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Parthiv shiv ling

नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे सरल विधि और सबसे कम से कम संसाधनों में आप कैसे भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं आज का वीडियो इसी पर आधारित है। सावन का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना कहा जाता है इसका उल्लेख पुराणों में मिलता है। इसी माह पार्थिव शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। देखिए आप चाहे कितने भी पैसे वाले हो लेकिन अगर आप पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा करते हैं तो इससे उन्हें सबसे ज्यादा प्रसन्नता मिलती है। क्योंकि उस स्थिति में आप अपना अहंकार छोड़ एक आम मनुष्य की तरह एकदम सतही स्तर पर भगवान शिव की पूजा करते हैं।
हमने 12 ज्योतिर्लिंगों की श्रंखला बनाई है जिसे आप धर्म नाम की प्ले लिस्ट में जाकर देख सकते हैं। उस पूरी संख्या को बनाते समय एक बात नोटिस में आई कि जितने भी महापुरुष हैं या जितने भी ज्योतिर्लिंग बनाए गए हैं उनमें पार्थिव शिवलिंग की पूजा का प्रावधान विशेष है।

दोस्तों भगवान शिव को देवों का देव कहा जाता है साथ में उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है वह इसीलिए कहा जाता है कि मैं इतने भोले हैं कि किसी भी तरह की पूजा सेवा प्रसन्न हो जाते हैं। आप जंगल में भी खड़े हो और आपको भगवान शिव की पूजा करनी है तो आप भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। दोस्तों हम पहले एक वीडियो में यंत्र मंत्र तंत्र वीडियो में हम यह बता चुके हैं कि किसी भी पूजा को करने के लिए तीन चीजों की यंत्र मंत्र और तंत्र की आवश्यकता होती है। अगर आप हवन करना चाहते हैं तो सबसे पहले यन्त्र रूप में आपके पास यज्ञ वेदी होनी चाहिए। दूसरा आपके पास तंत्र यानि यज्ञ की सामग्री व विधि होनी चाहिए। तीसरा आप किन मंत्रों का उपयोग करेंगे यह पता होना चाहिए। किसी भी तरह की पूजा के लिए इन तीन चीजों की आवश्यकता होती है। ज्यादातर देवताओं की पूजा करने के लिए हमें सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है जिसमें हमें कुछ ना कुछ धन व्यय करना पड़ता है जैसे सत्यनारायण भगवान की कथा या लक्ष्मी माता की पूजा। भगवान शिव की पूजा करने के लिए आपको किसी भी तरह की धन की आवश्यकता नहीं है उनकी पूजा करने के लिए आपको केवल एक चीज की आवश्यकता है आपकी श्रद्धा ।

तो आइए समझते हैं कि सबसे पहले आप यह संकल्प करें कि आपको सभी सोमवारओं के दिन पूजा करनी है या पूरे सावन भर पूजा करनी है। अब आपको यंत्र के रूप में मिट्टी का शिवलिंग बनाना है तंत्र के रूप में बेलपत्र धतूरा या आक के फूल और दूध जैसी मामूली सी वस्तु लेनी है। और भगवान शिव का कोई भी मंत्र जब सकते हैं वह आपको पता होना चाहिए। यहां पर हम जिस विधि के बारे में बता रहे हैं यह सबसे सरल और सबसे कार्यविधि है क्योंकि इसके लिए किसी भी तरह के ज्ञान की आवश्यकता नहीं है सबसे पहले आपको मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग बनाना है।

जब आप मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग बनाना शुरू करते हैं तभी से आप की पूजा प्रारंभ हो जाती है। शिवलिंग बनाने के लिए किसी भी पवित्र नदी या झरने से मिट्टी ले आई है अन्यथा किसी पार्क या मंदिर स्थल के साथ मिट्टी का भी प्रयोग किया जा सकता है। इस मिट्टी को शुद्ध करने के लिए पुष्पा या चंदन का प्रयोग भी कर सकते हैं। मिट्टी में गाय का दूध मिलाएं शिव मंत्र का जाप करें तथा साथ में गाय का गोबर , गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर भी शिवलिंग तैयार कर सकते हैं। यदि यहां कोई भी चीज उपलब्ध ना हो तो आप गाय के दूध से थोड़े से गंगाजल से और मिट्टी से शिवलिंग को बना सकते हैं। शिवलिंग का निर्माण करते समय आपका मुंह पूर्व की ओर या उत्तर की ओर होना चाहिए यानी आप या तो पूरब की तरफ मुंह करके बैठे हैं फिर उत्तर की तरफ मुंह करके बैठे। अब सबसे जरूरी बात क्या आपको 6 से 7 इंच का शिवलिंग बनाना है। 8 इंच से बड़ा शिवलिंग किसी भी तरह का लाभ नहीं देता। शिवलिंग बनाने के बाद आप को हाथ जोड़कर सभी देवताओं का अर्थात गणेश जी का, माता पार्वती का, भगवान विष्णु का, व नव ग्रहों का आवाहन करना है। उसके बाद आपको बिल्वपत्र यानी बेलपत्र चढ़ाने हैं फिर आपके आक का फूल या धतूरे के फूल चढ़ाने हैं। उसके बाद आपको भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना है। जो गाय का दूध आपके पास है उस गाय के दूध को धीरे-धीरे शिव की पिंडी पर डालिए। और मन ही मन ॐ नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण कीजिए। उसके बाद आप वहीँ बैठ कर जो भी मंत्र आपको आता है जैसे महामृत्युंजय मंत्र या यदि कोई भी मंत्र नहीं आता तो ओम नमः शिवाय कि कम से कम एक माला का जाप जरूर करें।

वह उसके बाद हाथ जोड़कर खड़े हो जाएं। यदि आपको आरती आती है तो आरती करने के बाद भगवान शिव से अपने द्वारा की गई पूजा को स्वीकार करने का आग्रह करें। उनसे कहे कि हे भगवान शिव मेरे द्वारा की गई मंत्र हीनं भक्ति ही और क्रियाहीन पूजन को स्वीकार करो व मेरे द्वारा किये अपराधों को छमा करों। मेरी मनोकामना पूर्ण करो।एक बात का ध्यान रखें सावन के महीने में खासतौर पर पार्थिव शिवलिंग पर जो भी प्रसाद चढ़ाया जाता है उसे ना तो किसी को दिया नहीं जाता है और ना ही स्वयं लिया जाता है। पार्थिव शिवलिंग बनाने के बाद उस शिवलिंग को ज्यादातर लोग वहीं छोड़ देते हैं। परंतु यदि आप किसी ऐसी जगह पर रहते हैं जहां पर आपको उस शिवलिंग को वहां से हटाना होगा तो आप अगले दिन उस शिवलिंग को वहां से हटाकर और किसी बहती नदी, झरने या किसी नहर के अंदर विसर्जित कर सकते हैं। धन्यवाद दोस्तों

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