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Beej Mantra kya hota hai, बीज का क्या है

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बीज का क्या है?
“बीज” योग और अध्यात्म में इस शब्द का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है। सबसे पहले, बीज सभी सृष्टि के शुरुआती बिंदु या उत्पत्ति के लिए एक रूपक है। यानि सम्पूर्ण ब्रम्हांड इसी से सब कुछ उत्पन्न हुआ है। एक पूरा पेड़ बीज में होता है जीव की सबसे छोटी कोशिका उसी तरह का पूरा जीव बन जाता है। एक DNA में आपके पुरे जीवन होती है।

बीज मंत्र में देवता की सम्पूर्ण शक्ति विराजमान होती है। सामान्य मंत्र लगभग पांच से और 108 अक्षर तक का होता है पर बीज मंत्र केवल एक या दो अक्षर का होता है।

यह एक शब्द की ध्वनि है जिसका कोई शाब्दिक अर्थ नहीं है, लेकिन आध्यात्मिक सिद्धांतों या ऊर्जाओं का भंडार होता है। ऐसा माना जाता है कि इन बीजों में शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक शक्ति को दिशा देने की अद्भुत क्षमता होती है।

बहुत से बीज मंत्र हैं। सबसे प्रसिद्ध बीज मंत्र ओम (या ओम् ) है, पवित्र शब्दांश जो ब्रह्मांड की मूल ध्वनि को प्रतिध्वनित करता है। यह देवताओं के बीज मंत्र होते हैं, सात चक्रों के बीज मंत्र होते हैं और यहाँ तक की नवग्रहों के भी बीज मंत्र होते।

बीज मंत्र कैसे काम करते हैं (How do Beej Mantra works in hindi)

बीज मंत्र (beej mantra) के जाप के दौरान बोले जाने वाले प्रत्येक शब्द का एक महत्वपूर्ण अर्थ होता है। इसके शब्दों या ध्वनि को तोड़कर सरल और समझने योग्य भाषा में बदलना नहीं चाहिए। कहा जाता है कि ये प्राकृतिक रूप से प्रकट हुए हैं। ये देवी देवता या ग्रह के पुरे रूप संछिप्त वर्जन है। जैसे अंग्रेजी में संछिप्तीकरण यानि abbreviation होता है ऐसे ही बीज मन्त्र है। हम प्रधान मंत्री को PM बोलते हैं, लाइफ इंसोरेंस कोर्पोरसन को LIC बोलते है और सामने वाला समझ जाता है। इसी तरह ब्रम्हांड को ध्वनि व लय के रूप में बीज मन्त्र देते हैं तो वह समझ जाता कि हमें क्या चाहिए और वह उस देवता के माध्यम से हमारी इक्षा को पूरा करता है।

बीज मंत्र का उच्चारण

यह बात सदैव ध्यान रखें कि बीज मंत्रों में उसकी शक्ति का सार उसके अर्थ में नहीं बल्कि उसके विशुद्ध उच्चारण को एक निश्चित लय और ताल से करने में है। बीज मंत्र में सर्वाधिक महत्व उसके बिन्दु में है।

आप स्वयं देखें कि एक बिन्दु के तीन अलग-2 उच्चारण हैं।
गंगा शब्द ‘ङ’ प्रधान है।
गन्दा शब्द ‘न’ प्रधान है।
गंभीर शब्द ‘म’ प्रधान है।
अर्थात इनमें क्रमशः ङ, न और म, का उच्चारण हो रहा है।

इसलिए कहा जाता है की विशेषकर बीज मंत्र को किसी अनुभवी साधक के सानिध्य में ही करना चाहिए। अशुद्ध उच्चारण के कारण ही मंत्र का सुप्रभाव नहीं मिल पाता। इसलिए सर्वप्रथम किसी बौद्धिक व्यक्ति से अपनेअनुकूल मंत्र को समय-परख कर उसका विशुद्ध उच्चारण अवश्य जान लें। अपने अनुरूप चुना गया बीज मंत्र जप अपनी सुविधा और समयानुसार चलते-फिरते उठते-बैठते अर्थात किसी भी अवस्था में किया जा सकता है। कई बार महिलाये पूछती है की हम उन दिनों में मन्त्र जाप कर सकते हैं क्या। अन्य मन्त्रों पता नहीं पर बीज मन्त्र का जाप किया जा सकता। है

बीज मंत्रों का जाप कैसे करें (How to chant Beej mantras in hindi)

कहते हैं तन स्वच्छ तो मन स्वच्छ। इसलिए जब भी बीज मंत्रों (beej mantra) के जाप की शुरुआत करें, तो उससे पहले स्नान कर लें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। भारत एक गर्म देश है जहां सामान्यतः लोगों को सुबह उठकर नहाने की आदत है। नाहा लेने के बाद आपको फुर्ती महसूस होती है इसलिए नहा धोकर साफ वस्त्र पहनकर सुबह-सुबह बीज मंत्रों का जप करें। लेकिन यदि आप ना कर पाए तो ऐसी स्थिति में खुद के ऊपर थोड़ी सी गंगा जल छिड़क लें। आप साफ मन से इसका जाप कीजिए यदि आप बिस्तर पर भी हैं तो भी आप बीज मंत्रों का जाप कर सकते हैं।

मंत्र जाप करने के लिए मन शांत होना चाहिए। शांत मन के लिए प्राणायाम करने का विधान है आप चार पांच लम्बी सांसे लें इससे मन स्थिर हो जायेगा।
एक शांत और खाली स्थान पर बैठें। मंत्र जाप के लिए ऐसा स्थान चुनें, जहां कोई आपको तंग न करे।
शब्द और उच्चारण बीज मंत्रों की शक्ति हैं। हर शब्दांश का स्पष्ट रूप से बहुत दृढ़ संकल्प के साथ उच्चारण करने का प्रयास करें।
बीज मंत्रों का जाप करने के सही तरीके पर मार्गदर्शन करने के लिए आप गुरु की मदद ले सकते हैं।
यदि लंबे समयवधि तक मंत्र जाप करने के बावजूद कोई अच्छा परिणाम न मिले, तो हार न मानें। ध्यान रखें कि हर किसी को उसके समय और उसके मन के अनुसार फल मिलता है। आपका समय ठीक है यह कुछ दिनों ही प्रभाव देने लगेगा, समय अनुकूल नहीं तो फिर आपको प्रभाव नहीं दिखेगा और आप मंत्र जपना छोड़ देंगे। हर मंत्र को काम करने में समय लगता है। इस प्रक्रिया और स्वयं पर संदेह न करें। खुद पर विश्वास रखें।
सर्वोत्तम परिणाम देखने के लिए दिन में कम से कम 108 बार मंत्र का जप करें। और कम से कम 21 दिन तक जाप जरूर करें।

बीज मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय: ब्रह्म मुहर्त
मंत्र का जाप करने की संख्या: कम से कम 108 बार
कोई भी बीज मंत्र का जाप कर सकता है
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें: उत्तर, पूर्व की ओर

देवी-देवताओं महत्वपूर्ण बीज मंत्र (Important Beej Mantras in hindi)

मूल बीज मंत्र “ओम” है। यह वह मंत्र है, जिससे अन्य सभी मंत्रों का जन्म हुआ है। प्रत्येक बीज मंत्र से एक विशिष्ट देवी-देवता जुड़े हुए हैं। बीज मंत्र के प्रकार हैं- योग बीज मंत्र, तेजो बीज मंत्र, शांति बीज मंत्र और रक्षा बीज मंत्र।

दूं
यह मंत्र देवी दुर्गा को समर्पित है। उनका आशीर्वाद और उनसे सुरक्षा प्राप्त करने के लिए इसका जाप किया जाता है। “द’’ का मतलब दुर्गा और “ऊ” का मतलब सुरक्षा है। यहां बिन्दु क्रिया (प्रार्थना) है। यह मंत्र देवी दुर्गा की ब्रह्मांड की मां के रूप में स्तुति करता है।

क्रीं
यह मंत्र मां काली को समर्पित है। इस मंत्र में विशेष शक्तियां हैं, जो माता पार्वती के अवतारों में से एक मां काली को प्रसन्न करती है। यहां “क” का अर्थ है मां काली, “र” ब्रह्म है और “ई” महामाया है। कुल मिलाकर इस मंत्र का अर्थ है कि महामाया मां काली मेरे दुखों का हरण करो।

ह्रीं
यह देवी महामाया बीज मंत्र है, जिसे ब्रह्मांड की माता भुवनेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां “ह” का अर्थ है शिव, “र” प्रकृति है और “ई” महामाया और ‘बिंदु’ दुख हर्ता है। इस मंत्र को दुर्भाग्य को दूर करने के लिए सहायक माना जाता है।

श्रीं
यह लक्ष्मी बीज मंत्र है। इस मंत्र को धन प्राप्ति के लिए जप किया जाता है। इस मंत्र में “श्र” महालक्ष्मी के लिए है, “र” धन के लिए है और “ई” पूर्ति के लिए है। जब कोई धन और समृद्धि के लिए महालक्ष्मी को जगाने की कोशिश कर रहा हो, तो उसे इस मंत्र का जाप करना चाहिए। यह बीज मंत्र बहुत फायदेमंद है।

ऐं
इस बीज मंत्र से मां सरस्वती का आविर्भाव होता है। अगर कोई ज्ञान और शिक्षा के लिए प्रार्थना करना चाहता है, तो यह बीज मंत्र आवश्यक है। मां सरस्वती शिक्षा, ज्ञान, संगीत और कला की देवी हैं। यहां “ऐं” का अर्थ है, हे मां सरस्वती।

ह्रौं
यह शिव बीज मंत्र है। यहां “ह्र” का अर्थ शिव और “औं” का अर्थ सदाशिव है। भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान शिव को ध्यान में रखकर ही इस मंत्र का जाप करें।

हूं
यह शक्तिशाली बीज मंत्र भगवान भैरव से जुड़ा है। भगवान भैरव, भगवान शिव के उग्र रूपों में से एक हैं। इस मंत्र में “ह” भगवान शिव है और “ऊं” भैरव के लिए है। कुल मिलाकर इस मंत्र का अर्थ है, हे शिव मेरे दुखों को नाश करो।

श्रौं
भगवान विष्णु के रूपों में से एक भगवान नृसिंह इस शक्तिशाली बीज मंत्र से उत्पन्न होते हैं। “क्ष” नृसिंह के लिए है, “र” ब्रह्म हैं, “औ” का अर्थ है ऊपर की ओर इशारा करते हुए दांत और “बिंदु” का अर्थ है दुख हरण। इस मंत्र के माध्यम से ब्रह्मस्वरूप नृसिंह से प्रार्थना की जा रही है कि हे भगवान मेरे दुखों को दूर करो।

गं
यह बहुत ही शुभ मंत्र है। यह बीज मंत्र भगवान गणेश से संबंधित है। “ग” गणपति के लिए उपयोग किया गया है और बिंदु दुख का उन्मूलन है अर्थात श्री गणेश मेरे दुखों को दूर करो।

ग्लौं
यह भी गणेश के बीज मंत्रों में से एक मंत्र है। यह मंत्र भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए है। इसमें “ग” स्वयं भगवान गणेश हैं, “ल” का अर्थ है व्याप्त है और “औं” का अर्थ है प्रतिभा।

क्लीं
यह बीज मंत्र भगवान कामदेव के लिए है। वह प्रेम और इच्छा के देवता हैं। इस बीज मंत्र के जरिए कामदेव की प्रार्थना की जाती है। यहाँ “क” का अर्थ कामदेव है, “ल” इंद्र देव के लिए है और “ई” संतुष्टि के लिए है।

  1. नवग्रह बीज मंत्र (Navagraha Beej Mantras)

ज्योतिष के अनुसार, व्यक्ति के जीवन में नौ ग्रहों का विशेष प्रभाव पड़ता है। इनके भी बीज मन्त्र होते हैं, ये नवग्रह बीज मंत्र हमारे जीवन पर ग्रहों के कारण होने वाले दुष्प्राभों से राहत दिला सकते हैं।

नौ ग्रहों के बीजाक्षर मंत्र हैं:

सूर्य या सूर्य बीज मंत्र: इस मंत्र का 40 दिनों के भीतर 7000 बार जाप करना चाहिए।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः ॥

चंद्र या चंद्र बीज मंत्र: इस मंत्र का 40 दिनों के भीतर 11000 बार जाप करना चाहिए।
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः ॥

मंगल या मंगल बीज मंत्र: इस मंत्र का 40 दिनों के भीतर 10000 बार जाप करना चाहिए।
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः ॥

बुध या बुध बीज मंत्र: इस मंत्र का 40 दिनों के भीतर 9000 बार जाप करना चाहिए
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः ॥

बृहस्पति या बृहस्पति बीज मंत्र: इस मंत्र का 40 दिनों के भीतर 19000 बार जाप करना चाहिए।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः ॥

शुक्र या शुक्र बीज मंत्र: इस मंत्र का 40 दिनों के भीतर 16000 बार जाप करना चाहिए।
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः ॥

शनि या शनि बीज मंत्र: इस मंत्र का 40 दिनों के भीतर 23000 बार जाप करना चाहिए।
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः॥

राहु मंत्र: इस मंत्र का 40 दिनों के भीतर 18000 बार जाप करना चाहिए।
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः॥

केतु मंत्र: इस मंत्र का 40 दिनों के भीतर 17000 बार जाप करना चाहिए।
ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः॥

नवग्रह मंत्रों का जाप किसे करना चाहिए।

नवग्रह के किसी भी मंत्र का जाप करने से पहले अपनी कुंडली जरूर दिखा लेनी चाहिए। किसी योग्य ज्योत्षी से मिलकर परामर्श करके ही जाप करें।

नवग्रह मन्त्र के लाभ (Benefits of chanting the Navagraha mantras)

प्रत्येक ग्रह के लिए अलग मंत्र है। मंत्र का जाप करने से उस ग्रह विशेष के नकारात्मक प्रभाव को कम या दूर किया जा सकता है। इन मंत्रों के नियमित जप से व्यक्तिगत और समाजिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।

  1. चक्र बीज मंत्र (Chakra Beej mantra)

हमारे शरीर के प्रत्येक चक्र केंद्र के लिए एक बीज मंत्र है। ये मंत्र चक्रों की ऊर्जा को सक्रिय करते हैं। इन मंत्रों का प्रयोग प्राचीन काल से ही महान ऋषि-मुनियों द्वारा किया जाता रहा है।

लं- मूलधारा (जड़) चक्र बीज मंत्र। यह जिस ऊर्जा को सक्रिय करता है वह ग्राउंडेडनेस है।

वं- स्वाधिष्ठान (चक्र) बीज मंत्र। यह जिस ऊर्जा को सक्रिय करता है वह रचनात्मकता है।

रं- मणिपुर (सौर जाल) चक्र बीज मंत्र। यह जो ऊर्जा सक्रिय करती है वह आंतरिक शक्ति है।

यं- अनाहत (हृदय) चक्र बीज मंत्र। यह जो ऊर्जा सक्रिय करती है वह करुणा और प्रेम है।

हं- विशुद्धि (गला) चक्र बीज मंत्र। यह जिस ऊर्जा को सक्रिय करता है वह अभिव्यक्ति है।

ॐ- आज्ञा (तीसरी आंख) चक्र बीज मंत्र। यह मंत्र कल्पना की ऊर्जा को सक्रिय करता है।

मौन ॐ- सहस्रार (मुकुट) चक्र बीज मंत्र। यह मंत्र आत्मज्ञान की ऊर्जा को सक्रिय करता है।

चक्र हमारे शरीर के केंद्रीय बिंदु हैं और चक्र बीज मंत्र प्रत्येक चक्र पर ध्यान केंद्रित करते हैं और उनकी ऊर्जा को सक्रिय करते हैं। प्रत्येक चक्र पर ध्यान केंद्रित करके प्रत्येक चक्र बीज मंत्र का जाप करने से अद्भुत परिणाम प्राप्त होते हैं, क्योंकि ये सभी मंत्र जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे स्वास्थ्य, धन, सुख, समृद्धि और विकास कार्य करते हैं। इन बीज मंत्रों में चिकित्सीय गुण होते हैं क्योंकि ये मन से तनाव और दुख को दूर करते हैं और विश्राम देते हैं।

बीज मंत्र जाप के समग्र लाभ (Overall Benefits of chanting Beej Mantras in hindi)
प्रत्येक बीज या ध्वनि बीज एक विशिष्ट देवता से जुड़ा होता। इसी तरह विशिष्ट देवता या देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रत्येक बीज मंत्र बहुत महत्वपूर्ण है।
बीज मंत्र (beej mantra) उस देवता की ध्वनि अभिव्यक्ति हैं, जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं।
बीज मंत्र का एक निर्धारित तरीके से नियमित जाप करने से लोगों की आध्यात्मिक शक्तियों को बढ़ाने में मदद मिलती है। साथ ही उन्हें अपनी यात्रा का नेतृत्व करने वाले लोगों के सामने वास्तविक प्रकाश देखने में मदद मिल सकती है।
बीज मंत्रों का शुद्ध हृदय और विश्वास के साथ जाप करने पर जीवन में सभी प्रकार के सकारात्मक परिवर्तन होते हैं।
बीज मंत्र स्वयं पर ध्यान केंद्रित करने और नकारात्मक चीजों को दूर करने का बहुत अच्छा तरीका है। ध्यान करते समय मंत्रों का जाप करना और भी अधिक अच्छा होता है, क्योंकि यह एक साथ दो अच्छे काम करने जैसा है।
बीज मंत्र व्यक्ति आध्यात्मिक बनाता है और भगवान के साथ बेहतर संपर्क बनाने में मदद करता है।

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