कर्म भाग्य व वास्तु ज्योतिष का संबंध
Relationship of Karma Bhagya and Vastu Astrology
दोस्तों लोग अक्सर पूछते हैं कि भाग गया और कर्म में कौन बड़ा है इस ज्योतिष और वास्तु की क्या जरूरत है। आज हम इसी विषय पर थोड़ी सी चर्चा करेंगे और उदाहरण के द्वारा समझाएंगे कि कैसे यह सब चीज है आपस में एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई हैं।
नमस्कार दोस्तों पायस एस्ट्रो में आपका स्वागत है कर्म और भाग्य की बहुत पुरानी लड़ाई है और हजारों लोगों इस पर बहस करते रहे हैं। भविष्य में भी इस पर बहस होती रहेगी। मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता बल्कि यहां पर आपका ध्यान केंद्रित करना चाहूंगा कि आखिर इनका संबंध क्या है।
भाग्य और कर्म एक दूसरे के पूरक हैं काम नहीं करोगे ना तो कुछ नहीं हो सकता मतलब कर्म प्रधान विश्व रचि राखा। कई ऐसे लोग होते हैं कि उनके बाप दादा ने इतना कमाया होता है कि वे बस उड़ाते हैं। पर ऐसे लोगों का प्रतिशत बहुत कम है।
दोस्तों सबसे पहले यह समझते हैं कि भाग्य, वास्तु-ज्योतिष और कर्म के बीच में क्या संबंध है? इसे एक उदाहरण से समझते हैं। इसे कार सड़क और ड्राइवर वाले तरीके से समझते है। आपकी कार आपकी किस्मत है। आपकी सड़क आपके घर का और आपके ऑफिस का वास्तु है। और आपका ड्राइवर आपका कर्म है।
अच्छी गाड़ी, खराब सड़क, कुशल ड्राइवर
यदि यह स्थिति बनती है तो क्योंकि गाड़ी अच्छी है आपका भाग्य उन्नत है। आपका ड्राइवर अच्छा है मतलब आपके कर्म भी बहुत अच्छे हैं। परंतु सड़क खराब है यानी आपके घर का और ऑफिस का वास्तु आपके मुताबिक नहीं है। आप लक्ष्य तक तो पहुंचेंगे परंतु खराब सड़क के कारण आपको बहुत ज्यादा समय लगेगा और साथ ही मुश्किलों का सामना भी करना पड़ेगा।
गाड़ी पुरानी, अच्छी सड़क, कुशल ड्राइवर
गाड़ी पुरानी है यानी आपकी किस्मत कमजोर है। सड़क अच्छी है मतलब आपने अपने घर का और ऑफिस का वास्तु अपने अनुकूल कर रखा है। आपके कर्म भी बहुत अच्छे हैं यानी ड्राइवर भी कुशल है तो ऐसी स्थिति में क्या होगा कि आप के ड्राइवर को यह पता होगा कि मेरी गाड़ी इतनी अच्छी नहीं है। पुरानी है इसलिए बहुत संभाल कर चलाएगा। ज्यादा स्पीड में नहीं चलाएगा। संभालकर चलाएगा तो डेस्टिनेशन पर थोड़ा देर से तो पहुंचेगा परंतु पहुंच जाएगा। लेकिन अब गाड़ी ज्यादा ही खराब है हो सकता रास्ते में धोखा दे जाए तो मैकेनिक से ठीक करा कर कर बहुत देर से पहुचायेगा।
पुरानी गाड़ी, खराब सड़क, कुशल ड्राइवर।
गाड़ी पुरानी है यानी आपका भाग्य कमजोर है सड़क खराब है मतलब आप का वास्तु भी आपके अनुकूल नहीं है। हां आपका ड्राइवर कुशल है अब आपके कर्म बहुत अच्छे हैं। पुरानी गाड़ी होने के कारण ड्राइवर बहुत धीरे-धीरे चलाएगा गड्ढों से बचाता हुए ले जाएगा और गड्ढों में उतरनी भी पड़ी तो बहुत धीरे से निकलेगा ताकि गाड़ी को नुकसान न हो। जिसके कारण पहुंचने में बहुत ज्यादा समय लगेगा। अब अच्छा ड्राइवर यानि आपके कर्म अच्छे होने के कारण आपपर कोई आंच तो नहीं आएगी पर सफलता के लिए बड़ा कठिन परिश्रम करना पड़ेगा।
अच्छी गाड़ी, अच्छी सड़क, कुशल ड्राइवर
गाड़ी अच्छी है मतलब भाग्य बहुत अच्छा है। सड़क अच्छी है आप अपने घर का और ऑफिस का वास्तु अपने अनुकूल रखते हैं। साथ ही आप अच्छे कर्म भी करते हैं तो फिर आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। आप लक्ष्य तक पहुंच जल्दी पहुंच जायेंगे।
अच्छी गाड़ी, अच्छी सड़क, बेकार ड्राइवर
गाड़ी अच्छी है मतलब भाग्य बहुत अच्छा है। मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुआ है। सड़क अच्छी है मतलब जिस घर में रहता है वह वास्तु के अनुकूल है। लेकिन ड्राइवर पियक्कड़ है, कर्म खराब है तो फिर तो अब वह अपनी किस्मत के सहारे चल रहा है। बहुत अच्छी किस्मत और अनुकूल वास्तु होने पर आप काफी हद तक मुसीबतों से बच जाते हैं।
मेरे दोस्त की गाड़ी से एक बुजुर्ग का एक्सीडेंट हो गया था। उसकी कार से बुजुर्ग की छड़ी गिर गई थी जिसके कारण मैं बुजुर्ग जमीन पर गिर गया उनकी हाथ की हड्डी में बाल आ गया। उसने बुजुर्ग हॉस्पिटल ले गया भर्ती कराया इलाज का खर्चा दिया और उसके बाद भी उस आदमी के परिवार वालों ने केस कर दिया। अनजाने में हुई इस छोटी सी गलती के लिए उसे 5 साल तक केस भुगतना पड़ा।
एक बड़ा फिल्म स्टार फुटपाथ पर सोते हुए लोगों पर गाड़ी चढ़ा देता है चस्मदीद गवाह होने के बावजूद उसे कभी सजा नहीं हुई।
इस उदाहरण से आपको एक बात तो समझ में आ गई होगी कि आपका ड्राइवर अच्छा होना चाहिए मतलब कर्म अच्छे करने चाहिए। बाकी चीजें उसके बाद आपके साथ शुरू होती है।
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