है, चेहरे में तेज आता है, शरिर मे ताकत आती है, आलस दूर होता है, मान सम्मान व प्रतिष्ठा बढती है, सरकारी नौकरी में फायदा होता है, सरकार द्वारा उच्च पद की प्राप्ति मिलती है, इच्छा शक्ति बढती है, आत्मविश्वास आता है। वर्चस्व की क्षमता भी बढ़ती है, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्तियां भी बढ़ती हैं, अस्थिरता नष्ट होकर स्थिरता प्राप्त होती है, आत्मोन्नति एवं संतान सुख भी बढ़ता है। Mnikya
किसे है माणिक्य पहनने की जरूरत
भविष्यवक्ता के अनुसार तेजस्विता प्रदान करने वाला तेजोमय ग्रह सूर्य का रत्न माणिक सभी को शुभ फल नहीं देता है। जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिति जाने बिना माणिक धारण करना अनुचित भी हो सकता है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि माणिक लग्न, दशा तथा ग्रह-गोचर का अध्ययन करके ही धारण करें। इस रत्न के साथ कभी भी हीरा, गोमेद एवं नीलम नहीं पहनना चाहिए। अच्छा माणिक आभायुक्त चमकदार होता है, हाथ में पकड़ने पर भारी लगेगा और हल्की-हल्की गर्मी महसूस होगी। माणिक रक्तवर्धक, वायुनाशक और पेट रोगों में लाभकारी सिद्ध होता है। यह मानसिक रोग एवं नेत्र रोग में भी फायदा करता है। माणिक धारण करने से नपुंसकता नष्ट होती है।
अगर कुंडली मे सूर्य परिवार के भाव २ व ४ भाव में हो तो आप यह रत्न न पहनें क्योंकि ये परिवार व घर सम्बंधी परेशानी देता है, सुख में कमी करता है और ६, ८, १२ भाव का स्वामी हो ३ ७ ८ भाव में सूर्य बैठा हो या नीच का हो तब भी यह नही पहनना चाहिए। हाथ में सूर्य पर्वत पर कटी व तिरछी रेखा हो, तिल हो या धब्बा हो तो ये रत्न पहन सकते हैं। सूर्य १, २, ५, ९, १०, ११ भाव का स्वामी हो तब यह रत्न पहन सकते हैं।
पहनने के बाद कैसे पता करे की यह लाभ ले रहा है या नहीं।
अगर आपको पहले से ही या इसको पहनने से गुस्सा अधिक बढ जाए, लीवर मे परेशानी आए, अवसाद होने लगे, बाल झड़ने लगें, त्वचा की कोई परेशानी हो, सिर में दर्द होने लगे, कटु वचन बोलते हों, बातों में कटाक्ष हो, बडे बुजुर्ग की सेवा न करते हों, तो यह रत्न न पहनें, नही तो मान प्रतिष्ठा की हानि होगी। आपके रिश्ते बिगड़ने लगेंगे, अहम घमंड आने लगेगा, मुंह सूखने लगता है या बात करते हुए मुंह से थूक आने लगता है और आपके ही गलत बोलने से आपको ही नुकसान होता है तो कोशिश करें कि इस रत्न से दूर रहें।
राशि के अनुसार रत्न पहने या नहीं
मेष राशि वाले जातकों को सूर्य पंचम का स्वामी होने से माणिक धारण करना संतान सुख, ईष्ट कृपा तथा शिक्षा में उन्नति होती है। मेष का स्वामी मंगल और सूर्य में मित्रता होने के कारण माणिक धारण करने से शासकीय एवं पराक्रम से संबंधी कार्यों में भी विजय प्राप्त होती है।
वृषभ- वृषभ राशि वालों का चतुर्थेश सूर्य होने के कारण माणिक होने के कारण तथा चतुर्थ हृदय भाव होने से यदि आपको हृदय संबंधी रोग हो तो माणिक पहन सकते हैं। सूर्य की महादशा में भी माणिक पहन सकते हैं। वृषभ राशि का स्वामी शुक्र तथा सूर्य की आपस में शत्रुता होने से वृषभ राशि वाले जातकों को माणिक धारण नहीं करना चाहिए।
मिथुन- मिथुन जातकों को माणिक सूर्य रोगों को नष्ट करने के लिए ही धारण करना चाहिए अन्यथा नहीं। मिथुन राशि का स्वामी बुध और सूर्य आपस में मित्र होने से माणिक धारण किया जा सकता है। माणिक पराक्रमेश होने से न खराब, न ही अच्छा होता है अतः कुंडली का विशेष विश्लेषण करने के बाद ही माणिक धारण करना चाहिए।
कर्क- कर्क जातक धन एवं विद्या की प्राप्ति के लिए माणिक धारण कर सकते हैं। सूर्य चन्द्र मित्र होने से भी माणिक धारण किया जा सकता है लेकिन द्वितीय मारक होने से माणिक धारण करना उचित नहीं है। नेत्र या हृदयरोग हो तो धारण कर सकते हैं। कई ज्योतिषियों का मानना है कि सूर्य चन्द्र को मारकत्व दोष नहीं लगता है अतः माणिक धारण कर सकते हैं।
सिंह- सिंह राशि वाले जातक माणिक धारण कर सकते हैं। यह जीवनरत्न है, जो मान-सम्मान और स्वास्थ्य के लिए उत्तम है, क्योंकि यह सिंह का स्वामी ग्रह का रत्न है अतः शुभ फलदायक है। लग्नेश का रत्न होने से व्यक्तित्व को निखारता है।
कन्या- कन्या जातकों को माणिक धारण करना अशुभ रहेगा, क्योंकि सूर्य बारहवें भाव का स्वामी होता है और बारहवां भाव त्रिकभाव है। यदि हृदयरोग के लिए रत्न धारण करना है, तो ज्योतिषी की सलाह लेकर ही धारण करें।
तुला- तुला जातकों का सूर्य एकादश भाव का स्वामी होता है और एकादश भाव लाभ है लेकिन तुला राशि के स्वामी शुक्र और सूर्य में शत्रुता होने से माणिक धारण करना कष्टदायी हो सकता है अतः हड्डी रोग हो तो योग्य ज्योतिषी की सलाह लेकर माणिक धारण कर सकते हैं। ध्यान रहे सूर्य की मित्र दशा होना आवश्यक है। यदि जन्मकुंडली नहीं हो तो योग्य हस्तरेखा विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही माणिक पहनें।
वृश्चिक- वृश्चिक जातकों को माणिक धारण करना शुभ है। वृश्चिक का स्वामी मंगल, सूर्य का मित्र होने से कल्याणकारी हो गया है। दशम भावेश होने के कारण माणिक धारण करना राज्य सुख प्रदायक तथा खेलकूद, सर्विस, चिकित्सीय व्यापार से लाभ करता है अतः वृश्चिक जातक सूर्य, मंगल, गुरु, बुध एवं चन्द्र की महादशा में माणिक धारण कर सकते हैं।
धनु- धनु राशि में सूर्य भाग्यवान का स्वामी होता है तथा राशिश गुरु का भी मित्र है अतः धनु राशि वालों को आजीवन माणिक धारण करना चाहिए जिससे भाग्योन्नति के शुद्धावसर प्राप्त होते हैं। आर्थिक पक्ष भी मजबूत होता है तथा अचानक भाग्य से धन प्राप्त होता है। पराक्रम की प्राप्ति होती है नेत्र एवं हृदयरोग में लाभ होता है।
मकर- मकर राशि से अष्टम होने के कारण माणिक कभी भी धारण नहीं करना चाहिए, मकर राशि का स्वामी शनि तथा सूर्य में शत्रुता अनुचित होगी।
कुंभ- कुंभ से सप्तम सूर्य की राशि होने से धारण करना कष्टप्रद रहेगा राशिश शनि तथा सूर्य में भी शत्रुता होती है फलस्वरूप माणिक भूलकर भी धारण न करें, क्योंकि सप्तम मारक स्थान है।
मीन- मीन राशि गुरु की राशि है तथा सूर्य और गुरु में मित्रता है, लेकिन सूर्य षष्ठेश होकर अशुभ हो गया है फलस्वरूप माणिक धारण करना शुभ नहीं है।
अंक विज्ञानं के अनुसार
मूलांक के अनुसार, 1, 10, 19 और 28 तारीख को जन्म लेने वाले व्यक्ति भी माणिक्य रत्न पहन सकते हैं। सूर्य की महादशा हो तो माणिक्य पहन कर देख सकते हैं।
माणिक्य की पहचान
माणिक्य का उपरत्न है लाल गार्नेट। माणिक्य की पहचान है कि इसे आर-पार से निकलती किरणें दिखाई देती हैं। यह रत्न पारदर्शी और साफ चमकदार होता है।माणिक्य रत्न अनार के दाने के समान होता है. गाढ़े रंग का रत्न होता है। यह वजनी, भारी और ठंडा होता है. माणिक्य को आंखों पर रखेंगे तो ठंडक महसूस होगी। इसको आप अपने आत्मबल को बढाने के लिए, सरकारी नौकरी पाने के लिए, मान प्रतिष्ठा पाने के लिए, पिता का सुख पाने के लिए, प्रशासनिक सेवा से लाभ, राजनीति में सफलता, उच्च पद अधिकारी,अच्छी सेहत, जोश व ह्रदय को मजबूत बनाता है।
कब और कैसे करें धारण
माणिक्य रत्न को सोने की धातु में रविवार के दिन अनामिका ऊंगली में धारण करें।
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