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25 Vaastu tips for whole home. वास्तु टिप्स जो आपके मकान को घर बना दें।

25 वास्तु टिप्स जो आपके मकान को घर बना दें। 25 Vaastu tips for whole home, ghar ke liye vastu tips,

कहा जाता है कि ईटों से मकान बनता है और उसे घर उसमें रहने वाले लोग बनाते हैं। पर यदि लोगों के बीच में सामंजस्य ना हो तो यह घर कैद खाने जैसा बन जाता है। जैसे कैद खाने में लोग आपस में लड़ते रहते हैं वैसे ही घर में भी झगड़े होते रहते हैं। आप घर के अंदर खुद को बंधा हुआ महसूस करते हैं जबकि घर से बाहर निकलते ही आप में ऊर्जा जाती है। इसका मतलब है कि आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह ज्यादा है। इसलिए बुद्धिमान लोग वास्तु शास्त्र का प्रयोग करते हैं ताकि घर को घर बनाए रखा जा सके।
हम यहां वास्तु के कुछ अनुभूत टिप्स आपको बताने जा रहे हैं जिससे आप दसों दिशाओं के वस्तु दोष को अपने घर में होने न दें और यदि है तो स्वयं ही उसका उपचार कर पाएं।

1. मुख्य प्रवेश द्वार के लिए वास्तु: द्वार Main Entrance

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का मुख्य प्रवेश द्वार न केवल परिवार के लिए, बल्कि घर में ऊर्जा के प्रवेश के लिए भी मुख्य बिंदु है।
जीवन में उन्नति, सुख सुविधा और शांति के लिए घर का प्रवेश द्वार ही जीवन का प्रवेश द्वार माना जाता है।
मुख्य द्वार उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। इसका निर्माण इस तरह से किया जाना चाहिए कि जब आप बाहर निकलें, तो आपका मुख उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर हो। यह सबसे उत्तम होता है।

आपके घर के मुख्य दरवाजे का निर्माण लकड़ी से हो तो यह बहुत अच्छा है। वह
आपके घर के अन्य दरवाजों से ऊपर होना चाहिए। उसे साफ और सुन्दर दिखना चाहिए।
मुख्य द्वार के बाहर फव्वारा, या कोई अन्य सजावटी जल-केंद्रित तत्व रखने से बचें।
मुख्य दरवाजे के बाहर जूता रैक या कूड़ेदान रखने से बचें।
मुख्य द्वार के पास स्नानागार नहीं होना चाहिए।
मुख्य द्वार को काला करने से बचें।
अपने दरवाजे को सुंदर नेमप्लेट और शुभ प्रतीकों से सजाएं।
मुख्य द्वार के पास जानवरों की मूर्तियाँ या मूर्तियाँ रखने से बचें।
सुनिश्चित करें कि आपका मुख्य द्वार घड़ी की दिशा में खुलता है। मतलब कि वो बांयें हाथ से खुलता हो।

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2. ध्यान कक्ष या पूजा घर के लिए वास्तु: आध्यात्मिकता

पूजा, ध्यान या घर के विकास के लिए ईशान कोण अति महत्व पूर्ण है। यदि आपका घर इतना बड़ा है कि उसमे पूजा घर बना सकते हैं तो इसे प्रयास करके ईशान कोण पर बनाये, नहीं तो पूर्व में और वह भी न हो पाए तो इसे पच्छिम में बना सकते हैं। लेकिन दक्षिण की तरफ कभी न बनायें। जगह की कमी के कारण घर में छोटा सा मंदिर लगाना हो तो इसे भी इन्ही दिशाओं में लगाना चाहिए। जब आप पूजा या ध्यान करेंगे तो पूर्व की ओर मुख करके सकारात्मकता बढ़ेगी। मंदिर में या ध्यान कक्ष में सफेद, हल्का पीला या हरा रंग बेहतरीन विकल्प हैं।

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3. लिविंग रूम या बैठक के लिए वास्तु

लिविंग रूम घर का मुख्य कमरा होता है। जहां अधिकांश गतिविधि होती है। जब मेहमान घर में प्रवेश करते हैं सबसे पहले वह लिविंग रूम में प्रवेश करते हैं। उनके मन पर घर की पहली छाप वही से पड़ती है। और जाने कौन किस दृस्टि से या विचार से आपके घर में प्रवेश करता है। लिविंग रूम आपके घर में ऊर्जा के रूपांतरण के रूप में सबसे ज्यादा महत्त्व रखता है।
लिविंग रूम का मुख पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए। वैकल्पिक रूप से, उत्तर-पश्चिम की ओर मुख वाला बैठक कक्ष भी अनुकूल है।
लिविंग रूम के पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में भारी फर्नीचर रखना चाहिए।
सभी इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरण लिविंग रूम के दक्षिण-पूर्व भाग में स्थापित होने चाहिए
यदि कमरे में शीशा लगा हो तो उसे उत्तर या पूर्व की दीवार पर लगाना सुनिश्चित करें।

4. आंगन के लिए वास्तु: घर का ब्रह्मांडीय केंद्र।

आजकल फ्लैट संस्कृति में जायदातर लोगों के घर में होने के कारण आंगन गायब सा ही हो गया है। पर घर का केंद्र का आंगन का ही काम करता है। इसे वस्तु में ब्रह्म स्थान कहा जाता है। इसे आप अपने घर के वास्तु देवता की नाभि मान सकते हैं। आपके घर के केंद्र का 1 फुट का हिस्सा ब्रह्मस्थान है। ब्रह्मस्थान असीमित ऊर्जा का विकिरण करता है। इस स्थान का को प्रयास करके खली रखें नहीं तो वहां एक कागज़ की रंगोली रख दें। घर में होने 90% बिमारियों का कारण यही है।

5. बेडरूम के लिए वास्तु: संतुलन

कभी-कभी छोटी-छोटी चीजें आपकी किस्मत बदल सकती हैं। वास्तु शास्त्र आपको दिखाता है कि कैसे अपने शयनकक्ष को बदलने से सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि हो सकती है और यहां तक ​​कि विवाहित जोड़ों के बीच संबंधों में सुधार भी हो सकता है।
आदर्श रूप से, दक्षिण-पश्चिम दिशा में शयनकक्ष अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि लाता है। घर के उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में एक शयनकक्ष से बचें क्योंकि पूर्व में शयन कक्ष होने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। बिस्तर शयनकक्ष के दक्षिण-पश्चिम कोने में रखा जाना चाहिए , आपका सिर दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम की ओर है।
बिस्तर के सामने शीशा या टेलीविजन रखने से बचें। जब आप बिस्तर पर हों तो दर्पण में अपना प्रतिबिंब नहीं देखना चाहिए क्योंकि यह झगड़े और अन्य घरेलू व्यवधानों का कारण बनता है।
अपने बेडरूम की दीवारों को न्यूट्रल या मिट्टी के रंगों में पेंट करें क्योंकि इससे सकारात्मक ऊर्जा निकलती है। अपनी दीवारों को काला करने से बचें।
बेडरूम में मंदिर, पानी या फव्वारा चित्रित करने वाली पेंटिंग से बचें क्योंकि इससे भावनात्मक विस्फोट हो सकता है।

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6. किचन के लिए वास्तु: भोजन ऊर्जा

रसोई, घर का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। वास्तु के अनुसार रसोईघर अगर दोष युक्त हो तो घर में कभी शांति नहीं रहती, रसोई में वास्तु दोष हो तो इससे घर-परिवार में खराब रिश्तों का सामना करना पड़ सकता है, यहां तक कि बच्चों के विवाह में भी बाधा आ सकती है।
घर में किचन की सही दिशा दक्षिण-पूर्व (आग्नेय-कोण) को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। किचन अगर दक्षिण-पश्चिम दिशा में बना हो तो ये सबसे बड़ा वास्तु दोष माना जाता है। इससे घर के लोगों को रोग, क्लेश होना तय है।
यदि रसोई आग्नेय दिशा रसोई घर में चूल्हा आग्नेय कोण में रखें। साथ ही भोजन बनाते वक्त मुख पूर्व या उतर दिशा में हो तो उत्तम रहेगा, इससे सेहत अच्छी रहती है और धन में बढ़ोत्तरी होती है। पछिम की तरफ भी चलेगा पर भूल कर भी खाना बनाते समय महिला का मुख दक्षिण की तरफ ना हो।
अगर फ्रिज रसोई में रखते हैं तो इसे दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर रखें। ईशान या नैऋत्य कोण में रेफरिजिरेटर का स्थान कभी नहीं होना चाहिए।
अगर आपका किचन वास्तु के अनुसार सही दिशा में नहीं है तो ऐसे में किचन की दक्षिण-पूर्व दिशा में एक लाल बल्ब लगा दें और इसको हमेशा जलने दें।
किचन की दीवारों पर हल्के नारंगी रंग का पेंट कर दें।
प्रयास करें की किचन में काले रंग का पत्थर न हो।

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